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Transcript
00:00एक स्कूल में होती थी मुर्गा दोड जिसमें क्या करते थे दो को अगल बगल खड़ा कर देते दोनों की एक एक टांग बांद देते थे और फिर उनकी रेस लगवाते थे
00:08अब बचारे दोड सकते नहीं और एक दूसरे से रेहा भी हो नहीं सकते और रेस भी पूरी करनी है
00:12बड़े एक टांग तेरी रहेगी एक टांग इस तेरी रहेगी और दोनों की एक एक टांग उपर बांद दी है
00:16इसको हम बोलते हैं कि देखो ये तो ग्रहस्ती की साइकल के दो पहिये हैं
00:20भाई वो फोर वीलर था
00:21जिसको तुमने टू वीलर बना दिया और बहुत खुश हो रहे हो
00:25कि दो पहिये हैं
00:26कोई पूछे कि तुम्हें कैसे पता कि ऐसे ही जीना चाहिए
00:29आपके पत कोई जवाब नहीं होगा
00:30आपको एक मानिता दे दी गई है न कि उपर वाला तो हमें जोडों में भेजता है
00:34और हम साथ जनम के लिए एक दूसरे के बने हैं
00:36आपको पता है ये वाद कितनी हिंसक है
00:38क्योंकि ये जो रोज-रोज का नर्क है घर के अंदर का
00:42वही हमें फिर मजबूर करता है पूरी दुनिया को नर्क बनाने पर

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