Kedarnath dham news - केदारनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में खोले गए। धाम के पुरोहितों ने आरती से जुड़ी मान्यता बताते हुए कहा, "जब तक भैरव जीके कपाट नहीं खुलते तब तक आरती नहीं होती यहाँ पर... क्यों यहाँ के रक्षक भैरव जी हैं?" मंदिर को गुजरात से लाए गए 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नया टोकन सिस्टम लागू किया गया है।
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00:00पुछी देर बाद वो घड़ी जिसका सभी को बेसबरी से इंतिजार है बाबा केदारनाथ धाम के जो कपाठ हैं वो कुछ ही मिंटों में खुलने वाले हैं और लगातार वहां से खुबसूरत तस्वीरे सामने आ रहे हैं सुभा से ही भक्तों की जो भारी भीड है यहां पर �
00:30चाबी है वो इस कपाठ में डाल दी गई है और कुछी देर में ये द्वार आपको खुलते हुए नजर आएंगे पूरे वेदी विधान के साथ मंत्रों चार के साथ ये कपाठ खुल रही हैं
00:40सर्प की आकरती वाली चाबी होती है जिससे इन द्वार को खुला जाता है पूरी परमपरा को ध्यान में रखते हुए बैंज यहां पर बच रहा है और उसी की धुन पर मंत्रों चार के साथ यहां पर जै भोलिनात की जैकारे भी गूज रहे हैं और उसी जैकारों के साथ �
01:10अवदेश का हम रूख कर लेते हैं अवदेश क्या चल रहा है बताएं वहां पर अवदेश आपको आवाज आ रही है चलिए एक बार फिर से हम जुड़ने की उनसे कोशिश करेंगे फिलाल ये तस्वीरें आप देख रहे हैं आज हिमाले की गोद में बसा ये क्यादाना ध
01:40रहा है सीयन कुषकर सिंग धामी इस वक्क किदार्ना धाम में ही मौजूद हैं हर साल इसी परंपरा का जो पालन है वो किया जाता है और उसी के हिसाब से उसी विदिवधान से आज मंदिर के कापाट खुल रही है और अब यहांपर शधालों के जो आने का सिलसला है वो भी
02:10लोग अपनी मनुकामना लेकर किदारना धाम पहुँचते हैं और यहाँ पर जाना बहुत आसान नहीं है
02:16इन पहाडों पर जाकर किदारना धाम में बाबा किदार के दर्शन करना आसान बात नहीं
02:23लेकिन यहाँ पर जाकर जो लोगों को महसूस होता है वो कलपना से परे
02:28और इसी वज़े से श्रधालू यहाँ पर पहुशते हैं
02:32आज का दिन बहुत जरूरी क्योंकि आज का पार्ट खुल रही है
02:35कुछी देर में ये द्वार खुलेंगे और बाबा केदार सभी को दर्श रंदेंगे
02:41इन पीरियूस पर आप ये एक्स्लूजिव तस्वीरे देख रहे हैं
02:45केदारनाद धाम से सीधी तस्वीरे
02:48हमारे समवादाता अवदेश मिश्रा हमारे साथ लगाता है जुड़े हुए हैं
02:55अवदेश आपको आवाज आ रही है तो इस तस्वीरे हम देख पा रहे हैं
02:57सीम पुष्कर सिंग धामी मौजूद है और कपाट खुल रहे हैं दौार खुल रहे हैं यहाँ पर
03:01वो घड़ी आ गई
03:31पुजारियों की नियुक्ति करते हैं और वही उस चाबी को लगाएंगे और किस तरीके से दर्वाजे को खोलना है उन्हें ही यह पता होता है
03:39और इसके बाद जब अगले रावल को होती है तो उस अगले रावल को ही ये पता होता है
03:45कि इस कपाट को खोलने की वी थी क्या है और इस कपाट को बंद करने की वी थी क्या है
03:50तो देखिए जो साकड़े हैं वो हटाई जा रही है और वो जो विशेश चाभी है
03:55वो रावल जगत गुरू जो की उखी मट के उंकारिश्वर मट में रहते हैं
04:00वो विशेश तोर से कलिया पर आए
04:03और ये देखे कपाट खुल गया है
04:05तो भगवान केदार के कपाट के खुलने जो इंतिजार था
04:09वो तस्विरे के आई है
04:25तो पुवें सीविदी ओर राव है
04:28जो फंसे उसे धर दिया जाता है
04:30जो जातने नीच चलाया जाता है
04:32तो आज के दिशी चलगाना होगा
04:34उसे दर सनोंगे
04:36उसके चादू पास वाले का ये में
04:38जितनी भी चीज़ें यहाँ पर चला संदुख जाते हैं
04:41बहुत सारी चीज़ें यहाँ पर बोच नहीं होती है
04:44तो से महीने दर देवना, अजूर, जेफ सेंदर, रणाज, दन्याईयें तब उज़त करते हैं
04:50और आज में मनुस्यों के अपुज़का ताफिर हो रहा है
04:53कब मंदिर के अंगा तो पुज़ी हो रही है
04:55जो समादी जी गई है भगवान शिव को राती, जो धस में की, उस भस में पर अटाया जाएगा
05:03उसके बाद वहाँ पर रुज़ाट से बोच आए जाएगे
05:07और इसके साथ साथ साथ साथ साथ बोच आए जाएगा
05:10अखंद दीप का पुज़न होगा
05:12और उसके बाद पिर जब साथ साथ सामक्रिक होटा लिया जाएगा
05:16लेकिन एज बात और भी है
05:19कि भगवान शिव का, भगवान केदार का जो विशेख है
05:23वो आने वाले सड़िवार तक श्रिंगार उनका नहीं होगा
05:26इसकी पर परंपरा है
05:28परंपरा ये है कि जभी केदारनाथ के गपाट कुलते है
05:31उसके आने वाले मंगलवार या सण्यवार को
05:34बहरे उनकी के गपाट कुलते हैं
05:35जो यहां से एक सिलोमेटर के उचाई पर है
05:37और दब भगवान केदार की तेहरी आरत की होटी है
05:42यानि कि आज भगवान केदार नाथ तक बाट कुछ गया है, उजन होगा लेकिन उनका सिंगार नहीं होगा, उनके अभी आरती नहीं होगी, वो आरती होगी जो वो सनिवार की साम को होगी, और सनिवार को ही भगवान केदार का पहला सिंगार होगा, तो सारी प्रक्रिया जो ह
06:12तीन घड़ों में भरकर टेज लेकर आते हैं और वसे देखने की जो अनमती है वो तभी को नहीं है
06:33कि परोहित रावा पुरान पुजारी ही देश सकते हैं और उसके बाद एक मिज़़ों ही है
06:40कि ज़िदारनाथ में वक्त आते हैं उनको घख्ष का प्रवाद में तो समझे कि यह वही प्रसाद है जो शेर महीं तर जिससे बगवान सी उनकाते में रखा गया था और गुष्ष तमधी वाला जो घख्ष का प्रसाद है वही भूप दिया जाता है
06:55कि ज़िदारनाथ मंदिर में वही चारी सक्रिया चल ली है फिर फुरुईतों की मौजूद्धी में आपको गवधारियों की मौजूद्धी में बगवान पेदारनाथ की मंदिर की बात करें तो अनादिकाल से है लेकिन इसका बग्त बैर वक्त चिर्मोधार होता रहा है और �