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00:00हर कंट्री घर कॉंटिनेंट ज़ादा से ज़ादा पावरफुल होना चाहता है और यह भी उनका एक एहम है कि हम इन से आगे निकलना चाहते हैं और मैं देख पा रहे हूं कि हर जगा पर हमें विशमता दीखती है हम
00:23फिर कही न कही मुझे ऐसा होता है कि हम क्या कर सकते है कि हम एक साथ आके रह सके
00:30जैसे कि हम बोलते हैं वसो देव कुटमकम तो कही पर मैं
00:34बेबी एडप्शन के भी बात करते हूँ तो उनको एकदम अलग ही चीज़े लगती है
00:40ये सब के ऐसा अपना बच्चा अपना होता है
00:43एनिमल्स की बात करते हूँ तो भी उनको एकदम अलग लगता है
00:47कि ये सारा एहम अगर हम सब में है तो हम कहां जाके अटकेंगे
00:53क्योंकि कही न कही ऐसा भी लगता है कि दुनिया का अंत भी आ रहा है
00:58क्या हम कभी भी वसुदेव कुटुमकं ये कंसेप्ट को ये कंसेप्ट तो नहीं है ये करुना है ये स्विकार कर पाएंगे और अगर कुछ भी है जो हम हमारे साइड से कर सके तो वो क्या हो सकता है क्योंकि ये सब सोच के फिर बहुत दुख होता है ऐसा लगता है कि I'm helpless तो क
01:28जहां गंदगी मची है सफाई भी वहीं करनी पड़ेगी ना तारी गंदगी इंसान के मन में मची हुई है उसी को साफ करना पड़ेगा और तो कोई तरीका है नहीं दुनिया में आप जितनी गंदगी देख रहे हैं वो सबका सुरोत तो इंसान का खोपड़ा है ना पैक्�
01:58उसके बाद हतियारों की factory में पैدا होते है
02:03एटम बॉम्म किसी लैब में नहीं पैदा हुआ
02:05पहले इंसान के खोपड़े में पैदा हुआ
02:06इंसान के खोपड़े ने सारी equations तयार कर दी है
02:10ऐसा ऐसा ऐसा यह होगा यह होगा यह होगा
02:12पहले यहां जब तयार हो गया तो फिर फैक्टरी में तयार हुआ
02:15तो सारी गंदगी जब यहां है, सारी हिंसा जब यहां है
02:22तो सारी सफाई भी यहीं करनी पड़ेगी न
02:25बच्चे हो या बड़े हो सबको समझाना पड़ेगा
02:31कि विविधता एक बात होती है, विविधता को विशमता मत बनाओ
02:35दो अलग हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उनमें से एक शेष्ट है, एक हीन है
02:43और अगर कुछ शेष्ट, कुछ हीन तुम्हें लग भी रहा है
02:47तो पहले देखो कि क्यो लग रहा है
02:49शेष्टता और हीनता का आधार बता दो
02:55अगर कोई इसलिए शेष्ट लग रहा है कि बुद्ध है
03:01और कोई इसलिए हीन लग रहा है कि बुद्धु है
03:03तब तो ठीक है
03:05चलेगा
03:08पर अगर कोई इसलिए शेष्ट लग रहा है कि पीला है
03:12और कोई इसलिए हीन लग रहा है कि काला है तो नहीं चलेगा
03:15तो विशमताएं पैदा करने से पहले यानि कि अर्थगत भेद
03:26मूल्यगत भेद निश्चित करने से पहले अपने माही टटोल
03:31किसी को क्यों कह रहे हो कि वो ठीक है किसी को क्यों कह रहे हो कि वो गलत है
03:36तुम्हें कैसे पता कि वो ठीक है तुम्हें कैसे पता वो गलत है
03:40और बड़ी हिम्मत चाहिए जब तुम्हारे आसपास पूरा समुदाय ऐसा हो
03:46और सबके संसकार ऐसे हो कि एक वो ठीक ही है जैसे चलता है
03:50और वो जो दूसरा है वो गलत ही जैसे चलता है
03:53तो वहाँ पर ये सवाल उठाना भी कि हमें कैसे पता है कि वो ठीक है कैसे पता हो गलत है ये बड़ी हिम्मत का दियो तक है लोगों में इतनी हिम्मत होती नहीं हो कहते हैं हम भी भीड के साथ हो लेते हैं भीड कहीं जा रही है दंगा करने आग लगाने हम भी साथ हो लिए
04:08और ये बात सिर्फ समाजिक व्यवहार की नहीं है व्यक्तिगत जीवन में भी
04:16ऐसे करो ऐसे मत करो इस उम्र में ये करो अब वहां जाओ अब ऐसा करो अब ये कमाओ अब ये नहीं करना चाहिए
04:24इतना तो ऐसे खर्च करना चाहिए
04:27ऐसे कुछ करके पैसे बचाने चाहिए
04:29तुम्हें कैसे पता ये सब कुछ बताओ
04:30तुम्हें कुछ भी कैसे पता
04:33मैंने एक दफ़े आप लोगों को एक्टिविटी दी थी
04:36कि अगर आपको बताया ना गया होता तो बताओ आपको क्या पता होता
04:39और जो आपको पता हो जाए बिना किसी के बताए मातर वो आपका है
04:45बाकि सब आपकी गुलामी है
04:46ये सब बाते हमें करनी पड़ेंगी खुल के करनी पड़ेंगी
04:54क्योंकि गंदगी सारी यहां है उसकी सफाई का यही तरीका है आत्मजिग्यासा पूछो कि तुम्हारे खोपड़े में जो भरा हुए हो कहां से आया और बड़ा बुरा लगता है जब दिखाई देता है कि अपना तो है ही नहीं कोई और आकर गंदगी बाहर से खोपड़े मे
05:24है तो आदमी फिर गंदगी के तथे को नकारता नहीं है हूं किता है हम देख पा रहाएंगी बहुत गंदगी है साफ करेंगे शायद देखते ही सफाई शुरू हो जाती है
05:33फिर तीसरी बार सब कुछ यहीं है यहीं है सब कुछ तो सब ठीक भी यहीं करना पड़ेगा
05:48यहां ठीक करे बिना इधर उधर तल्वार भाजने से कुछ नहीं होगा
05:55तो हम इंडिविजल लेवल पे तो आप है हमारे साथ और आप हमारा कच्रा साफ कर रहे हैं
06:03पर हम अगर कोई एकदम ही बेस लेवल पे है जो अभी बाकी कुछ समझ नहीं पाया
06:10उसे भी थोड़ा सा भी उपर लाने के लिए कि शायद यह इवेंच्वली आपके साथ जुड़े
06:17या कुछ भी अच्छा ही रास्ते पर आ जाये ऐसा कुछ करने के लिए हम इंडिविजल लेवल पर क्या कर सकते हैं
06:23इंडिविजूल लेवल भाई जब मैं पाइदा हुआ था तो ऐसा थोड़ी था कि मेरे डादा जी ने आ
06:32करके मेरे नाम से मुझे 0.500 कितावे दे दी थी और मेरे पिता जीनि मुझे 55
06:37जैनल दे दिया था है कि मैंने भी तो इंडिविजीवल नेवार्व पर दो ूenne
06:42चार चार पांच पांच लोगों से नजाने कितने सालों तक बात करी हो गोगी थोड़ा सोच ओ थो
06:46तो, कहीं पहाड पर बैठ कर आठ लोगों से बात कर रहा हूं, कहीं कुछ कर रहा हूं, कहीं कुछ कर रहा हूं, ऐसे करते करते, अपनी भी सोच का परिशोधन होता है, और आज आठ से बात कर रहे हो, कल अठारा होता है, अठारा से हसी होता है, बात से बात बढ़ती है, और �
07:16जिसकी जितनी पहुंच हो उसे जोर लगा करके उतना करना पड़ेगा और जब जोर लगाते हो तो पहुंच बढ़ जाती है
07:27I agree
07:33मेरे साथ ऐसा भी हुआ है और यह कोई बिलकुल बच्पन की नहीं बात कर रहा हूँ यह द्वेट लाइफ एजुकेशन की दिनों की बात कर रहा हूँ
07:40कि मैं 800 किलिमेटर दूर कहीं पर गया हूँ बात करने के लिए
07:45और मेरे आने की खौफनाख खबर शहर में फैल गई है
07:52और auditorium में लोग बैठे हैं कुल 8
07:56और auditorium है 800 लोगों का
08:01800 लोगों का auditorium 800 किलमीटर दूर यात्रा करके पहुंचे हैं
08:10उसमें 8 बैठे हैं
08:13क्योंकि मशहूर तो हमेशा सही थे
08:18ये कर देगा वो कर देगा
08:20तो जितने मिले उन्ही से बात कर लेंगे
08:29कभी आठ सो तो आठ सो, कभी आठ तो आठ, कभी आठ करोड तो आठ करोड
08:41आठ सो करोड
08:41कभी आठ सो करोड बहुत बढ़ी है
08:44लिकिन बात से ही होगा
08:50यहां ही है सब कुछ
08:52और यहां करें बिना भारती संसत में जाकर के
08:56नियम कानून भी बनवा लें तो उससे भी कुछ नहीं होगा
08:59मनुष्य चेतना का प्राणी है
09:04सरकस का जानवर थोड़ी है कि उसको नियम बता दोगे
09:07तो सब ठीक चलेगा नियम बताने से सरकस ठीक चल सकता है
09:10मनुष्य के संसार को ठीक चलाना है तो उसको चेतना दो ग्यान दो
09:16जान लगाईए यह मत कहिए कि मैं क्या करूँ मैं तो बस चार लोग को ही जानता हूँ
09:27मैं क्या करूँ आपने महले में लोगों को जानती हूं अपने आफिस में लोगों को जानती हूं घेरो पकड़ो बात करो और बहुत-बहुत सारी निराशा बरदाश्त करो निराशी निर्ममों भव भूत्वा
09:44कि निराशा ऐसी चीज नहीं है ये रोने लग गए
09:47मिलेंगे कितना याद नहीं आता, अंगिनत बार हुआ होगा
09:56कुछ थे अपने से थे मैं उनके लिए गवार बहु हुँ सारा खाना लेके गया
10:07किसी को किसी का पती उठा ले गया, किसी विटी की भीवी ले गई
10:11किसी के मावाब आ गए धरने पर बैट गए उसको उठा कर ले गए
10:15तो पहले तो मैं बहुत दुखी हुआ
10:21कि बताओ यार
10:23इतना खानावाना लेकर के आया हूं कुछ नहीं
10:26फिर मैंने कहा अब न चूप चाओ हान
10:28इससे बढ़िया कोई मौका मिलेगा
10:30बैट के देड़ घंटे तक मैंने सारा खाना खाया
10:33blessing in disguise
10:38रोने से कोई फायदा है
10:40उतने में किसी तरीके से
10:46पिंजडे से छूट कर फढ़ा फढ़ाती हुई एक दूचिडिया आ गई
10:51एक अपने बाप से छूट के आई थी एक अपने पती से छूट के आई थी
10:56मैंने का खाना तो हो गया खत्म
11:01यह थोड़ा सा बच्चा है तुम्हें चखना चाटना हो तो ले लो
11:05यह सब चलता रहा है बहुत अरसे तक चला है
11:16आज आप देखते हो कि auditorium packed है ऐसे होता नहीं है
11:20बहुत अकेली शुरुवातें करनी पढ़ती है
11:26अपनी नजर में लगता है बेवकूफ बन गए
11:29कोई बात नहीं चलने देते हैं
11:36चलिए बताईए
11:44अचारे जी धन्यवात यह हल्प करेगा मुझे
11:51प्रणाम अचारे जी
11:58अचारे जी आप से जुड़ने के बाद मेरे जीवन में धीरे धीरे बदलाव आया है
12:05लेकिन जब मैं आपकी बातों को या पिर संसा से चुड़ी बातों को आज पास के लोगों के पास रखताओं या उनसे साजा करता hoe तो जो भीतर
12:18जुन्नू बैठा है
12:19वो ये सवाल करता है कि जब मुझे
12:22खुद पर ही इतना सारा काम करना है
12:24इतना सारा कुछ बाकिया
12:26इतनी सारी खामिया है
12:27तो मैं क्या दूसरों के पास जाके
12:29इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहा हूँ
12:31जो दूसरों के पास जाके बाते कर रहे हो
12:34वही काम है जो तुम्हें अपने उपर करना है
12:36अपने उपर कैसे काम करोगे
12:38बाथरूम में बैठ करके हाथ पाउं मलोगे
12:41अपने उपर कैसे काम किया जाता है
12:42अपने उपर कैसे काम किया जाता है
12:46हम जो कुछ हैं दूसरों के संदर्व और संबंध में हैं
12:49तो अपने उपर भी काम दूसरों के माध्यम से ही किया जाता है
12:52इतना तो समझाया है
12:54The best way to learn is to teach
12:56खुद को सीखना है तो दूसरों के माध्यम से सीखना पड़ेगा
12:59ये तो एकदम ही
13:03जान छुडाने का तरीका है
13:09कि कह दिया अभी मुझे पूरी तरह समझ में नहीं आया है
13:11इसलिए मैं अभी दूसरों तक अचारे जी का संदेश ले कर नहीं जाओंगा
13:14ना तुम्हें कभी पूरी तरह संदेश ले कर जाओगे
13:18न नौमन तेल होगा न राधाना चेगी
13:21Come as you are and fight as you are
13:26अचारे जी ने बुलाया है युद्ध में उतरने को
13:30नहीं अभी तो हम पूरी तरह से शस्त्रविद्या में पारंगत नहीं है
13:34न कभी तुम पारंगत होने वाले न कभी तुम युद्ध में उतरने वाले
13:38पारंगत हुआ जाता है युद्ध में उतर करके
13:41मुझमें कौन सी प्रवीडता थी जो मैं युद्ध में उतर पड़ा था
13:46जिस उमर में आज कल के ये लड़के निब्बे रील बना रहे होते हैं
13:52उस उमर में मैं युद्ध में उतर पड़ा था
13:54मुझे में क्या था कुछ नहीं था पर एक फैसला था कि लड़ाई अगर सही है तो उसे पीठ नहीं दिखा सकता उतर पड़ा युद्ध में और युद्ध में उतरने से ही जो बन गया वो आज तुम्हारे सामने हूँ
14:08अभी हमारी तयारी पूरी नहीं है पर हमें तो आता नहीं है मुझे क्या आता था मेरी क्या तयारी थी
14:16तुम पहले सीखेंगे धीरे धीरे न !
14:25Kabir Sahab ने भी बहुत थे बोले थीरे मना धीरे सबकुछ हो ए।
14:31ये बात काम नपर्टो नहीं लगाते हो तुम वहाँ तो हपखते हो
14:36तब तो ब्लते हो धीरे धीरे मना, इसको 0.25 पे करदो
14:41धीरे धीरे मना वहां तो 5X पर धीरे धीरे और जब कोई
14:49सही काम करने की बात आती है तो 0.25 कर देते हो अपनी
14:54सारी खामियों के साथ अपनी सारी कमजोरियों के साथ जाओ
15:00और खड़े हो जाओ चाटे खाओ तोड़े जाओ
15:11यह सब अपान नहीं है इसी में तुम्हारी प्रगति है
15:14कह रहे हो कि अभी तुम्हें पूरी तरह से बात समझ में आई नहीं है अभी तुम्हें लगता ही तो आचारी जी की बात है तो मैं क्यों बोल रहा हूं
15:23और जो दुनिया भर के और काम करते हो, वो कि अपनी समझ से कर रहे हो, बाकी सब काम भी तुम्हें कुछ समझ में नहीं आए हैं, पर उनको करते वक्त जरा भी संकोच नहीं होता, एकदम नहीं जिजखते कि ये काम जब मैंने समझे नहीं तो करूँ क्यों,
15:39बारह भी अपनी समझ से करी थी, ग्राजुएशन में स्ट्रीम अपनी समझ से चुनी थी, ये कॉंसेप्ट तुम्हारा अपना है कि इतनी एजुकेशन होनी चाहिए, उसके बाद जॉब होनी चाहिए, फिर शादी होनी चाहिए, ये सब कुछ जब तुमने अपनी समझ से नह
16:09तुम पूरी तरह समझ गए थे
16:11कि मनुष्य और मनुष्य का रिष्टा गया होता है
16:13विवा करने से पहले
16:14महा तुम कुछ नहीं समझे थे पर कूद पड़े
16:16लेकिन जब सच के लिए संघर्ष करने की बात आती है
16:19तो बड़ी भारी शर्त रख देते हो
16:21कहते हो जब पूरी तरह समझ जाएंगे
16:23सिर्फ तभी सत्य के लिए उतरेंगे
16:25ये सत्य के प्रते समर्पन नहीं है
16:35कि जब हों समझ जाएंगे तभी उतरेंगे
16:36ये सिर्फ वही पुराना आदिम डर है
16:39डर को कोई इज़दार नाम देना बंद करो
16:44मियाचारी जी मैं जब इस चीज के बावजूर्द भी
16:51लोगों के सामने अपनी बात रखता हूँ
16:54सुधार यही कर सकते हो कि
17:09जब नहीं समझे हो तो तर्क करोगे
17:12तो चोट भी खाओगे
17:13सामने वाला सवाल करेगा
17:16हो सकता है कि सही जवाब न दे पाओ
17:17नहीं दे पाओगे तो बेज़िती होगी
17:19मैं कहा रहा हूं उस बेज़िती को बरदाश्ट करना सीखो
17:21ठीक है ये मत कहा दो कि
17:25बिलकुल प्रवीन हो करके और उत्हरिष्ट होके
17:28पर्फेक्ट होके सामने आऊंगो वो पर्फेक्शन कभी नहीं आने वाला
17:30व्युद्ध में उतरो और जब चोट पड़ेगी तभी अपनी कमजोरी पता चलेगी अभी अपने दोश पता चलेंगे
17:44और तभी तो अपनी कमजोरियों से आप लड़ पाओगे
17:47जो संगर्ष में नहीं उतरा वो इसी मुगालते में रह जाता है कि मुझे में तो बहुत कम-कमजोरियां है
17:54अखाडे में उतरो तब पता चलता है न कि किस हैसियत के हो
18:01अखाडे में ज़्यादा तर लोग उतरते ही इसलिए नहीं है कि उतरेंगे
18:06तो सब दूद का दूद पानी का पानी हो जाएगा जो अपने बारे में बड़ी उज्जुल छवी बना कर बैठे हैं
18:14एकदम चूर-चूर हो जाएगी
18:17अगर उतर रहे हो तो डटे रहो
18:25और एक बात के प्रतिसतर्क रहना जब चोट लगे मार खाओ, हार पाओ
18:33तो स्विकार करना के हार हुई है और कहना धन्यवाद उसका जिसने हराया
18:39अब कल फिर लोट के आउँगा और कम हारूँगा
18:46जहां पर हम बौने सिद्ध हुए जहां पर हम अक्षम सिद्ध हुए
18:58वही पर तो अब हमारी प्रगते होगी ना
19:03तो जाओ और बिलकुल मस्त हो करके पिटो
19:09याद है न रिजिगेश्म क्या कहा था पिटते रहो उठते रहो
19:14उठने से पहले पिटना जरूरी है और पिटने के लिए मैदान में उतरना जरूरी है
19:20सबसे अब हागे वह जो उठते ही नहीं मैदान में
19:22अचारी जी इसमें ये दिक्कत आती है कि उस पिटने के चक्कर में कई बार अहंकार आ जाता है क्योंकि एक ऐसी बहस होई बहस करता रहा करता रहा करता रहा तो उनकी तरफ से जो बात थी वो बिल्कुल बेबुनियाद थी वो वीगन वीगनिजम पर था तो मैं बहुत लंब
19:52थो थोड़ा टैंजेंशियल था तो फिर समझ फिर रियलाइज हुआ कि धक्का से लगा कि क्या कर दिया मैंने जो उपर सुनो तुम्हारे उपर कोई दायत तो नहीं है कि तुम एक आदर्श महापुरुष बनकर सामने आओ
20:07जब संघर्ष करोगे तो उसमें तुम्हारे गुर्णदोष सब सामने आएंगे लजाने की कोई बात नहीं है उमसे किसने कह दिया कि तुम्हें वहाँ पे परफिक्शन का आइडल बनके खड़ा होना है तुम्हारा हंकार सामने आ गया तो है इसलिए सामने आया हाँ है हंक
20:37है सामने आ गया है हम लजा नहीं रहे है हम बहतर होके लोटेंगे तुम देखो कि तुम्हारा एजम्शन क्या है तुम्हारा एजम्शन यह है कि जो वीगन नहीं है उसके सामने तुम्हें परफेक्ट होके खड़े होना है क्योंकि तुम वीगन हो क्या तुम परफेक्ट हो
21:07कर दिया कर दिया तो कर दिया कि सही उद्धेश के लिए उत्रें भाई और अपनी सब खामियां लेकर उत्रें अपनी सब कमजोरियां लेकर उत्रें तो मैदान में हमारी खामियां और कमजोरियां भी सामने आएंगी
21:23तुम लजा नहीं जाएंगे कि अरे तुम तो देखो अध्यात्म की ओर से आए हो फिर तुम में हंकार क्यों
21:31हाँ भाई अध्यात्म की ओर से आए है साधक है और साधक में हंकार होता है
21:35मुक्त पुरुष में नहीं होता
21:37अध्यात्म की और से आए हैं तो साधक ही तो हैं मुक्त थोड़ी हो गए है तो हंकार अगर हमें है तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई है तुम मूरख हो तुम में भी है
21:54और हमें तुम्में अंतर ये कि हमें अहंकार है लेकिन वो विलीन होने की दिशा में है
21:58और तुम्में अहंकार है वो और दुर्ण होता जा रहा है अहंकार दोनों में है
22:04पर हंकार की दिशाएं अलग अलग है हमारा आहंकार आत्म मुखी है तुम्हारा आहंकार माया मुखी है
22:11ये भूत लों के साथ होता क्याते हैं बहस करते हैं बहस कर रहे थे
22:20तो हमें क्रोध आ गया तो उन्होंने का ये देखो तुम तो आचारी जी के शिश्य हो तुमें क्रोध क्यों आ गया
22:26अरे आचारी जी के शिश्य को क्या आचारी जी को भी आता है
22:28वो ऐसा जबरदस्त आता है कि दिवार तोड़ दें, तो, कई बार दिवार तोड़ना जरूरी भी होता है.
22:49इतनी सड़ी हुई दिवाल है, हम नहीं तोड़ेंगे तो किसी के सर पे गिरेगी वो।
23:19तुमने देखो अपने ऊपर कितनी बड़ी शर्त रख दी, वो कह रहा है, देखो मैं तो हुई मूरक, मैं मास भी खाऊंगा, मैं सब तरीके की बत्तमीजियां भी करूँगा, और मैं खुले में करूँगा,
23:35और तुम उसके सामने अखाडे में हो, और तुम कहा रहे हो, मेरे उपर बहुत भारी शर्त है, कि मैं बिल्कुल आइडियल कोड अफ कंड़क्ट से चिपक कर चलूँगा, क्यों भाई?
23:46क्यों? उसको हर तरह की छूट है, वो गाली दे सकता है, वो बत्तमीजी कर सकता है, वो कुछ भी कर सकता है, तो सारी शर्ते तुमने अपने उपर ही क्यों लगा लिए हैं फिर?
23:56यह वैसा इसी बात है, कि दो मुक्यबाज मकाबले में उतरتم हैं, उनमें से एक तो ऐसा बैमान है कि उस्विर मुक्या नहीं चला रहा हूँ, लाते भी चला रहा है, ऊवो लाते ही नहीं चला रहा हूँ, उसने अपने ग्लव्स में ब्लेड भी लगा रखे हैं, ताकि उनम
24:26क्यों बांध रहो
24:27क्रोध जबरदस्ति नहीं लाना है
24:32पर साधक ही हो
24:33अहंकार तो
24:36तुम्हारे जीवन का तथ्य है
24:37अहंकार जब है तो क्रोध आ सकता है
24:40आ गया तो इसमें रोने की क्या बात है
24:42ये बहुत बड़ी गलती करते हैं
24:51अध्यात्मिक लोग
24:51सच की तरफ से लड़ने वालों को
24:53बड़ी हीन भाव ना रहती है
24:56बड़ा गलानी भाव
24:57बड़ा अपराथबोध रहता है उन्हें अपने प्रति
24:59कि नहीं हमें तो बहुत आइडियल तरीके से
25:04चलना चाहिए न नहीं तो हम में और उनमें
25:06अंतर ही क्या रह जाएगा
25:07और गीता पड़ा रहे हो यहां क्रिश्ण है
25:12तुम मारोगे अभी मन्यू को अगर घेर करके इतने सारे हैं
25:16एक को घेर कर मारोगे
25:17तो इतना तो फिर हम भी कर सकते हैं
25:20कि सूरज
25:22जब अभी डूबा नहीं है
25:24तो भी उसे बादलों के पीछे छुपा सकते हैं
25:26जादरत का मरना ज़रूरी है
25:27कौन से गीता पड़ी पिर तुमने है
25:31नरोवा कुंजरोवा नहीं जानते हो क्या
25:33शिखंडी को नहीं जानते हो क्या
25:36कर्ण का पहिया नहीं आदे तुमको
25:41गीताकार ही जब अपने ऊपर आदर्श व्यवहार का जिम्मा नहीं ले रहे हैं
25:50तुम किसलिए बहुत सुसंस्कृत बने बैठे हो कि मैं तो अच्छा बच्चा हूं
25:56जो हमेशा अच्छे अच्छे काम ही करता है
25:58अच्छे काम नहीं करने होते हैं, सच्चे काम करने होते हैं.
26:10दुर्योधन की जांग अगर तोड़नी जरूरी है तो तोड़ो.
26:14ये थोड़ी कह होगे कि नहीं, हम तो नियम काईदों के भीतर ही रह करके लड़ेंगे.
26:19फिर चाहे दुर्योधन पूरे भारत को क्यों न बरबाद कर दे।
26:26युदिश्थिर मत बनो, अर्जुन बनो। युदिश्थिर अपना ही लोकधर्म चलाते थे।
26:38और अर्जुन का धर्म था कृष्ण।
26:42क्योंकि अर्जुन को बोला था कृष्ण ने कि सारे धर्मों को छोड़ करके मात्र मेरी चरण में आओ।
26:49युदिश्थिर तो अपने धर्म, युदिश्थिर को बड़ा बुरा लगा था।
26:52अरे हमारा रथ प्रत्वी से थोड़ा ऊपर चला करता था आज कह दिया शुथामा आतो नरुवा कृष्ण।
26:58आज हमारा रथ जो है वो जमीन पर चलने लग गया है और ये कैसे कर दिया कि दुर्योधन की जांग पर प्रहार करा दिया कृष्ण आपने।
27:11तुम इधिष्ठिर के चात्र हो कि कृष्ण के चात्र हो। लोकधर्म के संस्कारों को अपना बंधन मत बना लेना खुल के लड़ो।
27:31सच के लिए जब लड़ा जाता है तो उसमें फिर संसार की शर्ते अपने उपर नहीं रख ली जाती।
27:41कारा दिये जात्र हैं
27:49तैनलर का πिया कर दो मत ब Mediterraget
27:56सुर्ण कि के विएक करना थाषते।
27:59सुर्ण 그 जात्र है
28:01तानलर का लात तानलर के लाम
28:02है तानलर के बूक झा हो।
28:05सब्सका एच कि का टूक
28:07सुर्ण 6 सुर्ण www.वस.थ