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पूरा वीडियो: प्रिये! तुम खाना नहीं, प्यार परोसती हो! || आचार्य प्रशांत (2025)

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00:00मैंने देखा वो करेला लेकर के पहले करेले का पेट फाड़ा फिर उसमें न जाने क्या भरा और जो भरा वो बनाने में भी चार घंटा लगाया था उसके बाद वहाँ पर सिलने का कारिक्रम शुरू हुआ
00:10ये दरजी गिरी और बावर्ची गिरी एक साथ उसुई धागा लेकर के सबजी सिल रही थी क्यों तुम पस कुछ नहीं जिंदगी में करने को विज्ञान कला साहित्य राजनीति खेल कुछ नहीं है धर्शन समाच्शास्त्र मनो विज्ञान कुछ भी नहीं है तुम ये करोग
00:40स्वाद है नहीं आपके जब जीवन में स्वाद नहीं होता ना तो उसकी भरपाई हम जबान के स्वाद से करना चाहते हैं यही वो लोग होंगे जो और ज्यादा चटपटा मांगेंगे चटपटा कुछ लाओ ना ताकि कुछ तो उते जना कुछ थ्रिल कुछ आए जिंद�
01:10से उसको बुझाएंगे

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