पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 बेगुनाहों में ज्यादातर सैलानी थे. सैय्यद आदिल हुसैन इकलौते थे, जो वहीं के रहने वाले थे. बताया जाता है कि बेखौफ आदिल ने आतंकवादियों से जमकर लोहा लिया. उन्होंने बेगुनाहों को बचाने के लिए आतंकियों से बंदूकें छीनने की कोशिश की. इसी कोशिश में उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी. बेगुनाहों को बचाने की कोशिश करने वालों में आदिल अकेले नहीं थे. उस भयावह दिन उनके चचेरे भाई नजाकत अहमद शाह भी मौके पर मौजूद थे. जिस वक्त हमला हुआ, वे छत्तीसगढ़ से आए सैलानियों को गाइड कर रहे थे. नजाकत ने बताया कि ये तय करना मुश्किल था कि आतंकवादी किस ओर से गोलियां चला रहे थे. गोलियों की आवाज पहाड़ों से टकरा कर गूंज कर वापस आ रही थी. नजाकत हर साल छत्तीसगढ़ में तीन महीने कश्मीरी शॉल बेचने जाते हैं. उन्होंने बताया कि कश्मीर में ज्यादातर लोगों की रोजी-रोटी पर्यटन की बदौलत ही चलती है. उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की और हत्यारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की.
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00:00Allah Akbar!
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01:24The sun kept telling me that theあれ decided not to make money that the fire came down to the fire.
01:29The fire was named after the fire.
01:33The fire was surrounded by fire.
01:38It was the same for this fire that was taken away from 4 firs,
01:43because the fire was taken away from 4 firs.
01:46It was the same for me.
01:50नजाकत हर साल 36 गड़ में तीन महिने कश्मीरी शौल बेचने जाते हैं।
01:54उन्होंने बताया कि कश्मीर में ज्यादातर लोगों की रोजी रोटी पर्यचन की बदौलत ही चलती है।
02:00उन्होंने पहल गाम आतंकवादी हमले की मिंदा की और हत्यारों के खिलाफ सक्त कारवाई की अपील की।