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00:00वो बता रहे हैं कि देखो अथरव वेद में जादू तोना है तुम भी जादू तोना है
00:04आपका भी जो बुजोद कर रहे हैं वो बड़ी बड़ी थाकते हैं
00:07जो चर्च वाली इसाइयर है जीजस वाली नहीं जो चर्च वाली इसाइयर है
00:11उसको तो रेनसा नहीं खित्म कर दिया था
00:13शाक के मुनी के लावा और भी कितने मुनी हो और सब को शोग नहीं मुनी
00:174,000 की शर्ट बाइस सो में लेके आए हैं
00:19क्या करेगा तो अठारा सो बचा करके तुनोथी उठाओ अधिको क्या हो यह समय की धूल हो जानी है बहुत जल्दी हो चुकी है जैसे वेवकान अठागरते हैं जैन अभाईश्य का धर्भी को विदान्त मात रहे हैं
00:30सेड जी पैसा चुपा गे रखते हैं बताओ क्यों
00:32कि अधिक नमस्ते जार जीद कि सभी उपनिशेद और वेदान भी इसी मूल प्रस्ण पर आते हैं कि आप कौन हो महने दुख में हुआ
00:51और उद्देश है कि है कि दुख से मुक्ति मिले हैं बुद्ध के भी चार आरी सत्य इसी की होशना करते हैं दुख है कारण है मुक्ति संभव है उसका श्टांग मार गए तो जब बुद्ध का पुरा दर्शन इसी पराधारित है तो उस वक्त के सभी लोगों ने उनको ना
01:21और आज तक भी दर्शन के छेत्र में नास्तिक बोलकर ही बढ़ायाता है कि समझना चाहता हूं क्यों कुछ नहीं है
01:35मुर्खता है पुद्ध को नास्तिक बोलना पागल पन्न है कि मेरी समझ में मूल असली और विदानती तो वही है
01:44बुद्ध विदानत की जितनी गहराई तक पहुँचे थे उतनी गहराई तक उस समय में कोई रिशिमुनी नहीं था जिसको विदानत समझ में आता हो
01:56चुकि उनको समझ में नहीं आता था खुदी वेदान्त
01:58तो जो असली वेदान्ती था उसको खोशित कर दिया ये तो नास्तिक है
02:02इनको लगा कि आस्तिक वो है जो वेद के कर्मकांड को माने
02:09कर्मकांड के नाम पे लगे हुए हिंसा करने में जानवर काटने में
02:13खेल सारा
02:15जानवर के ही कटने का था
02:17समझो बात को
02:18मूल बात वही थी वहीं पे
02:19कोई काटने थे जानवर
02:22और लोगों से उगाने थे
02:25पैसे, धंधाने और मास तो ही है
02:27उदने का ये सब नहीं चलेगा
02:30पहली बात इसमें धर्म कहीं नहीं है
02:33दूसरी बात तुम सीधे साथे लोगों को लूट रहे हो
02:35और तीसरी बात ये जानवरों को मारना तो मैं बरदाश्ट करी नहीं सकता
02:39तो उन्हेंने का तू नास्तिक है क्योंकि ये तो कर्मकांड है
02:45हमारे उसमें लिखा हुआ है वेद में तो हम करेंगे
02:48और अगर तू इसको नहीं मान रहा है तो माने तू वेद को नहीं मान रहा है
02:51तो तू नास्तिक हो गया एकदम गलत बात है ना
02:56वेदों का जो मरम है रस है वो कर्मकांड थोड़े ही है
03:01वो क्या है
03:03वो तो वेदान्त है
03:05और वेदान्त तो सबसे
03:08ज्यादा आगे कौन बढ़ा रहे है
03:10स्वेम बुद्ध
03:11तो अगर कोई सबसे बड़ा आस्तिक है
03:13तो कौन है
03:14तो ये मत कहो कि
03:17बुद्ध को नास्तिक बोला
03:18ये पूछो कि किसने
03:20कर्मकांड ये उनको तो बुद्ध नास्तिक ही लगेंगे
03:23और बुद्ध को नास्तिक
03:29जब आप बोलते हैं तो आप एक बहुत
03:31खतरनाक बात खड़ी कर देते हैं
03:33आप कह देते हैं कि
03:35वेद का अर्थ ही है
03:36बस कर्मकांड और जैसे ही आप
03:39बेदगार्त कर्मकांड कर देंगे
03:41जानते हैं उसका असर क्या होगा असर ही होगा कि
03:43वेद धीरे-धीरे खोते जाएंगे
03:44कितने लोगों
03:48ने वेद पढ़ा है आज
03:48क्योंकि कर्मकांड
03:52एक समय की चीज थी
03:53जो उस समय कुछ लोगों को ठीक लगी
03:55उन्हें लगा उस वक्त विज्ञान बहुत विखसित था
03:58नसूचना आई थी, कुछ नहीं
04:01तो वो एक समय की बात थी
04:03कि इस समय पर हमें लगता है कि इसी तरीके से
04:06पानी की ताकत को प्रसंद करा जा सकता है
04:08कड़कने वाली बिजली को प्रसंद करा जा सकता है
04:10वो इंद्र बैठा हुआ है जो सब देवताओं का शिरोबणी है उसको पसंद कर सकते हैं और अगनी है जो की तरीके तरीके से काम आती है उसको हम खुश कर सकते हैं तो वो एक समय की बात थी जब ग्यान इसी स्तर पर था
04:25वो समय तो भीद गया अब आज की पीड़ी कैसे उस चीज को स्विकार करेगी तुम बोलोगे कि हे इंद्र तू हवारी वसले ठीक कर दे या बारेश कर दे वरुन या मित्र या कुछ तो जो आज की पीड़ी हो क्या बोलेगी आज का जो जवान लड़का क्या बोलेगा भाई
04:55तो उसके लिए नहर है और बांध है आर्टिफिशियल रेन भी है बिजली चाहिए तो उसके लिए बोलो न्यूक्लियर रियक्टर है प्रकाश चाहिए तो उसके लिए ये बल्ब लगे हुए है इसमें देवता लोग कहां से आ गए तो में प्रक्रति से संबंधित जो भी �
05:25कहते हमाई गाएं जाधा दूद्दे गाएं भी जाधा दूद्दे तो उसके लिए तुमने जनेटिकली मॉडिफाइड गाए बना दी है उसके लिए भी तुमें देवता नहीं चाहिए अगर आप वेद को वही बना दो एक कर्मकान तो आज की पीड़ी वेद को बिलकुल
05:55फिर आप कहते हो आज की पीड़ी संसकारहीन हो रही है धर्म को भूल रही है कैसे धर्म को याद रखे धर्म के नाम पे आप उसे ये सब बाते बताओगे अगर कि फलाना यग्य करने से वर्शा हो जाती है तो वो साइंस पढ़ा हुआ लड़का हुआ आपका मूँ देखे
06:25वो कौन सी चीज है विदान्त क्योंकि विदान्त किसकी बात करता है आदमी के मूल बंधन की जब तक इंसान है उसका मूल बंधन रहेगा और जब तक विदान्त सार्थक रहेगा और प्रसंगिक रहेगा और उपयोगी रहेगा तो विदान्त अकेला है जो अमर है आस्तिक
06:55और कोई नहीं परिभाशा
06:55आप बैठ करके
06:59यग्य करते हो
07:00लकडी जलाते हो इससे आप आस्तिक नहीं हो गए
07:02आप बाकी तमाम तरीके के मंत्रों चार करते रहते हो
07:09बैठे बिठा हो उससे आप आस्तिक नहीं हो गए
07:10आस्तिक माने वही जो वेदान्त में आस्ता रखता है
07:13और अगर आप ये परिभाशा नहीं सुईकार करोगे
07:15हिंदू समाज अगर इस परिभाशा को नहीं मानेगा
07:18तो नतीजा यह होगा कि आने वाली पीढिया
07:20पूरे तरीके से वेद विमुख हो जाएंगी
07:23और वो हो क्छुका है
07:24मैं फिर पूछ रहाएं कि सiration न किसने वेद पढ़एंगी
07:27आप में से किसने वेद पढ़ा है बता व
07:29आप में से कुछ लोगों ने अब
07:33वेदान्त जान लिया है
07:35क्योंकि कुछ उपनिशद जान लिये हैं
07:38और भगवदगीता जान लिये हैं
07:53कर्स फ्लउप होगय है यह होगा कि यह होगा अ
08:06हिंदूं की प्रोहितों की जमाफंस है कि इनको हम क्या बता दे और वो बता रहे हैं कि देखो अधरववेद में जादू तुम
08:14यह एंटू नहीं सीखेंगी यह पीढ़ी नहीं सीखेंगी चारों तरफ विज्ञान की
08:19ग्यान है तुम उनको नहीं कन्विंस कर पाओ कि जाद उटोने के लिए कुछ समय तक कर भी सकते हो कुछ मुर्खों को पर धीरे धीरे वह सब इन बातों को पीछे छोड़ देंगे
08:28अरे वेद वाला आइडिया तो फ्लॉप हो गया अब वेदान्त वाले आइडिया पर हाँ जी वेदान्त पर है कितने लोग आना चाहते हैं अरे ये सब तो लगता है पहले गीता में ये अंतर है वेद और वेदान्त वेदान्त हमेशा हमें प्यारा रहेगा
08:54क्योंकि वेदान्त मनुश्य मात्र की प्यास है अब बाकी सब बातें समय की धूल बन जानी है विश्यों के जितने धर्म है इनका कोई भविश्य नहीं है
09:07जैसे वेवकाणन खा करते थे न भवशय का धर्म तो विदांत मात्र है
09:12जैसING जो बात मैं वैदिक कर्मकान Eux के लिए बोल रहा हूँ
09:15वह मैं विश्यो के सब धर्मों के लिए बोल रहा हूँ
09:17जितने तुमने भालतू की रसम, रवायत, परमपरा बान रखी है धरम के नाम पर
09:22ये समय की धूल हो जानी है, बहुत जल्दी हो चुकी है
09:25कितने इसाई हैं, जो इसाईयत का वैसे ही पालन करते हैं से 100 साल पहले होता था बताओ
09:32जो चर्च वाली इसाईयत है, जीजस वाली नहीं, जो चर्च वाली इसाईयत है
09:40उसको तो रेनसा नहीं खत्म कर दिया था, 300 साल पहले खत्म हो चुकी वो
09:47और अगर आप नई इसाईयत नहीं लेकर आओगे तो वही होगा जो हो रहा है, वो सारे जितने इसाई हैं
09:54वो अपने आपको अब एथीस्ट घोशित करते हैं, ऐसे ऐसे देश हैं जिनकी तिहाई आबादी अपने आपको एथीस्ट घोशित कर चुकी, एथीस्ट और अगनॉस्टिक
10:04यह थे हमें लेना देना नहीं है, क्रिश्यानिटी से हमें कोई मतलब भी नहीं
10:09क्रिश्यानिटी का यही तो मतलब है कि वहाँ पे जाकर के बोल रहे हो, कि यह कर दिया और गाने जा दिये
10:14और एस्टर पर ओर क्रिस्मस पर यह कर दिया का Deshalb हमें करना ही नहीं हमें समझ भी है समाझ कर भी नहीं आता है इस writer की विव से एक दिन चला जाता है
10:39वेदों को भी बचाना है तो बस एक तरीका है क्या वेदान्त प्रत्वी भर को ही अगर बचाना है तो एक ही तरीका है वेदान्त क्योंकि हमारी जितनी समस्याइं है वो सारी समस्याइं हमारे विक्षिप्त मन से उठ रही है और मन का उपचार करता है वेदान्त तो मैं इसलि
11:09और हैं कुछ पागल लोग
11:12जो कहते हैं कि बुद्ध नास्तिक है
11:14क्या बताएं उनको
11:15वो मुझे भी नास्तिक ही बोलते है
11:24अभी ये बिलकुल
11:26बाजार में चीज
11:28बढ़ियां से फैल चुकी है
11:31कि ये नास्तिक है चल ठीक
11:39कि ये एक और प्रशन इसके बीफ़एं
11:52आपका भी जो विडोध कर रहे हैं
11:58वो बड़ी बड़ी ताक्ते हैं
12:00जो सोकर्ड अपने आपको धर्मिक कहते हैं
12:03क्योंकि ज्यादा
12:05जो मात मतलब उनके जो भोग है उनका जो विधर में जो नकली धर्म है
12:13जो लोग जाग रहे हैं उसका विरोध कर रहे हैं तो उनको जादा नुकसान पमोचता है
12:17ऐसी बुद्ध के समय पर भुगा था तो इसलिए जो नाम के आप उस वक्त के रिश्य वगरा थे उन्हों लोगों ने उनका विरोध किया और वैसी आज के भी जो नाम के पंडित और प्रोहित हैं वह आपका विरोध करें इसलिए
12:35और वही लोग जन्ता को भी मैनुपलेट करते हैं इसके लिए हाँ जन्ता को बढ़का रहे हैं ठीक है
12:45उनका काम उनको करने दो हमारा काम हमें करने दो
12:57बहुत बुद्ध हुए हैं उसमें से किसी बुद्ध को कोई अशोक मिल जाता है
13:06नहीं तो बुद्ध तो तब भी आनन्दी थी है
13:13अशोक कोई खड़ा हो गया तो जो बात है वो फैल जाएगी चार और
13:22नहीं भी खड़ा होता तो बुद्ध कोई एक थोड़ी हुए है
13:25आप तो बस उन्ही बुद्ध को जानते हैं जो प्रसिद्ध हो गए
13:33अपना काम करने आले बाकी भी कोई कम नहीं थे अपना वो
13:37मस्तर है
13:48बहुत धर में जब द बुद्धा बोलते है
13:50तो उससे आशय होता है बोध मात्र
13:54उससे आशय गौतम द बुद्धा नहीं होता
14:01गौतम तो एक बुद्ध है और द बुद्ध मने
14:08रिलाइजेशन इटसेल्फ
14:12तो कई बुद्ध है
14:15सभियाद के आत्मियान को
14:18और इस पर हमारा कोई बस है नहीं की
14:23अशोक मिलेगा की नहीं मिलेगा
14:25हमारा जिस पर अधिकार है हम वो काम
14:29अपना पूरे से करेंगे
14:30उसके बाद ठीक है
14:33खेल है
14:35शाक्य मुनी बुद्ध बुलते हैं उनको
14:45तो शाक्य मुनी के लावा और भी कितने मुनी हुए हैं
14:52सबको अशोक नहीं मिले तो ठीक काम तो उनने तब भी अपना कर रहा हुआ हुआ हुआ हम अचारे जी जैसे कि पिछले प्रश्ण से ही संबन देता है
15:10कि हम आज से कैई स्वावर्षों पुरानी बात करें जब बुद्ध का समय था
15:17आज समय दूसरा है तकनीक है तकनीक का यूग है तो आज की समय का शोक कैसा होगा जो इसको समर्थन देगा
15:31जिसकिसी को भी बात समझ में आती हो और बात दोसरों तक पहुचाने का दम रखता हो
15:41अशोक कोई व्यक्ति नहीं है अशोक एक भाव है उसको अशोकत तो बोल दो
15:46तो एक भाव है, वो एक व्यक्ति भी हो सकता है, वो एक संस्था भी हो सकता है, वो व्यक्तियों का एक समूह भी हो सकता है, वो कुछ भी हो सकता है, अशोक तो कुछ भी हो सकता है, तो अशोक का मतलब है कि कोई ऐसा जिसको समझ में भी आ गई बात और आगे उसको समझानी भ
16:16प्रणाम आचारियाची आवाज आ रहे हैं मैं आपसे पूछना चाहूंगा कि असली अर्थ क्या है तरके आप यह जो संतु के वानिया सिखा रहे हैं सरी हम स्कूल में कॉलेज में इंटरनेट में बच्पन से पढ़ते हुए आ रहे हैं लेकिन जैसे जैसे हम आगे बढ़ते
16:46करता है और आप बोलते हैं कि एक्सपीरियंस और एक्सपीरियंसर दोनों चूटे करके और संटों ने जो लिखा है सर यह अपने उचे स्तर के हिसाब से लिखा है तो हम इसका असली हर्थ कैसे अनुमान लगा सकते हैं असली हर्थ कैसे समझ सकते हैं कैसे समझ में आए गई �
17:16भौतिक में भी कई तरह के दुख होते हैं तीन तरह के दुख तो हमको विदान्त नहीं बता दिये हैं
17:26याद है ना जी आधि भौतिक आधिदेविक और अध्यात्मिक तो इन तीन जो दुखों यह तीन दुख बताएं इनके भी आप कई और तल बना सकते हैं बीच में कि भौतिक सबसे नीचे का दुख होता है भौतिक में भी दो चार और तल बना लीजिए खुदी वैसे आधि�
17:56इनके शब्दों का अर्थ खुलता जाता है कोई बड़ी बात नहीं कि जिसका सबसे बड़ा दुख यही हो कि उसके सजना उसको शॉपिंग नहीं कराते हैं होते हैं बहुत सारे उनको यही दुख है उसके लिए इसका यही अर्थ हो कि अमरपुर जो है वो कोई नई शॉ�
18:26निम्न तलका है, तो इसमें से जो अर्थ आएगा वो भी निम्न तलका होगा, साहब की बातों का अर्थ वही जान पाएगा, जिसका दुख अब न भौतिक है, न दैविक है, बलकि अध्यात्मिक है, भौतिक दुख क्या होता है, भौतिक दुख होता है, जहां आपको साहब स
18:56जबर्दस्ती पाउं में घुश गया उससे यह आधिभातिक दुख है ठीक है बाजार में हीरा आया है खरीद नहीं पा रहा हूं ये भी आधिभातिक दुख है पाउं में काटा अधिक हो गया था और हीरा जेब में कम है तो एक के होने से दुख था एक के न होने से दुख है
19:26इसको कह देते हैं आधिदैविक दुख है बारिष ज्यादा हो गई गलत समय पर बारिष हो गई फसल चौपट हो गई आधिदैविक दुख हो गया ठीक है बाहर घूमने निकले थे धूब ज्यादा मिल गई
19:36यह टिकट कटाके कहीं गए थे हनीमून मनाने वहाँ पांच दिन तक बारिष ही बारिष होती रही कोई घूमने को नहीं मिला यह सब इनको बोलेंगे आधिजावी तो यह दैव प्रकोप है यह सब भौत एक ही बाते हैं टेकनोलोजी आगे बढ़ जाएगी तो ठीक ठीक किस
20:06अभी अगर उसी हालत में हो कि आपके लिए कहीं सेल लगी है कहीं का मौसम बहुत माइने रखता है कहीं व्यापार में घाटा हो गया नुकसान फाइदा देख रहे हो तो इन बातों के भी यह जो सब साखियां है भजन है इनके भी अर्थ आपके लिए बहुत निचले रहत
20:36भौतिक तो जो पाया जा सकता था सब मिला ही हुआ है लगबग लेकिन तब भी कुछ है जो कचोट रहा है ऐसे लोगों के लिए सचमुच फिर वर्दान होते हैं संतों के शब्द अध्यात्मिक दुख वो है जिसका कोई भौतिक कारण नहीं है
20:55समझ में आगे आया है कि रुपए से पैसे से नई इमारत से पांच गाड़ियां और खरीद लिए या कुछ भी और जो भी भौतिक प्रपंच हो सकता है करने से दुख जा नहीं रहा है एक सूना पन है जो बना ही रहता है वो कहलाता है आध्यात्मिक दुख
21:12संतों की बाते हैं उनके लिए हैं जिनको आध्यात्मिक दुख है जिनको आधिभौतिक दुख है उनके लिए बन रहेगा है ठीक है तुम जाओ वहां से जो भी बीस रुपेल मिलता है ले लो तुम क्या करोगे वहां पे ये गीता के श्लोक पढ़के
21:33लेकिन फिर ऐसे लोग भी इनके साथ जुड़े रहें तो संतों ने फिर उसमें तरकीब लगाई बुले ऐसा करो इनको न मधुर्गीत जैसा बना दो
21:51तो गाना तो शुरू करे और इनको अर्थ भी कई तलों के दे दो ताकि जो निचले तल का आदमी है उसको भी इसमें से कुछ लाब तो होई जाए तो फिर वही हुआ कि बड़ा हुआ तो क्या वो जैसे पेड़ खजूर पन थी और ये पांचमी क्लास में टीचरें पढ़
22:21ये एक युक्ति है पांचमी क्लास में आप गीता कश्लोक नहीं पढ़ा पाओगे बिल्कुल वो लाभहीन हो जाएगा पर संतों ने करुणा के चलते अपनी बात को ऐसा कर दिया कि पांचमी के बच्चे को भी पढ़ा सकते हो भले ही उससे उसको लाभ नहीं होगा पर आ�
22:51तो यह मस्सूचे का कि यह बात आपको समझ में आ गई यह बात आपके लिए उतनी ही अभी सार्थक होई है जितनी गहरी आपकी पीड़ा है और यह टैंक है
23:10और आपकी कुल लड़ाई है पड़ोस के जुनूलाल से तो आईए आपके कितना काम आएगा यह सब बातें उनके लिए हैं जिन्होंने जीवन में बड़े पंगे लिए हो
23:23जो अभी छोटे ही मुद्दों में उल्जे हुए हैं तो क्या उनका होगा कुछ नहीं है बगल वाले ने मेरे घर के सामने गाड़ी पार्क कर दी
23:37सहींगत राष्ट संग में यह बात उठाई जानी चाहिए
23:44उनके लिए यह नहीं है उनको तो बस अधिक सदिक कैसे ही है कि क्या है कि समूशा खिला दो खुश हो जाएंगे
23:58अरे बड़ा दर्द बड़ा दर्द जब हो तब यह चीजें काम आती है
24:11इसके उपर एक फॉल उप कोशन रहेगा कि यह बड़ा दुख उठाने के लिए बड़ी चुनोतिया उठाने पड़ेगी
24:22इव अंदारी चाहिए क्योंकि बड़ा दुख लाना थोड़ी पड़ता है बड़ा दुख तो है
24:27हर बच्चा वो बड़ा दुख लेके पैदा होता है बड़ा दुख है बहुत सारे लोग उस बड़े दुख को
24:37शर्ट सस्ती मिल रही थी खरीद लाए मजा आ गया कोई दुख नहीं है
24:41चार हदार की शर्ट बाइस सव में लेके आए है तीन दिन तक बिलकुल मूड हरा हरा है
24:49इमांदारी चाहिए न कि क्या करेगा तू अठारा सो बचा करके तेरी चाती में इतना बड़ा सुराख है
25:00अठारा सो बचा के क्या मिल गया तुझे
25:03बड़ा दुख सबको है पर सब में इतनी इमांदारी नहीं हिए कि सु� Fighter करें कि वो गहरे दुख में है
25:12कारण बिलकुल सपष्ट है
25:15मान लिया कि गहरे दुख में हो तो गहरी जब्मेदारी उठानी पड़ेगी नहीं मानते कि दुख है
25:27सब घूम रहे हैपी हैपी
25:32कौन तो बोल रहा था जो एक वो रैंकी निकलती है न हैपिएस कंट्रीज ओंद अर्थ तो हैपिएस कंट्रीज की रैंकिंग ली हाँ नहीं वो तो ठीक है उसका कोरिलेशन निकाला एंटी डिप्रेसेंट कंसम्शन से बड़ा तगड़ा कोरिलेशन आया जितनी हैपी कंट्र
26:02जाता है हम हैपी है है और फिर जाके क्या करो डिप्रेशन की गोली खालो यह हम तो हैपी है नहीं तो कैसे होगा कि जो देश सबसे अपने आपको हैपी बोलते हैं वहाँ पर कैपिटा एंटी डिप्रेसेंट कंजम्शन एकदम चड़ा हुआ है यह कौन सी हैपिनेस है इध
26:32अपने एक बॉला था बाउट टिकिंग रिस्प्सब्च बिलिटी जिम्मेदारी अगाकर जो मेरे दिमाग में काफी टाइम से है कि
26:47और यह मैंने personally experience भी करा है
26:49कि यह जिम्मेदारी
26:51जो बोल रहे हैं
26:53इस जिम्मेदारी का
26:54responsibilities का burden
26:57carry करने के लिए
26:58I don't feel the strength
27:01कि मैं
27:02consequences क्या
27:04bear कर सकता हूँ क्योंकि
27:06this seems like one way path
27:08it is
27:09एक बारी जाता हूँ
27:11तो there is no looking back
27:12आप सुनिये अच्छा किया आपने फ्रेशन पूछ लिया
27:15जिम्मेदारी आती है
27:18ना आपकी
27:20strength चेक करने
27:24ना develop करने
27:26बलकि reveal करने
27:29strength आप में है
27:32पर वो छूपी रहेगी जब तक आप जिम्मेदारी नहीं उठा होगे
27:37तो जिम्मेदारीयां
27:41आपकी परिक्षा लेने भी नहीं आती है
27:43आपके बलका विकास करने भी नहीं आती है
27:47आपके बलका उधगाटन करने आती है
27:49जो जिम्मेदारी नहीं ले रहा हो
27:53उस बैचारेयों कई पता ही नहीं चलेगा उमर भर
27:55कि उसमें
27:57फॉलाद कितना था
28:00जो भीतरी चीज होती है वो बोलती है मैं प्रकटी तब ही होंगे जब मेरी कोई उप्योगिता हो
28:06जब मेरी ज़रूरत ही नहीं
28:10जिसे कोई आउटोमेटिक कार हो आप उसको बीस पे चला रहे हो उसमें पांचोंग येर लगे गा ही नहीं
28:17आप करें हमाईसा सेकेंड येर में चलती रहती है वो कहरी तुम एक्सिलेटर दबाओ तो सही तुम सौ पहुचाओ तो सही तुम सौ पहुचाओ फिर देखो हम छठा लगाते हैं कि नहीं
28:31आप में ताकत कितनी है वो प्रदर्शित ही होता है जब आप चुनोती उठाते हो
28:47और चुनोती चुपी रहे और ताकत चुपी रहेगी जब तक आप चुनोती नहीं उठाओगी एकदम चुपी रहेगी
28:53और आपको यही भ्रह्म बना रहेगा कि हम तो बलहीन है, आप बलहीन नहीं है, अगर कोई अपने आपको बलहीन मान रहा है तो इसका मतलब है उश्रद्धाहीन है, उसने कभी भरोसा करके चुनोतियां उठाई नहीं, इसलिए कभी उसकी ताकत सामने आई नहीं, उसमें कमी �
29:23देखिए बाहर का नियम होता है कि बल पहले हो चुनोति बाद में आएगी, यही होता है न, यह स्थूल जगत का नियम है, मुझा कहते हैं भाई जितनी जान हो उतनी वजन उठाओ, आंतरिक जगत का नियम उल्टा है, जितना वजन उठाओगे उतना स्वयम को बली पाओ�
29:53में लगा देते हैं, गल्ती हो गई, दोसों के लोग ऐसे उठालोगे तो क्या होगा, तूट जाएगा, तो हम सोचते हैं यही नियम भीतर लगता होगा, ज्यादा बड़ी चुनोति उठाली तो हम तूट जाएंगे, नहीं, ऐसा नहीं है,
30:14ज्यादा बड़ी चुनोति उठालोगे तो बस भर्म तूटेंगे आपके, और कुछ नहीं तूटेगा, और भर्म आपका यह है कि आप तो पिद्दु बाबा हो, मेरा नाम है पिद्दु बाबा,
30:33जिसकी तिसकी गोदें बैठा रहता हूँ, क्योंकि मैं हूँ पिद्दु बाबा, चुनोति उठाओ, और देखो क्या होता है, इसी लिए चुनोति उठाते नहीं, पिद्दु बाबा को गोद्दी की आदत लग गई है,
30:51वह कहा है ना किसी ने बड़ा काव्यात्मत,
31:05अब डीपेस्ट फियर इस दाट वी आर पारफुल बियॉंड मेजर,
31:08और डीपेस्ट फियर, इस दाट वी आर पारफुल बियॉंड मेजर,
31:18यहां से नहीं,
31:20सुरी यह तो कुछ भी नहीं है, ऐसे ही है,
31:22यहां से,
31:26तो पिद्दु बाबा नहीं रहोगे न फिर,
31:36फिद्दु बाबा तो खत्याफ यह जाएगा, ने पारफुल हो गया तो,
31:42तो फियर किसको है,
31:45पिद्दू बाबा को, मैं तो नहीं बचूँगा न, सेड़ जी पैसा चुपा के रखते हैं, बताओ क्यों, वो बार बार यही दिखाते हैं कि मैं तो पिद्दू बाबा हूँ, बताओ क्यों,
32:02बहुत सारी दिम्मेदारियां उठानी पड़ेंगी, और टैक्स भी देना पड़ेगा, अच्छा है कि ऐसे बन जाओ कि, कुछ है यह नहीं,
32:20सर जब आप लोगों की रिस्पॉंसिबिलिटी आपने एक और चीज़ बोली थी कि आपकी ग्रोथ में लोगों की रिस्पॉंसिबिलिटी लेना वाज़ बिग स्टेप फॉर यू,
32:42क्या वो लोगों को कम्प्लेसेंट बनाता है, मैं भी बहुत चाहूंगा कोई मेरे पास गुरू रहे जो मेरे को गाइडन्स दे,
32:53लेकिन अगर मुझे लगता है गुरू इस कैरिंग माई वेट, तैन मैं खुश हूँ, वैसा,
32:59वो अगर कोंप्लेसेंट बनेंगे तो मेरी जिम्मेदारी होगी उनकी कॉंप्लेसेंटी तोडना?
33:13ले देखे वो जिम्मेदारी भी मेरी अपनी गरिमा के प्रतिय है,
33:22आप मेरे पास हैं और मेरे पास होने के कारण आपका नुकसान हो गया,
33:28यह अपनी डिग्निटी अपनी गर्मा के कारण मुझे अस्वी कारण है ना आप अगर यहां आए हैं तो आपको बहतर होना पड़ेगा
33:39आप यहां से वैसे ही लोट गए बलकि बदतर होके खाली हां थो लोट गए
33:52तो कुछ न कुछ हमने भी गलत ही किया होगा फिर
33:55टे कर
33:58लोटे का
34:16तो
34:20झाल झाल

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