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00:00कुमु कश्मीर के पहल गाम में पर्याटकों पर हमला हुआ है पर्याटकों पर फाइरिंग की गई जिसमें 20 से जादा लोगों की मौत हुई है
00:30करतें यह धर्म नहीं है। सवयम को जानना और जीवन को जानना इसका नाम धर्म है।
01:00चंद लोगों को मारा जाता है आतंकी का निशाना वो करोडों लोग होते हैं जिन तक न गोली पहुचती है न गोली की आवास पहुचती है जिन तक बस हत्याकांड की ख़बर पहुचती है असली निशाना वो करोडों लोग होते हैं इसलिए से आतंक वाद कहा गया है ताकि �
01:30जब घोर युद्ध छिड़ा हो तब मिलती है गीता और तब ही उपयोगिता है गीता की
01:34अर्जुन भी श्री कृष्ण के साथ इतने सालों से थे अर्जुन को भी गीता कब मिली
01:39जब अर्जुन अपने आपको महाभारत में पाते हैं
01:43दोनों सेनाओं के बीचों बीच खड़ा है उनका रत जब इतनी बड़ी चुनोती अर्जुन स्विकार कर लेते हैं
01:49तब श्री कृष्ण आते हैं और कहते हैं कि अब मैं तुम्हें वो परम ज्यान बताता हूं जिसके बाद तुम्हारे लिए
01:56नमस्कराचार जी अभी आपसे कई मीडिया चैनल्स ने पहल गाओं आतंकी हमलों के बारे में प्रस्ण पूछा था
02:07तो आपने अपने उत्तर में भगवत गीता का उलेक किया था
02:12तो मुझे ये बात बहुत रोचक लगी है तो इस बात को मैं थोड़े और विस्तार से जाना चाहता हूँ
02:19कि आपने भगवत गीता का उलेक कियों किया था इसमें
02:21देखे कोई भी चीज गड़वड हो जाती है तो हम उससे सुधारना चाहते है
02:29कोई बीमारी लग जाती है तो हम उसका इलाज करना चाहते है
02:35ये है
02:39ये खराब हो जाए ये बिलकुल चीखने चिलाने लगे ये बहुत पागलों सा वेवहार करने लगे
02:52तो मुझे इसे ठीक करना पड़ेगा ना विक्शिप्ट हो गया ये
02:58पर इसे ठीक करने के अनिवारे शर्थ ये है कि पहले मैं इसको समझूँ
03:02और समझे बिना कुछ सुधार नहीं हो सकता
03:09जिस चीज को सुधारना चाहते हो उसको सुझना पड़ेगा
03:12इसी तरीके से आपको कोई बीमारी लग गई है
03:15कोई कीटाणू जीवाणू बैक्टिरिया आपको कुछ लग गया है
03:19आपको अगर उस बीमारी को खत्म करना है
03:24तो पहले आपको जो जीवाणू है
03:27है ना जो पैथोजन है जो बीमारी का जीव है
03:32कारक है
03:34आपको उसकी पूरी प्रक्रिया समझनी पड़ेगी
03:38कि वो पैदा कैसे होता है
03:41आप में कैसे आता है
03:43आप में फलता फूलता कैसे है
03:45आपको नुकसान कैसे पहुँचाता है
03:48ये सारी बाते जब आप समझ जाते हो
03:50तो फिर उसका इलाज बहुत आसान हो जाता है
03:55है न, तो यह जब बीमारी है आतंकवाद की, अगर हम इससे निपटना चाहते हैं, इसका सामना करना चाहते हैं, तो पहले इससे समझना पड़ेगा, यह आतंकवाद चीज क्या होती है, इसका जन्म कैसे होता है,
04:16और चुंकि आतंकवाद मनुष्य के मन की एक चीज है
04:24आतंकी बाहर बाहर से तो वैसे ही दिखता है जैसे दूसरे लोग दिखते है
04:27दो हाथ, दो पाउं, दो आँख उसके भी होती है
04:32पर उसके भीतर कुछ बदल गया होता है
04:34तो आतंकवाद चुकि मनुष्य के भीतर की चीज है
04:39तो इसलिए वो ग्रंथ, वो स्रोथ हमारे लिए
04:45बहुत लाभकर होते हैं आतंकवाद को समझने में
04:49जो हमें इनसान के भीतर क्या चलता है
04:53इस बात से प्रिचित कराते है
04:55आतंकवाद की शुरुआत कहा होती है
04:59बंदूग से नहीं होती है
05:01इनसान के मन से होती है
05:03बंदूग बाद में आती है
05:05आतंकवाद शुरू यहां पे होता है
05:06और यहां क्या चल रहा होता है
05:09यह हमें गीता जैसे ग्रंथ
05:11बहुत स्पष्टता से
05:14बहुत गहराई से
05:15और बहुत विस्तार में बताते हैं
05:18तो इसलिए गीता बहुत उपयोगी है
05:20अगर आप सचमो चातागवाद को समझना चाहते हैं
05:23और उसका खात्मा करना चाहते हैं
05:26और इसलिए बात आपको रोचक लगी
05:28बहुत बहुत लोगों को रोचक लगी है
05:30वो छोटी सी मेरी बात थी
05:32मीडिया चैनल्स के साथ
05:35पर लोगों को वो बात जो है
05:37थोड़ी गहरी लगी है
05:40जानना चाहते हैं
05:42इसी तरीके से
05:45हम
05:48इस बीमारी को आतंक वाद कहते हैं
05:55गोली वाद नहीं कहते हैं
05:57हत्यावाद नहीं कहते
05:58इसको एक खास नाम दिया गया है आतंकवाद
06:03तो यह जो बीमारी है यह
06:07आपके मन में डर भाय दहशत पैदा करने
06:14का काम करती है
06:18तभी इसका नाम ही है आतंकवाद
06:20आतंकी का निशाना वस वो लोग नहीं होते
06:25जिन्हें गोलियों से मार दिया जाता है
06:27गोलियों से तो चंद लोगों को मारा जाता है
06:30आतंकी का निशाना वो करोडों लोग होते है
06:35जिन तक न गोली पहुँचती है न गोली की आवास पहुँचती है
06:40जिन तक बस हत्याकांड की ख़बर पहुँचती है
06:44असली निशाना वो करोडों लोग होते हैं
06:46इसलिए से आतंक वाद कहा गया है
06:47ताकि उन करोडों लोगों के भीतर आतंक बैठ जाए
06:50यही आतंक वाद का उद्देश्य होता है
06:52तो आतंक की आप पर चड़ बैठता है
07:00आपके भीतर डर बैठा करके
07:02जरूरी नहीं आप पे गोली चलाए
07:04डेड़ सो करोड लोग है भारत में
07:07बहुत मुठी भर लोगों पर गोली चला गई
07:09बागी लोगों पर गोली नहीं चलाई गई
07:11लेकिन इरादा ये था कि
07:13जितने डेड़ सो करोड लोग है
07:15आतंक सब में बैठ जाए
07:17तो ये आतंक या भै डर ये क्या चीज होते हैं
07:24कोई कैसे सफल हो जाता आपको डराने में
07:26डर चीज ही क्या है और डर से कैसे मुक्त रहा जाए
07:33ये बात भी भगवद गीता सिखाती है
07:34तो आतंकवाद जन्म कैसे लेता है
07:39आतंकवाद कैसे आपको गुलाम बनाना चाहता है जुकाना चाहता है डराना चाहता है दूसरी बात
07:47और तीसरी बात कि आतंकवाद को जवाब कैसे देना है ये बात भी गीता सिखाती है तीनों बाते गीता सिखाती है
07:55क्योंकि गीता की तो प्रिष्ट भूमी ही लड़ाई के मैदान की है न
07:59वहाँ भी सामने कोई खड़ा हुआ था
08:02बड़ी भारी ताकत ले करके
08:04पांडवों से लगभग ड्योड ही उसके पास सेना थी
08:10और बड़े-बड़े महारत ही थे उसके पास
08:12और राजे भी उसी के पास था
08:15तो ऐसी इस्थित में भी शत्रू से डरे बिना
08:23उसका सामना कैसे किया जाए ये बात भी गीता सिखाती है
08:26तो इस नाते मैंने कहा था कि ऐसी जब घड़ियां राश्टर के सामने आती है
08:32तब तो गीता और जरूरी हो जाती है
08:34अरजुन सरोशेष्ट धनूरधर थे
08:38लेकिन पहले ही अध्याई में कहते हैं कि मेरी खाल जल रही है
08:44मेरी टांगे काप रही है
08:47मेरे रोएं खड़े हो रहे है
08:51मेरे भीतर विशाद है आवेग है
08:57शोका कुलता है उतेजना है
09:01मैं कैसे शान्त और स्थिर हो करके युद्ध करूँ
09:06बोले मैं गांडी रख रहा हूं और धम से बैठ जाते हैं रत पर
09:09और ये सरोशेष्ट धनूरधर हैं और इनके पास बहुत अच्छे तरीके के आयुद हैं
09:15माने हथियार हैं
09:17एक बाण नहीं चलता एक बाण नहीं चलता बिना गीता के
09:22तो जिन्दगी की जो सबसे बड़ी लडाईया होती है वो सिर्फ शस्त्रबल से या बाहु बल से या बुद्धिबल से
09:31नहीं जीती जा सकती हैं
09:33शस्त्र भी हैं अरजुन के पास और बाहु भी हैं अरजुन के पास महा बाहु कहलाते हैं
09:43और बुद्धि के भी वो तीक्ष्ण हैं
09:48लेकिन उसके बाद भी जब तक गीता नहीं आई तब तक युद्ध जीतना तो छोड़ दो
09:56अरजुन युद्ध में ठीक से प्रवेश भी नहीं कर पाए
09:58जब युद्ध सामने खड़ा हो
10:01तब तो गीता एकदम अनिवार्रे हो जाती है
10:05तो चलो पहली बात पर आते हैं
10:10कि आतंक वाद का जन्म कहां से होता है
10:14और इसको हम गीता के प्रकाश में समझेंगे
10:16कि आतंकी आता कहां से है
10:18आतंकी मा के घर्व से नहीं पैदा होता है
10:22आतंकी पैदा होता है एक माहौल से
10:28और उस माहौल को जो वो अपनी अज्ञानगत प्रतिक्रिया देता है
10:35जो उसका इग्नूरेंट रियाक्शन होता है
10:38अपने महौल के प्रतिव उससे आतंकी पैदा होता है
10:42जितनी भी counter-terrorism research है
10:46और psychology और sociology
10:49खूब research हुई है क्योंकि पिछले 20-30 सालों में
10:54आतंकवाद सिर्फ भारत जैसे विकासशील देशों की नहीं
11:00बल्के विकसित देशों की भी बिमारी बन गया है
11:029-11 जानते हो न तो खूब research हुई
11:05यह counter-terrorism research
11:09कि आतंकवादी कैसे पैदा होता है कैसे पनपता है
11:12तो पता चला कि जिन जगहों पर
11:16गरीबी सबसे ज़्यादा होती है
11:19अशिक्षा सबसे ज़्यादा होती है
11:22और माहौल में धार्मिक कटरता होती है
11:30माने धर्मान्धता होती है ऐसी कि जिसमें सवाल पूछना मना होता है
11:35उन जगहों से सबसे ज़्यादा आतंकी पैदा होते है
11:39गरीबी
11:41अशिक्षा
11:44और कटरता का महौल
11:48धर्मान्धता का महौल
11:51इसके लाबा भी बहुत सारे और कारक होते हैं
11:54उधारन के लिए राजनातिक अस्थिर्ता
11:57जहां राजनातिक अस्थिर्ता ज़्यादा होती है
11:59उन जगहों से आतंकवादी ज्यादा निकलते हैं
12:01जिन जगहों पर कानून वे अस्था ठीक नहीं होती
12:03रूल अफ लौ नहीं होता वहां से आतंकी
12:05ज्यादा निकलते हैं
12:07जिन जगहों पर
12:08कोई पहले से ऐसे संगठन सक्रिय होते हैं
12:12जो युवकों
12:14को बिल्कुल
12:15ब्रीनवाश करके
12:18गुमराह करके
12:19और उग्रवादी संस्थाओं में
12:24दाखिला करते हूं
12:26वहां से आतंकी ज्यादा निकलते हैं
12:28तो और भी कई कारक थे
12:29लेकिन जो प्रमुख कारक निकले हैं
12:33कि वो हैं
12:35अशिक्षा
12:36घरीबी
12:37और धर्मान्धता का
12:41महौल
12:41इसके अलावा कुछ ऐसी बाते निकली हैं
12:45जो
12:45जिनको हम
12:48causal factors नहीं बोल सकते
12:50मने कारक नहीं बोल सकते
12:52पर वो बाते correlated हैं
12:54मने जहां से उग्रवादी निकलते हैं
12:57उन जगों पर आमतोर पर ये चीज़े भी पाई जाती हैं
12:59तो उन में से एक है
13:01तेजी से वड़ती होई जनसंख्या
13:04महिलाओं
13:07का समाज में
13:09गिरा हुआ स्तर
13:13एक high fertility rate
13:17ये सब भी
13:19उन समाजों के लक्षन होते हैं
13:22जन समाजों से आतंकी पैदा होते हैं
13:25समस्चार ये बाती है
13:27ये सब के
13:29सब किधर की और इशारा کر रहे हैं
13:32ये सब के सब इस और को
13:35इशारा कर रहे हैं
13:37कि
13:37मनुष
13:39पैदा तो
13:41पशू ही होता है न
13:43और
13:46अगर उसको सही शिक्षा नहीं
13:48मिली
13:48तो फिर वो पशुही रह जाता है
13:52मनुष्य पैदा तो पशुही होता है
13:55भेई प्रत्वी पर
13:58चार बिलियन साल पहले
14:00जीवन की शुरुआत हुई थी
14:02और मनुष्य का होना
14:07हमारी प्रजाति होमसेपियेंस का होना
14:09उस चार बिलियन साल की तुलना में
14:11बड़ी ताजी ताजी घटना है
14:13और उसमें भी आगए ये कि
14:17जंगल से हम अगदम ही ताजे ताजे बहार आए है
14:19बहुत समय नहीं हुआ हमे
14:22सिर्फ
14:2310,000 साल पहले मनुष्य ने खेती
14:25शुरू करी है इससे पहले तो जंगल में अपना
14:27घुमता रहता था और कुछ मिल गया
14:29उठा के खा लिया
14:30यही सब चलता था
14:33तो हम पशुही हैं अभी भी
14:35हम अभी भी
14:37पशुही हैं
14:39लगभग 70,000 साल पहले तक
14:41मनुष्य में ये ख्षमता भी नहीं थी कि
14:43जैसे आप आज सोच लेते हो आपके पास
14:45जो सोचने की ख्षमता है
14:46जो cognitive abilities है
14:4770,000 साल पहले तो वो भी नहीं थी
14:49और 70,000 साल पहले बहुत
14:51पास की बहुत हाल की बात है
14:53क्योंकि प्रत्वी पर जीवन
14:56बहुत बहुत बहुत पहले से है
14:58एक बिलियन कितना होता है
15:01सौ करोड
15:03तो चार बिलियन वर्ष पहले से
15:06प्रत्वी पर जीवन है
15:07और मनुष्य ने तो हाल में सोचना शुरू किया
15:10और सोचने के बाद भी
15:11वो अभी सिर्व 10,000 साल पहले तक
15:13जंगल में ही रहता था
15:14हम अभी भी जानवर ही है
15:15और जानवर
15:17न नैतिकता जानता है
15:21ना करुणा जानता है
15:23जानवर तो बस अपने
15:25प्रक्रति प्रदत्त स्वार्थ जानता है
15:28बंदर को केला चाहिए तो चाहिए
15:32शेर को मास चाहिए तो चाहिए
15:34बस जानवर के साथ
15:36ये गनीमत रहती है
15:37कि शेर का जब पेट भर जाएगा
15:40उसके बाद उस बरदस्ती हत्या कांड नहीं करेगा हिरिनों का
15:42उसका पेड भर गया तो उसने फिर नहीं है
15:45तो मनुष्य में वो सब स्वार्थ भी है जो पशुओं में रहते हैं
15:49लेकिन साथी साथ मनुष्य में बुद्धी भी है
15:52बुद्धी भी है
15:54तो इसके कारण वो उस स्तर की हिंसा कर सकता है
15:58जिस स्तर की हिंसा कभी जानवर करी नहीं सकते
16:01तो मनुष्य न सिर्फ पशु है बलकि बहुत खतरनाग पशु है
16:05अब आपने इस पशु को सही शिक्षा दे करके अगर इनसान नहीं बनाया
16:12आप एक ऐसी जगह पैदा हो रहे हो जहां किनी कारणों से
16:17शिक्षा को महत्तु ही नहीं दिया जाता
16:19और बहुत सारे देश हैं जहां शिक्षा को सिर्फ इसले महत्तु नहीं दिया जाता
16:23क्योंकि अगर शिक्षा को महत्तु दे दिया गया
16:24तो उनको लगता है कि मजभब खत्रे में पढ़ जाएगा
16:30क्योंकि देखिए विज्ञान बहुत सारी ऐसी बाते बताता है
16:37जो कि आपकी माननेताओं के विपरीज जाती हैं
16:42तो आप कहते हो कि हम इनको विज्ञान पढ़ने ही नहीं देंगे
16:45क्योंकि अगर उन्होंने विज्ञान पढ़ लिया
16:48तो फिर ये हमारी परंपरा से और हमारे मजभब से ही दूर चले जाएंगे
16:55तो शिक्षा कई बार तो सयोगवश या अन्य कारणों के वश उपलब्ध नहीं होती
17:04और कई बार जान बूज करके समाज को अशिक्षित रखा जाता है ताकि समाज अंधविश्वासी रहे
17:17और उसके उपर जो धर्म के ठेकेदार बैठे हैं वो राज कर सकें
17:24तो हम जो वहाँ पर जो बच्चे पैदा होते हैं फिर उनको पढ़ने नहीं देते
17:35हम कहते हैं अगर उन्होंने पढ़ लिख लिया तो यह मारे काबू से बाहर हो जाएंगे
17:40अधर में पढ़े लिखे आदमी को वहचारिक रूप से गुलाम बनाना पर मुश्किल हो जाता है
17:49उसो भी बनाया जा सकता है बिलकुल पर जो बिलकुल निरक्षर है कुछ जानता नहीं
17:55उसको बेवकूफ बना लेना अपने सामने जुगा लेना उसे कोई भी पट्टी पढ़ा देना थोड़ा ज्यादा आसान होता है
18:02तो एक तो ज्यादा तर आतंकवादियों में आप ये पाएंगे कि वो पढ़े लिखे नहीं है
18:09या कम पढ़े लिखे हैं अपवाद भी होते हैं ऐसे भी आतंकवादी पकड़े गए हैं जिनों डॉक्टरेट कर रखी थी
18:18इंजिनियर आतंकवादी भी पकड़े गए ये सब हैं पर उनकी तादाद कम है
18:24ज्यादा तर जो आतंकवादी हैं ये अविकसित जगहों से निकलते हैं
18:30दक्षिन एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका, वेस्ट एशिया
18:40और इन सब जगहों पर ही समाजिक हालाद अच्छे नहीं है
18:49तो वो जो पशु पैदा होता है उसे इनसान बनने का पूरा मौका नहीं मिलता
18:56ये बात गीता बहुत साफ करके कहती है
18:59कि जिनके पास उठी हुई चेतना नहीं है
19:09वो तो अभी जीवित ही नहीं है
19:14क�ृष्ण कहते हैं अरजन से, अरजन तुम
19:19इतना शोक कर रहे हो कि मैं युद्ध कैसे करूं
19:22तुम्हें लग रहा है कि ये बिचारे कहीं मर गए
19:26तो मैं क्या करूंगा अरजन कहते हैं
19:28कि ये सब मेरे अपने सगे संबंदी है
19:34एक जगह आकर क्रिश्ण अर्जन से कहते हैं ये मरे हुए हैं जो पहले से मरे हुए हैं उनको यदि मारना भी पड़ा तो उसमें शोक की क्या बात है इस बात को समझना पड़ेगा क्या कह रहे हैं क्रिश्ण क्रिश्ण कह रहे हैं कि वास्ताव में जीवित कहलाने का अधिका
20:04तो आपही कैसे कह रहे हो कि मैंने एक मनुश्य को मार दिया, वो तो मनुश्य भी है ही नहीं, तो मनुश्य भी है ही नहीं, तो आतंकवादी हमें समझना पड़ेगा कि पनपता है अज्ञान के अंधेरे में,
20:19ग्यान जितना कम होगा वहां से उग्रवाद के उठने की संभावना उतनी जाता होगी
20:27इसको व्यक्तिगत स्तर पर भी समझा जा सकता है
20:30जिस व्यक्ति के पास जितना कम ग्यान होता है
20:34उसको उतनी आसानी से कुरुध कुपित और उतेजित किया जा सकता है
20:43और जो वेक्ते दुनिया को जितना ज्यादा जानता है और सोयम को जितना ज्यादा जानता है
20:50उसको आतंक की और हिंसा की राह पर ढखेलना बड़ा मुश्किल हो जाएगा
20:58उसको किसी भी राह पर जबर जस्ती ढखेलना बड़ा मुश्किल हो जाएगा
21:02वो कहेगा मेरे पास मेरा भीतरी प्रकाश है
21:05मैं अपनी रहा खुद बना लूँगा
21:06तुम लोग मुझे मत बताओ कि
21:08मुझे ये करना चाहिए वो करना चाहिए
21:11धर्म बड़ी विक्तेगच चीज होती है
21:13वो
21:15सत्ते और मेरे
21:18बीच
21:20का हमारा निजी रिष्टा है
21:22तुम मुझे मत बताने हो बाकी सारी बते
21:25कि ऐसा करोगे तो ऐसा होगा
21:27ये करोगे तो
21:29स्वर्ग नर्क और जन्नत दोजख
21:32ये सब हो जाएगा वो मैं देख लूँगा
21:33क्योंकि
21:35मुझे मेरे बाहरी शिक्षा भी है
21:38मेरे पास भीतरी यान भी है
21:39जो धार्मिक किताबे है
21:42मेरे पास आखें भी है
21:43और मेरे पास बुद्धी भी है
21:46मैंने खुद पढ़ रखी हैं वो किताबे
21:48और मैं सुम उनका आर्थ करना जानता हूँ
21:52और जहां आर्थ नहीं कर सकता
21:54वहां मैं
21:55ये भी जानता हूँ कि किस तरीके से और कहां जाकर के उसका अर्थ पूछा जाए
22:00तो कोई मेरा मालिक बनने की कोशिश न करे
22:05कोई मुझे कटपुतली की तरह इस्तिमाल करने की कोशिश न करे
22:09आरी बात समझों
22:11जब आप ये समझ जाते हो कि आतंकवाद पैदा ऐसे होता है
22:15तो फिर आप ये भी जान जाते हो कि आतंकवाद को जड़ से कैसे समाप्त करना है
22:20देखो बंदूग चलाने की बंबरसाने की जरूरत कई बार होती है
22:27और जब वैसी जरूरत आही जाए तो क्या करें
22:32दुरभागे की बात है लेकिन बंदूग भी चलाए रियाएगी और बंबी बरसाया जाएगा
22:35लेकिन अगर आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना है तो उसे वहीं समाप्त करना पड़ेगा
22:41जहां वो पैदा होता और वो पैदा होता है इंसान के मन में
22:44इनसान के अंधेरे मन में
22:48उस अंधेरे को मिटाना पढ़ेगा
22:49तब जाकर के आतंकवाद का
22:51मूलचूल
22:53समूल
22:55मने जड़ से नाश होगा
22:58नहीं तो फिर आप
22:59मारते रहे रक्त बीज की कहानी पता है न
23:03रक्त बीज की क्या कहानी थी
23:05तो रक्तवीज एक असुर था
23:11और उसकी खास बात ये थी
23:13कि उसको मारा जाए
23:17तो जहां जहां उसके खून के बुंदे गिरें
23:20वहाँ वहाँ एक रक्तवीज और खड़ा हो जाए
23:23मारना बड़ा मुश्किल है
23:25तो सिर्फ मारने से आतंकवादी नहीं मरता
23:29हर आतंकवादी रक्तवीज होता है
23:31और कहीं ने कहीं वह चाहता है कि वह मारा जाए
23:35या कम से कम जो उसके आका होते हैं
23:38वह चाहते हैं कि वह मारा जाए
23:40क्योंकि जब वह मारा जाता है
23:42तो फिर उसकी शहादत की कहानिया सुना करके
23:45रक्त बीज की तरह सौ और आतंकी
23:48खड़े किये जाते है
23:48उसको नायक, शहीद, हीरो का
23:52दर्जा दे दिया जाता है
23:53तो आप बाहर से उसको मार दोगे
23:57तो आप सौ और पैदा कर दोगे
23:59हमें
24:03बहुत सफलता वैश्विक स्तर पर
24:06माने किसी भी देश को
24:08मिली नहीं है बहुत सफलता
24:10सिर्फ बंदूग के माध्यम से
24:12आतंकवाद का सफाया करने में
24:14नहीं मिली है
24:15अब पूरी जन संख्या तो कहीं
24:18कि तो मुडा नहीं दोगे
24:19एक को मारोगे
24:22उसकी खबर जाती है
24:23अब तो सोशल मीडिया है
24:25उसकी खबर जाती है
24:26और बाकी जो उसको देखते हैं
24:28वो और रेडिकलाइज होता थे है
24:30वो और ज्यादा उतेजित
24:33inspired अनुभाव करते हैं
24:36कि हमें भी यही दिंदगी चाहिए
24:37अब भी बहुत होता था कि
24:40एक आतंकी मरता था
24:42और उसकी शवयात्रा निकलती थी
24:44तो उसमें हजारों
24:46लोग जाकर के शामिल होते थे
24:48और जो लोग शामिल हो रहे होते थे
24:50उन्हें जो जवान लोग होते थे
24:52उन्ही में से फिर कुछ जाकर के बंदूग उठा लेते थे
24:54तो मैं नहीं कह रहा हूँ कि
25:00कोई आपके सामने
25:02बंदूग लेकर के खड़ा है
25:03तो उसका जवाब अब बंदूग से ना दे
25:07वो आखरी विकल्ब होता है
25:11जो दुर्भागे से कई बार
25:12हमें अपनाना पड़ता है
25:14तो बंदूगे चलती है
25:17बंदूगे चलेंगी
25:18बम चलते हैं आगे भी बमों का इस्तेमाल होगा
25:32और ज्यादा बिगण जाए
25:34क्योंकि
25:36क्योंकि उसके शरीर में नहीं थी ना समस्या
25:39क्या आपने शरीर को गोली मार दी
25:41तो आपने आतंकवाद को गोली मार दी
25:43शरीर में थोड़ी समस्या थी
25:47आपने उसके यहां चाती में गोली मार दी
25:49जिसकी च्छाती में थोड़ी कुछ खराब था,
25:51खराब कुछ कहां था,
25:52कुछ उसके मन में खराब था,
25:54तो उसका उपचार वहां करना पड़ेगा,
25:58वैसे अब आते हैं दूसरी बात पर,
26:03कि नाम है उसका आतंकवाद,
26:05टेररिज्म,
26:05वो आपको मारना नहीं चाहता,
26:09वो आपको टेरराइज करना चाहता है,
26:13वो 1, 2,
26:14या 10, 20, 50 लों की हत्या करके,
26:1750 करोड या 100 करोड लोगों को,
26:20दहिशत में रखना चाहता है,
26:23उसको कहते हैं आतंकवाद,
26:24टेरिज्म, दहिशतगर्दी,
26:27आरी बात,
26:28क्योंकि उसको पता है कि आप डर जाओगे
26:31और गीता कहती है डरना कैसा तुम क्या खो सकते हो
26:37तुम्हें बचाना क्या है
26:39तुम्हें क्या बचाना है
26:43तुम तो पैदा हुए हो
26:47सही काम करके अपने बंधन तोड़ने के लिए
26:51मुक्ते के लिए पैदा हुए हो तुम
26:53तुम कुछ बचाने के लिए नहीं पैदा हुए हो
26:56तुम लिबरेट हो जाने के लिए पैदा हुए हो
26:59तो तुम बचाने की क्या उशिश कर रहे हो
27:00डर तो तब होता है न जब आदनी कहता है
27:02कि फलानी कीज़ बचा लूँ बचा लूँ बचा लूँ बचानी के लिए तो हुआ ही नहीं हो
27:05मनुष्य जीवन तो इसलिए है कि अपने बंधन काट सको
27:11यह जो भव सागर है इसके पार लग सको
27:16इसमें गठरी बांधने वाला कोई हिसाब नहीं है
27:20कि तुम काओ मेरा कुछ हो जाएगा खो जाएगा नहीं
27:23अरजुन से ये थोड़ी कहते हैं श्री कृष्ण के अपने आपको बचाओ
27:26और ना अरजुन को ये फरोसा दिलाते हैं कि लड़ोगे तो जीट जरूर मिलेगी
27:31एक भार भी उससे नहीं कहते कि मैं तुम्हारे साथ हूँ
27:37मृत्य तुम्हें छून नहीं सकती कुछ भी नहीं
27:39कहते हैं बस निश्काम हो करके युद्ध करो
27:42यही धर्म है
27:44क्योंकि तुम जान गए होगा वरजुन
27:50कि सही कर्म क्या है
27:54और वो सही कर्म तुम अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं कर रहे हो
27:58वो निश्काम कर्म है निस्वार्थ कर्म है
28:00तो जो चीज सही है इस रिष्टी से नहीं कि उससे मुझे कोई व्यक्तिगत लाब हो जाएगा
28:05बल्गे इस रिष्टी से कि समझ्टी को उससे लाब होना है उसको फिर करो न डरना क्या है जितना ज्यादा आप व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए जी हो गए आप उतना ज्यादा डरे डरे रहोगे और उतना ज्यादा फिर आपको आतंकवाद का निशाना बनाया जा सकता है
28:35नहीं, डराने की कोशेश, समझो, उसी को की जाती है, जो डर सकता है, और भारत अगर गीता का हो जाए, तो भारत डर नहीं बंद कर दे,
28:53दुनिया में कोई भी लोग अगर गीता के हो जाए, कोई भी विक्त अगर गीता का हो जाए, कोई भी समाच समुदा है, तो डर तो चला जाएगा ना, क्योंकि डर तो आता ही है आत्म ग्यान के अभाव से, जो सोयम को जितना कम जानता है, वो उतना डरा डरा जीवन जीता है,
29:23उतना अनुपलब्ध होता जाएगा
29:25क्योंकि आतंकवादी आता है
29:27अपना काम निकलवाने
29:29तुमसे तुमको डरा करके
29:31और तुम डरी नहीं रहे
29:32तो आतंकवादी को सारा खेली खराब होगे न
29:35तो जो है रही बात
29:39और अगर
29:41तुम डर गए
29:43और
29:44तुम में भावना आ गई
29:47कि मैं बदला लूँगा
29:49दो तरह की आम तोर पर
29:51भावना आती है किसी ऐसे
29:52बरबर हत्याकार्ण के बाद
29:54एक शोक की
29:55और दूसरा नफरत और बदले की
29:58शोक होता है क्योंकि
30:00आपने लाशें गिरती देखी है
30:01वीबत स्तरिश है
30:04एक शोक की बाता आती है
30:06अरजन भी शोक में थे
30:08इसलिए मैंने कहा कि
30:11गीता ऐसे मोखों पर बहुत जरूरी हो जाती है
30:14अरजन विशाद योग गीता का पहला अध्याए ही
30:16अरजन के शोक से शुरू हो रहा है
30:20अरजन भी शोक में है
30:22और आप अपने सामने जब देख रहे हो कि आपके ही साथ के लोग हैं देश्वासी हैं और निरपराद हैं बिना बाद के उनको मार दिया गया है जो बच गए हो बिलग-बिलग के रो रहे हैं तो शोक तो होता है
30:37और दूसरी फिर भावना क्या आती है कि एक उग्रता चड़ती है भयानक क्रोध चड़ता है और भावावेश में आप कहते हों कि मुझे दुश्मन को मार देना है गीता इन दोनों बातों के लिए मना करती है
30:55खास कर भावना में आकर उग्र प्रतिक्रिया करने के लिए
31:12अगर युद्ध जीतना है तो शान्त हो कर लड़ना पड़ेगा अगर युद्ध जीतना है तो जो वास्तविक शत्रु है उसको भी पहचानना पड़ेगा
31:25और सोयम को भी और उसके बाद आप लड़ते तो हो बाहर बाहर भीतर से आप स्थिर रहते हो बाहर जबरदस्त गती होती है क्योंकि बाहर आप बहुत उगरता से लड़ रहे हो पर भीतर भीतर आप दिलकुल शान्त रहते हो
31:43और ऐसा योध्धा मारा तो जा सकता है, हराया नहीं जा सकता
31:50अर्जुन का भी यही होना था, श्री कृष्ण कोई गारंटी नहीं दे रहते जीतों के
31:58लेकिन एक बात पक्की थी, अर्जुन हार नहीं सकते थे
32:02आई यह दरूर हो सकता था, आई योग की बात
32:07कि भी इरगती को प्राप्त हो जाते हैं, वो हो सकता
32:12था, हारना लेकिन असंभव था, क्योंकि हारने के लिए आपको
32:17जिन्दा रहना पड़ता है न, जो कह दे कि मैं जान गया हूं कि यही मेरे
32:23लिए सही युद्ध है, वो तो लड़ता ही जाएगा, लड़ता ही जाएगा, मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, वो हार कभी सुईकार ही नहीं करेगा, वो हारा कैसे, उसके जब तक एक भी सांस बची है, वो लड़ता जाएगा, तो आप उसे हरा नहीं सकते, हां मार दो, �
32:53एच चीज पक्की है
32:54अगर आप
32:57बिलकुल उत्तेजित होकर
33:00आवेश में कोई निर्णे ले ले लेते हैं
33:03तो आप बिलकुल वही काम कर रहे हैं
33:05जो आतंकवादी आपसे करवाना चाहते थे
33:07कमशारी बात यह
33:16अब उदारन के लिए
33:22सिर्फ मारा नहीं है
33:23मारने से पहले धर्म पूछा है
33:25यह एक सूची समझी चाल है
33:30भारतियों को ही भारतियों के खिलाफ बाट देने की
33:36हमें उस चाल को सफल नहीं होने देना है
33:42समझारी बात
33:47वो जिन्होंने मारा उन्होंने पूछा बहले बताओ तुम हिंदू हो
33:57तो ऐसा लगए कि जैसे वो
34:01सिर्फ हिंदूओं के ही दुश्मन थे
34:03नहीं उस सिर्फ हिंदूओं के दुश्मन नहीं थे
34:06वो भारतियों के दुश्मन थे
34:10वो भारतियों को भारतियों से बातना चाहते हैं
34:14क्योंकि उन्होंने पता ये खبार अब बाहर जाएगी
34:15हर ज़गर यही छपेगा कि देखो
34:17धर्म पूछ के मारा, धर्म पूछ के मारा कल्मा नहीं पड़ पाया तो इसलिए मारा
34:21तो उनको सिर्फ हिंदू का दुश्मन मत मानो
34:26वो हर भारतिये के दुश्मन है चाहे वो हिंदू हो चाहे मुसल्मान हो
34:30इसी लिए
34:34चाहे वो कश्मीरी हो और चाहे भारती मुसल्मान हो
34:39उनके भी हित में यही है
34:41कि वो आतंकवाद की न सिर्फ मौखिक निंदा करें
34:46बलकि आतंकवाद के खिलाफ यह जो लड़ाई है
34:51हर तल पर उसमें सक्रियता से भाग लें
34:56क्योंकि जो आपके खिलाफ है
34:59वो वास्तों में किसी धर्म वगएरा का नहीं है
35:04उसको समस्या भारत राष्टर के सिधान्त से है
35:09उसको समस्या सिर्फ किसी धर्म से नहीं है
35:14कि आपको लेगी वो हिंदू धर्म के खिलाफ है
35:16उनको समस्या भारत राष्ट्र के सिधान्त से ही है
35:21और जो भारत राष्ट्र का सिधान्त है
35:25वो बड़ा अध्यात्मिक है
35:28विदान्त के जो सूत्र है
35:35वो सरल हो करके
35:39आपके समविधान में एक सामाजिक
35:45और लीगल भाषा रूप पाते है
35:52उनकी समस्या उस बात से है
35:55समझ में आरी भा
35:58तो संखर्ष तो जरूर होना चाहिए
36:05लेकिन संखर्ष को हम अपने तरीके से करेंगे
36:12अपनी शर्तों पर करेंगे
36:15अपने बोध से करेंगे
36:17कोई आकर आप से प्रतिक्रिया ले जाए
36:22तो जीत गया
36:24उन्हारण के लिए मुझे पता है
36:27कि मैं तुम्हारे कंदे पर पीछे से ऐसे मारूँगा
36:30तो तुम चिला करके पीछे मुड़ोगे
36:33तुम मेरे लिए तो ये मज़ेदार खेल हो गया ना
36:38मैं बार बार पीछे से जाऊँगा तुम्हारे कंदे में मारूँगा
36:39तुम चिला के पीछे मुड़ोगे
36:41तुम देखा ये मेरा गुलाम है
36:42मैं जब चाहता हूँ
36:44इसको चिल लवा देता हूँ
36:47और पीछे मुड़वा लेता हूँ
36:48इसकी
36:50तो जो क्रियाएं हैं वो मेरे हाथ में आ गई अब
36:53ये होती है प्रतिक्रिया
36:54आप जब प्रतिक्रिया करते हो तो आप दूसरे के
36:59गुलाम हो जाते हो
37:00और जब आप भावनात्मत
37:03प्रतिक्रिया करते हो तो आप
37:05अपने ही भीतर के पशुता की गुलाम हो जाते हो
37:07तो यानि
37:09emotional reaction देने वाला
37:11दोनों तरफ से गुलाम हो गया
37:12भीतर से भी और बाहर से भी
37:15emotion कहां से उठता है
37:17शरीर से
37:17जो हमारे मुख्य भाव होते हैं
37:21वो सब के सब वो भी होते हैं
37:23जो पशु में भी पाए जाते हैं
37:25तो आप अगर emotional reactiveness
37:27दिखा रहे हो
37:28तो आपकी
37:31पशुता ही प्रदर्शित हो रही है उसमें
37:33और वो emotional reactiveness
37:35आप दूसरे द्वारा trigger किये
37:37जाने पर दिखा रहे हो
37:38तो दूसरा भी आपका
37:41मालिक हो गया
37:42माने आप दो तरह से गुलाम हो गए
37:43आप अपने शरीर के गुलाम हो गए
37:44आप जंगल के गुलाम हो गए
37:46और आप वो जो सामने व्यक्ते हैं
37:48उसके गुलाम हो गए
37:48माने आप समाची गुलाम हो गए
37:49अब शरीर और समाज दोनों गुलाम हो गए अगर आपने दूसरे के भढ़काने पर प्रतिक्रिया कर दी
37:57गीता इसलिए है ताके शान्त युद्ध लड़ा जा सके
38:06श्री कृष्ण कहते हैं विगत जार युद्ध्यस्थव
38:12विगत माने आगे निकल जाओ जुवर माने उत्जना से गर्मी से विगत जुवर युद्ध्यस्थव माने लड़ो लड़ो
38:28लेकिन ताप के साथ नहीं शीतलता के साथ कापते हुए नहीं देखा है न क्रोध में हाथ सब कैसे कापने लगता नहीं लड़ना है
38:40इस्थिर होकर के लड़ना है
38:42लड़ना तो जरूर है
38:43और जब कृष्ण साथ होते है
38:45तो आदनी फिर
38:47यह नहीं सोचता है कि लड़ाई का अंजाम क्या होगा
38:51और कहता है लड़ाई अगर सही है तो जरूर लड़ेंगे
38:54बरिणाम की परवहा नहीं
38:56लड़ी जाएगी
38:57लेकिन अंधी लड़ाई नहीं लड़ेंगे
39:00तो जब भी कभी किसी राश्टर के सामने
39:04हिंसक चुनौतियां खड़ी हो जाए
39:07उस राश्टर को गीता की बड़ी जरूरत पड़ेगी
39:11जब भी किसी व्यक्ति के सामने
39:15भी भारी चुनौतियां खड़ी हो जाएं
39:16उस व्यक्ति को भी गीता की बड़ी जरूरत पड़ेगी
39:19हम क्या सोचते हैं कि गीता तो एक धर्म ग्रंत है
39:22मात्र जिसका उपयोग मंदिर में हो जाएगा
39:28या धर्मिक आयोजनों में हो जाएगा
39:33हमने धर्म को जीवन का एक छोटा सा कोना बना रखा है नई
39:38गीता जीवन का कोना नहीं है गीता जीवन का आधार है
39:44आपको कोई भी सही काम करना है तो आपको गीता का प्रकाश चाहिए
39:50और गीता बस कोई ऐसी पुस्तक नहीं जिसको आपने रख दिया है और आप पूज लेते हो
39:56उसमें गहराई से प्रवेश करके उसको समझना पड़ता है
39:59और जो गीता को समझ गया वो जीवन में हार तो नहीं सकता
40:02वो किसी का फिर गुलाम तो नहीं बन सकता
40:05न तो उसको बहका करके आतंकवादी बनाया जा सकता है
40:14और न किसी आतंकवादी के भणकाने पर वो अंधी प्रतिक्रिया करने वाला है
40:20जो गीता का व्यक्त है
40:25जो गीता को जानता है समझता है
40:30उसको आप बहका करके आतंकवादी भी नहीं बना सकते
40:34और किसी आतंकवादी के द्वारा गीता का ज्ञानी भढ़काया भी नहीं जा सकता
40:41हमसे आ रही बात यह तो गीता विदान्त अध्यात्म ही दुनिया का पूरा विस्टम लिटरिचर बोद साहित
40:55यह इसलिए नहीं होता है कि जब शान्ति होगी तब हम इसको पढ़लेंगे लोग ऐसे ही कहते हैं
41:02लोग कहते हैं जब थोड़ा शान्त होंगे तब जाएंगे और पैठेंगे पढ़ेंगे गीता वगरा नहीं
41:07जब युद्ध की घड़ी हो तब उठाओ गीता को जब जीवन में संघर्ष और चुनोतियां खड़ी हो तब उठाओ गीता को
41:15अरजुन को गीता कब मिली थी किसी वन के शान्त कोने में जब अरजुन बिलकुल नहाध हो करके
41:23शांत चित्त से आये थे
41:26और श्री कृष्ण से बोले थे रंस परिश करके
41:27कि मुझे कुछ ग्यान दीजिये नहीं
41:29जब घोर युद्ध छिडा हो
41:32तब मिलती है गीता और तब ही
41:33उपयोगिता है गीता की
41:34इसका मतलब यह भी है कि
41:37जीवन में जो लोग
41:39युद्धों से, संघर्षों से, चुनोतियों से
41:41दूर भागते हैं उन्हें गीता कभी
41:43मिलेगी यह नहीं
41:44अर्जुन भी
41:47श्री कृष्ण के साथ इतने सालों से थे
41:49अर्जुन को भी
41:51गीता कब मिली
41:52जब अर्जुन अपने आपको
41:55महा भारत में पाते हैं
41:59दोनों सेनाओं के बीचों बीच
42:04खड़ा है उनका रत
42:05जब इतनी बड़ी चुनोती
42:09अर्जुन सुईकार कर लेते हैं
42:12तब श्री कृष्ण आते हैं
42:13और कहते हैं कि अब मैं तुम्हें
42:15वो परम ज्यान बताता हूँ
42:17जिसके बाद तुम्हारे लिए
42:19शान्त होकर
42:21लड़ना संभव हो पाएगा
42:23क्योंकि अर्जुन मैदान में तो आ गए थे
42:25पर बड़े विचलित थे
42:27और लगभग वो तै कर चुके थे ही लड़ूंगा नहीं
42:31तब कहते हैं
42:32यहां तक तुमने कर लिया
42:34बहुत अच्छी बात
42:35अब मैं तुम ऐसा हारा देता हूँ
42:38पर वहां तक तो
42:40खुद ही करना पड़ेगा ना जहां तक अर्जुन ने करा था
42:42मने चुनोतियां स्विकार तो स्वेम ही करनी पड़ेगी ना
42:45जो उन चुनोतियां को स्विकार करते हैं
42:46सुलिकार करने के बाद वो पाते हैं
42:48कि अब गीता
42:50उनके लिए उप्योगी हो गई
42:51अरी ये बात हे
42:56तो गीता का
42:58संदेश जीवन से भागने का नहीं है
43:01गीता का संदेश
43:02है जीवन की सब चुनावतियां
43:04सुलिकार हो
43:04उनही चुनावतियों से
43:08जूज करके मुक्ति मिलनी है
43:10सब चुनौतियां बंधन है एक प्रकार के
43:14और जो बंधनों से जूज हैगा नहीं
43:16मुक्ति क्या पाएगा
43:17लेकिन
43:21आप अगर बेडियों में जकड़े हुए हो
43:24और बिना समझे कि ये बेडियां आपको
43:28किस तरह से जकड़े हुए है
43:29आप उनसे उलजना शुरू कर दो
43:32तो क्या नतीजा निकलता है
43:33आप और उलज जाते हो न
43:36पांच साथ रस्यों में आपको बांदिया गया है
43:39और अपने हाथ पाओं आप उल्टे-पुल्टे फेगना शुरू कर दो
43:41तरलप करके छट-पटा के
43:43कि मुझे आजाद होना है किसी तरीके से
43:45तो क्या होगा आप और उलज जाओगे
43:47तो एक और तो
43:49ये संकल्प होना चाहिए
43:51कि मुझे बंधनों में
43:54फसे नहीं रहना है मुझे चुनोतियों के आगे
43:55खुटना नहीं टेकना है और दूसरी ओर
43:57एक शांत बोध और ज्ञान
43:59होना चाहिए कि अब ये
44:01चुनोतियां है क्या मैं इनको गहराई
44:03से समझूँ और उस
44:05समझने से ही फिर
44:07संघर्ष
44:09का मार्ग पता चलेगा
44:11और फिर विजय मिलेगी
44:13बिना समझे जो संघर्ष
44:15किया जाता है
44:16उसमें विनाष निश्चित होता है
44:18आप अपने दुश्मन को
44:21समझते तो हो नहीं पर जाके उलज गए
44:23तो आप जीतोगे के हारोगे
44:24गीता कहती है
44:27समझो
44:27समझना बहुत जरूरी है
44:30समझना बहुत जरूरी है
44:32अरजुन को क्या समझाया था
44:35श्री कृष्ण ने
44:35अरजुन को अरजुन का ही मन समझाया था
44:38अरजुन को अरजुन के ही भीतर ले गए थे
44:40श्री कृष्ण बोले देखो तुमारे भीतर क्या चल रहा है
44:42अब बताओ फसना है इसमें
44:44अब बताओ
44:47जो अपने ही भीतर फसा रहे, वही समझलो दुर्योधन है, वही दुशासन है, और दुर्योधन से याद आया, तुमने कहा ना कि मीडिया चैनल्स पर इंट्रिव्यू दिया था, जब उन्होंने पूछा,
45:06अरजुन ऐसा कोई समय नहीं था, जब तुम नहीं थे या मैं नहीं था, तो उसी बात को थोड़ा आगे आप विचार करें, तो ये भी सही है, फिर ऐसा भी कोई समय नहीं था, जब दुर्योधन नहीं थे,
45:20वहने पहली बात यही कही थी, कि अरे भाई, श्रीकृष्ण कहते हैं अरजुन से, कि ऐसा कोई काल नहीं था, जब तुम नहीं थे या मैं नहीं था,
45:32और ये जो ज्ञान भी है
45:36जो भी मैं तुमसे कहने जा रहा हूँ
45:37ये ज्ञान भी सनातन है
45:40ये पहले भी चलता रहा है
45:44तुम भी रहे हो पहले
45:47और मैं भी रहा हूँ पहले
45:48बस तुम्हें याद नहीं है
45:49मुझे याद है
45:50मैंने खा अरे जब श्रीकृष्ण
45:52फिर सदा से रहे हैं और रहते आए हैं
45:54और अलग-अलग रूपों में वो हर
45:56जगह हर समय मौजूद होते ही हैं
45:58चेतना की बात है सूक्षम बात है
46:00यह प्रतिकात्मक बात है और अरजुन
46:02भी लगातार होते हैं तो फिर दुर्योधन
46:04भी तो लगातार होते होंगे न
46:05जब श्री कृष्ण भी सदा है
46:08और अरजन भी सदा है तो फिर
46:10दुर्योधन दुशासन शकुनी ये लोग भी सदा ही होंगे
46:12तो ये हर काल में
46:14होते हैं और ये हर काल
46:16में कपट ही करते हैं
46:18तो ये सामने आ जाएं और कपट करें
46:20और लाक्षागरह में आपको जलाने की कोशिश करें
46:23धोखे से आपको बन में भेज दें
46:25अग्यातवास में भेज दें
46:26तो घबरान की कोई बात नहीं है
46:28तो सदा सदा का किस्सा है चलता है
46:30पहली बात तो घबराना नहीं है
46:35दूसरे रण से भागना नहीं है
46:36तीसरा बिना गीता के रण में उतरना नहीं है
46:39बिना गीता के रण में उतरोगे
46:42चाहे वो कोई रण हो
46:43जिंदगी की छोटी लडाईया
46:45चाहे बड़ी-बड़ी व्याश्वेक अंतरराश्टी लडाईया
46:49चाहे अपने ही भीतर की लडाईया
46:53अंतरद्वन्द जो हमारे मन में चलते रहते हैं
46:55अपने भीतर जो कन्फिलिक्ट से रहती है
46:57कोई भी लड़ाई
47:00जब तक कृष्ण
47:07और कृष्ण से मेरा मतलब है
47:08वो जो आपको बोध देता है
47:10गुरु, सत्य, आत्मा
47:14उनके पत्प्रदर्शन के बिना नहीं जीती जा सकती
47:18कोई भी लड़ाई हो
47:21तो
47:22शस्त्र सफल तभी हो पाएगा
47:27जब उससे पहले शास्त्र आया हो
47:30शास्त्र के बिना अगर शस्त्र उठा लोगी
47:34तो तुम भी तो फिर आतंकवादी जैसे ही हो गए
47:36उसने भी कुछ समझा नहीं है पर शस्त्र उठा लिया है
47:40और उसकी प्रतिक्रिया में तुम भी कुछ समझे बिना शस्त्र उठा लो
47:44तो फिर तुम भी उसी जैसे हो गए
47:46कितना सुंदर्द रिश्य है
47:50कुरुक्षेत्र का
47:52कि चारों तरफ आपको हतियारी हतियार
48:06लडाई नहीं पहले ग्यान अक� 급ना करो
48:17घीता ना होती
48:18और यूद्ध शुरू हो जाता तो क्या होता
48:20सोचो
48:22बहुत लोग कहते हैं जी हटाईये
48:24क्या करना है घीता का क्या करना है ग्यान का
48:26यार पार की लडाई का वक्त है
48:28मैं इन लोगों से पूछ रहा हूँ
48:31तुम श्री कृष्ण से ज्यादा होशियार हो गए
48:33वो कह रहे हैं कि
48:39अर्जुन अगर युद्ध करना है
48:41तो पहले कुछ बाते समझनी होंगी
48:43और पूरे अठारा अध्याय समझाते हैं
48:45तब जाकर के सार्थक युद्ध अर्जुन कर पाते हैं
48:48और अठारा द्याय तो छोड़ दो
48:52बहुत लोग हैं जिनें कहीं का एक श्लोक नहीं पता
48:57पर वो लड़ने को बड़े तकपर रहते हो
48:59कि हम जाएंगे हम धर्मियुद लड़ेंगे
49:01तुम क्या धर्मे उद्धर लोगे तुम्हें धर्म ही नहीं पता
49:03तुम्हें आ रही है पाती है
49:09ये ये गीता की धर्ती है
49:18और इसी लिए ये
49:25भले ही राजनैतिक रूप से
49:29सामरिक रूप से पराजित हो जाए
49:31और आध्यात्मिक रूप से कभी पराजित नहीं होती
49:35गीता की धर्ती है न तो अविजित रहती है जैसे गीता अविजित है
49:43क्योंकि गीता कोई हरा नहीं सकता तो इसे लिए फिर गीता की धर्ती भी
49:48आध्यात्मिक तल पर कभी हारती नहीं है
49:51हम और तरीकों से भले ही गुलाम हो गए हों
49:54हमें पराजय मिली हों अतीत में
49:57और एक तल हमारा ऐसा रहा है जिसको कभी कोई पराजित नहीं कर पाया
50:04और हम उस तल के जितने ज्यादा संपर्क में आएंगे
50:08हम उतना ज्यादा विज़ाई होते जाएंगे
50:14अगर हमें बाहर बाहर भी हार मिली है
50:18तो समझे है ये कि उसका भी कारण ये है
50:22कि जो आम आदमी है भारत का
50:25वो गीता अवेदान तुपनिशद
50:31इनका नाम भले ही सम्मान से लेता है
50:35पर इनको समझता नहीं है
50:38हमने इनको समझा होता
50:43तो हम मर तो सकते थे हार कभी नहीं सकते थे
50:50बाहर वाले लोग आज भी वही पुरानी गलती कर देते हैं
51:08वो जैसे हमले पर हमला अतीत में करते रहे पिछली शताबदियों में करते रहे वैसे हमले वो अब कर देते हैं
51:22उनको समझ में नहीं आता कि भारत के पास कुछ ऐसा है जिसे कोई हमला हरा नहीं सकता
51:30और भारतिये अपने उस हीरे की जितनी ज़्यादा कद्र करेंगे
51:40उतने ज़्यादा इन्विंसिबिल होते जाएंगे अप अराजे होते जाएंगे
51:46मुझ में आ रही यह बाती है
51:51सिर्फ पूजो नहीं समझो गीता को
52:00सिर्फ यह मत कहो कि श्री कृष्ण मेरे आराध्य हैं दे होता है
52:04उन्होंने जो बात कही है उन्हों जो दर्शन दिया है
52:08उसो गहराई में जा करके समझो फिर जीवन में उदरता है
52:14और फिर देखते हैं कि कौन तुम्हें डरा सकता है या परास्त कर सकता है
52:18ठीक है
52:30दो दो दो दो दो

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