• 2 months ago
राजसमंद. शहर में विजयदशमी पर रविवार को लय व ताल के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से पथ संचलन निकाला गया। इससे पूर्व अतिथियों ने शस्त्र पूजन किया। संघ की स्थापना के 99 वर्ष पूरे होने पर रविवार को वार्षिक कार्यक्रम में कमला नेहरू अस्पताल स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ममता प्रजापत, वक्ता सह प्रांत प्रचारक धर्मेंद्र सिंह, गायत्री परिवार के घनश्याम पालीवाल, विभाग संघचालक फतहचंद सामसुखा मंचस्थ रहे। पथ संचलन कांकरोली स्थित टीवीएस चौराहा श्रीनाथ वाटिका से लय और ताल के साथ प्रारंभ हुआ। यह शहर के मुख्य मार्ग से टीवीएस चौराहा, कमल तलाई रोड, वि_ल विलास बाग, द्वारकेश चौराहा, जे.के.मोड़, कांकरोली चौपाटी, पुराना बस स्टेंड, जल चक्की, किशोरनगर मंडा, गणेश चौक, दाणी चबूतरा होते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय सर्किल राजनगर पहुंचा। संचलन में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक संघ के गणवेश में एक लय और ताल के साथ चल रहे थे। पथ संचलन के दौरान शहर में जगह-जगह व्यापारियों सहित विभिन्न संगठनों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। पथ संचलन से पहले शस्त्र पूजन किया। राजनगर मैदान में आरएसएस के पथ संचलन का विसर्जन हुआ।

‘असंगठित और कमजोर रहना अत्याचार को है निमंत्रण देना’

वक्ता सह प्रांत प्रचारक धर्मेंद्रसिंह ने कहा कि 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। उस ध्येय पथ पर संघ निरंतर बढ़ता जा रहा है। संघ अपनी विकास यात्रा के 99 वर्ष पूरे कर चुका है और 2025 में शताब्दी वर्ष मनाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे ऐसी ताकतों से सतर्क रहना चाहिए। वर्तमान में भारत की दुनिया में साख बढ़ी है, लेकिन खतरनाक साजिशें और षड्यंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं। भारत को खतरे के रूप में पेश किया जा रहा हैं। हमारी विविधता इतनी बढ़ गई कि हमने संतों और देवताओं को बांट दिया। सभी त्यौहार पूरे हिंदू समाज को मिलजुलकर मनाना चाहिए। समाज में कट्टरता को उकसाने वाली घटनाएं बढ़ रही हैं। असंतुष्टि व्यक्त करने और विरोध करने का प्रजातांत्रिक तरीका है। इनकी जगह हिंसा पर उतर आना गुंडागर्दी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज यह समझ ले कि असंगठित और कमजोर रहना अत्याचार को निमंत्रण देना हैं।

Category

🗞
News
Transcript
00:00Fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
00:30hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
00:50hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
01:10hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
01:11hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
01:12hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
01:13hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
01:14hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
01:15hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the
01:16hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in the hole, fire in

Recommended