अमृतम् जलं अभियान के तहत श्रमदान
शिव क्षेत्र के राजस्व गांव मणिहारी स्थित रतननाडी तालाब में रविवार को राजस्थान पत्रिका के सामाजिक सरोकारों के तहत अमृतम जलम अभियान के तहत सामूहिक श्रमदान किया गया। ग्रामीणों ने अभियान में उत्साह पूर्वक भाग लिया। गांव के प्राचीन सार्वजनिक तालाब में झाड़ी कटाई के साथ मिट्टी खोदकर पाळ के किनारे डाली गई। कार्यक्रम के बाद उपस्थित ग्रामीणों ने जल सरंक्षण की शपथ ली।
धरोहरों को संरक्षित करना हमारा दायित्व
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनप्रतिनिधि रेंवताराम कुमावत ने कहा कि ताल-तलैयों और गांवों में बची धरोहरों को संरक्षित करना हमारा दायित्व है। ग्राम विकास समिति के भगवान भाटिया ने कहा कि जल है तो कल है। जल के बिना जीवन शून्य है, सभी को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए हमें बारिश के पानी को संग्रहित करने का प्रयास करना चाहिए।
ग्रामीणों की रही भागीदारी
महिला स्वयं सहायता समूह प्रमुख गीता देवी ने कहा कि गांव व ढाणियों के ग्रामीण व पशुधन परंपरागत जल स्रोतों पर ही आश्रित है। हमें हर वर्ष बारिश की ऋतु से पहले परंपरागत जल स्रोतों पर श्रमदान करते हुए सफाई करनी चाहिए। इस दौरान चैनाराम, मोतीलाल, बाबूलाल, प्रहलाद, खेताराम, राजाराम, केदार, गुमानाराम, दिनेशकुमार, कैलाशकुमार, भंवरलाल, सोनीदेवी, नेनूदेवी, चणनीदेवी ,धाईदेवी, संतूदेवी, मगीदेवी, दरियादेवी सहित कई जने उपस्थित रहे।
शिव क्षेत्र के राजस्व गांव मणिहारी स्थित रतननाडी तालाब में रविवार को राजस्थान पत्रिका के सामाजिक सरोकारों के तहत अमृतम जलम अभियान के तहत सामूहिक श्रमदान किया गया। ग्रामीणों ने अभियान में उत्साह पूर्वक भाग लिया। गांव के प्राचीन सार्वजनिक तालाब में झाड़ी कटाई के साथ मिट्टी खोदकर पाळ के किनारे डाली गई। कार्यक्रम के बाद उपस्थित ग्रामीणों ने जल सरंक्षण की शपथ ली।
धरोहरों को संरक्षित करना हमारा दायित्व
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनप्रतिनिधि रेंवताराम कुमावत ने कहा कि ताल-तलैयों और गांवों में बची धरोहरों को संरक्षित करना हमारा दायित्व है। ग्राम विकास समिति के भगवान भाटिया ने कहा कि जल है तो कल है। जल के बिना जीवन शून्य है, सभी को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए हमें बारिश के पानी को संग्रहित करने का प्रयास करना चाहिए।
ग्रामीणों की रही भागीदारी
महिला स्वयं सहायता समूह प्रमुख गीता देवी ने कहा कि गांव व ढाणियों के ग्रामीण व पशुधन परंपरागत जल स्रोतों पर ही आश्रित है। हमें हर वर्ष बारिश की ऋतु से पहले परंपरागत जल स्रोतों पर श्रमदान करते हुए सफाई करनी चाहिए। इस दौरान चैनाराम, मोतीलाल, बाबूलाल, प्रहलाद, खेताराम, राजाराम, केदार, गुमानाराम, दिनेशकुमार, कैलाशकुमार, भंवरलाल, सोनीदेवी, नेनूदेवी, चणनीदेवी ,धाईदेवी, संतूदेवी, मगीदेवी, दरियादेवी सहित कई जने उपस्थित रहे।
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