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00:00रामया दोसा की दुकान और रंगया समोसा की दुकान लगा कर बाजार में एक दूसरे के सामने कई साल से दुकान लगा कर चला रही हैं।
00:10अब इन दोनों की एक दूसरे के साथ बिलकुल नहीं जमती।
00:13जमती रंगया को हमेशा जलन होती थी कि रामया उससे ज्यादा कमा रहा है और इतना ही नहीं हमेशा कोई न कोई बात पे रामया से लड़ते रहता है रंगया ऐसे उन दोनों के बीच में बहुत ज्यादा नफ्रत था
00:29एक दिन शहर में बढ़ रहे रामया का बेटा रंगया घर आता है अगले दिन वो अपने पिता के बाजार में लगी दुकान के पास आता है वहाँ चल रही व्यापार को देख रंगया अपने पिता से ऐसे कहता है
00:46पापा आप हमारे दुकान में ज्यादा ग्राहक लाकर ज्यादा पैसा कमाने के मार्ग नहीं सोचते हो क्या
00:55अब जितना मेरा सोच है उसी में चल रहा है बेटा जितना भी महनत करूं वही कमाई मिल रही है
01:03पापा महनत से नहीं चालाकी से कमाई जाते हैं पैसे
01:09शहर में इसी दोसा को दुगने दाम में बेचते हैं, पता है आपको
01:13अब शहर के दाम में यहां कैसे बेचेंगे बेटा, अगल दाम बड़ा भी देना, तो कोई भी खाने नहीं आएगा
01:21पापा मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि शहर के दामों में यहां बेचे
01:27बलकि ये कह रहा हूँ कि ऐसा कुछ करे कि शहर का लाभ हमें यहां मिले
01:33तुम्हारा इरादा मुझे समझ में नहीं आ रहा बेटा
01:37थोड़ा समझा दो
01:39आपको समझाना नहीं करके दिखाऊंगा
01:42ऐसे कहता है रमेश, रामया देखते ही रहता है कि रमेश क्या है रहा है
01:47और इतने में रमेश उनके दुकान के बाहर एक board डालता है
01:52उस पे लिखता है कि हमारे दुकान में जो भी ये special दोसा खाएगा
01:57उसको 10 साधारन दोसा फ्री में मिलेंगे
02:00और जो भी दोसा आप खाओगे उसके भी पैसे नहीं देने पड़ेंगे
02:04पर अगर स्पेशल दोसा खा नहीं पाए तो दस दोसा का पैसे देना होगा
02:09ऐसे लिख देता है
02:11बोड पे जो लिखा उसने वही बाजार में जोर से चिला कर सब को सुनाता है
02:16ये सुनकर बहुत लोग खुशी के मारे उनके दुकान पहुँचाते हैं स्पेशल दोसा खाने
02:22स्पेशल दोसा खाने के लिए मैं तयार हूँ
02:27नई नई मैं तयार हूँ
02:28ऐसे सब भी आपस में बहस करते हैं
02:31तब रमेश उनके दुकान के बगल में एक बड़ा सा टेबल और चेयर लगा कर जो भी इस प्रत्योगिता में शामिल होना चाते हैं, उनको एक के बाद एक इस कुरसी पे बैठना होगा.
02:42ऐसे कहता है, उसके बाद ठीक उस टेबल के जित्रा बड़ा दोसा वो बना कर वहां लाता है और उस कुरसी में बैठे आदमी के सामने पेश करता है. वहां मौजुद सारे लोग यही सोचते रहते हैं कि वो आदमी उस दोसा को खा पाएगा की नहीं. आदा दोसा खा कर वो आ
03:12बाने की कोशश करके हार मान कर वहां से पैसे देकर चले जाते हैं. ये सब ठीक सामने से देख रहा रंगया. अपने आपने सोचने लगता है कि एक स्पेशल दोसा बनाने के लिए कितने पैसे लगते हैं. उसे पता था कि एक स्पेशल दोसा बनाने के लिए तीन दोसा लग
03:42होती है कुछ भी करके मुझे भी ऐसे ही पैसे कमाने होंगे तर क्या करूंगा ऐसे सोच
03:49सोच कर हां मैं भी उसकी तरह समोसा का कोई प्रत्योगिता लगा दूँगा ऐसे सोच
03:56कर अगले दिन रंगया उसके समोसा के दुकान के बाहर ये लिखता है कि जो भी आदनी
04:0220 समोसा खा पाएगा उसको 10 और मुफ्त में मिल जाएंगे
04:06पर अगर 20 समोसा नहीं खा पाए
04:08तो 10 समोसा के पैसे देने पड़ जाएंगे
04:11और यही बात चिला चिला कर बाजार में सब को बताता है
04:15ये सुनकर बहुत सारे लोग रंगया के दुकान आते हैं
04:22प्रत्योगिता में शामिल होने,
04:23जो लोग आते हैं dealing में से कई सारे
04:26आसानी से भी समोसा खा लेते हैं.
04:29और रंगया के अनुसार ही वो दसार मुफ्त में ले लेते हैं
04:33और वहां से चले जाते हैं.
04:35ये देख रंगया को चक्कर आ जाता है.
04:38शाम से पहले ही आधे से ज्यादा समोसा खतम हो जाते हैं
04:43उसके बाद कई सारे लोग वहाँ पे आकर हम भी खाएंगे समोसा, हमें भी दो कहते हैं
04:50इस कारण रंगया को बहुत गुसा आजाता है
04:54इसलिए वो उसके दुकान के सामने से बोड हटा देता है
04:57वो किसी को मुँ दिखाने लायक नहीं रहता है
05:00इसलिए बंडी को लेकर अपने घर के और बढ़ते रहता है
05:04आज तो मैं एक भी रुपे नहीं कमाया
05:07और उल्टा जो भी समोसे थे वो भी बेच दिया मुफ्त में
05:11उसे चक्कर आकर वो नीचे गिर जाता है
05:14आँखे खोलने पर रंगया एक अस्पताल के बेट पर रहता है
05:18उसके बगल में उसकी बीवी रहती है
05:20मुझे क्या हुआ? मैं कहा हूँ?
05:24ऐसे पूछता है रंगया
05:26आपको चक्कर आकर नीचे गिर गये थे
05:28कोई अजनभी आपको यहाँ छोड़ गया
05:31ऐसे कहते हैं रंगया की पतनी
05:33चाह! आज सब कुछ नश्टी हो गया
05:36सब बुरा हो रहा है
05:38अरे क्या हुआ जी?
05:42आप इतने गुसे में क्यों हो?
05:44वैसे अब शाम तक घर की मूँ भी नहीं देखते हैं
05:47लेकिन आज दो पहर से पहले आपकी समोसे खतम हो गये
05:50और अब घर भी आ रहे थे?
05:52इसलिए वो जो कुछ भी हुआ आपने बीवी को समझाता है
05:55हाई भगवान मेरा मूर्ख पती
05:58आप बस ये सोच रहे थे
05:59कि कितने दो से बेचने पर उनको कितना लाब मिल रहा है
06:04लेकिन आपने एक बार भी ये नहीं सोचा
06:06कि कितने समों से बेचने में आपको कितना लाब आएगा
06:09ये प्रतियोगिता शुरू करने से पहले आपको ये सब सोचना था
06:13आपने सोचा भी नहीं?
06:15ये तो हो नहीं था
06:16तब रंगया को समझाता है
06:18कि किसी और को देखकर
06:20हमें वही काम नहीं दोहराना चाहिए