Islamic scholar Ghulam Rasool Dehlvi said that the foundation of Islam was laid centuries ago with the world's first human being Hazrat Adam Alaihissalam. 1450 years ago, the last prophet of Islam Hazrat Mohammad Sahib made its five pillars Kalma, Namaz, Roza, Zakat and Hajj. In which Kalma is the first principle of Islam. The Islamic meaning of Kalma is 'Shahadat' i.e. 'testimony' or 'oath'. He says that just as a police officer, judge or minister takes an oath to perform his duties, similarly a person joining Islam will have to firmly believe in Kalma, the foundation of Islam.
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~HT.318~ED.120~PR.266~
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00:00अगर तुम कल्मा पढ़ लो तो हम तुम्हें छोड़ देंगे।
00:30कई सवाल पवत्र कल्मा को लेकर भी है।
00:33जैसे कल्मा क्या है? इसका इसलाम में क्या महत्व है? क्या किसी को जबरत कल्मा पढ़भाया जा सकता है? अगर किसी ने कल्मा नहीं पढ़ा तो क्या उसे मार दिया जाए?
00:42इस्लामिक स्कॉलर्स की माने तो इसलाम धर्म की बुनियाद सदियों पहले दुनिया के पहले इंसान हजरत आदम अलाहिस सलाम के साथ हुई
00:511450 साल पहले इसलाम के आखरी पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने इसके पाँच इस्तम कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज बनाएं जिन में कलमा इसलाम का पहला सिध्धानत है
01:03कलमा का इसलामिक अर्थ है शहादत यानि गवाही या शपत
01:08वो कहते हैं कि जस तरह कोई पुलिस अफसर, जज या मंत्री अपने कर्तवियों के पालन के लिए शपत लेता है
01:14ठीक वैसे ही इसलाम धर्मों में शामल होने वाले व्यक्ति को इसलाम की नीव कलमा पर द्रणता पूरवक विश्वास करना होगा
01:22बताये गया कि छे कलमा असलाम की संपूर्ण अवधारना का वरनन करते हैं जिन में कलमा तयव, कलमा शहादत, कलमा तमजीद, कलमा तोहीद, कलमा इस्तिगफर और कलीमा, रदे कुफर शामल है
01:36ये जीवन और मृतिव, स्वर्ग और नर्क, अल्ला के प्रती समर्पन, पैगंबर रत्व का अंत आदी जैसे महतवपून बिन्दों को छूते हैं
01:44कलमा का इसलाम में खास स्थान है, इसलाम में दाफिल होने के लिए पहला कलमा तयव पढ़ना जरूरी है, जिसे दो भागों में पढ़ा जाता है
01:52इसका अनवाद है, अल्ला के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, और हजरत मुहम्मद सललाहू अल्ला के रसूल है
02:08स्कॉलर ने बताया कि अल्ला वो इश्वर है जिसकी मुसल्मान पूजा करते हैं और इसके आगे जुपते हैं
02:15वो ब्रहमान्ड का एक मात्र नर्माता है, वो पालनहार है और रक्षक है
02:19इसलाम में इसके अलावा किसी की पूजा अनेवारे नहीं है, यहाँ तक की पैगंबर हजरत मुहम्मद की भी
02:25उन्होंने बताए कि पैगंबर मुहम्मद अल्ला के आखरी रसूल यन की दूथ है, इसके बाद इस दुनिया में कोई पैगंबर नहीं आया, जिसका जिक्र पहले कल्मा के दूसरे भाग मुहम्मद दुर्रल सुलुलाही में कहा गया है
02:38लेकिन सवाल यह है कि किसी से जबरन कल्मा पढ़भा कर उसे इसलाम में दाखिल किया जा सकता है, इसके जवाब में इसलामिक धर्मगुरों की माने तो कुरान शरीफ की आयतों का हवाला देते वे कहते हैं कि इसे सिरे से नकारा जाता है, बल्कि ऐसा करना गुना है
02:54इसलामिक धर्मगुरों का कहना है कि इसलाम में किसी भी तरह की सकती और जबरदस्ती नहीं है, और उन्हें कुरान शरीफ की सुरा बखरा आया 256 का हवाला देते वे बताए कि इस आयत में साफ कहा गया है कि धर्म में किसी भी तरह की कोई जबरदस्ती नहीं है, यानि धर्
03:24जो सब मौझूद हैं, हूं मुसल्मान होते, जब खुदा ने उन्हें जबरन मुसल्मान नहीं बनाया, तो क्या तुम उन पर जबरदस्ती करोगे?
03:31इन आयतों से साबित होता है कि किसी भी व्यक्ति को जोर जबरदस्ती धोके बाजी या बहला फुसला कर इसलाम कबूल नहीं कराया जा सकता, यहां तक कि हदीस में भी जिक्र है कि खुद पैगंबर मुहम्मद साहब ने इसलाम में दाखिल होने कले कभी किसी से कोई जबरदस
04:01झाल