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00:00चाए के बागानों से जाद आया तो
00:01जानते उसमें सिर्फ महिलाएं काम करती हैं
00:04क्यों सिर्फ महिलाएं काम करती हैं सोचा कभी
00:05बहुत कम पैसे दिये जाते हैं
00:07और 8-8-10-10 घंटे खड़े होके सिर्फ ये करना है
00:10उसको शिक्षा संसकारी यही मिला है
00:12कि बस खड़े हो के जो बोल दिया जाए करो वो करती रहती है
00:15पुरुष विद्रोह कर देगा वो पूरा पेड़ी उखाड़ देगा
00:18एक एक पत्ती तोड़ने में दुरगती हो गई है तो पूरे ही आजा
00:24उन महिलाओं के उसी श्रम के कारण हमें चाय सस्ती मिल जाती है
00:31उनको उनकी महनत का पूरा पारिश्रमिक मिले तो चाय महंगी हो जाएगी
00:36कई बार तो वो अपने उस टोकरे में अपना बच्चा डाले रहती है
00:38ये कोर्तो नमन करने का जी होता है कि वार एधीरज गजब का धैर है
00:44महिला में खासकर भारती है महिला में गजब का धैर है
00:48लगता है कि सर जुका दो दूसरी और बड़ा बुरा लगता है
00:51सहते जाओ, सहते जाओ, सहते जाओ
00:54मैं चीखने चिलने को नहीं बोल रहा हूँ, मैं मार पिटाई को नहीं बोल रहा हूँ
00:58और मैं वो भी करने को नहीं कर रहा हूँ जो महिलाओं का एक छोटा सा वर्गब करने लगा है
01:02कि पुरुषों पर फर्फरजी मुकदु में डाल दिये
01:04जो 491 आजकल आतंक चला है
01:07मैं इंसान बनने को कह रहा हूँ