Goddess Parvati's fury brings cataclysmic events upon the entire universe. Lord Vishnu and Lord Brahma urge Goddess Parvati to keep herself calm and await Lord Shiva at Kailas. Lord Vishnu assures her that she will bring Lord Shiva back from Gajasur's captivity. Later, at Kailas, Goddess Parvati moulds a human figure from mud.
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00:00बिना हर्ता श्री गडेशा श्री गडेशा श्री गडेशा श्री गडेशा
00:05समशक्ति मान गजाशुर बन गया हूं मैं
00:18अमाल
00:19हाहाहा
00:49सबस्सार इंग
00:57झाल
01:03पड söंक्दर
01:09कि इंग
01:17करप्या शान्त हो जाए
01:47देवेश्री त्याग दीजी अपने क्रूत को
01:54आपका ये उग्री रूप नहीं सह सके गाए संसर
01:59घोर विनाश होग निर्दोशों के प्राण जाए
02:03आप शिष्टी के इस विनाश को बचा लीजे
02:06देवेश्वरी इतने कफोर तबस्या के पश्चात आपको संतान प्राप्टी का वर्दान प्राप्थ हुआ है
02:13अपने जीवन की इस नवी और शुब यात्रा का प्रारम यूप्रोध और विनाश के आधार पर मत कीजिये देवी
02:20दीरच रखी देवी वचन देता हूं है गोलिनाथ को अवश्य ही लोटा कर लाओंगा
02:28जहां क्रोध है वहाँ प्रेम के लिए कोई स्थान नहीं जहां प्रेम नहीं वहाँ नए स्रीचन संभव में है
02:37हे देवी अपने रिदय को प्रेम से भग कर अपने जीवन के इस नए अध्याय का स्वादव कीजिए
02:44देवी पार्विती जगत के पालनहार श्रीहरी अपना वचन अवश्य पूर करेंगे
02:51आपको शीगरी ही भोलेनाथ का सानेध्य प्राप्त होगा
02:55सुखद मिलन समीप है कृपया अपने क्रोध को त्याग दीचे देवी इतने समय बाद आप अपने स्वामी से क्या इस क्रोध में भीट करना चाहेंगी
03:25यह लीजे देवी पार्वती इस लेप से मंगल स्रान कीजिये और श्रेंगार कर अपने स्वामी की प्रतीक्षा कीजिये
03:55अपने पुत्र की शुब कल्प ना कीजिये देवी क्योंकि इस ब्रह्मान में कौन है जो भोले नात को हानी पहुचा सकता है विश्वास रखिये मेरे स्वामी आपके भोले नात को अवश्य ले आएंगे
04:25पारवती लाओ हम तुम्हारी सहाइता करते हैं
04:55हा सक्षी तुम चिंता मत करो नहीं सक्यूं आज मैं कांत में ही स्मान करना चाहती है
05:03जब तक पुत्रकार ठीके अपने कर्तववे को निभा कर लॉट नहीं आता।
05:05जब तक पुत्रकार दिके अपने कर्टब्वे को निभा कर लॉट नहीं आता
05:30आपको एक और पुत्र का सुप राप्ध होगा
05:34पिताश्री आप मुझे भी एक बचन दीजिए
05:38कि मेरा अनुज मेरी ही भाती होगा
05:40हम सभी को हर्शित करेगा बुट्र
05:42कर्पना में माता के छड़ी है एक प्यादी
05:51रचने लगी उंगलियां चबी चित्र मनोहारी
05:58भावना के रंगों से उसको समारे
06:05मंता के दे सिमा उसको पुकारे
06:12माता के मन को क्यूं मुखाक्रती तो है
06:16किन तु नेत्रों नेत्रों के बिना मेरे मुख पर
06:22तुम्हारे लिए मेरी समी को कैसे देख सकोगे
06:25और मुख के बिना तुम हसो के कैसे
06:36जो स्वादिश पक्वान मैं पकाऊंगी उसे खाओ के कैसे
06:42अरे मैं तो तुमसे प्रशन ही किया जा रही
06:49किन तु भूली गई कि कान नहीं होंगे
06:54तो तुम मेरा स्वाय कैसे सुन पाओगे
06:57ये तुम्हारी नाक
07:06हिदे नहीं होगा तो मेरे मन में तुम्हारे लिए
07:10अपार्सने को कैसे जान पाओगे
07:12किन तु हिदे के लिए तो तन चाहिए
07:15बुजाओं के बिना मेरा स्वर्श कैसे करोगे तुम
07:23और पाओं के बिना मेरे बुलाने पर दौड के कैसे आओगे
07:28अब ये तो बतां कि मुझे मा कहकर कब पुकारोगे पुत्र
07:41प्रभू मुझे एक ऐसी संतान का वर्दान दीजी
07:49जो ब्रह्मदेव की तरह ज्यानी है आप ही की तरह तेजिस्वी और निपुन है
07:56और मेरे स्वामी महादेव के समार, निर्मल और स्नेही हो
08:02अर्थात्रीमूर्थी के समस्क गुण हो उसमें
08:06तथास्तु वो मेरा पुत्र होगा शुप्ता का प्रतीक
08:13मैं अधीरता से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही हूं पुत्र
08:18कब आओगे संसान में तुम्हारी अपनी संपून शक्ती से
08:31मैं तुम्हें आशीश देती हूं पुत्रु
08:42अब तुम यहीं विश्राम करो, मैं अभी आई
08:46अम गजानना या नमाहा
08:53अम नंको या नमाहा
08:59अम शुर्पकर्ना या नमाहा
09:05अम पिंगानना या नमाहा
09:14जैदेव जैदेव
09:21जैदेव
09:23जैदेव
09:28जैदेव
09:30जैदेव
09:31जैदेव
09:32जैदेव
09:33जैदेव
09:34जैदेव
09:35जैदेव
09:36जैदेव
09:38जैदेव
09:39जैदेव
09:41जैदेव
09:44जैदेव
09:46यह जाच �donौ दाशन अने मरु तरशन देक है आतार शेजर शेष्णन वर्फपन मोर् propor
10:05मुट उसे पक्रशन, यह दूर जाच वियरं, खो दिश नंत मंति शेज एज भृट उने एकान, कि ने पष औरे श्जयर्च जांति
10:09burnt
10:10माँ
10:15माँ
10:20माँ
10:26माँ
10:28माँ
10:30माँ
10:48मीठी मीठी है वचन और चित चोर है छवी
10:52मुक्षशी समान है ललाट पे बसे रवी
10:58खुल दो ये अरुण अधें, चलो के तोड़ दो ये मान, बस ये बता मुझको तुम हो कान, तुम हो कान
11:09बस ये बता मुझको तुम हो कौन तुम हो कौन
11:15तेरा ही मैं अंशिरू तेरा ही स्वरूप हूँ
11:28पेज तेरे भाल का मैं तेरे मुख की धूप हूँ
11:33तु है रचना का मिरी मैं हूँ तेरे अनुकृती
11:38जज से बा रहा हूँ माता मम्दा की अनुकृती
11:55मा, मैं आपकी सेवा करने आपको सुख देने आया हूँ
12:00आपकी संतान मात्र आपके लिए ही नहीं
12:09वो तो समस्च जगत के लिए उफार सो रूप होगा
12:14मा, हमारे पुत्र को शिकर ही प्रस्थान करना होगा
12:20क्या हूँ मा, आपके मुख पर ये चिंता कैसी ये मुझे बताइए मा, अपनी चिंता का कारन इस संसार में ना आपकी सभी चिंताओं को हरने ही ताया हूँ
12:30मा, आपके मुख पर ये चिंता कैसी मुझे बताइए मा, अपनी चिंता का कारन इस संसार में ना आपकी सभी चिंताओं को हरने ही ताया हूँ
12:43रहने दो पुत्र, अपनी इस मा का दुख जान कर तूं क्या करोगे?
13:07मा, मुझे बताइए मा, मैं आपके सभी दुख मुटा दूँगा
13:11पुत्र
13:12मुझे तो एक ही दुख है, मैं जिन पर भी अपना स्मेन उचावर करती हूँ
13:20वो सब भी मुझे छोड़ कर चले जाते हैं
13:24स्वामी कहा ने?
13:27माताब प्रभू तो ये रहे
13:41अपने अपने दाइत्व निभाने में व्यस्त हो जाते हैं
13:46तुम भी मुझे छोड़ के चले जाओगे
13:50मैं फिर दुखी हो जाओगे
13:52मा मैं आपको छोड़ कर कभी कही नहीं जाओगा
14:12सदा आपके साथ ही रहूँगा
14:14मैं ये वचन देता हूँ
14:16मा फिर दोड़ा
14:36लाओगे
14:42मा को जाओगे
14:44आई मा
14:51मैं ये मा का आचली मेरा संपूर्ण संसार है
15:14आओ मेरी आचल के छाओ में समाज़ों आओ
15:44आज मुझे अपने मात्रत्व की पूंता तक सुखत आभास हो रहा है
16:11आप तो भुलेनात के सुभाव से परिचित है ना दिवी पारवती
16:15उन्होंने अपने भग्त गजासुर को सदै उसके उदर में स्थित रहने का वर्दान दिया है
16:21स्वामी
16:22किन्तो स्वामी
16:27आपके बिना मेरे सुखी गागर कैसे भड़ सकती है
16:31आपके बिना तुम्हे अधूरी
16:35फिर मेरे सुख कैसे पूंड हो सकता है
16:41आप कहा है स्वामी
16:45कर्जारी इस्वामी
17:04भेश्वजेता महिस्साउर पूंड
17:07काझासुर हुमे
17:09कि भुखा में प्रदेश कर हमें प्तारफा करना ये थुष्ष्ष
17:25गजासुर के प्रकोप से निस्टेश हो जाऊँगा
17:32मेरी भाईयो के वेप को बारत कर दे रहे घजासुर
17:34जाहकर अपे रक्षा करता हूँ
17:37कि आ कि आतुए के मैं अन से पूनें एक दशार इसी किसी देबcticamente시계 sparkly अएकर के आहिए शोलिए हुए。
17:53जय कि आसे ही श्रुभान जाते हैं कि ल tendency हम में जागा Däran सुप आपनेे,
17:57में पूनतुए माध्यां औरेने हुए जल में ने ने ऐाया घार,
17:59तुम देवताओं की महीमा तुमिल कर दी गजासुर ने
18:06देवताओं मेरे पंधन से आप तुम्हें कोई मुक्त नहीं कर सकता
18:15मेरा सुझाओ मान ले गजासुर और हमें मुक्त कर दे क्यों आपने भाग्य को चुनोती दे रहा है
18:22एंद्र वास्तविक्ता का सामना कर मेरी शक्ती ही मेरा भाग्य है
18:30हम मेरे आतंक से कोई मुक्त नहीं समस्त लोकों का आदेपत्य प्राप्त करने से अम मुझे कोई नहीं लोख सकता
18:52तुम यह क्या कर रहे हैं अभी बताता हूं मा मा वैसे तो मेरी मा का सौंदर्य समस्त संसार में अपुर्व है किन्तु यदि आप अपने केश में यह फूल जड़ने तो आपकी सुन्दरता और भी बढ़ जाएगी
19:14तुम्हारा ये प्रेम भरा आग्र मैं कैसे अस्विकार कर सकती हूं पुत्र
19:31यह क्या कर रहे हो पुत्र मैं क्या कर रहा हूं माता
19:36यह लिजिए
19:43बाल विनायक पुत्र का अर्थ बताने आया
19:55दिगन के बादल मा के मन से मिटाने आया
20:02आग्याकारी माता का बसमा खो जाने
20:08माता की आग्र पुत्र मैं तुम्हें भूजन कराती हूं
20:14मा तनिक रूकिये मा क्यों अब क्या हुआ पुत्र आप अपनी पायल पहने बिना बाहर नहीं जा सकती मैंने अपके लिए यह पायल चुनी है
20:29कहां यहां
20:33लाव पुत्र मुझे दो मैं पहन लेती हूं नहीं मा आप अनुमती दे तो मैं अपने हाथों से पहना दू आपके चर्ण स्पर्ष्ट से मुझे आपका आशीश भी प्राप्थ हो जाएगा
20:46धन्यवाद मा
21:03अईश मान भवबभुत्य देवाद
21:16कैसी तेनी अस्तथी होग यह हम देवताओं की मैं देवराज हिंद्र लजज़त हुम देवताओं की एसी दुरकती पर
21:29अब हम क्या करेंगे देवराज इस कजाशन के पर्दल से कैसे मुक्ती पाएंगे हम
21:33महराज गजा सुर्की जे!
22:03देवगर्ण मुझे आशा है मेरे आसुर्ट तुम्हारा उचित ध्यान रख रहे हैं
22:24देवराज इंद्र सरवत्र संधार किया है मैंने सब पर विजय प्राप्त किया है
22:36और जो सत्य संपूर संसार में उजागर हो चुका है उसे तुम भी स्विकार करो
22:42अपने मुख से कह दो कौन है तुरी लोग का अधिपती
22:49नज्जावश शब्द नहीं निगल रहे हैं मुख से
23:04हffattis
23:23मैं आप जो सफद्दान
23:24सफदान
23:27आवच तुमने हम देवताओं का परास्त किया है
23:29आवच तुमने हमये बंदग कुनाए ह।
23:32तुम्हारी शक्ति केवल एक नन्य बालक के समान है
23:37वो बालक जो अभी अभी चलना सिखा है
23:41तुम्हारे इस कथन से तो मैं मैं भी बैभीत हो गया
23:56मैं मैं भीत हो गया
23:59प्रसी जल गई
24:06किन्तु बल नहीं गया
24:10तृदेव कहा है तृदेव
24:19बताओ
24:22इतने ही शक्ति शाली है तो तुम देवताओं को
24:33मुक्त कराने यहां जो नहीं आए सत्य तो यह है कि
24:41प्रसी करता प्रमदेव उनकी आयू को ध्यान में रखकर मैं उन्हें
24:48का कारे करने दे रहां किन्तु वो दूसरा त्रिलोकी वो कप्ती विश्णु एक बार मेरे हाथ आजाए
25:06तुमें उसे मसल कर रख दूगा असल कर रख दूगा ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे और शेश बचे महादेव
25:18उन्हें लेकर तो सभी व्यतित हैं कोई नहीं जानता वो कहां है
25:28देखता हूँ अब कोन आता है इनके संकठर ने
25:42मैं आ गया हूँ सबकी विगनहर में
26:00एक छोटी सी जलक पा लेने से उस दिव्य बालक को भला क्या चती पहुंच सकती
26:14शनी देव
26:17आपकी दृष्टी से इस बालक को होने वाले अनिष्ट की कलपना ही मुझे व्यतिक कर रही है
26:24किसी को भी बीतर जाने की अनुमती नहीं है
26:26कौन हो बालक
26:28रक्ष्य कुयागा