Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • yesterday
Hanuman approaches Kaalnimi, who is disguised as a sage, and asks his help to select the right herb which is required to save Lakhshman's life. Kaalnimi immediately gets ready to trap Hanuman and he sends him into a lake in order to purify himself but does not reveal to him that the lake spells death for Hanuman. Hanuman innocently takes the advice of the sage and reaches the lake. He takes a dip in it, with his eyes closed and ends up fighting a crocodile. Hanuman slays the reptile but it miraculously turns into a beautiful Apsara named Dhanyamali. Will Dhanyamali reveal the reality of the sage to Hanuman? Will Hanuman manage to bring back the Sanjeevani on time to save Lakhshman's life?

#Bhagati

Category

📺
TV
Transcript
00:00जैसी तुम्हारी च्छावत्स
00:26हम आपकी साहता के लिए प्रिस्तुत है
00:29क्या हुआ मुनिवर किन्तु एक समस्या है कि दिव्य औशदियां कि शुद्ध
00:56करी प्राप्त हो सकती है कि शुद्ध होने पर यह अद्रश्य हो जाती है और वच्छ आप इतनी लंबी आत्रा करके आयों
01:07फिर एक उपाय है यदि स्विकार हो तो बताओं बताइए मुनिवर
01:19यहां नीचे एक सरोवर है कि यदि आप उस सरोवर में इसनान करके आएंगे तो यह दिव्य औशदियां स्वैम को आपके सम्मुक प्रगट कर देंगे जुआ ग्या मुनिवर
01:40कि अपने नेत्र बंद रखीएगा वो क्यों मुनिवर इसके पीछे एक लंबी कथा है
02:07कि यदि आपके पास समय है तो सुनाता हूं नहीं नहीं मुनिवर मैं नेत्र नहीं खोलूँगा आग्या दीजिए
02:19किन्तु प्रभू हनु मान जैसे बुद्धिशाली काल नायमी के छल्म
02:37किन्तु प्रभू हनु मान जैसे बुद्धिशाली काल नायमी के छल्में कैसे आ गए
02:51जब भी कोई कप्ती साधू का वेशधारन कर लेता है तो सरल हृदे लोग कुछ देर के लिए उसके छल्म से बाधित हो ही जाते हैं
03:05परन्तु जैसे ही कप्ती का आचार उजागर होता है छल्म कपट की सारी माया विलुप्त हो जाती है और सत्य
03:16कि सत्य कि सामने आ जाता है जैसा हनुमान के साथ हुआ
03:36कि अ
03:40कि अ
03:41कि अ
04:10कि अ
04:36कि अ
04:38झाल झाल
05:08झाल झाल
05:38झाल
06:08आपका कल्यान हो कपीवर
06:20मैं आपको धन्यवाद करती है आप कौन है देवी मेरा नाम धन्यमाली है मैं स्वर्ग की अपसरा थी
06:30किन्तु प्रजापती दक्ष के शापवश मकर यूनी को प्राप्त हो गए और युगों से सरूवर में वासकर आप ही की प्रतीक्षा कर रहे थी और आज
06:44आपके शुब हाटों से मेरी मुक्ती हो गए यह सब मेरे प्रभू श्रे राम का प्रताप है इसमें मेरा किंचित भी श्रे नहीं पवन पुत्र आप उस तपस्वी से सावधान रहिएगा जिसने आपको यहां स्नान करने के लिए भीजा था क्यूं क्यूंकि वह तपस्वी
07:14जो आपका वद्ध करने के लिए मुनीका वेश बनाकर कपटपूर्वक यहां बैठ गया एक बात और कपीवर आप उसके कमंडल की जलसे सावधान रहिएगा
07:29उसने अती भ्यंकर काल कूट विश्भरा हुआ
07:44प्राइग कर दो कर दो दो आपकु यहां यहां प्राइगा
08:07यहां प्राइगा
08:14आप आगे?
08:36पोट्पसल्णुता हो रहे हैं एमदे?
08:42चलिए औश्यदियों के लिए जाने से फूर्थ आपको एक मंत्र देते हैं
08:55यह मंत्र बहुत ही चमतकारी है
09:00अब आप मंत्र देंगे गुरुदेव
09:06अति उत्तम तब तो मेरा भी गुरुदक्षिना देने का दाइत्व हो जाएगा
09:16किन्तुवत गुरुदक्षिना का विधान तो देख्षा पूर्ण होने के पस्चात का होता है
09:28किन्तु विशेश आपके लिए
09:34मैं गुरु मंत्र से पूर्व ही गुरु दक्षिना देना चाहता हूं गुरुदेव
09:40किन्तु अप्राइब गुरु जाएगा
09:59किन्तु आपके लिए
10:04भागते कहां हैं गुरुदेद
10:29अमरित कलश से
10:31अमरित पान तो करते जाईए
10:34अमरित् आज다ैं के लुड़निभा थेडर evaluation
10:35बेुड़निसे दाईएMAN
10:59अमरित्यो
11:00में डे बेढर tan sap
11:02आग एक्वारो जाईए
11:03झाल
11:33मैं तेरा भेज जान गया हूँ पाखंडी
11:52बोल, कौन है तू? क्या नाम है तेरा?
11:58तेरा वेज जान गया हूँ पाखंडी
12:03और मैं तेरा काल हूँ काल नेमी
12:06तेरा भेज जान गया हूँ पाखंडी
12:10तेरा भेज जान गया हूँ पाखंडी
12:13तेरा भेज जान गया हूँ पाखंडी
12:19जान गया हूँ आसे जान गया हूँ
12:31जय हनुमान निकान निदे साब एरें जय हनुमान निदे साब एरें जय हनुमान निदे साब एरें जय हनुमान निदे साब एरें जय हनुमान निदे साब एरें जय हनुमान निदे साब एरें जय हनुमान निदे साब एरें जय हनुमान निदे साब एरें जय हनुमान निदे स
13:01जिन चार दिव्वे औशदियों से हम सब की जीमन रक्षा होने वाली थी
13:15वो सब दिव्वे औशदियां किसी प्राणी के पास आते ही अत्रिश्य हो जाती थी
13:22बजरंग बली हनुमान के पास जाते ही वो अत्रिश्य होने लगी
13:29हनुमान विचित्र पहली में पस गए थे रात्री पीतने में मात्र आधा प्रहर शेष्ट था
13:40पुद्धी मानों में अक्र गण्य हनुमान को कोई उपाए न सूचता था
13:59धिवे जे जे ही आधा न स्क्राव पुद्धार प्रहर शेस्टेट थार थी
14:06है आउशदियों
14:34क्रिपा करके मेरे समक्ष प्रकट हो जाईए श्री राम के कार्य के लिए आपकी आवश्यक्ता है
14:55तो क्या औस्षदियों ने अपने को प्रकट कर दिया
14:59हुँँ तो फिर हनुमान ने क्या किया उन्होंने जो लीला की वो तीनों लोकों में प्रसिध होकर उनकी पैचान बन गई
15:15आपके पड़ान बन गए गाने क्यानकुनसाकर जैका पेसाति हुलोक मुझाकर जैखनु इसे विए दो रखना मांद यानकुनसाकर जैका पेसाति हुलोक कुचाकर राम
15:34हर इसकी हुएडुट पूचागर राव कूत अचृड़ का घंट्र में, खुर्मार ओछुट缝 courts, सुटनाम, का गढ़ पिकरम बज रंगी,yczव मतिनअवार, सुमतिके
15:44सन्ट्रुट's छॉर्णुट समाने क्यान्व रत्विछागर sûr ड्य
15:59जाए श्री राम
16:29खुं इन एना भुलिया
16:30जाए ने श्रीश्यातै।
16:36थुमेछ
16:37आशापल गरइनी
16:41छेजων
16:45रूक्ष।
16:46रिक्ष्णाच!
16:48रिक्ष्णाच!
16:49रिक्ष्णाच जाकते रहे!
16:51रिक्ष्णाच?
16:53ऊम्हानमस आजते ही रिक्ष्णाच!!
16:54मेरे मेरे में
16:56प्रिएजीसे.
17:18अनुआब?
17:26लाए संजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरशी पुरलाई
17:44नगुपति की निए बंक नुडाई तुम मम प्रिया भडता ही समवाई
17:53सहसा बदन तुम्हरो यशगावे अस कही श्रीपती कंथ लगावे
18:03सरकादिक ब्रह्मादि मुनीसाग दारत सारत सहित अहीसाग जब बेर निकपाल जहादे कभी को बिद कही सकेकाग
18:17पवन पुत्र हनुमान जिस विनम्रता से यहाँ उपस्तित हुए थे उसे देखकर कौन ये मानेगा कि वो आपके प्राण रक्षक बन है।
18:45के स्री नंदन हनुमान का यही विनीद्भाव उन्हें महानता के सरवोच शिकर पर स्थापित की हुए है।
18:55इसलिए तो प्रिये हनुमान की हर कथा में उनके अतुलित पर बुध्धी प्रताप का वर्णन मिलता है।
19:05हाँ, मैंने भी प्रभुबग्ध हनुमान के कई प्रसंग सुने है।
19:14किन्तु आपके श्री मुख से हनुमान के था सुनने का आनंद तो अम्रित तुल्य है।
19:24हाँ, प्रभु, सुनाइए ना।
19:28आप सब संकट, मोचन, महाबली, हनुमान की अध्भुत जीवन नीला सुनने के लिए तिकनी मुझसुख है।
19:40यह देखकर मुझे बड़ा ही सुख मिल रहा है।
19:47और अब मैं आपको सुनाओंगा मेरे प्रिय हनुमान के जन और बाले काल से लेकर आज तक की सुनी, अंसुनी, सारी कता।

Recommended