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Akshaya Tritiya Vrat Katha 2025: अक्षय तृतीया Hindu धर्म का एक ऐसा महत्वपूर्ण त्यौहार है जो पूरे India में Faith and devotion के साथ मनाया जाता है. वैशाख के शुक्ल पक्ष के तिर्तीया के दिन को अक्षय तृतीया के रूप मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन किसी चीज का क्षय नहीं होता इसलिए ये दिन खरीददारी के लिए एक शुभ दिन माना जाता है.


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~HT.410~PR.396~ED.120~

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00:00अक्षे तृतिया एक शुब दिन है और इस बारे में तो सभी जानते हैं और इस बार अक्षे तृतिया 30 अप्रैल को मनाया जा रहा है लेकिन अब इस जिन ऐसा क्या हुआ था जो इसे तिथी को साल के सबसे शुब दिनों में से एक माना जाने लगा
00:14आखिर इस पर्व की पराणिक कहानी और इतिहास क्या कुछ रही हैं आपको आगे की वीडियो में बताएंगे लिगनों से पले नवश्कार मैं सोतो शुपाइदारा बोल्ट स्काई देख रहे हैं
00:23अक्षे तिर्टिया की पराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था जो अपने परिवार के साथ एक छोटे से गाउं में रहता था वो बेहद गरीब था जिस कारण से हमीशा अपने परिवार के भरण पोशन की चिंटा रहती थी
00:37अब एक दिन मार्ग में उसने कुछ रिशियों को अक्षे तिर्टिया के महत्व का वर्णन करते सुना वो रिशी कह रहे थी कि अक्षे तिर्टिया बुद्वार से संयुक्त होने पर महान फल प्रदान करने वाली होती है
00:56अक्षे तिर्टिया के शुब दिन पर ही नर नारायन है ग्रिव और परशुडाम अवतार प्रकट हुए थे
01:02अब ऐसे में इस दुरलप संयोग के अवसर पर किये जाने वाले दान हवन पूजन आदी कर्मो का अक्षे फल प्राप्त होता है अता ऐसा फल जिसकी कभी समाप्ती नहीं होती है
01:12मैं रिशियो के मुख से अक्षे तिर्टिया का महत्व सुनकर वह वैश्य सोचने लगा किया तो अती उत्तम व्रत है अता मुझे इसका पुन्यलाव अरजित करना चाहिए
01:22अब इसके बाद अक्षे तिर्टिया पर्व के आने पर उस वैश्य ने सुबह जल्दी उटकर गंगा में सनान करके विदिव पुर्वक्त देवी देवताओं की पूजा की वरत के दिन सामर्त है नुसार उसने जल से भरे घड़े पंखे नमक गेहु गुड घी दही जो सत
01:52दे देगा तो परिवार का पालन पोशन कैसे करेगा लेकिन धर्मदास ने किसी की भी नहीं सुनी और उसने पूरी श्रद्धा से दान और पुन्य कर्म किये इतना ही नहीं उसके जीवन में चब्भी अक्षे तिर्टिया का पावन परव आया उसने हर बार धर्मदास ऐसा ह
02:22का वेश धारन करके उसके महायग्य में शामिल होते थे अब उसे अपनी संपन्दता पर कभी घमंड नहीं हुआ और वह प्रतापी राजा महान और वैभोशाली होने के बावजूद भी धर्म मार्ग पर चलता रहा माना जाता है कि यही राजा आगे के जन्मों में भारत के
02:52लापती जरूर होती है तो दोस्तों फिलाल इस वीडियो में इतना ही तो यही थी अक्षे तुर्तिया की पौरानिक कथा आपको यह जानकारी कैसे लगी कमेंट में लिख कर जरूर बताइएगा धन्यवार

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