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  • 2 days ago

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Transcript
00:00अद्भूत सौंदर्य है विशाली में यहां के मंदिर भी अभूत पूर सुंदर्ता से चमकते हैं
00:14आनंद मैं कुछ दिर चपला मंदिर में विश्राम कर लेता हूँ
00:30करेषम करेषमे करें आने कृपला में विश्राम की जीबुथ मैं भीक्षा टंग कर के आता हूँ
00:40आना जवर्ण।
00:46शुर्ण।
00:48शुर्ण।
00:50शुर्ण।
00:54शुर्ण॥
00:56शुर्ण॥
00:58झाल झाल
01:28पंची अधिने चुप के होगे तर्टी काम बुथ ठीक तो होगे ना
01:46आपको कुछ हो तो नहीं अचानक पंची को कर रफ शांत हो गया
01:57और एक अजीव सी चुपी हार ओचा गई और फिर धर्टी बुरी तरह से कंपित हुई
02:03बुद्ध ये किसी भ्यांगा प्रेल्या का संकेत तो नहीं
02:09तो नहीं..
02:19मिरे स्मीं पाकर बैठो
02:23कि कि can you take it
02:28hmm
02:31कि अनल
02:32कि मैंने एक निर्न लिया है
02:37मैं आज से ठीक तीन महापश्चा है
02:42मैं महापरे निर्वान डूंगा
02:47कि
02:52झाल झाल

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