Category
📚
LearningTranscript
00:00आज का मेरा परशन है सर की हमारे देश में क्रांतियां क्यों नहीं हो पाती है?
00:04क्रांति तो तब हो ना जब मैं कहूं कि मुझे मेरे ऊपर कोई चाहिए ही नहीं जो शोषन करता हो, राज करता हो
00:11तू रिलिजियस तू रिवोल्ट
00:13एक आत्मी है उसकी जिन्दगी बरबाद है पर फिर भी वो क्रांति में उठेगा नहीं, पूछो क्यों?
00:17क्योंकि उसने मान लिया है कि उसकी बरबादी उसके पूरु जनम के बुरे कर्मों की हो जैसे है
00:21क्रांति कैसे करेगा वो?
00:22भारत ही है जिसने सबसे पहले आत्मा के सामने सर जुकाया था
00:27हमने अपना आत्म सम्मान बहुत गिरा दिया है
00:30हम बहुत जल्दी बिक जाते हैं
00:32भारत को वास्तविक धर्म चाहिए
00:34भगवान बुद्ध भगवान महावीर हमसे क्या कहना चाहते थे सिखाना पड़ेगा
00:38क्या हो गया था हिंदु धर्म को
00:41कि सिख गुरुओं को एक नई धारा ही खोलनी पड़ी
00:44जब भीतर घुटने टेक दिये तो बाहर ऐसे मुठी नहीं तान पाऊगे
00:48क्रांते कि तो नन्ही सी कोपल को और कली को वहीं पर कुचल दिया गया
00:53किसी ने सवाल नहीं पूछे सबने बस माना
00:57आज अरी जी नमस्कार
01:02मेरा ना मश्मिनी कुमार है और मैं भारतिय कृषिय नुसंदान परिशद में एक प्रशाशनी का दिगारी के रूप में कारे रहत हूँ
01:09आज का मेरा परशन है सर कि हमारे देश में क्रांतियां क्यों नहीं हो पाती है
01:15और जो कुछ लोग करांति करने के लिए उतरते भी हैं तो या तो उनको दबा दिया जाता है
01:22कुछल दिया जाता है जिन लोगों के लिए वो उतरते हैं वो ही उनके खिलाफ हो जाते है
01:28और सर कई मामलों में
01:31जो करांती कारी उत्रे भी
01:33उनका मकसद को छोड़ोता है
01:34शाद वो अपना मकसद छोड़ देते हैं
01:38तो ये क्या है सर
01:41ऐसा क्यों होता है
01:42अरखास कर भारत में ऐसा हुआ है सर
01:44हमें उन जगों को देखना पड़ेगा
01:47जहां क्रांतियां हुई ठीक है
01:49फ्रांस
01:52अमेरिका, रूस, चीन
01:55जिसको आप क्रांति कह रहे हैं जो
02:01सडकों पर होती है
02:02वो सबसे पहले
02:04आदमी के भीतर होती है
02:07भीतर होगी वो क्रांति तो सडक पर होगी
02:09नहीं तो सडक पर नहीं हो सकती
02:10और भीतरी करांति क्या होती है
02:13यूरोप के कई देशियों में करांतिया हुई
02:17पर उससे पहले वहाँ एक भीतरी करांति थी
02:20जो कहती थी हम मानेंगे नहीं
02:23मानेंगे नहीं
02:31reformation, renaissance, revolution
02:35तो पहली बात क्या थी हम मानेंगे नहीं
02:39बाहर आपको आपका दमन होता है वो दिखाई देता है पर आपको यह नहीं दिखाई देता है गिए आपका पहला जो दमन है वो भीतर हुआ है
02:47और भीतरी दमन पता है क्या होता है दमन माने सप्रिशन भीतरी दमन होता है जब आपको कुछ मानने के लिए मजबूर कर दिया जाता है धर्म परंपरा संस्कृति द्वारा और जहां इन ताकतों का जितना ज्यादा जोर होगा वहां उतना ज्यादा भीतरी दमन होगा जहां �
03:17कोई चाहिए ही नहीं जो शोषन करता हो, राज करता हो, हक चलाता हो, यही तो करांती है, मुझे नहीं चाहिए, अब वो जब मैंने भीतर ही किसी को अपने उपर राज करने दिया है, तो मैं बाहर क्या करांती करूँगा, भीतर ही मैंने राज करने दिया है, भीतर हम राज कै
03:47तब से हमें जानने के लिए प्रेरित करा गया है या मानने के लिए तो क्रांती कि तो नन्ही सी कोपल को और कली को वहीं पर कुचल दिया गया
03:59मानो अब तुम क्या क्रांती करोगे जब तुमने भीतर ही घुटने टेक दिये हैं तो तुम बाहर क्या विद्रह करोगे
04:05हमारा भारत में जो आंतरिक जीवन होता है आप देखिए न कैसा होता है हर बात तो आप मानते हो
04:13और जहां कहीं करांतियां हुई है पूरे विश्व में वहाँ उन्होंने सबसे पहले कहा है हमें मानने को जो तुम मजबूर कर रहे हो हम नहीं मानते
04:21यूरोप ने विद्रोह करा सबसे पहले चर्च की सत्ता के विरुद्ध
04:25जैसा धर्म चला रहा था लोकधर्म उसके विरुद्ध
04:29भीतरी विद्रोह करा तब जा करके सडकों पर खून बहा
04:32और अगर भीतरी विद्रों नहीं हुआ है और आप सड़क पे करांती करने गए हो तो करांती निश्फल जाएगी
04:39बलकि वो करांती उल्टी पड़ जाएगी
04:42हम भीतरी विद्रों नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि भारत बहुत ज्यादा परंपरिक देश रहा है
04:50बहुत ज्यादा
04:52और माननेताओं, धारणाओं, परंपराओं, प्रताओं, रूडियों, अंधविश्वासों इन सब के नीचे दबा हुआ है
04:59दिखो न, जो अंधविश्वासी है वो क्या करांती करेगा
05:01उसने तो अपने भीतर ही अपना शोशक बैठा लिया है
05:06वो बहर वाले शोशक के छलाग क्या करांती करेगा
05:08अंधविश्वास का मतलब ये है
05:10कि इन्होंने मुझसे आकर के बोला
05:12फलानी बात मानो और मैने
05:13मान लिया
05:15ये मेरी उपर चड़गाया, बोले फलानी बात मानो
05:18मैने मान ली
05:18तो यही पे तो मैंने घुटने टेकने की शुरुआत कर दी न जब यहां घुटने टेक दिये तो बहार लड़ाई क्या लड़ोगे
05:25भारत के बारे में कहा जाता है भारत टू रिलिजियस टू रिवोल्ट
05:33इतना ज़्यादा धारमेक देश है कि यहां करांती कभी होने नहीं पाएगी
05:38क्योंकि आपने बहुत बाते मान ली हैं एक आद्मी उसकी जिंदगी बरबाद है पर फिर भी वो करांती में उठे का नहीं पूछो क्यों
05:44क्योंकि उसने मान लिया है कि उसकी बरबादी उसके पूरु जनम के बुरे कर्मों की हो जैसे है
05:49क्रांती कैसे करेगा वो
05:50उसने तो मान लिया कोई बात उसको बता दिया पंडी जी ने बठा करके
05:54कि ये जो तू गरीब है और जो तुझे इतना सबसहना पढ़ रहा है तेरा शोशन हो रहा है
06:01वो इसलिए हो रहा है क्योंकि तू पिछले जनम में बहुत गंदा आदमी था उसने मान लिया
06:05वो क्रांती करेगा कभी करेगा क्या
06:08महिलाएं हैं उनको मनुष्य तो माना ही नहीं गया
06:15और सो तरीके की बेवकूफियां और बत्तमीजियां वो बरदाश्ट करती हैं दिन भर जिंदगी भर
06:22और क्रांती तो छोड़ दो जो विवस्था चली आ रहे है पुरानी उसको बदलने की कोशिश करो
06:28तो महिलाएं ही सबसे पहले उठके मूँ नोच लेती हैं मुझसे पूछिए यह महिलाओं का दुश्मन है क्यों यह कह रहा घर में मत बैठी रहो इसे हमारे आराम से तकलीफ है
06:39तो पागल हो गई हो मैं तुम्हें बाहर की खुली हवा वहां सांस लेने के लिए उड़ने के लिए भेजना चाता हूँ वो नारे लगा रही है एक तो बोली एको नैशनल कमिशनर वूमें में ले जाएंगे बहुत लिबरेशन की बाते करते हैं यह मारा घर छुड़ आए
07:09पहले करांती मन में आती है फिर समाज पर चाती है और हमारे मन की करांती को जो हमने धर्म के विकृत संस्करण पकड़ रखे हैं उस करांती को कुचल दिया है उसने
07:23भारत का धर्म मूलतह बोध का धर्म है जानने का वैदिक धर्म कहते हैं अपना हम तो वेदान्त जानने का दर्शन है जानो जानो बोध हो हम
07:42मैं सिर्फ बोध प्राप्त नहीं करता मैं बोध ही हूँ ये है हमारा असली धर्म लेकिन काल चक्र में हमने इस धर्म को मानने का विश्वास का धर्म बना दिया आस्था
07:55हम तो ऐसा मानते हैं, हमारी तरफ तो ऐसा विश्वास है, हम तो ऐसा ही करेंगे, अरे तुम क्या कर रहे हो, नोदुर्गा शुरू हो रही है, ये बकरी के उठाए लिके जा रहे हो, जी काटते हैं, क्यों काटते हो जी, कौन खाता है बकरी को, निश्चित मानो, ये सब पश
08:25बीच में ला रहे हो
08:26बस जी ऐसे ही चलता आया है जी
08:29जहां ये चलता है
08:32ना कि जी बस ऐसे ही चलता आया है जी
08:33वहां करांती कैसे होगी
08:34ऐसे ही चलता आया है जी
08:36और हमने मान लिया है जी
08:38तो कहें कि करांती जी जो चलता आया है चलने दो
08:41चलता आया है चलने दो
08:44तू तू नीचे बैठ तू अधर रहे तू ये नहीं कर सकता तू वो नहीं कर सकता है तेरी जाती में ये समस्या है
08:54तेरा ऐसा है तेरा वर्ण बेकार है
08:56नहीं जी ये मैं कैसे मतलब क्यों
08:59अरे
09:00हमारी पुरानी किताबों में लिखा है
09:03शास्त्रों में लिखा है
09:04और जिसको एबात बोली उसने मान भी लिया
09:07उसने मान लिया
09:10उसने नहीं कहा कि
09:11मैं जा करके पढ़ना चाहता हूँ
09:13उपनिशद
09:14मुझे प्रस्थान तरही के पास जाने दो
09:16मुझे दोड़ा वेदान सूत्र देखने दो
09:18मुझे सांख्ययोग देखने दो
09:20मैं जानना चाहता हूँ
09:21कि जमारा शड़ दर्शन है
09:22उसमें कहां पर जाती का उलेख है
09:24और कहां ये सब बाते हैं
09:26न्याय वैशेशिक मुझे बताओ
09:27कहां सांख्ययोग पताओ मुझे
09:29कहां ये उसने भी नहीं पूछा
09:31जिसका शोशन हो रहा है
09:33उसने भी नहीं पूछा कि तुम बोलते हो
09:34शास्त्रों में लिखा है जी
09:35कहां लिखा है जी
09:37कहां लिखा है
09:38कहां लिखा है
09:40हम तो दर्शन को मानेंगे
09:42हम शुरूति को मानेंगे
09:43दर्शन में दिखा दो कहा लिखा है
09:44और शुरूति में दिखा दो कहीं नहीं लिखा है
09:46कुछ स्मृतियों में लिखा होगा
09:48किसी ने सवाल नहीं पूछे
09:53सबने बस माना
09:55और मानने का मतलब ही होता है
09:57कि भीतर घुटने टेक दिये
09:58जब भीतर घुटने टेक दिये तो बाहर ऐसे मुठी नहीं तान पाऊगे
10:03बाहर की मुठी तने उसके लिए पहले भीतर मुठी तननी चाहिए
10:08और वो हम तनने नहीं देते हैं छोटा बच्चा होता है अंकल जी को नमस्ते करो
10:11अंकल जी एकदम दुनिया के सबसे बड़े चचुंदर और तुमने उसका नमन करवा दिया चचुंदर के आगे
10:20ताउजी के पाऊँ चुओ और ताउजी खतरनाक किस्म के काहिल, आलसी, गवार जो जो उनको उपाधियां दी जा सकती है
10:30और वो इतना सा है भी, वो आप पर आश्रित है, आपने जबरदस्ती करके उससे ताउजी के पैर चुओ दिये
10:38उसकी रिड जुक गई ना, अब वो रिड सीधी कैसे करेगा, बोलो
10:42तुमने गलत जगह अपनी, तुमने अपने विशेशाधिकार का दुरुपयोग करा है
10:50तुम माबाप हो, तुमारी चलती है उस पे
10:54तुमने जबरदस्ती चलाई है, उसको कहा, यहाँ धुको, यह मानो, यह मानो, वो मानो
10:59अच्छा मंदिर के सामने निकल रहे हैं, भगवान जी को जैब बोलो
11:03तुमने उसको अर्थ बताया, भगवत्ता का
11:05तुमने कुछ पूछा, तुमने उसके मन में एक बात बैठा दी कि भगवान जी कुछ होते हैं
11:10क्या होते हैं, क्यों होते हैं, कैसे पता, क्या जाने हैं, किसने बताया, कोई सवाल नहीं, कोई जवाब नहीं, बस ऐसे करो, ऐसे करना होता है, ये दिन आ गया है, चलो इस दिन फलाने कुए में जाके बाल्टी पानी निकालके, ऐसे उधर को मुझ करके, सरसों डालके नहालो
11:40खपड़ और मारोगे उसको सवाल पूछे तो
11:43क्या क्या चल रहा है कुछ भी चल रहा है
11:50सवाल नहीं पूछ सकते है
11:53क्योंकि सवाल का कोई जवाब किसी के पास है नहीं
11:56अब करांती होगी जहां सवाल तक नहीं पूछे जा सकते
11:59वहां करांती होगी क्या
12:01क्रांती धोती है कि आकाश की वर्जनाओं को काटेंगे
12:08उसके लिए पहले भीतरी पंची के पंख तो खुले होने चाहिए न
12:12तुम भीतरी उसके पंख बान देते हो बहार क्या क्रांती करेगा
12:16भारत में होंगी भी नहीं क्रांती है
12:18एक तरीके से देखा जाए
12:23बहुत विद्वायन है जिन्होंने कहा है कि शोषण कि जितनी गहरी और जितनी लंबी परंपरा भारत में रही है उतनी तो विश्व में कहीं रही नहीं
12:31और ये जादूई बात है चामतकारिक कि भारत में कभी कोई करांती हुई नहीं
12:36भारत में कभी कोई करांती हुई नहीं
12:40क्यों नहीं हुई हम धार्मिक लोग है न और धर्म क्या है यह हम जानते नहीं
12:47हमारे जो हमने धर्म की जूठी व्याख्याएं कर दी हैं
12:53उन जूठी व्याख्याओं ने सब करांतियों का गला घोंट दिया, अबॉल्ट कर दिया उनको.
12:58अब लिख दिया गया कहीं किताब में, राजा ईश्वर का प्रतिनिधी होता है, तो अब राजा जो कुछ करेगा मानना पड़ेगा ना, राजा अत्याचार करे तो कोई बात नहीं, क्योंगी राजा कौन है, ईश्वर का प्रतिनिधी है, पति परमेश्वर होता है, अब पति
13:28हमारी है प्रसाद समझ के गहन कर ले पूछे नहीं रहे हो यह यह यह है नहीं बाद यह परमेश्वर का पिते नहीं थी है
13:38आज भी है जो नाम ले करके नहीं पुकारती है
13:57और कहने को तो बोलते हो कि हम उम्र हैं बराबरी का रिष्टा है वो उसको तुम करके बात करेगा वो आप करके बात करेगी
14:08और पढ़े लिखे घरों में होता है यहां करांती आउंगी वो किस दृष्टी से आप कहलाने लाया कर बताओ
14:16और किसी बाहर वाले को तो फिर भी गलत फहमी हो जाए कि वो इजददार है तुमने तो उसको पूरा देखा है
14:24तुम अच्छे अच्छे से उसकी रग रग से मने सब रगों से वाकिफ हो तुम पता हो कितना जलील आदमी है तुम कैसे उसको आप आप बोलती हो
14:35पर नहीं चलता है अब करांती हो गई
14:42ठीक लग रही कुछ बात ऐसा ही है ना बाहर बाहर से लोगों को प्रेरणा देने से या भढ़काने उक्साने से कुछ नहीं होने वाला
14:52सर आप से जुड़ने से पहले हमारा भी यहाल था और आप कुछ टाइम से हम सुदर रहे हैं सर
14:59मैं तो कहता हूँ लोगों को न करांती के लिए मत प्रेरख़ करिये लोगों को वहां ले जाईए जहां से उनकी माननेताई सचमुच आ रही है
15:09लोगों देखो कि जो बाते तुम मानते हो सचमुच आ कहां से रही है
15:16हमारा गीता समागम चल रहा है
15:22तो उसमें बीच बीच में हम
15:25गीता उनके सामने रख देते हैं
15:27और मनुस्मृती सामने रख देते हैं
15:28कहते हैं तुमने गीता बहुत पढ़ ली
15:29सौ सत्र कर लिये गीता के
15:32लो अब मनुस्मृती पढ़ो
15:33तब चीख मुकार मचती है
15:36हाई हाई यह क्या दिखा दिया
15:37अरे तुम्हारे व्यवहार का
15:42रेशा रेशा उसी किताब से आ रहा है
15:44और तुमने वो किताब आज तक पढ़ी भी नहीं
15:46तुम उस किताब को जी रहे हो
15:49छोड़ो कि उस किताब की प्रशंसा करनी है
15:53कि निंदा करनी की क्या करना है, जान तो लो
15:55कि तुम्हारा विवहार
15:58का एक-एक
16:00हिस्सा, एक-एक
16:02अंश, कोशिका
16:04आ कहां से रहे हैं, जान तो लो
16:05कम से कम, तुम जानना भी नहीं चाहते
16:07तो
16:09ये छोड़िये कि लोगों को मुझे करांदी का
16:11होसला देना है, मैं कहना उनको ले जाईए और दिखाईए कि यह जो तुम अभी भी करते हो न, अपने घरों में, समाज में, दफ्तरों में, राजनीती में, धर्म में, हर जगे, देखो यह कहां से आ रहा है, देखो, देखो, कहां से आ रहा है, तो शायद लोगों को थोड़
16:41आप विभार को, माननेता को, जिसको आप समान सधारन मानते हो न, आप सोचते हो तो नेचुरल ऐसा होता ही है, खासकर जो भारतिये स्तरी का स्टेरियो टाइप चलता है, भारतिये माह ऐसी होती है, अरे भारतिये माह ऐसी पैदा नहीं होती है, तो उसे वैसा बना देते हो
17:11क्या दिखा रहे हो ये
17:13साफ क्यों नहीं बताते हो
17:16कि एक को दूसरी मान से
17:19खाद खुराग डाल दी गई है
17:20और दूसरे कुछ और डाल दी अगया है
17:22ये इंडियन मदर क्या तनी
17:23भारती मातों ममता से भरी होती है
17:26तो ममता शब्द का भी अर्थ ना पता हो
17:27जिन बातों को आप कहते हो
17:31ये तो नॉर्मल ही है
17:32वो नॉर्मल नहीं है
17:35समझो वो बाते कहां से आ रही है
17:37वो तुम्हारे मन में कूट-कूट के
17:40चुपचाब धोखे से भरी गई है
17:42या तो धोखे से या अग्यान में
17:44बरी गई है
17:45हमें बड़ा ये नॉर्मल लगता है
17:49अब husband wife जा रहे होगे
17:52wife थोड़ा एक कदम पीछे ही चल रही होगी
17:53तो नॉर्मल बात है इसमें क्या है इसमें तो कुछ
17:55असाधारन तो मुझे लग नहीं रहा
17:57ये लिखा हुआ है
17:58ये written में है लिखित में है
18:01पतनी एक कदम पीछे चलेगी
18:03इसलिए पीछे चल रहे हो
18:04और आपने उग किताब कभी पढ़ी भे नहीं चाहिए लिखा है
18:06लेकिन फिर भी आप उसी किताब को जी रहे हो
18:08और अपने जितने व्यवहार के हिस्से होते हैं सारे
18:16आप क्या सोचते हो
18:19कि यह आपके साधारन एटिकेट का हिस्सा है
18:21कि बड़े बोल रहे हो
18:22तो आवाज नहीं करनी है, सुनना है
18:24ना, ना, ना, ना, लिखा हुआ है
18:26ओथॉरिटी के सामने सब्मिशन दिखाओ
18:28ये लिखा हुआ है
18:29आप इसलिए नहीं बोलते हो
18:31तो एक तो
18:35पालतू की बात ही है कि आथोरिटी के सामने जुक करके रहू
18:38क्याते है न बच्चा बिगड़ गया उल्टा जवाब देता है
18:44ये कहीं लिखा हुआ है कि ये नहीं करना है
18:47इसलिए ये आपके मन में आ गई ये बात
18:49पर हमें हमारे माननेता की जड़ भी नहीं पता
18:55जब माननेता की जड़ तक पहुचोगे तो कहोगे यार नहीं चाहिए
19:00अगर यहां से आ रहा है ये सब कुछ तो नहीं चाहिए
19:03नहीं चाहिए
19:05और फिर एक सम्मान भी पैदा हो पाएगा वास्तविक धर्म के प्रति
19:15उसके बाद उपनिशदों को यहां रख पाओगे
19:18उसके बाद समझ पाओगे कि धर्म और संस्कृत बहुत अलग अलग चीज़े हैं
19:24कि धर्म और लोकधर्म बहुत अलग अलग अलग चीज़े हैं
19:28कि दर्शन और माननेता बहुत अलग अलग अलग चीज़े हैं
19:32उसके बाद भगवत गीता का सही अर्थ समझोगे और कुछ सम्मान दे पाओगे।
19:44अध्यात्मिक भीतर अगर लग गई तो सामाजिक क्रांते निश्चित है।
19:50वो होगी, फिर होगी।
19:54मिरा नाम आसी से सर, और आपके विऊच को मैं दिव उचली अपर का अपका शरचा की थी।
20:14कहां पर करगा था।
20:16उसमें अपने देमोक्रिसी के लिमिटेशन पर चरचा की थी।
20:20तो democracy इंडिया में और पूरे वर्ड में जो अभी practice में है उसका future क्या है अगर है ऐसी ही रहती है और आज उसका significance कितना बचा है क्योंकि हम देख रहे हैं कि democratically elected people जो है वो धीरे-धीरे chair को इस तरह से round कर रहे हैं को हमेशा उस पर बनी रहें
20:35कर रहे हैं कोई बड़े questions रेज नहीं कर रहे हैं इस बीच में सर कुछ लोग जो अवेर हैं जैसे आप काते हैं कि वह कोई राइट वे नहीं फाइंड कर पा रहे हैं सिस्टम से वे आउट करने का हम अमेशा एक limited number में होते हैं और problem यह हो जाती है कि जो classical वे थे
20:57प्रोटेस्ट करना, road block करना, सड़के jam करना जो बड़ी-बड़ी क्रांतियों में काम किये तो आज वे जो है काम नहीं कर रहे हैं हम देख रहे हैं सड़के block भी होती हैं फिर भी state पे कोई फ़र्क नहीं पड़ता
21:06प्रोटेस्ट बड़े-बड़े होते हैं मैसु अंदोलन्स होते हैं उन पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता और इतने दिनों तक सोनब ऑंग्चु जी का अंदोलन रहा या प्रोफेसर जेडी अगरवाल का अंदोलन रहा हस्देव बचावरा यह चीज़े limelight पे नहीं आपत
21:36नहीं कला सीख लिए कि डेमोक्रेसी को डेमोक्रेसी के माध्यम से ही खुखला कैसे करना है ठीक है तो कहीं पर भी कोई तख्ता पलट होने नहीं जा रहा है जो पहले बहुत होता था ना कू हो गया वो कू नहीं होने जा रहा ताना शाही के जमाने लद गए वो नहीं होगी
22:06उसको ही इस तरीके से मैनिपुलेट कर दिया जाएगा मिसिन्फॉर्मेशन के माध्यम से, मीडिया के माध्यम से, सबस्यादा मीडिया के ही माध्यम से,
22:20कि वो खुद ही अपने लिए किसी अथॉरिटेरियन को चुन लेगा, बात समझ रहे हो, वो ये तक कर सकता है,
22:33कि डिमोक्रेटिकली वोट दे दे कि उसे डिमोक्रेसी चाहिए ही नहीं,
22:40कितनी मध़ार बात है, उसने डिमोक्रेटिकली वोट दिया है कि मुझे डिमोक्रेसी चाहिए ही नहीं,
22:46प्यूरिसर्च ने करा कि दुनिया में कहां पर कितने लोग ऑथोरिटेरियन रूल को सुईकार करने के लिए तैयार है
23:00सबसे आदा लोग मालूम है कहां निकले भारत में
23:04मेरे खालते भारत की सिर्फ 22 प्रतिशत आबादी है
23:10जिसने साफ ना कहा है कि किसी भी हालत में हमें किसी तरीके का कोई विशेशा अधिकारी नहीं चाहिए
23:19विशेशा अधिकारी की मने जिसके पास समविधान से आगे के ऊपर की अधिकार हो नहीं चाहिए
23:29बाकी 78 प्रतिशत लोग भारत में
23:34थोड़ा कम थोड़ा ज़्यादा किसी तरीके से
23:38अथोरिटी को सुईकार करने के लिए तैयार बैठे हुए हैं पहले से
23:42तो डिमोक्रेसी को अगर आप एक पेड़ मानोगे ना
23:47तो उसको एक तरह की जमीन चाहिए होती है
23:49और वो जमीन होती है सही चुनाव ले पाने वाली चेतना की
23:56क्योंकि डिमोक्रेसी तो इसी पर चलती है कि आप सब लोग हो
24:00और आपको इतनी तमीज है कि वोट कहां डालना है
24:03और आपकी चेतना अगर ऐसी है ही नहीं कि आप जिन्दगी में कोई भी सही चुनाव कर सको
24:19हिटलर भी तो चुनावी जीत के आया था तो ये तब से नेताओं ने पकड़ी हुई है ये बात तब से नेताओं ने ये बात अब को पता है कि डेमुक्रेसी से चुनाव जीत करके फिर डेमुक्रेसी को सबवर्ट करा जा सकता है और ऐसे करा जा सकता है कि जनता खुद गए क
24:49from too much democracy, no, India suffers
24:52from too much ignorance, sir
24:53democracy
24:55समस्या नहीं है
24:56democracy को जूट मूट की समस्या बना के
24:59तुम सिर्फ तानशाही को justify करना चाहते हो
25:01भारत की
25:03समस्या है भारत का अंधेरा
25:05भारत का अज्यान, भारत की अशिक्षा
25:08भारत
25:09का बहुत
25:11सारा कचरा जो अतीज से आ रहा है
25:14और उस कचरे को भी साफ नहीं किया गया ठीक से
25:16यह है भारत की समस्या
25:17और इस समस्या
25:19का नाम लेने की जगए है
25:22इस समस्या पर ध्यान देने की जगए है
25:24आप जूट मूट कह रहे हो कि भारत की समस्या
25:26लोकतंत रहा
25:26ताकि जो सही समस्या है वो यथावत
25:30बनी रहे, सही समस्या की बात ना करनी पड़े
25:32तो इसलिए आपने
25:33ये लगबग ऐसी जी बात है
25:36कि बहुत ही
25:38ज्यादा बिलकुल
25:40लाइलाज
25:41मरीज हो
25:44एकदम आखरी
25:46अवस्था के उनको बचाना
25:48लगबग असंभव है
25:50और आप बोल दो कि ये जो डॉक्टर है
25:54यही बेकार है
25:55भाई ये भी तो देखो कि तुम्हारा जो मरीज है
25:58वो कितनी खराब हालत में डॉक्टर के पास आया है
26:00भारत में
26:03कुछ बहुत बहुत गहरी बीमारियां है
26:05वो बीमारियां है
26:07जिनके कारण यहां का जो जन्मानस है
26:09वो सही नेताओं को नहीं चुन पाता है
26:12उससे जाकर के उसकी जाती की बात कर दो
26:15उसका वोट पलट जाता है
26:16आप किसी को वोट देने जा रहे थे पीछे जी कोई आया
26:18तो जाती द्रोही है क्या
26:20मैं तेरी जाते का हूँ मुझे वोट नहीं दे
26:23उसका वोट पलट जागा है गहरी बीमारी है
26:24वाइरस ने अटैक किया
26:27और सिस्टम वाइरस के सामने
26:29इल्ड कर गया घुटने टेक गया
26:31धर्म का तो कहना ही क्या
26:36गरीबी का और लालत का कहना ही क्या
26:43ये बीमारिया हैं और इन बीमारियों के साथ लोकतंत्र का चलना बड़ा मुश्किल है
26:49पहले क्या होता था कि नोट बढ़ते थे
26:54नोट बढ़ते थे, बूथ के अप्चर होते थे, इस तरीके से होता था
26:59जो पॉपुलर मेंडेट होता था, उसको इस तरह से स्कटल किया जाता था
27:04नोट बाट बाट दी गरीबों में और अपना, पाच सो क्या सो रुपे में भी वो अपना वोट बेच देते थे
27:12अब उसका नया तरीका है वेलफेर स्कीम्स
27:17कि मैनिफेस्टों में ही प्रॉमिस कर दो कि अगर हम आएंगे वैसे तो पांची सो रुपया देते, घर में आके वो भी धीरे से, नोट में पांची सो देते
27:29अब हर महीने सब को दो दो हजार रुपय देंगे
27:31हो गया ठीक है काम चल गया भारत में वो जमीन नहीं है जो सवाल पूछना जानती हो
27:48हमने अपना आत्मसम्मान बहुत गिरा दिया है हम बहुत जल्दी बिक जाते है बहुत जल्दी बिक जाते है
27:57कोई बोल रहा है कि ट्रेन में टिकेट फ्री हो जाएगा
28:00बस में फ्री हो जाएगा ये हो जाएगा कोई तो सीदे कैश टांस्फर गी बात कर रहा है बैंक में पैसा आजएगा
28:07जि्क हजार रॉपया डेड़हुत कर रूपया दू हजार रॉपया इतना आजाएगा उतने के लिए हम भिक जाते हैं ओब जनतंतर थोडिए
28:13जनतंत्र के लिए एक खुद्दार जनता चाहिए
28:17जो कहे कि क्या कर रहे हो, घूस दे रहे हो
28:21यह तुम घूस दे के ही तो वोट खरीद रहे हो, बस यह लीगल घूस है
28:24और क्या है
28:26क्या बहुत खुश हो के बता रहे हो कि इतने करोड़ लोगों को
28:32हमने राशन पर कर दिया है
28:34सबसिडाइज्ड हम उनको दाना पानी भी देते हैं, बिजली भी देते हैं, पानी भी देते हैं
28:40और खाद भी देते हैं
28:42क्या बता रहे हो यह तुम यही बता रहे हो ना कि हमारी कितनी दुर्दशाय, कितनी बेरोजगारी और कितनी गरीबी है
28:47कि 80 करोड, 100 करोड लोगों को इस तरीके से जीना पड़ रहा है
28:53वो आत्म सम्मान जो है न और वो आत्म सम्मान वो शुरूई होता है आत्म से
29:01भारत ने अपना आत्म खो रखा है
29:05और इतने ज्यादा दुख की बात इसलिए है भाई
29:09क्योंकि भारत ही है जिसने सबसे पहले आत्मा के सामने सर जुकाया था
29:14विचार के सामने, दुनिया के सामने, तरह तरह की खोजों के सामने
29:21तो पश्चिम ने भी सर खूब जुकाया
29:23भारत अकेला था जिसने कहा था नहीं
29:26मैं तो सबसे पहले अपने सामने सर जुकाऊंगा
29:31अश्टावकर कीता मालू मैं क्या बोलती है
29:35अहो अहम
29:39मुझसे ज्यादा
29:41आश्चरे जनक क्या हो सकता है
29:44अहो अश्चरे का भाव
29:46नमो महम
29:48और मुझे अगर जुकना आए तो पस अपने ही सामने जुकूंगा
29:51भारत है जिसने अपने आपको इतना सम्मान दिया
29:54यह कहलाता है आत्म सम्मान
29:56अहो हम नमो महम
29:57हंकार नहीं है यह
30:02अहंकार बहुत छोटी चीज़ होती हो
30:03बोलता बस है वो जुक कहीं भी जाता है
30:05दोल आघ्मार अभी जुक जाएगा
30:08आत्मा दूसरी चीज़ होती
30:10जो बिकने को तयार नहीं होती
30:11जो कहती है दुनिया क कोई चीज ऐसी नहीं
30:12जो मुझे छू सके, खरीदेगी क्या, वो आत्मा होती है, भारत आत्मा से बहुत दूर हो गया, हमारा सब कुछ विका हुँ हो गया, हमारी निष्ठा विका हुँ है, जाती का नाम ले लो, माननता का नाम ले लो, धर्म का नाम ले लो, दिख जाते हैं, हम ग्यान और सत्य के स
30:42बाधार कमजोर है और तब तक कमजोर रहेगा जब भारत के जन जीवन में एक आध्यात्मिक जागरती नहीं आ जाती।
31:12जबरदस तरीके की FLOT DEMOCRACY है दुनिया में सब FLOT DEMOCRACYS है पर भारत तो बिलकोल अग्रनी है FLOT होने में जब तक हम जानेंगे नहीं कि हम कौन है और सचμοश हमें चाहिए कि और जो हमें चाहिए उससे प्रेम इतना होना चाहिए कि अब बिकेंगे नहीं।
31:33जिस चीज से प्यार होता है वो बेची नहीं जाती न भारत चुकि आत्मा से दूर आ गया इसलिए भारत प्रेम से ही बहुत दूर आ गया है
31:44हमारे हां मोम आया ममता बहुत चलता है प्रेम हम बिलकुल नहीं जानते
31:47जो प्रेम जानेगा वो बिक नहीं सकता
31:50जो प्रेम जानेगा वो किसी छोटी चीज पर रुख नहीं सकता
31:55छोटे जगह पर छोटे आदमी के सामने छोटे लालच के सामने भी नहीं जुख सकता
32:00लोकतंत्र बहुत बढ़ियां चीज है
32:06पर उसके लिए लोक जगा हुआ होना चाहिए
32:09हमें जबरदस्ट शिक्षा की ज़रूरत है
32:13बाहरी शिक्षा भी और भीतरी शिक्षा भी
32:15नहीं तो लोक तंत्र का धाचा बरकरार रहेगा
32:19और भीतर भीतर उसके बिल्कुल कुछ विपरीच चलता रहेगा
32:25बाहर लोकतंत्री रहेगा
32:27officially तुम यही कहलाओगा कि अभी भी डेमोक्रेसी हो
32:29पर भीतर भीतर कुछ और चलता रहेगा
32:32महारत में नहीं पूरी दुनिया में
32:33हर जगे यही होने जा रहा है
32:36समविधान कोई नहीं बदलने वाला
32:39वैसे भी सुप्रीम कोट ने क्या रखा है
32:41कि जो बेसिक स्ट्रक्चर है उसको तो तुम
32:43अमेंड मोडिफाई भी नहीं कर सकते
32:45तो समविधान वैसे ही रहेगा पर उस समविधान
32:47का इंटर्पिटेशन बदल दिया जाएगा
32:49इंटर्पिटेशन तो बदल सकते हैं वह शब्द ही तो लिखे हैं
32:53हाँ तो उन शब्दों कुछ और अर्थ कर दो
32:54और क्या दो हम समविधान का ही तो पालन कर रहे हैं
32:58उन शब्दों का अर्थी कुछ और कर दो
33:00इक्वैलिटी लिखा है बोल दो इक्वैलिटी का मतलब यह है
33:04कि ब्राम्मन ब्राम्मन इक्वल है
33:06और बनिया बनिया एक्वल है और औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत औरत
33:36बारत को वास्तविक धर्म चाहिए
33:40भारत को उपनिशत चाहिए
33:43भगवद गीता चाहिए
33:44भारत को वेदान्त चाहिए
33:45भारत को हमें अपने शड़ दर्शनों के पास ले जाना पड़ेगा
33:50उन्हें बताना पड़ेगा
33:52भगवान बुद्ध भगवान महावीर हमसे क्या कहना चाते थे सिखाना पड़ेगा
33:56क्या हो गया था हिंदु धर्म को
33:59कि सिख गुरुवों को एक नई धारा ही खोलनी पड़ी
34:02हमें सीखना पड़ेगा
34:04जो पुरा संत समुदाय था
34:11उसे क्यों जरूरत पड़ी हिंदु धर्म में सुधार लाने की
34:16हमें जानना पड़ेगा
34:17क्या गलतियां थी जिसके लिए इतने संतों ने इतना कहा
34:24और सिर्फ कहा ही नहीं है कईयों ने तो प्राण भी दे दिये
34:27क्यों उन्हें अपने इतने
34:30जान की बाजी प्राणों का उत्सर्ग जरूरत क्या पड़ी थी
34:33यह में जानना पड़ेगा क्योंकि वही सब बुराईया
34:37जो बुद्धमावीर के जमाने में भी मौजूद थी
34:41गुरुनानक, संतकबीर के जमाने में भी मौजूद थी
34:46राजा राम मोहन रोय
34:49और जोतिवा फुले के समय भी मौजूद थी
34:53वो सब बुराईया आज भी मौजूद है
34:56और उन बुराईयों के साथ लोगतंत्र नहीं चल सकता
34:59उन बुराईयों को हमें पहचानना पड़ेगा
35:04सफाई करनी पड़ेगी
35:06सब्सक्राइब पर जैसे मैंने बोला कि हम जब भी निकलते हैं
35:17मुझे लगता है रोड ब्लॉक प्रोटेस्ट तो इसका कोई तरीका हो नहीं सकता
35:22एचली मुझे मैं क्लासिकल तरही के पढ़ रहा था तो मुझे
35:26सड़के खाली होती हैं तो संसद आवा रहा हो जाती है
35:29पर आज सड़के खाली होई भरी हो संसद आवा रही लगती है
35:32सड़कों पर काम नहीं चलेगा न वो तब होता था जब लोग सड़क की और देखते थे
35:37आज लोग सारे समय आखे तो सोशल मीडिया कोई और देख रहे होते हैं
35:41तुम सड़क पी आके बढ़े हूँ तुम्हें देख कौन रहा है
35:43हर काम के लिए ओडियंस चाहिए होती है भाई ओडियंस
35:47गान्दी जी भी जो कर पाई इसलिए कर पाएं क्योंकि उनके पास ओडियंस थी
35:53भगत सिंग्ट की खुरबानी को भी आज हम इसलिए जान पाते हैं क्योंकि तब अखबारों को आजादी थी
35:57उनका साल भर लंबा केस खिचा था
36:00कि उस case के छोटे से छोटे पहलू को जन जन तक पहुँचाओ, audience थी, तुम वहाँ सड़क पर बैठे हो, और वहाँ तुम्हें कोई थुर देर में कहरे हैं, पानी पिला नहीं तो कोई आ जाए, उससे नहीं होगा, और हर साल तो देश में चुनाओ होते रहते हैं, इतना बड
36:30नहीं तो वहाँ होँचाओ, जनता खफा ही नहीं है, जनता कहीं खफा नहीं है, ट्रम्प का जो मेंडेट था अमेरिका में, वो मेंडेट ऐसा है कि वो इविल है मेंडेट, जनता खफा हुई है, पिछली बार तो ट्रम्प की जब जीत हुई थी तो कम सखम popular vote कम मिला था, �
37:00जनता खफा थोड़ी है जनता तो खुश है तो नेताओं की बुराई करनी बंद करनी पड़ेगी पहले तो इस जनता को ठीक करना पड़ेगा
37:09नेता तो बिचारा जनता का पिछलग्गू है जनता जैसी है और नेता भी अपना उसी से काम चला रहा है स्वार्थ ये जनता ही गड़बड़ है और जब तक इस जनता को नहीं सुधार होगे बात बनेगी नहीं
37:22अचली इसी सिस्टम को फॉलो करते हुए जब मैं आप बोलते हैं कि चेतना का कोई सुभाव नहीं होता और जब समाज अपनी चेतना पे जिएगा तो परमसुतंत्र होगा तो प्लेटो जैसे दार्सनिक भी इस बात को जानते थे कि चेतना को इस सुभाव नहीं होता फिर भी
37:52देखो जो प्लेटो की पूरी विवस्था थी दी हुई वो बहुत थायरार्किकल थी ठीक है और ऑथोरिटेरियन भी थी वो डेमोक्राटिक नहीं थी प्लेटो तो कह रहे हैं कि जो चुनो चुनो चुनो सबसे प्रतिवाशाली कौन है उनमें भी छानते जाओ छानते जा�
38:22दीक है ये डेमोक्राटिक विवस्था नहीं है तो वहाँ ये चल सकता था लेकिन दुनिया में आज तक जितनी भी विवस्थाएं सोची गई है पुलिटिकल उनमें सबसे अच्छी अपनी तमाम खामियों के बावजूद सबसे अच्छी तो विवस्था लोकतंतर ही है बस
38:52कोई तरीका नहीं है तो जातर जो वहां पर डिसकुशन्स होते हैं लौ से रिलेटर जो अब तक मैंने मतलब फर्स्टियर में देखें वह से फ्रीडम के राइट टू प्रेवेसी और इस चीज़ के उपर ज्यादा होते है फ्रीडम के उपर कि फ्रीडम चाहिए फ्रीडम ह
39:22की अलग बात करता है that freedom is for the free अब मैं इन दोनों में मैं जानना जाता हूं कि अप्रोच कैसे होनी चाहिए कि हम क्योंकि constitution ना laws ना article कोई भी इस तरीकी की freedom की बात नहीं करता जो अध्यात्म में दी गई है तो इसे इस तरफ जानी कि अप्रोच क्या होनी चाहिए और दोनों म
39:52तो कानुन निवस्था, न्याय प्रडालिया, समविधान बस उसकी ही तो बात करेंगे ना तो वो अपनी जगे बिलकुल ठीक बात कर रहे हैं
40:00right to privacy, right to life, right to equality, right to freedom of expression, cultural educational rights, हमारी fundamental rights हो, तुम जानते ही हो, फिर उन में 16 है, उसमें right to life है, उसके ना जाने कितने अलग अलग तरीके की interpretation होगा है, उसमें right to reputation भी आ गया
40:15तो वो सब चाहिए ताकि समाज ठीक से चलता रहे
40:19समाज में कोई यह हक न मिल जाए
40:23कि वो व्यक्ति के ऊपर चड़के बैठ गया है
40:25ना समाज को वो हक मिले ना सत्ता को
40:27तो जब आप कहते हैं फंडमेंटल राइट से हैं
40:29तो जब आप कहते हैं तो वो कोई और न कर ले
40:40उसके लिए समविधान तुमको यह सब मौलिक अधिकार देता है
40:43लेकिन तुम अपना दमन अगर खुदी करना चाहो
40:48तो समविधान कुछ नहीं बोलता
40:50कोई और अगर तुम्हारी freedom of speech छीनेगा
40:56तो तुम बिल्कुल जा करके इससे एक लीगल रेमिडी मांग सकते हो
41:03कोर्ट के पास जा करके
41:04कि देखो फलाना है और वो मुझे बोलने नहीं दे रहा
41:10लेकिन कोई अगर तुमको भीतर से भरष्ट करके
41:16तुम्हारे विचार ही गंदे कर दे
41:18तो इस चीज की कोई लीगल रेमिडी नहीं है
41:24व्यक्ति के भीतर क्या हो रहा है
41:27समविधान इस पर भहुत नहीं बोलता
41:30क्योंकि उसका जो उद्देश्य है
41:32समविधान से मेरा आरत है कोई भी विधान
41:35ठीक है कोई भी विधी प्रणाली
41:37वो इसका बूलते नहीं क्योंकि उनका उद्देश यह है कि समाज ठीक से चले
41:41इनसान और निनसान का रिष्टा ठीक रहे
41:44और इनसान और राज्य का रिष्टा ठीक रहे
41:47इनसान का अपने साथ क्या रिष्टा होगा
41:50इसके लिए तुमको law नहीं
41:53spirituality पढ़नी पड़ेगी
41:54कि मेरा मेरे साथ क्या रिष्टा होना चाहिए
41:57कोई और तुम्हारा
41:59शोशन न करे इसके लिए समविधान है
42:01तुम खुद अपना शोशन
42:03न करो इसके लिए
42:04वेदान थै
42:05और खतरनाक बात ही होती है
42:09कि कोई और हमारा शोशन बाद में करता है
42:11सबस्यादा शोशन हम
42:13हुदी अपना करते है
42:14तो इसलिए मैं बोला करता हूँ
42:17कि अच्छा समविधान भी
42:18अध्यात्मिक मूल्यों से ही पैदा हो सकता है
42:20पहले ये जरूरी है
42:22कि मैं अपने साथ अच्छे हों फिर हम
42:24अपने पडोसी के साथ भी अच्छे हो जाएंगे
42:26थैंक यू सब
42:28नमस्कर अचर जी मेरा नाम गवराभ है
42:34आम ए रिसर्ट स्कोलर हीर
42:36सो मेरा कोशन है कि
42:38आजकल थोरा सा सोचियल मेडिया पे ट्रेंड हो गया कि
42:41बहुत लोग
42:42इवन हाई एटूकेट पीपल आज्टो को अच्छेंट गुरूकल सिस्टेम
42:47इंचेंट गुरूकल सिस्टेम अवाउट इंडिया
42:50मेंसे इंडिया
42:51इस ताइम में हम वो लोग बोलते है कि
42:54इस वाज शुपरियोड दिन इस करेंट एजुकेशन सिस्टेम
42:59इस वाज पर एजुकेशन के जो अरिप्मेटिक या साइंटिफिक जो एजुकेशन था उसके साथ साथ लाइजुकेशन भी सिखाते थे
43:06लाइज श्किल्स बट हम यह भी देखते है कि वहापे सभी लोगों को अलाउट नहीं था उसे एजुकेशन लेने के लिए
43:12certain segments of the society only allowed and even women also women are also not allowed there
43:19so what is your thought about this and
43:22यहां तक बात ठीक है कि भई
43:24life education सिखाई जानी चाहिए
43:26तो जो current education system चल रहा है
43:29आप इसमें life education का भी department बना दो ना
43:32ठीक है
43:33बात खातू
43:34बट यह लोग चाहते कि नहीं वही system फिर से आजाए
43:39यह लोग फिर life education नहीं चाहते ना
43:41जो लोग बोल रहे हैं गुरुकुल वापस चाहिए
43:43वो बोल रहे हैं गुरुकुल इसलिए वापस चाहिए
43:45ताकि उसमें हम अध्यात्म और जीवन शिक्षा सिखा सकें
43:48पर कहीं नहीं उनका मनसूबा हमें पूछना पड़ेगा
43:51यह तो नहीं है कि गुरुकुल इसलिए वापस चाहिए
43:54ताकि समाज का एक बड़ा तपका शिक्षा से दूर रखा जा सकें
43:57महिलाओं को शिक्षा से दूर रखा जा सकें
43:59वापस पा बाकी इगर गहर गहते है कि गुरुकुल इसलिए अछ्छा था क्योंकि उसमें
44:06हम, को अद्धात्म की भी खिक्षा दी जाती ती तो मैं उनके त्सर्विए से
44:10सह्मत हूँ अद्धात्म की वह शिक्षा आड़े सकते हैं आइती में इसकूल
44:14लुछ में भी दे सकते हैं, जीवन शिक्षा बिल्कुल ठीक है। इस कोई समझानी है। उस और एप जारी सेमाता है।
44:21अचारेजी प्राणाम, मेरा नाम निरू है, मैं दिली सी हूं, मैं आप से पुछना आप तो युछाओंगे हैं।
44:37पॉलिटिक्स में भी और सारी चीज़ों में अगर मैं आपको एक अच्छे पॉलिटिशन के रूप में देखना चाहूं तो क्या आप इस लाइन में आपसंद करेंगी
44:45आदमी भीतर से अच्छा हो जाए तो बाहर साब अच्छा हो जाता है ना पॉलिटिक्स भी अच्छी हो जाएगी
45:00गीता का उपदेश दिया गया है इसलिए तो ताकि जो पूरी हस्तनापुर की पॉलिटिक्स तो गलत हाथों में ना चली जाए
45:08लेकिन अगर करिश्न सब को मिले गेज़ भी तो जरूरी है सिर्फ अरजुन को ही ना मिले ना कृष्न का काम है गीता पढ़ाना
45:17वो पढ़ा रहा हूँ
45:21उससे पॉलिटिक्स थीक हो गई थी बशर्ते कृष्न की बात को अरजुन
45:27politics ठीक होगी
45:29लेकिन दुरियोधन
45:31जैसे यदी सत्ता में है
45:33क्रिष्ण ने नहीं हाथ उठाया था
45:35आपको ही करना है
45:37यह तो
45:46यह तो नहीं कहा जा सकता
45:48अगर परिशानी आई थी
45:50तो क्रिष्ण ने पहिया उठाकर
45:52भीष्म के उपर अवार करने की कोशिश भी की थी
45:55जिस दिन आए की परिशानी उस दिन मुझे भी पाईएगा
45:58कि ट्रक का पहिया उठागर
46:00यह बहुत अच्छा लेकिन मैं चाहूंगी कि आप भी
46:11ऐसी जगह पर हो जहां पर आप संविधान
46:15को एक सही रूप में दे पाएं पूरी जन्मानस को जैसे भारत का गौरब बढ़े
46:21मैं कैसे बताओं कि मैं करी रहा हूं आप ध्यान तो दीजिए लेकि कुछ पॉलिटिशन आपको वहां तक नहीं पहुशने दे रहे हैं
46:33देख लेंगे देख लेंगे ऐसी क्या बात है
46:37गीता पढ़ाना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है अगर ये हो गया तो बाकी सब बच्चों के खिलोने है
46:52हाई मेरा नाम दीपक है मैं भुपाल से हूँ और अचारी जी को सुनते हुए मुझे लगभग देड़ साल हो गया है
46:58शुरुवात मैंने वीडियो से की थी रील से की थी बुक्स से की थी बट थोड़े समय बाद ही मुझे समझ में आ गया कि अगर हमें आगे बढ़ना है
47:06हम वाकरी चाहते हैं कि वो साल हमारे जीवन में आ सके तो गीता कम्मुटी लाइफ सेशन से जुड़ना बहुत इंपॉर्टेंट है क्योंकि यहाँ पर आपको एक एको सिस्टम मिलता है
47:17राइट लाइट लाइफ सेशन सोते हैं एक्जाम सोते हैं समय समय पर अलग अलग प्रकार की अक्टिविटीज होती हैं तो मुझे तो बहुत फायदा हुआ इस एको सिस्टम का
47:25इसके अलावा जो एक बहुत इंपॉर्टेंट चीज जो मेरे फेवर में काम की कि शुर्शुरू में मुझे थोड़ी डिफिकल्टी आती थी समझने में थोड़ा नया था बट मैं जोड़ा रहा है
47:35मुझे दिख रहा था कि ये मेरे लिए फायदा मंध है मेरा बेटर्मेंट हो रहा है तो मैंने कुछ समय दिया जैसे हम किसी भी चीज को देते हैं जब कोई भी नई चीज हम सीखते हैं तो ओवर टाइम आफटर दो तीन चार महीन मुझे समझ में आया कि अब धीरे-धीरे म
48:05पायदे मंध है और अगर आप इमानदारी से जुड़े रहेंगे आप वाकिछ चाहते हैं कि आप एक बहतर इंसान बने आपकी लाइफ इंप्रूव हो तो अभी इस समय इंडिया में मेरे साब से इससे बहतर आप्शन नहीं है थैंकी सो मज