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  • 3/20/2025
तिरुचि. केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि रामायण ने राष्ट्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं को पार कर वैश्विक चेतना में एक स्थायी विरासत छोड़ी है। अच्छाई बनाम बुराई, कर्तव्य व धार्मिकता और बुराई पर पुण्य की जीत जैसे इसके विषय सभी संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों के साथ प्रतिध्वनित होते हैं। शेखावत मंगलवार को तमिलनाडु के काट्टळगिय सिंगपेरुमाल मंदिर में कंब रामायण महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि रामायण ने अपने कई रूपों में, दुनियाभर में कला, साहित्य, संगीत और नृत्य के अनगिनत कार्यों को प्रेरित किया है। यह वैश्विक प्रभाव रामायण के संदेश की सार्वभौमिक अपील का एक ऐसा वसीयतनामा है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि हजारों साल पहले था।

शेखावत ने कहा कि यह एक ऐसा संदेश है, जो प्रकाश और अंधकार, अच्छाई और बुराई के बीच शाश्वत संघर्ष और जीवन के सभी पहलुओं में धार्मिकता के मार्ग का पालन करने के महत्व की बात करता है। पिछले साल 20 जनवरी को श्रीरंगम के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में कंब रामायण के छंदों को सुनना एक ऐसा अनुभव है, जिसे मैं अपने पूरे जीवन में संजो कर रखूंगा। शेखावत ने कहा कि यह वही मंदिर है, जहां महान कंबन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपनी रामायण प्रस्तुत की थी, जो इसे और भी उल्लेखनीय बनाता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह के आयोजनों के माध्यम से हम भारत की साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह परंपरा हमारे युवाओं के जीवन में जीवित, जीवंत और प्रासंगिक रहें। शेखावत ने कहा कि कंब रामायण महोत्सव केवल एक महाकाव्य का जश्न मनाने का अवसर नहीं है, बल्कि यह हमारी सामूहिक विरासत का जश्न मनाने का अवसर है, जो हमें धर्म, निष्ठा, धार्मिकता और प्रेम के शाश्वत मूल्यों को अपनाने के प्रति प्रेरित करता है।

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