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00:00एक गाव में रंगनात नामक एक फूलों का व्यापारी रहता था।
00:04था।過去 हर रोज अपने फूलों के बागीचे में जाकर अलग प्रकार के फूलों को इखटा करके उनको टोक्री में डालकर टोक्रीयों को साइकिल पे सारे गाव में सैर करते हुए उन्हें बेचने की कोशिश करता था।
00:30रंगनात के पैर बहुत दुखते थे वो एक दिन अपनी पत्नी रामुलामा से ऐसे कहता है हर रोज साइकल पर फूल बेचने की कोशिश करकर के मेरे पैर बहुत दुख रहे हैं मुझे अब नहीं लगता कि मैं फूलों को बेच पाऊंगा हमारे सारे पड़ोसी खेती ही करके
01:00पाँ है और अब तो तुम्हारा स्तिथी भी नहीं है कि तुम फूलों को बेच सके अब भगवान जाने हमारा क्या होगा ऐसे कहती है तब रंगनात इस सोच में पढ़ जाता है कि इस मुश्किल का हल कैसे मिलेगा एक दिन वो यही सोचते हुए अपने फूलों की बागीच
01:30फूल बिक नहीं रहे है क्या फूल भी नहीं बिक रहे है और मैं भी उन्हें बेचने नहीं जा रहा हां क्यूं क्या हुआ कुछ नहीं यार साइकल को चला चला कर मेरे पैर ना लग रहे हैं कि मर ही गए मेरी टांग इतने घीचते हैं इसलिए कुछ दिनों से मैं फूल बे�
02:00बोल देना यार ऐसे कहता है लेकिन इस गाह में सभी के पास अपने अपने खेत है ना तो खेती करने तुम्हारा किराय पे कौन लेगा हाँ बात तो सही है अब वो भगवान ही कोई रास्ता दिखाएगा मुझे ऐसे निराश होकर कहता है रंगनात तभी राजाराम को कुछ य
02:30लगके बगल वाले पेड के नीचे लगाया है ओ तो फिर अब हम क्या करें क्या कह रहे है तुमकी उस देवता की पूजा करूं ताकि मेरे मुश्किल सारे दूर हो जाए नहीं यार रंगनात मैं वो नहीं कह रहा तुम्हारे व्यापार में अगर मुझे एक हिस्सा मिलेगा
03:00उस देवता की मूर्ती को छपाया है अब कल सुबह में सब को ये बताऊंगा कि जब मैं खेती कर रहा था मुझे इस देवता की मूर्ती मिली है और उसे मैंने पेड के नीचे लगा दिया है हाँ तो इसमें मेरा क्या लाब होगा राजाराम हाँ हाँ वही आ रहा सुनो तो स
03:30के बहुत बड़ी देवता की मूर्ती है और ये भी कि उस देवता को उस समय में सारा गाव सैर करवाते थे और इस जंगल में उगाए फूलों से ही वह अपने आपको सवारती थी ऐसे मैं प्रकट करूंगा और उसके बाद मैं ये भी कहूंगा कि वह इस देवता के वज़े
04:00यकिन दिलवा दूंगा कि तुम भी देवता की सेवा ही कर रहे हो और उनका कहां मान रहे हो तब जिर्फ तुम्हारे खेत में उगाए हुए फूलों से ही उस देवी की पूजा करना अचा हैंगे सभी तब तुम्हारे बागीचे में सारे फूल बिग जाएंगे और इतना �
04:30और मुझे भी इसके वज़े से तो हम दोनों को लाब मिलेगा ऐसे कहता है रंगनात उनके फैसरे के अनुसार ही अगले दिन राजाराम और रंगनात दोनों सारे गाव में यही प्रकट करते हैं तब से गाव वाले सारे राजाराम के खेट में मौझूद देवता की पूजा �
05:00अपने सहेलियों के साथ जब बात कर रही थी उसे सुनने में आता है कि उस गाव का जमंदार राजाराम के खेट में बहुत बड़ा मंदर बरवाना चाता है क्योंकि वही देवी भी बाहर निकली थी उसे ये भी पता चलता है कि इसी कारण वो राजाराम और रंगनात दोन
05:30मतलो नहूं न वुझे पहले से ही पता था कि ऐसा ही कुछ होगा इसलिए मैंने पहले ही इसका उपाई सोच कर रख लिया है आगले ही दिन राजाराम कहता है सबसे कि उसे और कोई पुराने कागस पत्र मिले है तब वो सबसे कहता है कि पंडित के समक्ष में वो सक के सामने उस
06:00मौजूद रहना होगा इसी बात का डंडोरा पिटवाता है राजाराम गाउवाले सारे देवी के मूर्ति के पास पहुंचते हैं तब एक पंडित राजाराम के दिये हुए पुराने कागस पत्र को पढ़ता है उसमें ये लिखा रहता है कि उस देटा को प्रक्रती बहुत
06:30या नई शादी शुदा जोडियां उनसे उनकी आशिरवाद लेते हैं और उस जंगल के फूलों से देवी को पूचते हैं तब देवी का आशिरवाद उन्हें मिलता है यही लिखा है उन पुराने कागस पत्र में तब सब लोगों को समझ आता है कि देवी के मर्जी के बिन
07:00Raja Ram के उपाई के कारण नई जोडियां और परिवार समस्या ये लेकर वहां बहुत लोग आते थे और उस देवी की मूर्ति को रंगनात के फूलों से पूचते थे
07:11रंगनात वही एक फूलों का दुकान खोलता है
07:15अलग प्रकार के फूल और अलग प्रकार के फूलों की मालाएं वहां मिलती थी
07:20और उसके वचन के अनिसार ही जितने पैसे वो कमाता था
07:24उसमें से एक हिस्सा हमेशा राजाराम को देता था
07:28ऐसे वो दोनों दोस्त एक अच्छे उपाई से उनके सारे मुश्किले दूर कर देते हैं और खुशी से जीते हैं