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Mother's Day 2025: मदर्स डे (Mother's)के मौके पर वनइंडिया ने गोरखपुर रत्न अवार्ड से सम्मानित महिला उद्यमी संगीता पांडेय (Sangita Pandey) ने खास बातचीत की । जिन्होंने खुद अपने संघर्ष की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कभी आर्थिक तंगी से जूझते हुए आज ये सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। संगीता (Sangita Pandey)ने महज 1500 सौ से कारोबार शुरू किया था। शुरू में ये साइकिल पर लादकर मिठाई के डिब्बों को दुकानों पर पहुंचाती थीं। आज इनका अच्छा खासा कारोबार है। अपने तीन बच्चों को अच्छी परवरिश और ऊंचा जीवन स्तर मिल सके इसके लिए संगीता पांडेय (Sangita Pandey) ने काफी संघर्ष किया। संगीता पांडेय (Sangita Pandey)पहले खुद आत्मनिर्भर बनीं ,अब ये बच्चों को आत्मनिर्भर बना रही हैं, साथ ही तमाम महिलाओं को अपने रोजगार से जोड़ चुकी हैं,इसीलिए महिलाएं इन्हें 'मां ' मानती हैं।

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~CO.360~HT.318~ED.110~

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00:00बड़ा कठीन होता है एक मां के लिए अपने बच्चों को छोड़ के किसी भी छेत्र में काम करना जब मेरी बेटी छोटी थी तो मैं जब निकलती थी बाहर तो मैं अपनी बेटी को छोड़ के जाती थी
00:14मैं आमूनन अपने घर परिवार का सारा काम खतम करके ग्यारा बजे एक रेंजर साइकिल से जोले में सेंपल लेके मैं मार्केटिंग के लिए निकलती थी
00:24वो मेरे कपडों से लिपट के लेटी रहती थी और जहां मुझे देखती थी मम्मा मम्मा करके दोड के आती थी और मैं उसको अपने कलेजे से लगाती थी कहीं न कहीं मुझे भी बड़ा दर्द होता था
00:38मुझे मालूम है मा की दुआएं साथ चलती हैं सफर की मुश्किलों को मैंने हाथ मलते देखा है
00:49मदर्श डे पे वन इंडिया हिंदी परिवार की तरफ से सभी माओं को शलाम
00:53आज आपने बहुत सारी कहानिया सुनी होंगी माताओं के शंघर्ष की एक ऐसी ही कहानी हम आज आपको सुनाएंगे और उस मात से आपको बात कराएंगे
01:06जिसने अपने जीवन में कई संघर्ष किये, काफी त्याग किया और कई मुश्किलों का सामना करते हुए
01:14खुद तो वो मजबूत बनी ही आज अपने बच्चों को एक बहतर मुकाम दे चुकी है
01:22और गोरपुर ही नहीं गोरपुर्वान्चल और प्रदेश की बात करा है
01:27तो महिलाओं के लिए वो एक प्रेंडा का जीता जागता श्वरूप भी है
01:32हम बात कर रहे हैं गोरपुर की महिला उद्यमी गोरपुर रत्न अवार्ड से सम्मानित उद्यमी संगीता पांडे जी की
01:42संगीता पांडे जी ने जब अपने बिजनेस की सुरुवात की अपने सपनों को उड़ान देने की कोशिश की
01:51उनके पास उस समय महच 15 सो रुपय थे बात करें अगर परिवार में उनके पती और बच्चे भी थे बच्चे काफी छोटे थे गोध में थे और उस समय एक मा के लिए सबसे कठिन समय होता है
02:08कि अगर वो किसी बिजनेस के लिए या किसी व्योशाय के लिए अगर घर से बाहर निकल लही है तो बच्चों को किस तरीके से देखना है बाहर कैसे देखना है एक काफी जटिल समय होता है काफी कठिन समय होता है
02:24आज बात चीत इस पर करेंगे कि मैम ने किस तरीके से किन मुश्किलों का सामना करके और कैसे एक जो बुलंदी कहा जाता है जीवन में, किस तरीके से बुलंदी हासिल की, कैसे बच्चों की परवरिश की, इन सारी चीजों पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे, स्वागत असम्
02:54आई हूं कि हर प्रतिभाओं पर हर मुश्किलों पर हर छेत्र में इसकी चर्चा होती है और हर आम आदमी के जन्जीवन को वो प्रभावित करते हैं और जहां तक निखाने की बात है बताने की बात है यह भी वन इंडिया टीवी करती है तो मैं पहले अपने वन इंडिया टी�
03:24इसको हर मां हर परिवार और हर बच्चों तक पहुंचे और वो मां के संघर्षों को जाने मैं जब 2013 में आपने अपने काम की शुरुवात की उस समय आप सुरुवाती जो समय रहा उसके बारे में थोड़ा सा बताईए किस तरीके बच्चे बच्चों के बारे में बताईए
03:54कि� 풀 मैंने अपने काम की खुरुआत की बड़ा कठीन होता है एक मा plano अपने
04:14बच्चों को छोड़के किसी भी छेत्र में काम करना कहीं न कहीं उनको अपने बच्चों को जो चीज देना चाहिए कहीं न कहीं उसमें कटवती करके और अपने
04:26चैन सुकून को दाव पे लगा के तभी वो आगे बढ़ पाती है और अपने परिवार और बच्चों के लिए कुछ कर पाती है
04:35मैं एक बड़ा कठीन समय होता है उस समय आपने स्टार्ट किया और उस समय जो कहीं न कहीं समय और परिस्तिती भी विपरीत ही कहे जाएंगे आपके उस समय थे
04:45कैसे बच्चों को मैनेज करती थी कैसे काम बाहर मैनेज करती थी इसके बारे में थोड़ा सा रहता है
04:50जब मेरी बेटी चोटी थी, तो मैं जब निकलती थी बाहर तो मैं अपनी बेटी को छोड़ के जाती थी
04:59और जिसके लिए मैंने मेरी छोटी सी ही बेहन थी वो भी नौ-दत साल की ही थी
05:05तो जितने देर तक मैं बाहर रहती थी, वो मेरे बच्चों का ध्यान रखती थी, मैं आमूनन अपने घर परिवार का सारा काम खतम करके, ग्यारा बजे एक रेंजर साइकिल से जोले में सेंपल लेके, मैं मार्केटिंग के लिए निकलती थी, और जब मैं आती थी, चार, पा�
05:35लगाती थी, और मैं उसको अपने कलेजे से लगाती थी, कहीं न कहीं मुझे भी बड़ा दर्द होता था, कि जो समय मुझे अपने बच्चे को देना चाहिए, कहीं न कहीं मैं काम में लगा रही हूं, लेकिन ये सारा एक मा अपने बच्चों के भविश्य के लिए ही करती ह
06:05इसके लिए अगर पती पतनी दोनों काम करते हैं, तो बच्चों का भविश्य उज्वल होता है, तो हर मा का संघर्स अपने बच्चे और परिवार के लिए ही होता है, तो इसलिए मैं अपने बच्चे को छोड़के काम पे निकलती थी, और उस समय तो थोड़ी कटिनाई ह�
06:35और उनको अच्छा जन जीवल दे पा रही हो, तो इसके लिए त्याग मा को ही करना पड़ता है, और ये फैसला भी मा को बहुत कटिन ये फैसला होता है एक मा के लिए, लेकिन कहीं न कहीं ये फैसला भी मा को लेना चाहिए, और इससे बच्चे का भविश्य उज्वल होता
07:05तो अगर हम अपने आपको साबित कर देते हैं, अपने कारे छेतर में निकल जाते हैं, तो हमारे परिवार का भी सपोर्ट धीरे धीरे पढ़ने लगता है, और इसलिए मैं हर मा से कहना चाहती हूँ, कि मा से बड़ा उपहार बच्चों के लिए कोई नहीं होता है, लेकिन एक
07:35मा अपने बच्चों के साथ जो कामकाजी माएं हैं, उनको तो थोड़ा संघर्स करना ही पड़ता है, और वो सारा संघर्स अपने बच्चों के लिए ही करती है, और उसका जो पैसा है वो बच्चों की सिच्छा दिच्छा में, उसके जन जीवन में ही खर्च करने में एक मा
08:05रही है लेकिन ये एक बच्चे को भी समझना बहुत जरूरी है कि मां कहीं न कहीं अपनी नीद काटती है अपना पेट काटती है तब जाके बच्चों की परवरिष के साथ उसको अच्छे सिच्छा दिच्छा दिला पाती है
08:21कभी इस दौरान आपको लगा कि मुझे या तो बिजनेस अपना बच्चों के लिए छोड़ दें या बाहर जाते हैं समय नहीं देपाते हैं उतना तो कभी एक द्वन्द तो मन में चलता रहा होगा इसके बारे में इस द्वन्द के बारे में थोड़ा सा बताई ये द्वन्�
08:51मां का जो मन होता है जो आत्मा होती है जब बच्चे को रोते बिलगते देखती है तो उसको बहुत तकलीफ होती है तो कहीं न कहीं जब मैं घर से निकलती थी तो कुछ दिन तक तो मेरी पेटी बहुत रोई लेकिन धीरे धीरे उसको भी लगने लगा कि मेरी मां काम से निक
09:21काम करने निकलते हैं तो बच्चे भी समझ जाते हैं कि हां हमारी मां इतने समय तक काम करने बाहर जा रही है तो बच्चे भी आत्म निर्भर बनते हैं और द्वन्द युद्ध तब चलता है जब बच्चे भी लगते हैं और अपने शरीर को कठोर परिश्रम करना पड़ता है
09:51में नहीं करना चाहिए हमारा मूल काम बच्चों की परवरिस और परिवार का देख रेख है तो इस तरह के द्वन दियुद मेरे मन में भी तमाम आए मैं बैठी लेकिन मेरे मन की जो दिन इच्छा सकती थी काम करने की वह उसने मुझे कभी चैन्स बैठने ने दिया और इसलि
10:21परषनता में है तो되 आगे बढ़ना है तो इस से बड़ी खुशी एक मा के लिए और कुछ नहीं हो सकती उस
10:43का जो त्याग और परिश्रम था आज मुझे बहुत प्रसंदता दिलाता है मेरी मेरी बेटियां मेरे बेटे अच्छी सिच्छा ग्रहन कर रहा है हां थोड़े समय के लिए रोय बिलके जरूर लेकिन उनका भविश्य उज्वल हुआ जी आज मैं आपने अपने कारोबार की स�
11:13जो उत्तर प्रदेश से लेके निपाल और कई विहार तक आपका फैला हुआ है अगर इसमें आपने बच्चों की परवलिश में भी कोई कमी नहीं देखती है पढ़ाई आज बच्चे कहां से पढ़ रहा हैं और क्या कर रहा हैं बच्चों के बारे में थोड़ा सा बताई ह
11:43सर्विश हैं आज से वुश कण इप पढ़ ही और मैं उनको अच्छी सिछा दिल आ रही हुँ जैसा कि मैंने सोचा था और अगर मैं परिश्रम नहीं करती तो कहीं न कहीं में बच्चों को अच्छी सिछा नहीं दिला पाती जैसा कि हर मां के हिर्दे में यह होता है कि अपन
12:13अच्छा होता है और आज इसका अनुभव मुझे हो रहा है अब मैं कैसा लगता है आपको जो संगहर्स था जो आपने त्याग किया या जो सुलवाती दोर में बच्चों को तक्लीफ होई तो आप शकून लगता है कि बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर रहा है अच्छी जिल
12:43एक मा का त्याग करना चार घंटे छा गंटे दस एक चोटी सी बच्ची के लिए बड़ा पटिन होता है लेकिन इसमें हमारी बेटियों ने मेरे बेटे ने मेरा साथ लिया तब मैं यहां तक पहुंची और आज मेरे बच्चों को भी मुझे मतलब गर्व है और मुझे भी �
13:13कि उस से कहीं जादा भ्यान हमारा परिवार करम अपने बच् рублей पर होना चाहिए क्यों तो ﷺ हमारी जम्हपूजी परिवाते मों और सबसे पहला भ्यान पज्ज कर रहो हैं सबसे पहला भ्यान बच्रिवार परेजाना
13:26वो अपने बच्चों के लिए कर रहे हैं अपने बच्चों की सुख सुधा के लिए कर रहे हैं तो मैं यह जानती हूं कि सबसे पहला ध्यान बच्चों और परिवार पर एक मां देती है और कहीं न कहीं इसी वज़े से वह आगे भी नहीं निकल पाती है और अगर आगे निकल
13:56क्या कहना चाहिए मैं सभी कामकाजी महिलाओं से और सभी घरेलू महिलाओं से सबसे यह कहना चाहती हूं कि एक मां के लिए एक मां बनना ही बहुत बड़ा गौरव है और एक मां के लिए उसे बच्चों से बड़ा संपत्ति धन कुछ नहीं है तो मैं यह कहना चाहती हूं कि ह
14:26अपनी को पहचान देना कांगती है तो �夯हीं ना कहीं घ्र nous
14:32अपनी भी प्रतिभा को पहचान दे और बच्चों के साथ साथ वो खुद आगे बढ़े तो जब बच्चे बढ़े
14:39अपनी माँ पिता जी से और प्रिवार से ये बच्चे हैं तो मैं हर माँ से जिस भी छेत्र में उनकी इक्षा अगर वो에서 करना चाहती हम तो
14:50तो निश्चित ही निश्चय मन से आगे बढ़ें बात करने के लिए मैं बहुत बहुत धन्यवाद गुरपुर की महिला उद्यमी संगीता पांडे जी जिनके संघर्ष के बारे में उन्होंने खुद बताया किस तरीके से उन्होंने संघर्ष किया कैसे बच्चों की परवरि�
15:20उन्होंने माताओं से काफी अपील भी कि उनको किस तरीके से जो माएं हैं उनको आगे आके अपने सपनों के साथ कैसे बच्चों के और परिवार की परवरिश करनी है ये भी उन्होंने बताया अन्य खबरों के लिए आप देखते रहें वन इंडिया हिंदी
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