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पूरा वीडियो: सरकारी नौकरी की दीवानगी, और कोचिंग का रोग || आचार्य प्रशांत (2024)

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00:00विकसित देशों गो तो छोड़ दो जो भारत की तरह विकासचील देश हैं भारत से पीछे वाले भी जिने अविकसित भी बोल सकते हो उन्हें भी कहीं भी सरकारी नौकरी का ऐसा बेहूदा पागलपन नहीं है
00:11अंग्रेजों ने जो ब्यूरोक्रेटिक विवस्था छोड़ी वो भारत पागिस्तान बांगलादेश तब में एक जैसी छोड़ी थी
00:17पड़ोस में पागिस्तान है इधर बांगलादेश है इनमें भी सरकारी नौकरी का वैसा भूत नहीं है जैसा भारत में है
00:23क्या कुछ नहीं कर सकते थे युवा अगर इन्होंने अपनी जवानी के स्वार्णिम वर्षों का सही इस्तेमाल किया होता
00:29और उस सही इस्तेमाल की जगह इनकी जवानी जा रही है मुखरजी नगर में डिप्रेशन में लोटते हुए
00:34और कुछ हादसों में, जैसे अभी ये हुआ, बहुत दुखत हादसा, कुछ हादसों में अपनी जान गवाते हुए
00:40आप पात-साथ साल वहाँ पड़े हुए हो, आपने कितना रेंट दिया, आपने खाने पीने पे कितना दिया
00:45और आपने कोचिंग की फीज कितनी दी, कम से कम 5 लाग, 10 लाग और शायद 20 लाग खर्च करे हो तुमने
00:49इतने पैसों में अपना कोई व्यापार नहीं शुरू कर पाते हैं, सब कर लेते
00:53लेकिन कोचिंग इंस्टिटूट्स इन्होंने इतना ग्लैमराइज कर दिया है, कि सब लगे हुए हैं इसी में कि हमें भी चाहिए, हमें भी चाहिए

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