सवाईमाधोपुर. जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत संगठन ग्राम राज्य विकास एवं परीक्षण संस्थान ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया। इस दौरान रणथम्भौर सर्किल स्थित एक होटल में बाल विवाह मुक्त भारत को लेकर पत्रकार वार्ता हुई।
इसमें प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर जितेन्द्र बीलवाल, दिनेश बैरवा, सुमित्रा शर्मा, सदस्य विष्णु गुर्जर ने कहा कि आगामी आखातीज, पीपल पूर्णिमा पर अबूझ सावों में बड़े पैमाने पर शादियां होगी। ऐसे में हमारी संस्था भी लगातार बाल विवाह रोकथाम पर कार्य कर रही है। वक्ताओं ने कहा कि विवाह के लिए लडक़ी की आयु 18 वर्ष व लडक़े की आयु 21 वर्ष होनी आवश्यक है। इससे कम आयु में यदि विवाह किया जाता है तो वह बाल विवाह की श्रेणी में आता है, जो दण्डनीय अपराध है। बालक-बालिका के जीवन पर बाल विवाह का दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसी कुप्रथा पर रोक लगाने व इसके विरूद्ध आवाज उठाने का आह्वान किया। वक्ताओं ने कहा कि बाल विवाह से जुड़े अधिकारों व कानून के बारे में भी जानकारी दी। यदि परिजन दबाव बनाए तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। अंत में सभी को बाल विवाह रोकथाम की शपथ दिलाई।
अभियान से आएगी जागरुकता
उधर, ग्राम राज्य विकास एवं परीक्षण संस्थान के निदेशक छेल बिहारी शर्मा निदेशक ने कहा कि धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला है। इस बार अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को बाल विवाह निषेध अधिनियम की जानकारी नहीं है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लडक़ी के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज.सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है।
इसमें प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर जितेन्द्र बीलवाल, दिनेश बैरवा, सुमित्रा शर्मा, सदस्य विष्णु गुर्जर ने कहा कि आगामी आखातीज, पीपल पूर्णिमा पर अबूझ सावों में बड़े पैमाने पर शादियां होगी। ऐसे में हमारी संस्था भी लगातार बाल विवाह रोकथाम पर कार्य कर रही है। वक्ताओं ने कहा कि विवाह के लिए लडक़ी की आयु 18 वर्ष व लडक़े की आयु 21 वर्ष होनी आवश्यक है। इससे कम आयु में यदि विवाह किया जाता है तो वह बाल विवाह की श्रेणी में आता है, जो दण्डनीय अपराध है। बालक-बालिका के जीवन पर बाल विवाह का दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसी कुप्रथा पर रोक लगाने व इसके विरूद्ध आवाज उठाने का आह्वान किया। वक्ताओं ने कहा कि बाल विवाह से जुड़े अधिकारों व कानून के बारे में भी जानकारी दी। यदि परिजन दबाव बनाए तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। अंत में सभी को बाल विवाह रोकथाम की शपथ दिलाई।
अभियान से आएगी जागरुकता
उधर, ग्राम राज्य विकास एवं परीक्षण संस्थान के निदेशक छेल बिहारी शर्मा निदेशक ने कहा कि धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला है। इस बार अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को बाल विवाह निषेध अधिनियम की जानकारी नहीं है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लडक़ी के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज.सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है।
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