A worried Goddess Parvati tells Lord Shiva that the portrait of the child she drew has somehow become disfigured. Lord Shiva assures Goddess Parvati that the image is a reflection of what is awaiting her in the near future. When Lord Shiva informs her that they will have a second child soon, Goddess Parvati asks him about the promise he had made to the Devas.
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00:00बिन्ना हर्ता श्री गडेशा, श्री गडेशा, श्री गडेशा
00:05ये, ये क्या हुग है?
00:30प्रिये, स्वामी, स्वामी, मैंने, मैंने एक शिशु की आकरिती देखी, जैसे वो मेरे साथ लुका चुपी खेल रहा हूँ, फिर मैंने उसे चित्रित करना प्रारम किया, उससे एक प्रकाश निकला, और ये,
01:00प्रिये, प्रकाश चीवन का ही तो प्रतीक है, वो प्रकाश जो आपके चित्र से निकला, वो आपके इच्छाओं का ही साकार रूप था,
01:21जो आपको अपनी एक छोटी सी जलक दिखला गया, जैसे आप उसे पाना चाहती हैं, वैसे ही वो भी आपके पास आने के लिए व्याकुल है,
01:31आपको समर्ण है न, मैंने आपको एक और पुत्र का परदान दिया था, जब तक पुत्रकार थी के, अपने कर्टब्वे को निभा कर लॉट नहीं आता, आपको एक और पुत्र का सुपर आप्थोगा, आपकी कामना ने आकार लेकर आपको अपना आभास कराया है।
01:55त्रिये, संसार में कुछ भी बिनाकारण नहीं होता, चिंता त्यागिये, आपकी ये बिगड़ी विकृती भी,
02:24निकट भविश्य में आपकी इच्छा पूर्ती का ही शुप संकेत है।
02:31स्वामे, मेरी इच्छा पूर्ण होगी।
02:45ये कैसे संभव है।
02:50देवताओं को दिए आपके वचन का क्या होगा।
02:54हमें आश्वस्त कीजिए हे दयान इधान, कि आपके और माता पारवदी के संयोग से, कभी भी कोई भी संतान जन नहीं लेगा।
03:05हमें कैसे प्राप्त होगा हमारा पुत्र।
03:08ओ मा, आशा ही जीवन की दिराशाओं को दूर कर भविष्य की शुप संभावनाओं के त्वार खोल देती है।
03:17जिस परकार हमें कार्थिक के प्राप्त हुआ, वैसे ही दूसरा पुत्र भी होगा।
03:26किद्धू, उसके लिए आपको कुछ विशेश करना होगा प्रिये।
03:38क्या करना होगा स्वामी, देवता को दिये आपके वच्चन से कैसे मुक्ती मिलेगी।
03:44पुन्यक प्रथ।
03:47संभव है दिविश्वरी।
04:17आपको पुन्यक व्रत कर, श्रीहरी को प्रसन करना होगा।
04:21क्योंकि श्रीहरी तो निराशा की अतल सागर से भी आशा के मूती चुलनाते हैं।
04:31असंभव को संभव बना देते हैं।
04:34किन्तु स्वामी, श्रीहरी विश्णु तो मेरे भ्राता है।
04:38मैं उनसे जो मांगूंगी, वो सहजी प्रदान कर देंगे।
04:42फिर किसी व्रत की क्या आवशकता है।
04:45सत्य है।
04:47किन्तु संसार में कुछ भी प्राप्त करने के लिए कठोर साधना करनी पड़ती है।
04:53आपका ये व्रत संपूर्ण श्रिष्टी के सामने एक उधारन होगा।
05:00यदि यही आवशक है, तो मैं पुन्यक व्रत अवश्य करूंगी।
05:07किन्तो पुन्यक व्रत लंबी अवधी की कठोर साधना से ही संपन होता है पारवती।
05:13ये व्रत आपको अकेली ही करना होगा।
05:16इतने लंबे समय तक मेरे साथ से वंचुत रहने का कश्ट उठा सकेंगी अप।
05:29मा?
05:31आपसे दूर रहने का कश्ट तो असेनिया होगा स्वामी।
05:41किन्तो कुछ समय तक आपसे दूर रहकर जीवन भर अपने पुत्रे का साथ तो प्राप्त कर सकूंगी मैं।
05:48यदि पुन्यक व्रत के लिए ये आवश्यक है तो ये भी सहूंगी मैं।
05:55नारायन नारायन इंद्रदेव।
05:59नारायन नारायन
06:04मा पार्वती को करने दीजिये पूजा।
06:11आपका संकट है दूजा।
06:15शिव शंकर का वचन कभी असत्य हुआ है।
06:19मैं भी उनीके दिये वचन के विश्य में सोच रहा था देवरिशी।
06:23खला, भुलेनत का दिया वचन असत्य कैसे हो सकता है।
06:28किन्तु, माता पार्वती का भ्रह्म में सहवश्य टूटेगा।
06:33नारयन, नारयन, इंद्रदेव।
06:38उदर देखिए, इंद्रदेव।
06:40जो वर्दान मांगने जा रा है अपने तपक बना कर सफल।
06:45महा संकट खड़ा हो जायेगा देवताओं के लिए।
06:49यदि मिन गया उसे वर्दाण का फल।
06:52नरैं, नरैं।
06:55फड़ को चाहल वको पता कर दो हंग
07:08पाओ क्वार को ऑना शो है
07:17अर अर खी कि अर यह शो है
07:23हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ
07:53सबस्क्राफ शरग criticism
08:02सबस्क्राफ मोच अलय को है
08:04यहार!!
08:18माईशा सुर्पत्र गजा सुर्की
08:22माईशा सुर्पत्र गजा सुर्की
08:25माईशा सुर्पत्र गजा सुर्की
08:28माईशा सुर्पत्र गजा सुर्की
08:31माईशा सुर्पत्र गजा सुर्की
08:34माईशा सुर्पत्र गजा सुर्की
08:48प्रिचत वाथ पूफड़ से वाद़िय है थादो अज़ को अप्राइब से अरो जादो लादो
09:18पाइशा सुर्पोत्र गजासुर्गी
09:32पाइशा सुर्पोत्र गजासुर्गी
09:48पाइशा सुर्पोत्र गजानों
09:58प्रसन करूंगा
10:28आपका क्रपा पात्र बनूंगा
10:32फेवता भे मुझे त्रिलोक विजेता बनने से ना रोक सकें
10:36ऐसा वर्दान देने के लिए आपको बात्र गर दूंगा प्रभू
10:58प्रजेते वतानों के साथ मिल कर इसकी तपस्या को रोकना ही होगा
11:12जग की जो जननी है पूत्र के लिए उन्यक व्रत करने संकल्थ हैं लिए
11:26उक्त्याग तैयारे कर रही कठो कष्ट बोध भूली भाव से वैविबोर
11:34भूमी पे सोये माप्रबंध सब किये स्वयम लाए नीर फल सुमन हरी लिये
11:43अरुणो दैजाग शुत्ति कर्म में लगी प्रत है तू श्रिंगार माता कर रही
11:51यूम involved आपाय ढखे किये बरेई बिल्क सिंधिद दाय विद तू फल संत्वत शयो पोचे देग अल मुद शीष
12:10सक्खी पार्वती, सनत कुमार पधार चुके हूँ
12:40सक्षेकार समय और चुके हूँ
13:10नमा शिवाई
13:21ओम नमा शिवाई
13:28नमा शिवाई
13:34गजासोर कतब दबल होता जा रहा है
13:36इस प्रकार तो इम्हादेव का बर्दान प्राप्त कर
13:39हमारे लिए महाद संकट कर रूब ले ले
13:41दूरिदेव
13:43अगरिदेव
13:45चंद्रदेव और वालदेव
13:47हमें गजासोर के तब को तो ना ही होगा
13:49आपकी ये चिंता में बल भरत दूर किये देता हूं कि ये उगा जिंद्र
13:53मेरे प्रभाव से तपने लगेगा ये गजासोर
13:57आपकी शिवाल
14:11आपकी शिवाल
14:13तरंनी देव विफल हुए
14:19इंतो मेरा तेज कभी विफल नहीं होता
14:21मेरे तेज के समक्ष
14:23सुरक्षित नहीं रह पाएगा गजासोर
14:25छित नहीं रह पाएगा गजासुर।
14:45वेवकण।
14:46इससे पहले की गजासुर।
14:48और भी शक्तिशाली बन
14:50हमारी महिमा को चिन्न भिन्न करें।
14:52उसके पूर।
14:54हमें अपने सारी शक्तियों को एकारिट करें।
14:56इसके तब को सफल होने से रोकना होका हमें।
15:04आंप् gainingone jij
15:09ड facto
15:10o
15:14शेवाओ
15:18शेवाओ
15:20शेवाओ
15:25शेवाओ
15:34शेवाओ
15:36शेवाओ
15:38यह कैसे समभव है
15:39देश ता होकर भी हम उस कचासुर को उसके तब से अधिकानी पाए
15:43ओन्नमा शिवाद
16:13का उपाई किये देती कैलाश के रक्षक महादेव के वाहन सौमिन और बल्वान आईए नंदी
16:23प्रणाम माता आपने मुझे यहां बुलाया नंदी मैं तुम्हें अपने व्रत स्थल की रक्षा का दायत्व देती हूं
16:50मेरा व्रत पून होने तक यहां किसी का प्रवेश नहीं होना चाहिए
16:55किसी का से मेरा अर्थ है यहां कोई नहीं आना चाहिए
16:59जो आज्या माता आपने श्चिंत रहें आपके व्रत में मैं कोई भी बाधा नहीं आने दूगा यहां कोई प्रवेश नहीं कर सकता
17:08इसकी पैल बुद्धी इतना स्पष्टा आदेश समझ सकेगी
17:16माता पारवती सूर्य देवदा उदित हो चुके हैं
17:29दिवस का प्रारंब हो चुका है
17:31आपके वरत के आरंब का शोब महुरत समीब है
17:34हमें पूजा के लिए अपना स्थान गरहन करना चाहिए
17:36आपके शोब अप्रांब करना स्थान
17:58एम अना मम अपऱड़िवा सुटर्त गाय
18:03आम नम भग्वादिवा सुथिवाए
18:33मैं तुम्हें अपने व्रत्स्थर्ण की रक्षा का दाइत को देती हूँ
18:57मेरा व्रत पून होने तक यहां किसी का प्रवेश नहीं होना चाचाचा
19:01किसी का से मेरा अर्थ है यहां कोई नहीं आना चाहिए
19:05मेरा व्रत पून होने तक यहां किसी का प्रवेश नहीं होना चाहिए
19:20आम आम अग्वादेवा सुथे भाई
19:24आम आम अग्वादेवा सुथे भाई
19:29आम आम आम अग्वादेवा सुथे भाई
19:34रभू रभू वो माता ने रभू तो रुके ही नहीं अब माता के पुन्यक फृत का क्या होगा
19:59मैं शिव शंकर की अर्धांगिनी पार्वति आज संकल्प लेती हूं की
20:10छमा करे माता नंदी आपको दिये अपने वचन को निभा न सका
20:29प्रियाँ
20:41क्यूं
20:43क्यूं
20:51क्यूं
20:52जिस प्रकार हमें कार्दी के प्राप्त हुआ है, वैसे से दूसरा पुत्र भी हुआ।
21:09क्या करना होगा स्वाम?
21:11पुन्यक प्रत्थ
21:14यदि यही आवश्चक है, तो मैं पुन्यक प्रत्थ अवश्य करेंगी।
21:20किन्तु पुन्यक प्रत्थ कहीं दिव्यवर्शक गठोर साधना से संपन्पत है।
21:25यह तो अनर्थ हो गया। भंग हो गया आपका प्रत्थ।
21:41आप तो संकल्प मात्र भी पूर्ण नहीं कर सकी।
21:44तो लंबी अवधी का व्रत कैसे पूर्ण करेंगी देवी पार्वती।
21:51आपने भीतर कैसे प्रवेश किया स्वामी।
21:57मैंने तो नंदी को आदेश दिया था कि मेरा व्रत संपन होने तक वो किसी को भी यहान आने दे।
22:02नंदी मेरे प्रतीनिश्ठावान, मेरा वाहन, मुझे कैसे रोख सकता है प्रिये।
22:08मेरे विश्वास को खंडित कर दिया नंदी मैं समझ गए कि स्वामी के समख्ष उसके लिए मेरे आदेश का कोई मोल्य नहीं है।
22:19आज मेरे व्रत के आरम का शुब मूरत बीद गे। मेरा व्रत आरम होने के पूर्व ही खंडित हो गे।
22:26मुझे शमा करना प्रिये। भूल हुई। मैं वचन देता हूँ। अब मेरे खारण आपके व्रत में कोई भी गड़ नहीं होगा।
22:45आरम में ही व्रत का खंडित होना क्या ये इस बात का संखेत है कि मेरे दूसरे पुत्र पाने की कामना कभी पूर्ण नहीं होगी।
22:53प्रभू, मुझे एक ऐसी संतान का वर्दान दीजी। त्रिमूर्ति के समक्ष गुर्मोसरे।
23:10तथास्तु।
23:12प्रीजी।
23:14आरम में पुल्ट
23:17प्रीजी।
23:20अट्रीजी।
23:23प्रुट प्रुट प्रुट प्रुट