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00:00एक घनी और बड़ी जंगल के पास मौजुद एक गाउं में रंगया नामकी कागनी रहता था।
00:06उसका घर उसी जंगल के पास में था। उस घर में वो अपने बीबी और बच्चे के साथ रहता था।
00:12रंगया उसी जंगल में पेडों को काट कर उन लकडियों को बाजार में बेच कर कमाए हुए पैसों से उसका जीवन जलाता था।
00:20ऐसे ही एक दिन लकडी काट कर उसको बेच कर आए हुए पैसों को घर ले आता है रंगया।
00:26उसे देख उसकी पत्नी रत्नमा ऐसे कहती है,
00:30सारी जीवन ऐसी ही काटनी है क्या,
00:32लकड़ों को काटते हुए,
00:34अब क्या हो गया,
00:37क्या क्या हो गया,
00:38ज्यादा पैसा कमाना नहीं है तुमको,
00:41अपने बेटे को पढ़ाना नहीं है,
00:42घर नहीं खरीदना है,
00:43हमेशा इसी घर में रहते हुए,
00:46उन्हीं लकड़ियों को काट कर उन्हें बेच कर जीना है क्या,
00:50ऐसे कहती है,
00:51जब देखो बस पैसों का ही चर्चा,
00:54और कुछ सोचती भी नहीं हो क्या तुम,
00:56हाँ हाँ मुझसे पूछना है कि और कोई सोच नहीं है,
00:59पर आपका तो सोच नहीं बदल रहा,
01:02इसके बाद रंगया उसकी बातों को सुन नहीं पाता है,
01:05इसलिए वो चुक चाप वहां से चले जाता है,
01:09उस रात को रंगया अपने घर की खिड़की से बाहर देखते रहता है,
01:13दूर में उसे एक छोटी सी रोशनी दिखाई देती है,
01:18और वो ये भी देखता है कि कई सारे गाड़ियां बाहर से जंगल की ओर और जंगल से बाहर की ओर जाते रहते हैं,
01:24मैं तो हर रोज इसी जंगल में काम करता हूँ,
01:27मैंने आज तक लकड़िया काटते हुए किसी को आते या जाते नहीं देखा है नहीं सुना है,
01:33लेकिन हर रोज रात की समय में कहां गाड़िया आती जाती रहती है,
01:37मुझे कुछ तो करके जानना होगा कि बहां हो क्या रहा है,
01:41अगले दन सुबह उठते ही, जहां उसे कल रात रोशने दिखी थी, उसी तरफ जाता रहता है रंगया,
01:48वहां उसे जाड़ियों के बीच एक गुफा दिखाई देती है, उस गुफा में वो दरते दरते जाता है,
01:55दिखने में वो बाहर से छोटा ही क्यों ना हो, अंदर से वो गुफा बहुत बड़ा था,
02:01उस गुफा में गैर कानूनी से कटे हुए चंदन के सारे पेड दिखाई देते हैं रंगया को,
02:08उन सारे पेड को देख रंगया को सारा विशह समझाता है,
02:12अच्छा तो बात ये है कि चोरी से इन चंदन के पेड़ों को यहां छुपा कर,
02:18इन्हें रात के समय में यहां से बाहर निकाल कर बेच रहे हैं पैसोन के लिए,
02:23वो उसके चार ओर देखने लगता है, तब उसे अचानक किसी के पास आने के आवास सुनाई देती है,
02:29तुरंत वो एक चंदन के पड़ी पेड़ों की पीछे चिप जाता है,
02:35कुछ देर बाद घर जाने की कोशिश में, वो उठने के लिए, सहारा के लिए, नीचे मौजूद पतर पे हाथ रखके आपने आपको उठाने की कोशिश करता है,
02:44बस पतर अंदर गिर जाता है और वहाँ एक छोटा सा दर्वाजा खुलता है, रंगया उस द्वार के अंदर मौजूद सीडियों से नीचे गिर जाता है, तब उसे समझाता है कि ये गुफा उस गुफा के अंदर है, तब वो देखता है कि उस गुफा में कहीं उपर से थो
03:14और बड़े अच्छे बैंगन फुले हुए थे
03:17तब रंगया सूचता है कि शायद बारिश हवा के कारण
03:21बैंगन का बीज यहां गिर गया होता
03:23इसलिए यहां पे बैंगन का पौदा मौझूद है
03:26चलो कोई नहीं, बैंगन तो बहुत अच्छे दिख रहे हैं
03:30आज अगर इन्हें घर ले जाएंगा तो आज का खाना तो हो जाएगा
03:34यह फैस्वा करके वो उस पौदे से एक बैंगन को तोड़ता है
03:39बस रंगया के हाथ में जैसे ही वो बैंगन आता है
03:43वो सूने का बैंगन बन जाता है
03:45रंगया आश्चर चकित होकर दंग रह जाता है
03:49वो सोने के बैंगन को अपने हाथों में लेकर उसे जांचने की कोशिश करता है
03:53और तुरंत वो सोचता है कि उसी पौदे से एक और बैंगन ले ले
03:58लेकिन उससे पहले ही उस पौदे पे मौज़ुद सारे बैंगन गायब हो जाते है
04:02रंगया बहुत निराश होता है
04:04चलो कम से कम एक तो बैंगन मिल गया
04:08अगर ये मैं मार्केट में बेचूँगा तो बहुत सारे पैसे मिल जाएंगे
04:12तब मुझे कई दिनों तक कुछ भी काम करने की कोई जरूरत नहीं होगे
04:16ये फैसला करके उस गुफा के सीडियां चरकर वो बाहर की गुफे की और आता है
04:22रंगया जैसे ही बाहर आता है वो दर्वाजा अपने आप बंध हो जाता है
04:27उस गुफा से बाहर आते ही चोरी चोरी चुपकर वो अपने बीवी के पास जाकर इस सोने के बैंगन को दिखाता है
04:34उस सोने के बैंगन को देख रतनमा तुरंट बेहोश होकर नीचे गिर जाती है
04:39कुछ देर बाद होश आता है
04:41तब रत्नमा
04:42भापरे सोने का बैंगन
04:45कहां से लेकर आए आप
04:46ये कहां मिला आपको
04:47उससे तुमारा क्या मतलब
04:49हमेशा पैसों के पीछे पड़ी रहती है न
04:52ये लो
04:53ये सोने का बैंगन लो
04:54और इससे जो करना है तुम कर लो
04:56अरे पहले आप ये तो बताओ कि
04:58ये आप लाए कहां से कही अपने कुछ चोरी वरी
05:01तो नहीं क्या न
05:01ऐसे रत्नमा एक के बाद एक एक के बाद एक
05:04उसे प्रशन पूछते ही गई
05:06और कोई चारा ना होने की कारण
05:09रंगया जो कुछ भी हुआ
05:10रत्तमा को बताता है
05:12तो फिर आपको वही रहना था न
05:15कुछ देर बाद अगर और बहेंगन आगे
05:17तो उसको भी लेकर आते
05:19आपकी जल्दबाजी से न मैं तो मर रही हूँ
05:22चलो जो हो गया सो हो गया
05:24इस बहेंगन से हम बहुत सारे दिन
05:27कोई भी काम करें बिना आराम से रह सकते हैं
05:31हम गदे को अगर सोने का सिंघासन पे बठाया गया न
05:35उसकी बुद्धी तो गदे के ही रहेगी न
05:38हाँ अब क्या हो गया इसका मतलब क्या है
05:41इसी घर में रहते हुए चैन की जिंदगी नहीं चाहिए मुझे
05:45आप दो तीन और सोने के बैंगन लिके आए
05:47तब हम बड़े घर में आराम कर पाएंगे
05:50देख हमें नहीं पता कि उस पौदे पे वापस सोने के बैंगन आएंगे की नहीं
05:55और इतना ही नहीं उस गुफा में जाना बहुत-बहुत मुश्किल है
05:59और घातक भी वहाँ चंदन के पेड़ छुपे है रतना
06:03अगर मैं पकड़ा गया ना मेरा लाश तक नहीं मिलेगा तुझे
06:07अब इस सब की क्या जरूरत है जितना है उतने में खुश रहेंगे
06:11कहता है रंगया तुम मर्द हो भी
06:14वहाँ के चंदन के पेड़ों के बारे में जाकर पुलिस को बता दो
06:17वहाँ के चोरों को वो खुद लेकर जाएंगी और चंदन पेड़ भी खाली कर देंगी
06:22तब गुफा पूरा खाली हो जाएगा
06:24यहाँ तुमारे अलावा किसी को भी नहीं पता कि उस गुफा में एक और गुफा चुपा है
06:29इसलिए जब चाहो तब तुम उस गुफा में आ सकते हो और जा सकते हो
06:34वैसे ही अगर उस बैंगन के पौदे पे और बैंगन उग गए तो उसको भी लेकर आ सकते हो आप
06:40इसको यह सोच आया पर मुझे तो नहीं रहा है बताने क्यों ऐसे रंगया अपने मन में सोचता है
06:46आँ ठीक है ठीक है वो सब मैं देख लूँगा तुम फिलार इस सोने के पैंगन को बाजार लेकर इसे बेच कर पैसे लेकर घर आओ
06:54यह कहकर रंगया उसके घर से सीधा पुलिस टेशन जाता है और गुफा में हो रही गैर कानूनी व्याबार के बारे में उनको बताता है
07:02पुलिस वहां आकर सबको गयफतार करते हैं और चंदन के पेड़ों को भी वहां से खाली कर देते हैं
07:08अब इस कारण गुफा में डरते हुए जाने की कोई जरूरत नहीं थी रंगया को
07:13अगले दिन वो उस नीचे वाली गुफा में बेंगन के पौधे के पास जाता है
07:19तब वो देखता है कि वो पौधा बेंगन से भरा था
07:23इस बार वो एक बेंगन को लेकर जल्द बाजी में दूसरा बेंगन लेने ही जा रहा था
07:28कि सारे बेंगन गायब हो जाते हैं
07:31तब रंगया को समझाता है कि असली बात ये है कि बेंगन रोज के एक ही मिलते हैं
07:37ऐसे वो उस दिन के लिए एक सोने का बैंगन लेके घर चले जाता है।
07:42तब रतमा उन सोने के बैंगन को बेचकर आई हुए पैसों से एक बड़ा बंगला खरीती है।
07:48तब से जब भी रंगया को पैसों की जरूरत थी, वो उस गुफा में जाकर बैंगन लेकर उसे बेचकर आई हुए पैसों से खुशी से रहता था।
08:00जल्द ही रंगया और रतमा उस गाउं के ही जमनदार बन जाते हैं और खुशी से जीते हैं।