बस्सी @ पत्रिका. भारतीय सेना में नायब सूबेदार पद से रिटायर हुए बस्सी के चोरवाडा़ निवासी जगदीश नारायण मीना उर्फ जगदीश फौजी 1971 के भारत - पाकिस्तान युद्ध के चश्मदीद गवाह थे, वे 74 साल के हो गए, लेकिन अभी भी उनका जज्बा बरकरार है। युद्ध के वक्त वे सेना में वायरलैस ऑपरेटर थे। वे युद्ध में जहां तोपों से फायरिंग की जाती थी, वहां पर अधिकारियों को मैसेज देने का काम करते थे। वे बताते हैं कि भारत - पाकिस्तान के 1971 के युद्ध में वे भारतीय फौज की 222 वीं यूनिट में तैनात थे। उस वक्त 3 दिसम्बर 1971 की शाम पांच बजे पाकिस्तान की फौज ने फाइटर प्लेनों से भारत की सीमा पर जगह - जगह हमला कर दिया था। उस वक्त भारतीय सेना की एयर डिफेंस की तोपों से फायर कर दुश्मन के फाइटर प्लेनों को गिरा दिया। इसके बाद रात को भारतीय सेना ने दुश्मन देश पाकिस्तान की सेना पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इसके हालात बिगड़ते गए। लेकिन भारतीय सेना पाकिस्तान की सेना पर भारी पड़ती गई और पाकिस्तान के 30 किलोमीटर के हिस्से में भारतीय सेना ने कब्जा जमा लिया था। भारतीय सेना वहां 13 महीने तक रही, बाद में शिमला समझौते के बाद वहां से वापस हटी थी। फौजी बताते हैं कि उनकी उम्र अब 74 वर्ष हो गई, लेकिन आज भी उनमें उतना ही जज्बा है। यदि सरकार आज भी उनसे कहे कि वे सेना में जाकर दुश्मन के खिलाफ लड़ाई लड़ें तो सबसे आगे रहेंगे।
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00:28My name is Bhutpuruk Naif Sultan Nizindar.