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00:00आपको और सुन रही हूं, समझ रही हूं, पर यहीं पर मैं जाके अर्टक जा रही हूं
00:30गीता तो जिनकों मिली थी, उन्होंने अपने से लगभट दूनी बड़ी सेना को धराशाई कर दिया
00:35अर्जुनों के लिए होती है गीता कि भीड़ गए लड़ गए जीत भी गए
00:38जीतना चाहा नहीं था, लक्षा नहीं था जीत
00:40पर गीता मिली है तो जीत पीछे पीछे आ जाती है सोयम ही
00:44अभी मुझे हजीब लगता है जो लोग पुछते है
00:46यह बड़ा अपमांजनक प्रश्न है
00:52कोई आपको एक तस्वीर दिखा दे, आप बहग जाते हो
00:55कोई आपको एक वाक्य पढ़ा दे, आप उतेशित हो जाते हो
00:57कोई आपको एक फिल्म दिखा दे, आप बिल्कुल राथाया करने लग जाते हो
01:01आपको कुछ नहीं समझ में आता है इसके पीछे कौन है
01:03अध्यातनिक होने का मतलब होता है
01:05चालाकों से ज्यादा चालाक होना कि अचार जी प्रणाम तो अभी मैं असर देख पार हूं आपको सुनने के बाद कि जो बीतर जो नॉइस था वो तोड़ा एसा लग रहा है काम हो रहा है पर उसको इंटेंसिटी भी देख पारी पर वो सही डारेक्शन में पता नहीं चल रह
01:35पहले जुक्ष का में रहती थी उसमें एक दम मननी लगता है और एकृस्टेट और हो जाती हूं कुछ काम और सही काम समझAKE
01:47नहीं अंगी अर्जना समझना सब्तुने सब्संदि
02:05अनुपयोगी हो जाता है
02:07यह आपसे जो बाते हो रही है वो इस तरह की हो रही है
02:15जैसे ट्रेजर हंट एक खेल होता है जानते हैं
02:21उसमें यह होता है कि कहीं पर दूर एक खजाना पड़ा है
02:26और उस खजाने तक पहुचने के
02:29जो निशान हैं हिंट्स हैं वो भी दूर दूर बिखरे हुए हैं और एक जगा नहीं है
02:37तो आप जैसे ही पहला हिंट पाते हो
02:41तो आपको उस पर काम करना होता है
02:44और वो आपको बताएगा कि अगला कहां मिलेगा
02:49और भाशा जो है उसकी थोड़ी क्रिप्टिक होती है
02:54क्रिप्टिक मने कोड़िड तो आपको कुछ मिला और उसमें लिखा हुआ है कि
03:01है कहीं एक उंचा परवत उसकी चोटी पर बैठा है कोई और ऐसे ऐसे करके
03:11इसका मतलब यह है कि सामने वाली जो बिल्डिंग है उसकी टॉप फ्लोर पर जाना है
03:16और वहां पर एक पत्थर के नीचे कागज पड़ा हुआ है उस कागज में लिखा हुआ है कि
03:20आगे कहा जाना है
03:23अब आपको यह पहला हिंट मिला आप उसी को लेकर के बैठ जाएं और कहें मुझे बहुत उर्जा आ रही है
03:31और वहां जहां मिला है वहीं पर नचना कूदना शुरू कर दें तोड़ फोड़ शुरू कर दें पुछल कूद
03:38तो कुछ होगा क्या
03:40आगे की बात समझ में ही तब आएगी जब आगे जाओगे
03:45गीता पर जैसे जैसे आप जीते जाएंगे वैसे वैसे गीता आपके लिए खुलती जाएगी
04:00देखिए आप समझते नहीं हो
04:10यह अर्थ है श्लोकों के ठीक है ऐसे ले लेते हैं इधर जो है क्या है श्लोकों के अर्थ है
04:19वो कोई एक श्लोक हो सकता है उसके भी अर्थों के अलग-अलग तल हो सकते है या मान लीजिए अलग-अलग श्लोक है
04:25या मान लीजिए कि ये सत्रों की श्रंखला है
04:29एक के बाद एक सत्र है
04:30कैसे भी मान लीजिए
04:31ठीक है
04:32ये एक ही श्लोक के अलग-अलग
04:35अर्थ हो सकते हैं ये अलग-अलग
04:37श्लोक हो सकते हैं ये अलग-अलग सत्र हो सकते हैं
04:39जिसमें अलग अलग श्लोक लिए जा रहे है
04:41आप यहाँ पर हो
04:43तो
04:47आपको यहाँ होने के कारण
04:51बस इसी तल का अर्थ समुझ में आएगा
04:53अब मान लिजिए
04:58सत्र शिंखला आगे बढ़ गई
05:01अगला सत्र आ गया, उसका अगला भी आ गया
05:04तो सत्र तो यहाँ पहुझ गए
05:06लेकिन आपने यह फैसला ही नहीं किया कि
05:10अपनी जिन्दगी बदल नहीं है, आप कहाँ पर हो अभी
05:11आप यहाँ पर हो
05:13तो यहाँ होने के कारण सत्र भले ही
05:16यह बात कर रहा हो पर आपको यह समझ में आएगा
05:18आपको वही बात समझ में आएगी और उतनी ही समझ में आएगी जिस तल पर आप बैठे हो
05:25उची बात समझने के लिए उस बात के तल पर साथ-साथ उचा उठना पड़ता है
05:31बात उठ रही है अच्छा मैं भी उठींगी बात उठीं मैं उठीं मैं
05:34और कई बार बात उठनी भी दुरूरी नहीं होती है
05:37मैं कहा रहा हूँ एक ही श्लोक के भी
05:40अलग-अलग अर्थ होते हैं अलग-अलग तल पर
05:45तो जो जिन्दगी नहीं बदल रहा हूँ उसको लगए कि मैंने ये बोला
05:50आज कही श्लोक को ले लिजिए
05:53टो एक आदमी है, इतने लोक सुन रहा है, हजारों लोक सुन रहा है
05:56उसमेशे को लग रहा है मैंने ये बोला
06:00पर जिसने जिन्दगी बदल करके दाम चुकाया है
06:03और यहाँ पहुँच गया है
06:04उसको ये लगए आ कि मैंने ये बोला
06:07तो एक ही बात है मेरी पर दो लोगों के लिए बिलकुल अलग अलग बात है वो इस पर निर्भर करता है कि किसने मेरी बात को सुन करके अपने आपको उठाया है
06:16आप जो सुन रहे हो उसके अनुसार अगर सोयम को बदलोगे नहीं तो दस साल में भी कोई लाव नहीं होगा
06:25अब बलकी उब और आ जाएगी आपने का फ्रस्ट्रेशन
06:29क्योंकि आपको लगेगा कि मैं एक ही बात बोल रहा हूँ
06:32अब हो क्या रहा है कि यह सत्रों की श्रंकला है पहला साथ दूसरा तीसरा चौत्रा अब मैं तो अलग-अलग बात बोल रहा हूँ
06:40ठीक है ना ? गीता सीरी जागे बढ़ती पहल रही है
06:44आप कहां बैठी हो ?
06:46आप यहां बैठे हो और आपकी जिढ़े कि यहां से उपर मुझको उठना नहीं है तो मैं भले ही ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे उपर उपर की बात करता जा रहा हूँ
06:53पर आपको क्या लगे है कि मैं
06:56बस यही बात दोरा रहा हूँ
06:57यही बात दोरा रहा हूँ तो आपको उब हो जाएगी
06:59वही बात तो बार बार बोलते हैं
07:01मैं वही बात नहीं बोल रहा
07:02आप बस वही बात सुन रहे हो क्योंकि
07:04यहाँ पर जो खेल होता है
07:08वो subjective होता है
07:09बहुत subjective होता है
07:13यहाँ बात ऐसी नहीं है
07:17कि इसका आकार इसके आकार से बड़ा है
07:21तो पहले आचारे जी ने ये दिया
07:22और फिर आचारे जी ने ये दिया
07:24तो देखो इस बार मुझे बड़ी चीज दे दी
07:26ये चूकि बस material है
07:30तो इसी लिए आप जैसे हो
07:32आपके रहते हुए भी आपको ऐसा लगेगा
07:34कि ये चोटा था फिर मुझे ये बड़ा मिल गया
07:36मैं तो बड़ी नहीं हुई पर मुझे कुछ बड़ा मिल गया
07:39मैं तो बड़ी नहीं हुई
07:40पर पिछले सतर में अजार जी ने ये दिया था
07:42इस सतर में ये दिया देखो ज्यादा बड़ा कुछ दे दिया
07:45मैं तो बड़ी नहीं हुई पर फिर भी मुझे कुछ पहले से ज्यादा बड़ा मिल गया
07:49नहीं जब खेल भीतरी होता है
07:52तो आप जितना बड़े होते जाते हो
07:55सत्र से आपको उतना ज्यादा मिलता जाता है
07:58ये लगभग वैसी बात है कि बारिश हो रही है
08:01आपको कितना मिला वो इस पे निर्भर करेगा
08:03कि आप छोटी सी कटोरी हो कि गिलास हो कि लोटा हो
08:07कि पूरा टब हो या बहुत बड़ी टंकी हो
08:10बारिश वही है पर छोटी सी कटोरी हो कितना मिला
08:15एक चम्मच हो कितना मिला
08:20हम तो ना कटोरी है ना चम्मच है हम तो छेद वाली छन्नी है उसको कितना मिला
08:25और छेद वाली छन्नी भी ठीक है चलो इतनी बोलती है कुछ नहीं मिला
08:30हम में से बहुत लोग
08:34तो छूटी छूटी गंदी कटोरियां है
08:42जिनमें पुराना कीचड बैठा हुआ है जमा हुआ है
08:45तो उनमें जब पानी भी पड़ता है तो क्या होता है
08:48वो पानी भी गंदा हो जाता है और जो गंदा पानी है वो मेरे माथे चड़ा देते हैं
08:53कियते हैं यह आपने दिया है
08:54भाई उपर से जो बरसा था वो कुछ और था तुमारी कटोरी में पड़के वो कुछ और हो गया है
08:59तुमारी कटोरी में गंदगी जमाती पहले की
09:01इन बातों को सुन करके इनको जीना पड़ेगा
09:10और आप अपने आपको सब समझते हो बहुत चतुर चालाक स्मार्ट
09:15आप कहते हो नहीं मैं जैसा हूँ वैसे ही रहूँगा
09:18और साथी साथ मैंने गीता सीख ली
09:20मैं गीता सीख ली
09:22मैं भी हो गई लेडी आचारे
09:26मैंने गीता सीख ली
09:29ऐसे नहीं होता
09:30हर सत्र के साथ
09:36आपको अपने आपको
09:38बदलना होता है
09:39knowing अगर being नहीं बनती
09:43तो knowing भी नहीं रह जाती
09:44जाना हुआ
09:50जीना पड़ता है
09:52नहीं तो फिर कुछ जाना भी नहीं
09:56फिर बस उब पैदा होगी
09:58कि वही वही बात बार-बार बोल रहे है
10:00अब मैं आपको हर सत्र में बता हूँ
10:05कोई चीज मान लीजे
10:07मैं आपको बता रहा हूँ एक प्रकार के
10:09मैं रेसिपी बताता हूँ हर बार
10:12अब मैं बता रहा हूँ ये न ये ऐसी होती
10:15ये थोड़ी चटपटी होती है, ये फीकी होती है, ये साधी होती है, नमकीन होती है, ये मीठी होती है, ये ऐसी, ये ऐसे, आप कितना सुनोगे, दो-चार बार सुनके कहोगे, हर बार वही दो-चार बाते करते हैं, नमक, शक्कर, मीठा, फीका, कड़वा, तीखा, आप उसक
10:45जीवन आपको अपने सिध्धान्तों के अनुसार चलाना है
10:49आपको मैं एक उधारण देता हूँ
10:54ठीक है उधारण कहे लिजिए उधारण नहीं है
10:56यह एक तरह का परीक्षण है
10:58यह एक लिटमस टेस्ट है ठीक है
11:01हर सत्र में
11:07डेढ़ दशक से
11:10मैं सिर्फ एक चीज़ की बात कर रहा हूँ ना
11:15एक चीज़ वही एक चीज़ है जो असली है महत्वपूर्ण है
11:20बस उसी का मूल है
11:22क्या आत्मा बोलते हैं सत्ते बोलते हैं
11:25उसके लावा किसी चीज़ है कोई मूले नहीं है
11:29उसके लावा किसी को भी हम नहीं कह सकते
11:40मुल्यवान या महान लगता है उसका संबंध बोध से है क्या और अगर नहीं है तो अभी भी कैसे मुल्यवान और महान है
11:52कैसे
11:58कि आप लोग इतने सालों सुन रहे हो एक मात्र कौन से चीजिस का मुल्य होता है बोध का सत्य तो कोई चीज है नहीं से जाना जा सकता हो पर बोध हमारे हाथ में होता है वह प्रक्रिया है बोध का महत्त होता है
12:18बोध का ही मूल्य होता है वही महान है आप बताओ ना आप अपने जीवन में किन-किन चीजों को मूल्य दिये बैठे हो
12:28किन-किन चीजों को किन-किन लोगों को
12:32अगर आप सत्रों को सचमुझ जी रहे होते तो सबसे पहले तो नकार उठा होता ना नकार
12:40ये खेल ही सारा नकारने का है छोड़ने का है आपने क्या छोड़ा है और जब नहीं छोड़ा है पुराना तो गीता का नयापन आपके पास आए कैसे बुलो
13:00और आप समझ यह नहीं पाता है आपको लगता है गीता तो बस एक शेत्र है जैसे कई बार ये इंट्रवी और आते हैं आड़ी पूछने तो आप इस फील्ड में कैसे आए उनको लगता है कि जैसे इंजिनरिंग कॉमर्स आर्ट्स ये फील्ड होते हैं वैसे ही अध्यात्म भ
13:30आप किस में हैं नहीं हमारा जी गार्फफ मेंट का है आपका हमारा स्प्रिच्षालिटी का है उनको लगता ये उस तरह कोई फील्ड हो गह रहा है वैसे यह आपको लगता है
13:42फील्ड का अर्थ होता है एक ऐसा क्षेत्र जो दूसरे से कटा हुआ है असंप्रक्त है
13:51कि हमारी एक दूसरी दुनिया है वो तो वैसी ही चलेगी यही चल रही है
13:55और साथी साथ एक गीता की दुनिया है जो बिलकुल अलग चल लेगी
13:58अन्रिलेटेड भाई गीता जिन्दगी में आएगी तो आपके जितने भी जहान है आपके जितने कारोबार है
14:15उन सब में उथल पुथल मचनी चाहिए आप वो सब कैसे वैसा ही रखे चल रहे हो जैसा चल रहा था
14:20आप जिनको अपना आदर्श पात साल मान पहले मानते थे आप उनमें से बहुतों को आज भी आदर्श मान रहे हो कैसे मान रहे हो उनका संबंध है बहुत से कुछ तो आदर्श कैसे हो गया आप उन्हें महान कैसे बोल देते हो
14:36लोग इधर उधर से ला करके कुछ पोस्टर डाल देते हैं
14:50समस्या यह नहीं होती
14:51समस्या यह नहीं कि पोस्टर डाल दिया
14:53समस्या यह कि तुम जो डाल रहे हो तुम पता भी नहीं तुमने क्या डाल दिया
14:56तुम दिख भी नहीं रहा कि तुम
15:00अपने अतीत के ही सारे संसकार
15:03अभी भी महान
15:05और पूझ्य मान करें community पर भी डाल रहे हो
15:07अपनी तरफ से तुमने अच्छा गाम करा है
15:08तुम सुचरे हो मैंने अच्छी चीज तो डाली है
15:10तुम देख भी नहीं पा रहे हो
15:12कि तुम जो चीज डाल रहे हो उसका बोध से तो कोई राता ही नहीं है
15:14तो अच्छी कैसे हो गई
15:15अच्छी की तो परिभाशा ही है यह न सिर्फ एक क्या
15:18सत्यम शिवम सुंदरम इसके रावा
15:20अच्छा ही की कोई परिभाशा है
15:21तुम जो डाल रहे हैं उसका सत्य से क्या तालुक है तो अच्छा कैसे हो गया
15:25पर तुमको हमेशा से अच्छा लगा है तो यहां आज भी डाल देते हो तो गीता ने तुमको बदला गया फिर
15:30गीता आपके
15:39पुराने जगत का विस्तार थोड़ी है कि मैंने पुलाना सब चल रहा था उसमें एक और चीज जोड़ दी
15:46कि गाड़ी पहले ही चल तो रही ही थी उसमें एक अक्सेसरी लगवा दी यह बस गीता
15:59गीता कोई अक्सेसरी थोड़ी होती है
16:00गीता जिसकी सिंदगी में आई है उसकी सिंदगी पहले जैसी ही चल रही है
16:09तो गीता आई ही नहीं है
16:11जेब में रख ली होगी आपने
16:17क्या बदला है
16:18फिर बोध माने क्या होता है बोध माने एक शार्पनेस होता है
16:30कितनी बार बोला आप लोगों से
16:34सत्य को तो नहीं जाना जा सकता
16:36अध्यात्म का मतलब होता है माया को जानना
16:38एक
16:40माया को जानना मने
16:42जो बाहर सब
16:43जोड़ तोड़ है
16:45धुखे बाजी है
16:48दंदफंद है इसको जानना
16:50उस दंदफंद के शिकार
16:52तो आप आज भी हो बिलकुल
16:53खुल ले आम
16:55आपको कुछ समझ में ही नहीं आता दुनिया में चल क्या रहा है
16:58जो दुनिया में चल रहा होता है
17:02जीना तो दुनिया में यह न है
17:03यह अध्यात्माने अपने भीतर घुश जाना
17:05जैसे बिल में घुश जाता हो
17:07जी होगे तो इसी दुनिया में
17:09और दुनिया में जो चल रहा है
17:11उस पे आप जो कमेंटरी करते हो
17:12ला जवाब हो जाता हूँ
17:13अच्छा ये ये हो रहा है
17:16आपको समझ में ही नहीं आता ही क्या हो रहा है
17:19गीता जीवन में आई होती
17:24ये तो कुछ शार्पनेस आई होती न, पैनापन द्रिष्टि में जूट को भेद जाने वाली नजर, आप तो जूट को भी भी देखते हो और आप उसकी चपेट में आ जाते हो, तो कौन सी गीता आपकी जिन्दगी में आई है, भूंदू बन के पहले आज भी घूम रहे हो,
17:54आदमी है, गोलू गोलू गोलू या आपकी अच्छाई के दम पर ही दुनिया में सारा इविल कायम है, एक से एक इविल कॉर्पोरेशन्स में आपके जैसे अच्छे लोग ही काम करते हैं, आपके दम पर ही वो चल रहे हैं,
18:12जा करके कभी किसी भी पॉलूटिंग इंडस्ट्री में या क्लूएलिटी बेस्ट काम करने वाली कंपनी के सामने शाम को खड़े हो जाना, जब उनके इंपलॉईस सब बाहर निकलते हैं, और उनकी शकले देखना, वो सब ऐसी गोलू गोलू अच्छे अच्छे लोग हैं,
18:42बिलकुल ऐसी, वो किसी की फीलिंग्स नहीं हर्ट करते, वो अपने टैक्स पे कर देते हैं, थोड़ा बहुत चोरी के साथ, ज्यादा चोरी भी नहीं कर पाते हैं, डर लगता है, वो अच्छे लोग हैं, आप भी अच्छे लोग हो, आपको समझ में ही नहीं आ रहा है कु�
19:12आपको कुछ नहीं समझ में आता, कोई आपको एक तस्वीर दिखा दे, आप बहग जाते हो, कोई आपको एक वाक्य पढ़ा दे, आप उतेजित हो जाते हो, कोई आपको एक फिल्म दिखा दे, आप बिलकुल राथाया करने लग जाते हो, आपको कुछ नहीं समझ में आता,
19:42आप विचारी नहीं करना चाहतें, कौन सा द्रिख द्रिश्य विवेक है, अगर आप नहीं देख पा रहे होगी ओ जो द्रिश्य आपको दिखाया गया है, उस द्रिश्य के पीछे कौन है, ओ द्रिश्य ऐसे नहीं दिखाया गया है, दिखाने वाले बहुत चालाक लोग हैं,
20:12आजाओ, इसे समझधारी कहते हैं, मैं तुम्हारी चालाकी पूरी तरह समझ सकता हूँ, पूरी तरह से, जितनी भी तुम चालाकीया कर रहे हो, मैं सब देख लेता हूँ, जिसना तुम अपने आपको समझते हैं, मैं उससे आदा तुम्हारी चालाकी समझता हूँ, लेकिन फ
20:42उसको कुछ नहीं समझ में आ रहा, वो खड़ा हुआ है, उसको नचालो जैसे भी नचाना हूँ, वो सड़क के बीच में खड़ा हो जाता है, मैंने बहुत प्रयोग करें इन पे,
20:54मैंने एक बार यहां तक करा था, किसी नहीं बिचारे नो उसके जो पीछे आले पाउं थे, उसको रस्ती से बांध दिया था, तो सड़क पे खड़ा हुआ है, मैं हॉर्न मार रहा हूँ, वो हटे नहीं,
21:08मुझको लगा, यह इसलिए नहीं हट रहा है कि पीछे इसके बांध दिया है, तो गाड़ी से चाकू निकाल करके, मैं गया और दुलत्ती खाने का खतरा उठाते हुए, मैंने उसकी रस्ती काटी, सच मुझ करा,
21:23मैं का, इसलिए नहीं हट रहा था इस अलक से, बिलकुल बीचो बीच खड़ा हो गया था, वो ऐसे देख रहा था मुझे एकदम, एनलाइटेंड होके, कोई भाव ही नहीं चहरे पे, निस्प्रह, निश्काम चहरा, निश्प्रयोजन,
21:36मैं का, ए महात्मा यहां तुम फस गए हो, कोई शारेरिक शती कर देगा, सच मुझ जा करके उसका, मैं का, अब यह आजाद है भटेगा, यह करके मैं जाके गाड़ी में बैठ गया, वो काही को हटे,
21:55मुझे दर्शार रहा था कि उसके बंधन बाहरी है ही नहीं, वो ही खड़ा है भी भी, घुमा के ले गए मैं करतूँ, अब दुबारा किसी के नहीं काटूँगा,
22:13मुझे क्या पता था कि मनुष्य रूप में भी वो मेरा पीछा करेगा,
22:25कितना भी काट दो बंधन, इनको समझ में ही नहीं आता, कुछ, कुछ नहीं समझ में आता, तो गीता कहे के लिए है, मैं पूछ रहा हूँ,
22:32पूछ रूप मूर्थी के सामने श्लोक बाच हो गए, इससे तुम्हारा जीवन धन्ने हो जाएगा,
22:40या गीता इसलिए होती है कि जिदगी में आजाद, खुल कर जी पाओ, और जीवन तुम्हें बेवकूफ न बना पाए,
22:46बोलो किसलिए होती है गीता, जिन्दगी जब रोज रोज तुम्हें बेवकूफ बनाई रही है,
22:52व्यवारिक जगत में तुमसे कोई काम ठीक से किया नहीं जाता, हर जगए ठोकर खाते हो, चोट खाते हो, हार पाते हो,
22:58तो कहें कि गीता, गीता तो जिनकों मिली थी, उन्होंने अपने से लगभग दूनी बड़ी सेना को धराशाई कर दिया,
23:09अरजुनों के लिए होती है गीता कि भिड़ गए, लड़ गए, जीत भी गए, जीतना चाहा नहीं था, लक्षनी था जीत,
23:15पर गीता मिली है, तो जीत पीछे-पीछे आज आती है स्वयम ही, आपकी जीत तो मुझे कहीं नहीं दिखाई दे रही है, आप तो बस ही आई, आज फिर पिट गया,
23:25आरे मुझे तो को समझ में नहीं आता,
23:27कुछ दुन में मुझे गीता समझ में आनी न बंद हो जाए,
23:41मेरी माया आप हो, आप मेरी स्रद्धा हिलाई दे रहे हो,
23:44क्योंकि मैंने तो यह जाना था कि जिस तक गीता पहुँचती है,
23:46वो बिलकुल अंस्टॉपेबल हो जाता है,
23:50वो ऐसा कुछ दिखाई तो दे नहीं रहे हो,
23:58क्रिश्ण ने क्या अबूला अरजुन को जंगल चला जा,
24:02पीतामबर धारन कर ले, दिगंबर हो जा,
24:07खल फूल कंद मूल पे जिया कर, यह है संदेश,
24:11तो तुमको दुनिया में जीतना क्यों नहीं आ रहा,
24:27जिसको देखो वही अपने पिटने की कथा सुना रहा है,
24:31आप लोगों की इतनी पिटाई देख करके,
24:33यह नहो कि मुझे लगने लग जाए कि मैं आपको नाहक खतरे में ढखेल रहा हूँ,
24:37बच्चों को थोड़े ही युद्ध भूबी में धकेला जाता,
24:45वो नैतिक अपराध हो जाएगा न,
24:48छूट छूट बच्चों को धकेल दिया,
24:50वो तैयारी नहीं थे लड़ने के लिए, वो पिट पिट आ गए, मर्मूर आ गए,
24:52आप अपनी यही दशा दिखाते रहें कि हम तो छोटे से बच्चे हैं,
24:58हम किसी छोटे से संघर्षे काविल भी नहीं हैं,
25:02मैं फिर आप से कही के लिए कुछ बोलूँगा,
25:06आप फ्रस्टेट हो रहे हैं उधर मैं भी हो रहा हूँ,
25:14योगा करमसु कौशलम,
25:16कौण सी कुशलता है किसी काम में,
25:23जो ही काम उठाना है,
25:26उसमें बिल्कुल चित्तों के गिर जाना है,
25:30नहीं हुआ,
25:32अच्छा अजी गुदी में ले लो,
25:34अज बाप फ्रसर नहीं हुआ,
25:36ज़ोटे बच्चे नहीं होते हैं,
25:37तो अपना रिपोर्ट कार्ड ले के आतना हुआ है,
25:39मैं बिला हुआ,
25:41तो मम्मी कहते, कोई बात नहीं है,
25:42आज़ा उठा ले,
25:43मुझे ये तक भरोसा नहीं है,
25:49कि मैं आपको डाटूँगा,
25:50तो उस डाट से आप बिखर नहीं जाओगे,
25:52आपको तो मैं खुल के डाट भी नहीं पाता,
25:56ये तो मैं अभी सहला रहा हूँ,
25:59आपको तो डाटती हुए भी डर लगता है,
26:01कि बिल्कुल भरबरा आगे बिल्कुल धेर नहीं हो जाए।
26:05फैसले होते हैं,
26:16मैं आपकी कमजोरी को नहीं इंगित कर रहा,
26:18मैं आपके फैसलों से परिशान हूँ,
26:22ताकत कोई गुण नहीं होता,
26:25एक चुनाव होता है,
26:27चुनिए उसको,
26:30और ताकत कोई जोश की बात नहीं होती है,
26:32बरबरा के जोश दिखा दिया,
26:35हमने क्या बोला था,
26:36क्या एक मात्र चीज मुलेवान है,
26:38बोध, बोध ही ताकत है,
26:41समझिये, समझिये,
26:42बहिये मत,
26:44समझिये, रुकिये, पूछिये,
26:45समझने की कोशिश करिए,
26:47फिर देखिये उससे कितना बला आता है,
26:56यह क्या कर रहे हैं,
26:57आमने रोना शुरू किया है अभी,
27:02तो ना क्यों बहर रही है,
27:02जुखाम मुझे है,
27:08ना काप सोड़क रही है,
27:11यह सब करके आप यही संदेश दे रहे हो कि,
27:13हमें डाटा भी मत करो,
27:14तो ठीक है?
27:15नहीं सर,
27:23चली शुड़िये,
27:24पाचार जी,
27:27जैसे जब मैं आई थी नंगी ता फिर में,
27:30तो मेरा ऐसा था कि,
27:31आपको भी सुनना है,
27:32और अपनी जिन्दिगी भी लेके चलनी है,
27:35जब मैं तीन-चार मेरी जोड़ी,
27:36तो मुझे समझ में आ गया,
27:37कि, जो आप जो बोल रहे हैं,
27:39और जो मेरी जिन्दिगी चलतरी,
27:41वो एक साथ तो नहीं चल सकती है,
27:42और यह बहुत जल्दी समझ में आ गया,
27:45फिर मैं और आपको सुनने लगी,
27:46और सुनने लगी,
27:48अभी ऐसी कंडिशन आगे,
27:50जैसे फ्रेस्टेटिंग मैं आपको सुनने से नहीं होती है,
27:52फ्रेस्टेटिंग खुछ से होती हूँ कि,
27:54मैं अभी आपको सुनके जो उड़ जा रहे हैं,
27:57उसको मैं सही डायरिक्शन दूँ,
27:59सही चीज करूँ,
28:00फिर जब देखते हूँ ना कि ये चीज कर रही हूँ,
28:03तो उसमें वो चीज नहीं मिल रही है,
28:05जो मुझे जो उड़ जा,
28:06जब मैं और कुछ जैसे काम करती हूँ,
28:08तो पढ़ती हूँ या कुछ लिखती हूँ,
28:11तो उसमें मुझे बहुत उड़ जाती है,
28:13फिर वही जब उसको डायरिक्शन दे देती हूँ,
28:16बिटा, जिन्दगी में जो सही काम होता है न,
28:19उसके साथ कोई पहले से निशान थोड़ी लगाओगा कि ये सही काम है,
28:25वो भी दिखने में साधारन ही लगेगा,
28:29लगभग वैसे जैसे आपके परीक्शा में विकल्प आते हैं,
28:32जब विकल्प सामने आते हैं तो उसमें किसी अमें कोई निशान छोटा सा लगा होता है,
28:35यह उला सही है, ऐसा लगा होता है क्या, सब एक बराबर लगते हैं,
28:39वो तो बाद में पता चलता है कि किसने सही करा था, किसने गलत,
28:42वैसे ही जिन्दगी में भी जो सही रास्ते होते हैं,
28:47वो भी उतने ही साधारन लगते हैं, जितने की गलत रास्ते,
28:51आप सही रास्ते पे चलोगे तो ऐसा थोड़ी हुआ कि वहाँ इधर उधर से अनारदाना फूटेगा,
28:56और लोग तालियां बजाएंगे और ढोल नगाड़ा होगा,
28:58बढ़ाई हो, बढ़ाई हो, अभी अभी आपने एक सही विकल्प चुना है,
29:02सही विकल्प भी उतना ही साधारन लगता है, जितना की गलत विकल्प,
29:06तो ठीक उसी समय पर कोई आपको बढ़ाई देने या प्रमाण देने नहीं आएगा,
29:11कि तुमने बिल्कुल ठीक काम किया,
29:14सही विकल्प चुनने, और उसका परिणाम या प्रमाण पाने में एक फेज लैग होता है,
29:22उसको सहीयां में अधैरे बोलते हैं,
29:24सही विकल्प चुलो, गलत विकल्प चुलो, दोनों ही विकल्पों में ततकाल कोई परिणाम नहीं मिलना है,
29:32बाहरी परिणाम, कोई नहीं मिलना है,
29:35परिणाम जब तक आएं और आपको भरोसा दे पाएं कि हाँ सही काम किया था,
29:39उसमें महीना भी लग सकता है, साल भी लग सकता है, दस साल भी लग सकते हैं
29:44उतने समय तक चुपचाप सही काम बस करना होता है
29:48और दुनिया में ऐसा कोई नहीं होता
29:52जिसको बिलकुल ना पता हो अपनी सिंदगी में
29:55कि अगर मेरे पास यह पाँच विकल्ब हैं
29:59किसी विक्षेत्र में तो इन पाचों में थोड़ा उपर कौन सा है
30:01थोड़ा नीचे कौन सा है
30:03एपसल्यूटली राइट तो किसी को भी नहीं पता होता है
30:06ना पता हो सकता है
30:08हमेशा आपको जो relatively right है वो
30:10वो चुनना होता है,
30:13पांच विकल्फ हैं, उसमें थे आपको इतना पता होता है, थोड़ा सा नीचे, थोड़ा जो relatively right है, जो थोड़ा सा बहतर उसको चुनो,
30:20और जब चुनोगे, तो मैं कहा रहा हूँ, कोई ढोल नगाड़े नहीं बजेंगे, कि आपने महान काम कर दिया,
30:26पर यही जो relatively right चीज है, इसको आप जब लगातार चुनते जाते हो, तो उसमें एक तरह का compounding effect होता है,
30:35उसमें एक चक्र वृद्धी, आप आते हो कि बढ़ोतरी हो रही है, लगबग वैसे जैसे आप जिम जाओ, पहले दिन दो लोग थे,
30:52एक जैसे दिखते थे, एक जिम गया, एक जिम नहीं गया, कोई अंतर दिखाई देगा उन में, दूसरे दिन भी एक गया, दूसरा नहीं गया, कोई अंतर दिखाई देगा, तीसरे दिन यह और हो सकता है, जो नहीं जा रहा था, वो अपना मजे में घूम रहा है, जो जा र
31:22सरोश्रेष्ठ ऐसा कोई काम
31:25किसी को उपलब्ध नहीं होता
31:26लेकिन सब के सामने
31:28थोड़े थोड़े थोड़े थोड़े विकल्प होते हैं
31:31उन विकल्पों में ही
31:32तुलनात्मक रूप से जो बहतर हो
31:35उसको चुना जाता है
31:36और जब बार-बार आप एक
31:40तुलनात्मक रूप से बहतर विकलब चुनते हो
31:43तो कुछ समय बाद आप पाते हो
31:45कि आप बहुत आगे निकल आये हो
31:46एक रास्ते पे जा रहे हो
32:00उस पर श्रेय है दो यूनिट
32:02और एक रास्ते पे जा रहे हो
32:04उस पर श्रेय है तीन यूनिट
32:05बहुत बड़ा अंतर तो नहीं है, हम जिस तरह रहते हैं हम कहते हैं क्या फरक पड़ता है, ए है 1922-23, 1922-23, फुर्य अतना तो अंतर है नहीं,
32:14उसी दो को आप जब बार-बार चुनोगे
32:21तो वो compound करेगा
32:23पहली बार चुनोगे तो कहोगे दो और तीन का यह अंतर था
32:26दूसरी बार चुनोगे तो चार और नो हो जाएगा
32:29तीसरी बार चुनोगे तो
32:30आठ
32:32चत्ताइस
32:33शोला
32:36इक्यासी
32:37पाँच गुने का अंतर हो गया
32:40चारी बार में
32:42अभी मुझे अजीब लगता है जो लोग पुछते है
32:49वोट वोस दा टर्निंग पॉइंट
32:51वें यू डिसाइड़े टो एंटर दिस फील्ड
32:54ये बड़ा अपमांजनक प्रश्न है
32:57वो ये कहना चाह रही है
32:59कि बस एक शण था जब कीमत अदा करी होगी
33:02कि बस एक शण था जब कोई फैसला लिया होगा
33:06भाई मैंने वो फैसला
33:08एक लाख बार लिया है
33:09रोज लेता हूँ
33:10जिंदगी माने विकल्प
33:14चेतना माने चुनाओ
33:15मेरे सामने रोज
33:17ये विकल्प उपलब्ध होता है
33:18कि मैं कहा दूँ आज मेरे सतर नहीं लेना
33:20आज मुझे फलाना काम नहीं करना
33:21आज ये नहीं करना वो नहीं करना
33:22जो काम मेरे नहीं है
33:24मैं दिन भर वो करता हूँ
33:25जो काम मुझे छूने ही नहीं चाहिए
33:28जो काम मेरी गरिमा से
33:29मेरे स्थान से नीचे के हैं
33:32मैं वो सारे काम कर रहा हूँ पूरे दिन
33:33तो मैं सत्र क्यों लूँ
33:35मेरे भीतर भी कोई बच्चा बैठा जो गयता है
33:37दिन भर ये कराया है ना नहीं जाओ
33:38रोज चुनना पड़ता है
33:44और कोई पूछे
33:45पर्टिकुलर टर्निंग पॉइंट
33:48तो मैं क्या पर्टिकुलर टर्निंग पॉइंट बढ़ता हूँ
33:49हर दिन चुनना पड़ता है
33:53आपको भी हर दिन चुनना पड़ेगा
34:00पर्टिकुलर टर्निंग पॉइंट में असा लगता है
34:03कि उस दिन उन्होंने तया करा कि आज वो अपना महल तयाग देंगे फिर देवता वहाँ पर प्रकट हो गए उन्होंने पुश पर्शा करी कितना स्पेक्टैकुलर लगता है नाट की यह ड्रामेटिक बिल्कुल
34:12तो हम सुनना चाहते हैं फिर जब मैं यह बता दूँ तो उसका अनिमेशन और लगा देंगे वीडियो में
34:17कितना उसमें और बता दूँ मैं कि मैंने जितने भी कॉर्पूरेट कपड़े थे उत्याग दिये थे और मैं भभूत मलके निकला था हमदाबाद से
34:28कि इतना अच्छा लगेगा सेंसेशन दस मीडिया वाले यहीं खड़ जाएंगे माइक ले करके बज़े एक बार भूत बनके दिखाईए
34:39पर वैसा कुछ है ही नहीं आज भी दिन के पाँच फैसले लेने होते हैं और पाँचों को सही लेना होता है आज से पच्छे साल पहले भी यही था अंतहीन यात्रा है आपको भी करनी है उस यात्रा में आपको कदम कदम पर कोई आ करके प्रशस्ति पत्र नहीं देगा
35:05गीता एक्जाम होता है उसमें तो फिर भी है आपको कि एक घंटे बाद आपको पता चल जाता है क्या सही था क्या गलत था
35:18जीवन में तो ऐसा कोई रिजर्ट भी नहीं डिकलेयर होता है आप बस सही चुनाओ करते चलिए शद्धा के साथ और पूछिए नहीं कि प्रणाम क्या मिलेगा आगे चलके धीरे धीरे बिना मांगे प्रणाम अपने आप प्रकट होने लगते हैं
35:35यह चोटे-चोटे ही निरणयों से सब कुछ है मैं क्यों नहीं समझा पा रहा हूँ आपको एक चोटा से निरणय है आपको बोला गया है आज आपको सत्रम बैठना है
35:56क्या प्रकटी आ रही है कि मैं नहीं जाओंगा कि छोटा ही से तो मिरणय है इतना ही तो करा कि एक सत्र छोड़ दिया
36:06ऐसे ही होता है कोई बड़े भारी चौराहे आपको नहीं मिलेंगे जीवन में यही छुटी छुटी बाते होते ही इफ्ताही जो फैसला कर रहा है उसकी दिंदगी बदल जाएगी जो गलत फैसला कर रहा है वो बरबाद हो जाएगा
36:20पिक्चर की स्क्रिप्ट थोड़े ही है वहाँ पे हीरो होता है वहाँ हीरो इसले बनता है कि उसके सामने मौका था किसीने 10 करोड उसको दिये
36:34कि तू 10 करोड ले ले और थोड़ी बेमानी कर दे और उसने कहा नहीं मैं बहुत बड़ा फैसला कर रहा हूँ
36:40कि मैं दस करोड नहीं लूँगा और बेमानी नहीं करूँगा
36:43आपके सामने ऐसा नहीं होगा
36:44क्योंकि जिन्दगी फिल्म ही नहीं होती
36:46आपके सामने पता है क्या होगा
36:47कहीं पर आप दस रुपए का घपला कर सकते होंगे
36:50और आप कहेंगे मुझे घपला नहीं करना
36:52फिल्म में दिखा देंगे कि
36:56एक बार दस करोड ठुकराना होता है
37:00जिन्दगी में ऐसा नहीं होता
37:01जिन्दगी में एक करोड बार दस रुपए ठुकराने होते हैं
37:08जिन्दगी में एक करोड बार निरंतर फैसले करने होते हैं और दस-दस रुपय का घपला करने से बचना होता है और इसलिए घपला हो जाता है क्योंकि एक करोड का घपला करें तो भीतर आपके कुछ गलानी उठेगी
37:2010 रुपए घपला करने हैं आप कहते हैं छोटा सा तो घपला किया है छोटा सा तो घपला किया है आप यह नहीं देखते कि ओछ छोटा घपला आपने
37:26एक करोड़ बार कर दिया, आपने दस करोड़ घपला कर दिया
37:28यह जो सुक्ष्मता है न माया की
37:32यही खा जाती है
37:33बड़ी बैमानी करने से तो
37:36ज़्यादा तर लोग बचेंगे
37:38यह जो रोज-रोज की निरंतर छोटी
37:42बैमानिया है, यह खा रही है आपको
37:44आधा घंटा उठने में देरी
37:49काम में गए है, वहाँ छुटी-छुटी-छुटी-छुटी-छुटी लगातार चोरियां
37:54कोई रिपोर्ट भेजनी है, वो 45 मट देरी से भेज दी
37:57खतम
37:58कोई फलानी चीज मना है, नहीं खानी चाहिए
38:05थोड़ा तो खाया है
38:06कोई काम है जो रोज करना है, रोज करने की जगाँ हफते में तीन दे नहीं करा
38:15करते हैं तो हैं अल्टरनेट डेस पर कर लेते हैं
38:18यह जो छुटी बहिमानिया है, आपको यह खा रही है
38:21जी निम आया यही है
38:30बड़ा बहिमान कहां देखा कोई देखा है
38:37बड़ा भारी बहिमान
38:39बड़ा भारी बहिमान तो फिर वो भी बिरला होता है
38:42हम छोटे बहिमान है जो
38:52लगातार बहिमानिया करते हैं छोटी छोटी और उस सब मिलकर
38:57एग्रिगेट होकर कंपाउंड होकर बहुत बड़ी वहिमानी बन जाती है
39:00हिमाले परवत देखे हैं आपको क्या लगता है वो कैसे ऐसे खड़ा हो गया
39:12अचानक एक दिन सोया पड़ा थे खड़ा हो गया
39:15कैसे ऐसा कैसे हो गया
39:20वो सम्तल जमीन थी
39:24उसको उठने में करोडों साल लगे है
39:30वो हर साल इतना इतना उठा है
39:34इतना उठते उठते वो इतना उचा हो गया जितना वो है अभी
39:36और वो अभी भी इतना उठ रहा है हर साल
39:39कुछ इंच अभी भी हिमाले उपर उठ जाते हैं
39:44और यह उठने की प्रक्रिया करोड़ों सालों तक चली है तब जाके वो इतने उचे हुए हैं, नहीं तो वहां पर भी सपाट मैदान था।
39:51अगर हिमाले कोई व्यक्त होता जिसके उपर जिम्मेदारी होती कि तुम बस चप्टे ही पड़े रहना, उपर उठना गलत है, तो कहता उपर कितना उठा, साल भर में 4 इंची तो उपर उठा, पर साल भर में 4 इंची की बेमानी करने का नतीजा, यह देखो बेमानी का क्या त
40:21मेरा शुपचिंतक बननेगी, मेरा शुपचिंतक मेरे हिसाब से बनोगे या अपने हिसाब से, अगर मेरे शुपचिंतक हो तो सब भली भाते जानते हो कि क्या उचित है, मैं क्या चाहता हूं, जानते हो न, तो वो काम करो न, हां मुझे ज्यादा बोलना पड़ेगा, मेरे
40:51के बढ़ेगा पहले तो तुम ऐसे हालात पैदा करो कि मुझे अपना गला फाड़ के भी बोलना पड़े और फिर जब मैं बोलूं तो को अरे नहीं आचारी जी आप आराम करिए तो मैं करूंगा क्या आराम
41:02यह मेरे प्रतिशु भेक्षा है या पाखंड है आप भली भाते जानते हो कि कौन सी चीजे हैं जिनके कारण मुझे उतनी मेहनत करनी पड़ रही है जितनी इतिहास में इसमें तो किसी को न करनी पड़ी हो
41:21आप वो सारे कारण जानते हो और यह भी जानते हो कि उन कारणों का संबंद आपसे ही है आप उन कारणों को तो पकड़ के बैठे हो उनको नहीं हटाओगे पर मुझे लिखके भेजोगे कोई लिखके आचारी जी आज सतर मत लीजिए ना आचारी जी तो सतर नहीं लेंगे
41:51क्यों परिशान होते हैं, लोग रेजिस्टर नहीं कर रहे हैं, तो इनको छोड़ दीजिये ना, मैं तो उनको छोड़ दूँगो, तो छूटे ही हुए थे, तो फिर मिशन किसलिए है, मिशन नहीं भी होता, तो वो छूटे ही हुए थे, बरबाद हो ही रहे थे, मैं उनको अ�
42:21कि आप मेहनत कर रहे हो साथ में हम भी करेंगे तुम कहते हो ना हम करेंगे ना आप करिए
42:28कि तुम शुब चिंतक हो मेरे
42:29नमस्ते मेरा नाम राखी है मैं दिल्ली से हूँ अचारे प्रसान जी को मैं यूट्यूब के माध्यम से पिछले चार सालों से और गीता सत्रों से लगबग देड़ सालों से जूड़ी हूई हूई हूँ
42:47एक महिला होने के नाते अचारे जी को सुनकर जो मुझे आंत्रीक मजबूती मिली वो मुझे आज तक किसी से नहीं मिली अचारे जी को सुनने से पहले मैंने गीता कभी नहीं पड़ी थी पढ़ने के प्रती गोई रुजहान भी नहीं था लेकिन अचारे जी को सुनने के द
43:17जूड़ी तो पाया कुद को एक नई दुनिया में यह पाया की एक नई आतरा शुरु हुई है और पहली बार यह श्मझ möझने आया है कि
43:24गीता सत्रों में और यूटीव पर सुनते रहने में एक बड़ा अंतर हैं गीता सत्रों में
43:29पर लंबी चर्चा होती हैं अवलोकन होता हैं कई तरह की दैनिक गतिविदिया होती हैं तो इससे हम एक नियमित रूप से उस पैटर्न से बंधे रहते हैं और इस तरीके से मेरे जीवन में पेजी से परिवर्टन और मजबूती आ रही है
43:46तो अगर आप अचारे जी को YouTube पर सुनते हैं और आपको ये लग रहा है कि आपके जीवन में कुछ बदलाव आ रहा है या कुछ लाव हो रहा है उनकी बाते सुनकर
43:54तो YouTube पर सुनते रहने से वो लाव अभी आशिक है
43:57सत्रों से जुड़कर आप उस लाव को कई गुना बढ़ा सकते हैं धन्यवाद

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