होली पर दिखता है उत्साह व उमंग
देश के विभाजन से पूर्व पश्चिमी हिंदुस्तान के सिंध प्रांत के कई गांवों कस्बों में हिन्दू धर्म के ढाटी महेश्वरी, ब्राह्मण व सभी जातियों के लोग सांझी संस्कृति से होली पर धमाल-गान से भगवान श्री कृष्ण की होली के वृतांत गाकर प्रसन्न किये जाते हैं।
देश विभाजन के बाद हजारों ढाटी लोग देश के अलग-अलग क्षेत्रों में बिखर गए। लेकिन आज भी वे लोग यह परंपरा संजोए हुए हैं।
ढाट महेश्वरी समाज गडरारोड के रमेशचंद्र चांडक बताते हैं कि ढाटी लोगों के प्रमुख कस्बे गडरारोड, चौहटन, बाड़मेर, अलवर के खैरथल सहित पाकिस्तान के थारपारकर क्षेत्र के मिठी, चेलार, न्यू छोर, अमरकोट सहित हिंदू बाहुल्य स्थानों पर यह इस परंपरा का निर्वहन हो रहा है। भगवान ठाकुर जी के मंदिर में राधा कृष्ण की होली का हमारी ढाटी बोली में फगुआ धमाल गाए जाते हैं। स्थानीय कस्बे में भी पिछले 5 दिनों से राधा कृष्ण मंदिर में इस धमाल का आयोजन किया जा रहा है। धुलंडी के दिन रंगों की होली खेलकर शाम तक धमाल गाने के साथ समापन किया जाएगा।
देश विभाजन के बाद हजारों पाक विस्थापित हिन्दू भारत आकर गुजरात राजस्थान में आकर बस गए।
सभी ढाटी ब्राह्मण महेश्वरी और अन्य प्रमुख समुदायों के देश के अन्य शहरों में रहने वाले लोग श्रीकृष्ण मन्दिर पहुंचते हैं। धमाल के बाद की फगुआ प्रसादी में आनंद आता है। चने की दाल की बनी यह प्रसादी भगवान का प्रिय फागुन भोग है।
देश के विभाजन से पूर्व पश्चिमी हिंदुस्तान के सिंध प्रांत के कई गांवों कस्बों में हिन्दू धर्म के ढाटी महेश्वरी, ब्राह्मण व सभी जातियों के लोग सांझी संस्कृति से होली पर धमाल-गान से भगवान श्री कृष्ण की होली के वृतांत गाकर प्रसन्न किये जाते हैं।
देश विभाजन के बाद हजारों ढाटी लोग देश के अलग-अलग क्षेत्रों में बिखर गए। लेकिन आज भी वे लोग यह परंपरा संजोए हुए हैं।
ढाट महेश्वरी समाज गडरारोड के रमेशचंद्र चांडक बताते हैं कि ढाटी लोगों के प्रमुख कस्बे गडरारोड, चौहटन, बाड़मेर, अलवर के खैरथल सहित पाकिस्तान के थारपारकर क्षेत्र के मिठी, चेलार, न्यू छोर, अमरकोट सहित हिंदू बाहुल्य स्थानों पर यह इस परंपरा का निर्वहन हो रहा है। भगवान ठाकुर जी के मंदिर में राधा कृष्ण की होली का हमारी ढाटी बोली में फगुआ धमाल गाए जाते हैं। स्थानीय कस्बे में भी पिछले 5 दिनों से राधा कृष्ण मंदिर में इस धमाल का आयोजन किया जा रहा है। धुलंडी के दिन रंगों की होली खेलकर शाम तक धमाल गाने के साथ समापन किया जाएगा।
देश विभाजन के बाद हजारों पाक विस्थापित हिन्दू भारत आकर गुजरात राजस्थान में आकर बस गए।
सभी ढाटी ब्राह्मण महेश्वरी और अन्य प्रमुख समुदायों के देश के अन्य शहरों में रहने वाले लोग श्रीकृष्ण मन्दिर पहुंचते हैं। धमाल के बाद की फगुआ प्रसादी में आनंद आता है। चने की दाल की बनी यह प्रसादी भगवान का प्रिय फागुन भोग है।
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