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  • 2 days ago
Dawat Ya Tabahi - دعوت یا تباہی - Dr. Zakir Naik - Part 1 of 4

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00:00झाल झाल
00:30झाल झाल
01:00झाल
01:30झाल
01:59झाल
02:29झाल
02:59झाल
03:29दर्स का अन्वान है दावत या तबाही
03:37इस दर्स के मुखरिर है फजलत शेख डॉक्टर जाकिर नाइक अफ़े जोला
03:59मिन श्यक्तान र्रजीब वल्तकुम मिनकुम उम्मत यद्यून इला ख़ीर वयामुरून बिल्मारूफ वयन्हवन अनिल्मुंकर वालाइक हमुल्मुफ्लिहून
04:21और तुम मेंसे कुछ लोग ऐसे होने चाहिए जो नेकी की तरफ बुलाते रहें वो अच्छे कामों का हुकम देते रहें और पुरे कामों से रोकते रहें
04:31और ऐसे ही लोग मुराद पाने वाले हैं
04:35अरि लख़फ्म्दी लिल्लाही रब्लावन रौह्मान रौहीम Lordsalaatu wa Salamu Alla Ashraf until now
04:57बिस्मिल्लाहि मिन श्याइटानि रुजीम बिस्मिल्लाहि रुछ्मानि रुहीम
05:01कुंतुम खैर उम्मति अखरिजत लिन्नासि तामुरून बिल्मारूफ वतनहून अनिल्मुनकर
05:11वतुमिनून बिल्लाह बिरादरान इसलाम दीनी और मिली भाईयो सबसे पहले
05:24हम आफदरात का और अपने मुएजज्स महमान फदिलत श्येख डाक्तर जाकिर नाइक हफिदहुल्लाह कातह दिल से शुक्रिया अदा करते हैं
05:40और रम्दान मुबारक के क्याम स्याम रम्दान मुबारक के इस मुबारक महीने की मुबारक बादी आफदरात को मैं पेश करता हूँ
05:53और पाक परवर्दिगार से दुआ करता हूँ कि अल्लाह हम तमाम भाईयों को इस बाबरकत और मुबारक महीना से अल्लाह हमें फादा उठाने की तोफिग इनायत फरमाए
06:07महतरम हदरात ये हमारे औरात के लिए बड़ी खुशनसीबी की बात है ये हमारी औरात की खुशकिसमती है कि आज हम अपने दर्मियान एक ऐसी शक्सियत एक ऐसी हस्ती जो सिर्फ हिंदुस्तान नहीं पाकिस्तान नहीं बल्कि हिंदुस्तान से लेकर के
06:36अमरीका और इसी तरह दुनिया के कोने कोने में
06:41जिस शक्सियत ने अपने दावती तरीके और अपने दावती इल्म से
06:48अपने इल्म और अमल के दरिया जिस दाथ ने सारी दुनिया में
06:56खुसूसां आलम कुफर में हल्चल मचा रखा है
07:02और जिसने काफिरों के दर्मियान मनाजरात और अपने इस्लामी बयानात जो गरान उ भजी रुशनी में मदलल होते हैं
07:17अपने इन बयानात के जरिया बड़े इसकालरों बड़े बड़े द्वात और बड़े बड़े पंडितों को
07:27जिन्हों ने अपने दावे के जरिया जिन्हों ने अपने कलाम के जरिया सारे लोगों को चित कर दिया है
07:34मुहतरम हदराद डाक्टर जाकिर नाई खशेद अल्लाह की शक्सित आफ हदराद के सामने छुपी हुई नहीं है
07:42आफ हदराद से पोशीदा नहीं है
07:44इसलिए मैं जादा कुछ वक्त इसमें नादे करके
07:49मुटसर से वक्त में आफ अधरात को मैं ये बतलाने की कोशिश करूंगा
07:53कि दोस्तो डाक्तर जाकिर नाइक रशेद अल्ला
07:57जिनकी शक्सियत से आप
07:59आप मानूस हैं आपको मालूम है
08:04ये शक्सियत इस वक्त बंबई में रह करके हिंदुस्तान में
08:08बंबई में रह करके इसलामिक रिसर्च फाउंडेशन
08:12और इस तरी के बहुत सारे दीगर दूसरे अधरे
08:16के आलहम्दल्लाई रईिस हैं चला रहे हैं
08:19लो हमारे और आपके इन तमाम कोशिशों को
08:27اللہ ان تمام کارناموں کو
08:29اللہ قبول فرمائے
08:30اور ہم سب لوگوں کے
08:32اندر اللہ رب العالمین
08:34خصوصا ہمارے
08:36فاضل مہمان
08:37فضیلت الشیخ ڈاکٹر حفظ اللہ
08:40کی جد و جہد میں
08:41اللہ رب العالمین
08:43مزید توفیق عنایت فرمائے
08:44اور خلوص نیتی کے ساتھ
08:48اللہ کام کرنے کی توفیق عنایت فرمائے
08:49دوستو
08:51میں زیادہ کچھ ناعرض کر کے
08:52میں سب سے پہلے
08:55چند کلمات پیش کرنے کے لئے
08:57میں اپنے مرکز
08:59دعویٰ طوعیت الجالیات سفرہ کے مدیر
09:01فضیلت الشیخ صالح بن ابراہیم السلامہ
09:04حفظ اللہ کو دعویٰ دوں گا
09:06کہ آپ تشریف لائیں
09:07اور اپنے چند ادارتی کلمات سے
09:10ابتدا کریں
09:11فتفضل شیخ مدیر المرکز
09:14الشیخ صالح بن ابراہیم السلامہ
09:17حفظ اللہ
09:18رحیم الحمدللہ رب العالمین
09:20والصلاة والسلام على نبینا محمد
09:22وعلى آله وصحبه أجمعین
09:25أيها الأخوة
09:26السلام عليكم ورحمة الله وبرکاته
09:29باسمكم جميعا
09:32نرحب بفضيلة الشیخ
09:34دکتور ذاكر نائق
09:37ونسأل الله سبحانه وتعالا
09:38أن يمن عليه
09:40بالقبول
09:42وأن يجعل هذه الخطوات
09:43التي خطاها
09:44إلى هذا المكان
09:46من الأعمال المقبولة
09:48عند الله سبحانه وتعالا
09:50وأن يبارک له
09:52في علمه وفي عمله
09:54إنه جواد كريم
09:56وتعلمون أيها الاخوة
09:58ما يجب علينا
10:01تجاه ديننا الحنيف
10:04وما يجب علينا
10:05تجاه الدعوة إلى الله
10:07فهذه أيها الاخوة
10:10من الأشياء الأساسية
10:11التي أمرنا بها
10:13عندما
10:14بعث النبي صلى الله عليه وسلم
10:17فالرسول صلى الله عليه وسلم
10:20عندما بعث
10:22بدين الإسلام
10:23أمر بالدعوة
10:25وأمر بتبليغ هذا الدين
10:27إلى كل
10:28أو كل من يراه
10:30فوجب علينا جميعا
10:32أن نهتم بهذا الأمر
10:34وهو اهتمامنا بالدعوة
10:35ولذلك
10:37فنحن لا نستغرب
10:38أن يكون للدكتور ذاكر
10:40حفظه الله تعالى
10:41وجزاه الله خيرا
10:43هذه الجهود
10:44وهذه الخطوات المباركة
10:46في الدعوة
10:48والانتقال من مكان إلى آخر
10:51وبدل الجهود في التعلم
10:52والتعليم والمناظرات
10:54لإضاحة عظمة الإسلام
10:57وعظمة هذا الدين
10:58فديننا الحنيف
11:00دين الإسلام
11:01الذي
11:02بعث الله سبحانه وتعالى به
11:05نبينا محمد صلى الله عليه وسلم
11:07هو خاتم
11:08هذه الأديان
11:10وهو
11:11الدين الصحيح في هذا الزمان
11:13والذي يجب
11:14على الجميع
11:15أن يسلكوه
11:16وأن يتبعوه
11:18وأن أي إنسان
11:19مال عن هذا الطريق
11:21فقد انحرف
11:22عن شرع الله
11:23واتجه إلى الطريق السلبي
11:26وهو طريق جهنم
11:28نعوذ بالله من جهنم
11:29وإذلك أيها الإخوة
11:31واجبنا جميعا
11:33أن يكوننا جهدا
11:34مبارك في الدعوة
11:35وأن يكوننا
11:36نكون جميعا
11:38متكاتفين
11:39وقبل هذا
11:40وقبل
11:41أن نتجه
11:42إلى الدعوة
11:43لا بد
11:43أن نعرف
11:44الطريق الصحيح
11:45الذي نسير عليه
11:46ويجب علينا
11:47أن نركز
11:48على شيء مهم
11:49وهو اتباع الرسول
11:50صلى الله عليه وسلم
11:51فإنه
11:53هو الطريق
11:54الذي يقبل منا
11:56فالرسول صلى الله عليه وسلم
11:59عندما أرسله الله
12:00سبحانه وتعالى
12:01بهذا الدين
12:03جعله
12:04خاتم الأنبياء
12:06وجعل طريقه
12:08هو الطريق الصحيح
12:09الموصل بإذن الله
12:11إلى الجنة
12:13ولذلك
12:14فإن أي عمل
12:15لا يسار فيه
12:17على هذا المنهج
12:18وهذا الطريق
12:19فإن من يسير فيه
12:21على خطر عظيم
12:22لأن الله
12:24سبحانه وتعالى
12:25يقول في كتاب العزيز
12:27ويوم
12:28يناديهم
12:30ماذا أجبتم المرسلين
12:31ولذلك
12:32فنحن سنسأل
12:34يوم القيامة
12:35عن إجابتنا
12:36لمحمد صلى الله عليه وسلم
12:38لذلك
12:39أيها الإخوة
12:40يجب علينا جميعا
12:41أن نهتم بهذا الأمر
12:43لأننا
12:44هدف واحد
12:45وهو هدف عظيم
12:46أن نطيع الله سبحانه وتعالى
12:48بالطريق
12:49الذي أمرنا فيه
12:50الرسول صلى الله عليه وسلم
12:52حتى نصل
12:53إلى ما وعدنا
12:55الله سبحانه وتعالى
12:56وإلى ما وعدنا به
12:57الرسول صلى الله عليه وسلم
12:59وفي الختام
13:00أسأل الله سبحانه وتعالى
13:01أن يبارك لكم جميعا
13:03في حضوركم
13:04وأن يزيكم خير الجزاء
13:07على هذه الاستجابة
13:09لحضور هذه المحاضرة
13:11وأن يجعلنا جميعا
13:12ممن يستمعون القول
13:14فيتبعون أحسنه
13:15ونشكر
13:16الله سبحانه وتعالى أولا
13:18ثم نشكر
13:19الشيخ الدكتور ذاكر
13:22على هذا الجهد الذي بدله
13:23وأن يصد الله سبحانه وتعالى
13:25أن يبارك فيه
13:25وأن يبارك فيه جهوده
13:27وأن يجعل عمله خالصا
13:29لوجههنه جواد كريم
13:31وصلى الله وسلم
13:32على نبينا محمد
13:33وعلى آله وصحبه أجمعين
13:36جزا الله خيرا
13:42وحسن الجزاء
13:43لفضيلة الشيخ
13:45صالح بن إبراهيم السلامة
13:48مدير المركز
13:49طورة الجاليات بالصفر
13:51على هذه الكلمات الطيبة
13:53محترم بهايو
13:55أبي
13:56جو مدير محترم نے
13:58چند تلمات آف حضرات کے سامنے
14:00پیش کیے ہیں
14:00اس کو میں مختصر طور پر
14:03آپ کو یہ بتلانا چاہتا ہوں
14:05کہ محترم نے
14:06آف حضرات کو
14:07دعوت و تبلیغ
14:09پر اُبھارا ہے
14:10اور
14:11دعوت و تبلیغ کو
14:13ہر آدمی کی ذمہ داری قرار دی ہے
14:15کہ ہم میں سے
14:16ہر فرد کی ذمہ داری ہے
14:17اس لئے
14:18اس ذمہ داری کو محسوس کریں
14:19اور اسی طریقے سے
14:21آف حضرات کا شکریہ دا کیا ہے
14:23اور اسی طرح محترم فضلت الشیخ
14:26ڈاکٹر ذاکر نائک حفظ اللہ
14:28کا بھی بہت بہت شکریہ
14:29آدھا کیا ہے
14:30یہاں کے آنے پر
14:31اور اسی طرح
14:32یہ جو کام کر رہے ہیں
14:34اسلامی ریسرچ فاؤنڈیشن کے تحت
14:36اس شعبے
14:38یا اس کام پر بھی
14:39ان کا بہت بہت شکریہ آدھا کیا ہے
14:41اور اسی طرح
14:43اور اسی طرح
14:44اور اسی طرح
14:45آدھا کیا ہے
14:46ابو وليد
14:46خالد الحسین
14:48مدیر قسم الدعوہ
14:50والتعالیم
14:51لکن یلقی القلمہ
14:53عن هذه القسم
14:54اللہ الرحمن الرحیم
14:59السلام علیکم ورحمت اللہ وبرکاتہ
15:01الحمدللہ رب العالمین
15:05الرحمن الرحیم
15:07والصلاة والسلام
15:08على اشرف الانبیاء المرسلین
15:10نبينا محمد
15:11وعلى آله وصحبه جمعین
15:14طبعا
15:16لعلنا نقدم
15:20ترحیب للشيخ
15:21وتعريف بخصم دعوة
15:24وایضا ترحیب
15:26للضیوف
15:27باللغہ الاردية
15:28لعل الجميع
15:31يعلم ما نقول
15:32رحمد الرحمن الرحیم
15:33الشیخ عبدالسلام
15:34موجود للترجمة
15:35ولكن استغني عن
15:36الشیخ
15:38لا يترجم
15:39هم آب
15:45تمام حاضرین
15:47كورب
15:49الشیخ الدکتور
15:51داكر نایک
15:53رئیس اسلامی
15:54ریسارج فوندیشن
15:57رباستی
15:59اور داكر تمام
16:00لوگو رمضان
16:03رمضان المبارک
16:05مبارک بادي بیش
16:09كرتا هو
16:12اور آب حضرات کو
16:15خش امدید
16:17كهتا هو
16:19अब जयो जो झिख एप अब चांगी झालत ऑर कि तमाम सात्यो अ उर्मर्क जोओात अल्यात विस्टरा कि तमाम मुता उनीं
16:48का शुक्रिया अदा करता हो
16:51वस्सलाम आलेकम रह्मत ल्लाही वबराकात।
16:54मुहतरम दोस्तो ये मुदीर किसम अद्दावा शौबा अर्दू और दीगर तमाम शौबा के जिम्मेदार
17:08फदिलत श्यख खालिद अलहुसेन थे जिन्होंने आप ही की जबान में जो कुछ जानते हैं या जो कुछ सीखे हैं
17:20उन्होंने आफ हद्रात का इस्तक्बाल किया है आप तमाम हद्रात को आप तमाम हद्रात को अल्लाह रब लानमीन हम तमाम भाईयों के इस बैठख को अल्लाह कुबल फरमाए
17:32दोस्तो, मैं बिला किसी ताफिर के सबसे पहले आ फ़दराच के सामने मैं यार्थ करना चाहूंगा
17:39की आज हमारे सामने जो शक्सियत है, व आ फदराच के सामने मु�htाज इतारीफ या मुथताज बेयान नहीं है
17:49जैसा कि आफदराद के सामने पहले मौदू दिया गया था
17:54कुरान और जदीद साइंस
17:55आफदराद को पता है कि शेख महतरम का तमाम काम
18:00इंगलिश जबान में है
18:02जिस तरह शेख की जबान इंगलिश के लोगा में चलती है
18:07उस तरह अर्दू में नहीं चलती है
18:09इसलिए मैं आफदरात के सामने सबसे पहले शेक की तरफ से माजरत चाहूंगा
18:15चूंकि ये उनके सामने एक आजीव सा मौम्मा है
18:18कि अर्दू जबान में उन्हें प्रोग्राम करने के लिए महादरा करने के लिए बुलाया गया है
18:23इसलिए हमारा वह उन्वान जो था कौरान और जदीद साइंस
18:28इस मौदू को तब्दील करके दावत या तबाही ये मौदू दिया गया है
18:38इन्शाल्लाह लजीज हमारे शेख मौतरम इस मौदू की वदाहत आफदरात के सामने करेंगे
18:44मैं शेख मौतरम को बिला किसी ताफिर दावत दूँगा कि आप तश्रीफ लाएं और अपने मौदू दावत या तबाही की वदाहत फर्माएं
18:52जजाकु मौल्लाह खेरन वाहसनल जजा
18:55असलामौ अलाईकु मौरहमतुल्लाह वबरकातु
18:57अल्हम्दूल्लाह वझाओ कैसलएप की ए जावत दोभिलिए वद्वास कורणिद्धू या व एजय हमाजनल्लाहित ख़आभ व्हाद्वास के सालम की अपनानू वाजसर्णौ भासालिए इजम्हों
19:22अभबा इलाइकु मिन अल्लाही वर्रसूली वजिहाद इन फी सबीली फटरबसु हत्ता यक्ति अल्लाही बेम्री वल्लाही दुलकुम इल्फासकीन रबश वहली सद्री वैस्सिर्ली अम्री वहलु अगदत मिल्लिसानी यफकह कोली
19:38असलाम वालेकुम वर्हमतुलाही वर्कातुह।
20:08इसलिए मैं तकरीरर उर्दू में करूँ।
20:10और क्युकि मेरे तालीम जो मीरी स्टरीजर अंग्रीधी में हुई तो मुझे अंग्रीधी पर महरत है busy अर्दू तो बंबे की अर्दू बात करता हूँ मैं
20:22अली गर्षतंर या लखनो की फसी अर्दू मुझे नहीं आती
20:24लेकिन क्यूंकि आप लोग को शौक था कि अर्दू में मैं तक्रीर करूँ तो इन्शाला मैं कोशिश करता हूँ
20:30लेकिन अगर इसके अंदर कुछ गलते हो तो मैं आपसे महासरा चाता हूँ
20:34क्योंकि जबी भी दीन के तक्रीर होती है तो उसके अंदर लफ्स की बहुत ऐहमेत होती है
20:39और जब कुरान का तरजुमा करेते हैं कोई लफ्स के अंदर कोई गलत होजए तो जो पैगाम गलत पोच जाता है तो उससे काफी गलतिया हो सकती है
20:49तो इसलिए मैं
20:50मैं तक्रीर के शुरुवात के पहले ही
20:53आप लोग से माफ़ी चाता हूँ
20:55कि अगर गल्तिया हो में अर्दू में
20:56तो आप इस अंदास कीजिए
20:58आज के तक्रीर का मौजव है
21:02दावा या तबाही
21:05हम पहले ये जाने
21:08कि दावा की मानी क्या होती है
21:11और हम सब जो उर्दू जानते है
21:14हमें दावत की मानी मानने हूँ है
21:16और जबी भी हम दावत का लफ सुनते है
21:19हमारे जहन में खाने की दावत
21:22या बिर्यानी
21:23इमिजटली हमारे जहन में आ जाता है
21:25लंच पार्टी और डिनर पार्टी
21:28दावा या दावत के मानी
21:31खाने की दावत नहीं होती
21:33दावा या दावत के मानी होती है
21:35बुलाना
21:36और इंविटेशन
21:37और इंविटेशन
21:39बुलाना उसी को कर सकते है
21:44जो लोग
21:45जो फैमिली में नहीं होता है
21:47An invitation can only be given to an outsider
21:49दावत हम उसी को देते है
21:51जो हमारे में से नहीं है
21:53जो भार में से है
21:54और आज
21:56हम खाने की दावत के बारे में नहीं जिकर करने वाले है
21:59हम जिकर करने वाले हैं दावत अलिस्लाम पे
22:03इसलाम के तरफ लोगों को बुलाना
22:06और
22:07जब हम दावत देते हैं
22:10लोगों को इसलाम के तरफ
22:11हम उन लोगों को देते हैं
22:13जो इसलाम में धाकिल नहीं है
22:15इसलिए ये लवज दावत
22:18खुसान गैर मुसल्मानों
22:21को जब हम इसलाम का पैगाम देते हैं
22:24उसे कहते है दावत अलिसलाम
22:26लेकिन ये लवज जो दावा है या दावत दोनों के लिए इस्तमार किया जाता है
22:31मुसल्मानों से बात करने के लिए भी इस्लाम के बारे में
22:34और गैर मुसल्मानों को भी इस्लाम की दावत देने के लिए ये लवज इस्तमार होता है
22:39लेकिन खुसूसन ये अर्बी लफ़ दावा गैर मुसल्मानों के लिए इस्तिमाल होना चाहिए
22:45और जब हम मुसल्मानों से इस्लाम के बारे में बात करते है
22:50उसे इस्लाम का और इल्म देते है
22:53उसके लिए लफ़ होना चाहिए इसला
22:55इसला अर्बी में होता है
22:57कि दुरूस करना
22:58तो जो मुसल्मान को हम ज़्यादा इल्म देते है
23:01इसलाम के बारे में
23:02किस तरीके दे सला पड़ो
23:03या इसलाम के बारे में और इल्म देते है
23:06उसका खुसुसल लफ़ होना चाहिए
23:08इसलाः
23:10और जम हम गेर मुसल्मानों को इसलाम के तरफ बुलाते है उसका खुसूसल लफ़ होना चाहिए दावा लेकिन आम जबान में हम दावत दोनों के रिस्तिमार करते हैं लेकिन खुसूसल दावा गेर मुसल्मानों के लिए होना चाहिए
23:24और आज के तक्रीर के पहले
23:29मैंने कुरान मजीद की एक आयत की तलावत की
23:34जो सुरह तौबा में से है
23:36सुरह नमबर नौ
23:37और सुरह तौबा
23:39सुरह नमबर नौ
23:41कुरान शरीफ के सबसे सक्त सुरह है
23:45कुरान शरीफ में जितने भी सुरह है
23:47वो मेरे हिसाब से
23:50सबसे सक्त सुरा है
23:51क्योंके सुरِ तोबा एक वाहि सुरा है
23:54पुडे पुराण मजीद में
23:56जो बिस्मिल्लाइ रर्भ्मान रहीम
23:58से नहीं शुनुरू होता है
23:59नहीं तो हर सुरा
24:01हर सुरा पुराण मजीद में अगर आप पड़ेंगे
24:04उसके शुरुवात होती है
24:05बिस्मिल्ला रह्मान रहीम से
24:07शुरू करता हूँ
24:09अल्ला के नाम से जो रह्मान रहीम है
24:12हर सूरे के पहले
24:14बिस्मिल्ला रह्मान रहीम है
24:15मिसाल के दोर पे
24:17बिस्मिल्ला रह्मान रहीम
24:19कुल आउज बरब बिन नास
24:21بسم اللہ الرحمن الرحیم
24:22قلعوذ برب الفلق
24:23بسم اللہ الرحمن الرحیم
24:25قل呼اللہ احد
24:26हर सورہ के पहले
24:28بسم اللہ الرحمن الرحیم है
24:30लेकिन सورہ microwave
24:32सورہ नम्patient के पहले
24:34بسم اللہ الرحمن �र्चमная नहीं है
24:35इसलिए मैं कहता हूँ
24:37कि सूरे microwave
24:39सारे पुरान मजीद के सूरों में से
24:42सबसे सक्त है
24:42इस सूरे के पहले
24:47بسم اللہ الرحمن الرحیم
24:48क्यों नहीं है
24:48अगर
24:51आप
24:53सपोज़ आपकी एहलिया
24:56या आपकी वालदा के साथ
24:57बुरेदा के सड़कों पे चल रही है
25:00और
25:01कोई घुन्दा या कोई मौली
25:04आपके वालदा का
25:06हैंड बैग
25:07स्नैच करके भाग जाता है
25:09छीन के भाग जाता है
25:10आप क्या करेंगे
25:11जब है कोई आपके वालदा का हैंड बैग चैंनेंगा
25:14तौ अप उसका पीचा करेंगे
25:15और जब आप उसे पक्डेंगे
25:17आपने कहेंगे
25:18बिसमिल्लह रख्मान ररहीम
25:20आपने कहेंगे
25:23अस्तलाम मौलेक।
25:25आप कहेंगे ए भाई साब
25:26हैंड बैक दे दोने तो गर्दन तोड़ दूँगा
25:29ए भाई साब
25:30हैंड बैक दे दोने तो पाउं तोड़ दूँगा
25:32आप मौजू पे डाइरेक्ट आएंगे
25:34आप मौजू पे डाइरेक्ट आएंगे
25:37आप नहीं कहेंगे बिसमिल्लाइ रख्मान रई
25:39आप उस घुंडे से नहीं कहेंगे
25:41असलामु आलेकुम रहमतुलाइ बरकातू
25:42आप मौजू पे डायरेक्ट आएंगे
25:44और कहेंगे एबाई साब
25:45हैंड बैक देदेने तो घर्दन तोड़ दूँगा
25:48एबाई साब हैंड बैक देदेने तो पाउँ तोड़ दूँगा
25:50आप मौजू पे डायरेक्ट आएंगे
25:52इसी तरीके से
25:53आप जब सुरह तौबा पढ़ेंगे
25:55पहले चार पांच आयतों में
25:58अल्लाइ सुभाना और ताला फर्माते है
26:00क्या एक माइदा होता है
26:01एक पीस ट्रीटी
26:02सुलह का माइदा
26:04मुश्रिक्स और मुस्लिम्स के बीच में
26:07तो मुश्रिक्स हैं मक्का के
26:10और मुस्लमान के बीच में
26:12एक सुलह होती है
26:14एक पीस ट्रीटी
26:15और इस सुलह को
26:16मुश्रिक्स लोग तोड़ देते है
26:18जब Allah subhanahu wa ta la
26:21पांचवे आयत के आते है
26:23सुरय तौबा सुरा न नम्र न हम की
26:24उस नाम केहते
26:25क que आप
26:27अपने आपको असदार लो
26:30चार महीने में
26:31नहीं तो जंग एहलान
26:34अल्ला समया तब आल्या केहते है
26:36मुश्यकों से
26:37कि आपको चार महीने का मुखा देते है
26:39अगर आप नहीं सुद्रोंगे
26:41तो जंग एहलान
26:42और जब अल्ला सुभाना वुटाला जंग का एहलान करते है
26:46जब वार्निंग देते है
26:48जब तंबी देते है
26:50तो डायरेक्ट मुख्जू पे आते है
26:53इसलिए
26:54कुछ उल्मा के नजदीक
26:57सुरह तोबा के पहले
26:59बिसमिल्ला वुटाला वुटाला मुख्जू पे डायरेक्ट आते है
27:03लेकिन
27:05जब अल्ला सुभाना वुटाला
27:07आयत नमबर 24 पे आते है
27:09जो आयत का तिलावत
27:12मैंने इस तक्रीर के पहले की
27:14अल्ला सुभाना वुटाला
27:16अब हम मुसल्मानों से खिताब कर रहे है
27:18अभी हम मुसल्मान
27:20फाइर इंग लाइन में है
27:22अल्ला सुभाना वुटाला
27:25हम मुसल्मानों से खिताब कर रहे है
27:27और कहते हैं सुरह तोबा में
27:28सुरह नमर 9 आयत नमर 24 में
27:30कुल इनकान आबावकुम
27:32कहो
27:33चाहे वो आपके वालिद हो
27:35वाबनावकुम
27:36या आपके बेटे हो
27:37वाइखवानकुम
27:38या आपके भाईयो हो
27:40वाजवाजकुम
27:42या आपके बीवी
27:44या आपके शोहर हो
27:45वाश्रतकुम
27:47या आपके रिश्टेदार हो
27:48आपको किसे महबत है
27:54किया आपके वालग से
27:56या आपके बेटे से
27:58या आपके भाईों से
27:59या आपके बीवी से
28:01या शोहर से
28:02या रिष्टेदार से
28:03आज़ा वृ अम्वालूनिक तरफत मुऊ हा
28:07वा तिजारत उनतक्षाउना कसाद दहा
28:10जो आपने पूरी जायदा ते खटा की है
28:14जो आप
28:16जिस
28:17की तिजारत करते हैं आप
28:19जिस घर में आप रहते हैं
28:23आपको किस से मुहबत है
28:25आपके वालज से
28:26आपके बेटों से
28:28आपके भाईों से
28:30आपके बीवी या शोहर से
28:31आपके रिष्टेदारों से
28:33आपके जाइजा, जो आपने खटा किया सारी जिंदगी
28:36या तिजारत में जित में धंडा करते है
28:39या जिस घर में रहते है
28:41और अलाओ अलाओढने है
28:43अगर आपको ये आअट चीजों से
28:50ज्यादा महबबत है
28:52अलाओबत है या उसके रसूज से
28:55या अल्ला के राह में जिहाद करने से
28:57अगर आपको ये सब आठ चीजों से
29:02महबत है
29:04अपने रसूल से ज़्यादा
29:08या अल्ला के राह में जिहाद करने से ज़्यादा
29:11अगर आपको ये सब आठ चीजों से महबत है अपने रसूल से ज़्यादा
29:12आप ठेरो
29:15और हम मुसल्मान ठेरे हैं
29:18हाथ पे हाथ बांदे हुए
29:19कुछ नहीं कर रहे
29:20आप ठेरो
29:23आपको वार्निंग दे रहे
29:26कह रहे
29:29कह सुदरो
29:30आपको कह रहे
29:32जाग जाओ
29:33ठेरो
29:38जब तक
29:39अपना
29:41डिसिशन आप तक पहुचा है
29:43जब तक अल्ला सुभाना उटाला
29:45आप पर तबाही लेक्या है
29:46और अल्ला सुभाना उटाला
29:50फासिक लोग को हिदायत नहीं देता
29:52अगर आपको
29:56ये सब आंट लोगों से
29:57आपके वालिद
29:59आपके बच्चे
30:02आपके भाईयो
30:03आपके बीवी या शोहर आपके एहलिया
30:06या आपके रिष्टेदार
30:08या जो जाएदाद आपने खटा की
30:10सारितनगी
30:11या जो तिदारत करते है आप
30:13या जो घर में रहते
30:15इन सब चीजों से आपको
30:17अल्ला से ज़्यादा महब्बत है
30:18या रसूल से
30:19या ला के राह में जिहाद करनेते ज़्यादा महब्बत है
30:22तो अल्ला आप जब छाओ
30:25नहीं तो
30:26अल्ला सुभानवट चाला का आजब आप पे आएगगा
30:29और अल्ला सुभानवट चाला
30:32फासिद लूग को हिदायत नहीं देते
30:34अल्ला चाला अक्षूबते है
30:37सुरह मुहम्मद में
30:38सुरह नमब 47
30:39आयत नमब 38 में
30:42अगर आप
30:48अगर आप
30:48अगर आप
30:52आप के पेगाम से दूर जाएंगे
30:53अगर आप
30:54आपके जगाप पे
30:59एक दूसरी कौम लेकाएंगे
31:01और वो कौम
31:04आपके जैसी नहीं हुईंगे
31:05अगर आप
31:07अगर आप अगर आप
31:07अगर सुभानाव ताला के
31:08जो कमान्मेंट्स है
31:10जो उनके हुकम है
31:11उनके उपन ही चलेंगे
31:13तो अगर आपके जगा
31:16एक दूसरी कौम लेके आएंगे
31:18और वो कौम
31:19आपकी तरह नहीं हुईंगे
31:21कुरान में फरमाया है
31:25सुरह जुमा में
31:26सुरह नमबर 62
31:29आयत नमबर 5 में
31:31के तोरा
31:33यहुदों पे नाजिव के आगया था
31:36जो मुसा अले सलाम
31:39जो वही आए थी
31:40तोरा
31:41वो यहुदों पे नाजिव के आगया था
31:43लेकिन यहुदी लोग
31:45Allah Subhanahu Wa Ta'ala کا
31:47कहना नहीं माने
31:48उनकी ये मिथाल है
31:50जिस तरीके से घदे के उपर
31:52किताबे लाद दी गए है
31:54और घदा कुछ नहीं समझ सकता
31:55ये उनकी मिथाल है
31:57यहुदी लोग Allah Subhanahu Wa Ta'ala का कलाम
31:59के उपर नहीं चले
32:02उनकी ये मिथाल है जैसे घदे है
32:04और उनके ओपर किताब ला दी गई
32:06और वो कुछ नहीं समझ सकते
32:07और अल्ला सुभानाव टाला
32:12का ये लौ है
32:14कि जबी भी
32:17जो कौम अपने आपको
32:19समझने लगती क्या वो
32:20जैसे यहुद लोग सोचने लगे
32:22कि हम अल्ला सुभानाव टाला
32:24के चोजन लोग है
32:34अल्ला का कहना नहीं माने
32:35तो अल्ला सुभानाव टाला का निजाम है
32:37कि जिस लोगों को
32:38जिन लोगों को आप नीचे देखते हैं
32:41उन्हीं लोगों को अल्ला सुभानाव टाला
32:43आपके सिर पे लाके बठाकता है
32:44ये यहुद लोग अरब
32:46लोगों को नीचे देखते थे
32:47अल्ला सुभानाओ ताला ने खुराँ के जरूए
32:50इस जाहिल कौ्म को
32:51सुभानाल्लाओ
32:53दुनिया का एक तौंचबेर बनाया
32:56दुनिया को नूर देने के लिए भेजा
32:58और अल्ला सुमात अल्य फर्माते है
33:03सुल्बह अलिमरान में
33:16सबसे बहतरीन उम्मा हो
33:17कुन तुम खेरा उम्मत नुखिदत लिन्नास
33:21ओ मुसल्मान
33:22आप सारे जहां में
33:24सबसे बहतरीन उम्मा है
33:26जबी भी
33:27किसी को भी ओनर मिलता है
33:30तारीफ
33:32मिलता है
33:34या कोई उचा ओधा मिलता है
33:36उस ओधे के साथ
33:37हमेशा जिम्मेदारी होती है
33:39कभी भी
33:40whenever there is honor
33:42it is followed up with responsibility
33:44कभी भी
33:45जब आपको उचा अउदा मिलता है
33:48या आपकी तारीफ होती है
33:50उसके साथ
33:51responsibility उसके साथ
33:53जिम्मेदारी भी होती है
33:54कोई भी उचा अउदा
33:56जिम्मेदारी के बिना नहीं है
33:58मिसाल के तोर के अपर
34:00स्कूल के अंदर
34:01एक principal का दर्जा
34:03एक teacher से ज़्यादा है
34:05एक teacher का दर्जा
34:08एक प्यून
34:10एक clerk एक चपरासी से ज़्यादा है
34:12लेकिन इसके साथ साथ
34:15जिम्मेदारी भी है
34:16एक principal की जिम्मेदारी
34:18teacher से ज़्यादा है
34:19एक टीचर के जिम्मेदारी एक चपरासी से जादा है
34:23कोई भी उचे अउदे के साथ जिम्मेदारी होना लाजम है

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