Acharya Prashant Reaction:Jammu and Kashmir के Pahalgam आतंकी हमले पर देश में गम और गुस्सा है। Acharya Prashant ने Geeta के संदेश के साथ आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया। जानिए कैसे भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौता स्थगित किया और पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया।
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~PR.396~ED.118~HT.336~
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00:00इनसे घटना की एक बात पर पहले दाम बलेगा दूसकर आपकी पतिक्रियाद हो चाहेंगे जहां भारत पतिक्रिशन के रिष्टों को लेकर भी कई चीज़ों हो रही है और आपने देखा कि अदम लियक्शन भी हो रही है
00:10देखिए अब हम गीता की बात कर रहे थे तो गीता में श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि अर्जुन ऐसा कोई समय नहीं था जब तुम नहीं थे या मैंने था
00:20था तो उसी बात को थोड़ा अगर आगे आप विचार करें तो ये भी सही है कि फिर ऐसा भी कोई समय नहीं था जब दुर्योधन नहीं थे यदे श्री कृष्ण सदा थे और अर्जुन सदा थे तो दुर्योधन भी सदा रहे हैं आज भी ये आगे भी रहेंगे और इन दुर
00:50पूजना बूजना नहीं है जो अपनी अंधी मानेताओं पर चलती है और जो उन मानेताओं को ना माने उस पर प्रहार करती है आघात करती है हत्या करती है इनसे तो रण होता आया है सदा श्री कृष्ण भी गए थे दुर्योधन के पास पूरा प्रयास करा था पर समझा न
01:20है बल प्रयोक से युद्ध जीता जा सकता है तो ऐसा नहीं है अरजों एक
01:25बान भी नहीं चला पाते अगर गीता नहीं होती तो आज तो और जरूरी
01:30है कि जब धर्म के नाम पर ही युद्ध छिड़ा हुआ है कि हमें पता तो
01:36चले कि वास्तविक धर्म कहते किसको है और जब वास्तविक धर्म
01:39पता चलता है तो फिर अपने आप सपश्ट हो जाता है कि किन
01:46मुद्धों की उपेक्षा करनी है और किन युद्धों में प्रण प्राण से जूच जाना
01:51आज भारत जहां खड़ा है और जो तमाम तरीके के संगर्श हमारे सामने हैं जिसमें पहलगाम जैसे बरबर हत्या कांड भी आते हैं गीता की तो हमें बहुत जरूरत है
02:03और उसके बाद फिर हमें दिखाई देगा कि ये जो दुर्योधन है भले ही ये कई तरीके से अपनी तादाद बढ़ा बैठे हों बहुत इनका बल दिखरा हो सामने लेकिन फिर भी इनसे जूजा जा सकता है निश्काम भाव से जूजा जा सकता है और अक्सर ये होता है कि �
02:33जाओंगा इसी सिर्चा आप एक संदेश के तोर पर भी अगर हम देखें खासकर अगर हम सिश्वल बात करें और सांसाथ हम जहाँ धर्म की बात करें कि आपने भी देखा होगा कि इस मामले को लेका अई तरह की चर्चाएं खासकर धर्म पूच कर किसी को किल करना और खासक
03:03जिसको सबसे पहले हट आते हैं मन से वह डर, डरना नहीं है, कैसा डर, क्या खो जाना है, विदानत आप से कहता है कि आप वो हो जिसका कुछ बिगड़ नहीं सकता, शस्त्र जिसे छेद नहीं सकते और अगनी भी जिसे जला नहीं सकती है,
03:23तो सामने कोई खड़ा हो, दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकते खड़ी हो, डरने की कोई वज़ा नहीं है, जब हम ओम शान्ते शान्ते शान्ते कहते हैं तो तापत रहे है, उपनिशदों के शान्ते पाठ का समापन होता है, तीन बार शान्ते कहने से, ओम शान्ते शान्ते
03:53कहते हैं विगत जोर कहते हैं कि गर्मी में कोई काम नहीं करना युद्ध पूरा लड़ना और अंततक लड़ना है लेकिन विगत जोर होकर के जोर माने बुखार है न कि सामने वाले ने कुछ करा और उसने करा ही आपको भढ़काने के लिए है और आपने प्रतिक्रिया वश्�
04:23हम रियक्शन नहीं करेंगे तो इमोशनल रियक्टिविटी इसको गीता कहती है कि रोको और इसको जब रोक लोगे तो उसके बात सार्थक युद्ध खरपाओगे फिर जीत भी हासिल होगी अब आती है बात इस पर कि यह सब जो होता है वो धर्म के मजभब के नाम पर होता
04:53होगा बहुत सपश्ट है देखिए आपको कहा गया है आपकी किताब है उसमें कुछ बाते लिखी हुआ आप मानी है और उस सारी बाते हैं वो बस माननेता हैं कि ऐसा हुआ ऐसा हुआ ऐसा हुआ अब यह करो अब यह करो और ऐसे लोग अच्छे नहीं होते ऐसे लोग बुर
05:23होते हैं लेकिन उनमें बोध के लिए जगह होनी चाहिए ना कि सवाल भी तो कर सकें समझने के लिए जानने के लिए बोध के
05:34पूछ भी सकें, जग्यासा भी तो कर सकें, पर जहां पर जग्यासा के लिए कोई जगह नहीं होती, वहां बड़ी धर्मांध कटरता पनपती है, और आदमी सोचने लगता है कि उसकी जो माननेता है, उसकी जो बिलीफ है, वही सकते है, और जो उसकी माननेता पर नहीं चल रह
06:04अभी हाल में था, मैं पढ़ रहा था, कोई पाकिस्तानी आतंकवादी था, भारत में वो मारा गया, तो पाकिस्तान में उसके पिता ने अगले दिन उसकी शादी की दावत रखी, बोले अब ये उपर गया है तो इसकी उपर हुरों से अभी शादी हो रही है, अब जब ऐसी �
06:34रक्तपात होना तै है धर्म का मतलब किस्सा कहानी माननेता नहीं होना चाहिए आप किस चीज में विश्वास करते हैं यकीन करते हैं ये धर्म नहीं है स्वयम को जानना और जीवन को जानना इसका नाम धर्म है और यही धर्म सनातन है इसी का नाम वेदांत है और कोशिश कर र
07:04गलती करेगा 90 प्रतिशत संभावना है कि वो आख भी दिखाएगा और धंकी भी देगा
07:20क्योंकि डर और आकरामक्ता हमेशा एक साथ चलते हैं डर और आकरामक्ता जो इतना डरा हुआ होता है न वो बाहरी तोर पर उतना हिंसक हो जाता है
07:29इसलिए जिन विश्वास पध्धतियों में डराने की बड़ी परंपरा है वहाँ पाओगे आपकी लोग उतनी आकरामक होते जा रहे हैं
07:38तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि कोई एक तो गल्टी कर रहा है अन्याय अत्याचार हिंसा हत्या कर रहा है और उसके बाद चढ़ने की भी कोशिश कर रहा है यह सदा होता है
07:47वो यही करेंगे पर हमें समझना है कि हमें क्या करना है और हमें जो करना है वो हमें भावना के उद्वेग में नहीं करना है
07:54हमें भस बदला नकालने के रहे नहीं करना है
07:57हमें इस्थिति को जानना है, समझना है
07:59और जब युध की स्थिति हो
08:01तो क्रिष्ण से अच्छा
08:03पत्प्रदर्शक कोई हो नहीं सकता
08:04भगवत-गीधा तो रची ही गई है
08:06किसी आष्रम में नहीं, किसी वन में नहीं
08:24जो भी अंजाम निकले, लेकिन अंधा युद्ध नहीं रड़ना है, अंधा नहीं होना चाहिए, प्रतिक्रिया नहीं, बस दूसरे से बदले की भावना नहीं, अंधी नफरत नहीं, युद्ध तो जरूर हो, संघर्ष तो जरूर हो, लेकिन वो बहुत जगा हुआ, जागरत
08:54झाल ढ़गा
08:57जो जब के भावना है, झाल झाल
09:11झाल