छत्तीसगढ़ की धरती अपने अंदर ना जाने कितने रहस्य छिपाए हुए हैं.बाबा रुक्खड़नाथ धाम अपने अंदर ऐसी ही रहस्यमयी कहानियां छिपाए हैं.
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00:00ुपूणाजी उनेत्रुम्ड गुवन्सनाथम कारुन्य रूपम, करुणागरंदं, स्रेराम, चंद्रम, शरणम, ब्रबधे, मरोजवम्मारुक्तुल्य वेगं, नितेंध्रियम वुद्धिमताउं, वरेशंबातात्म, जम्बानरियस, मुष्यम, स्रेराम, दूक्तुल्च
00:30रुखर्णाथ नी इस प्रतीमा की स्थापना की थी, जो आस तक वैसे की वैसी ही है, इस मंदिर से जुड़े कई रहसे हैं, जिने समझपाना हर किसी के वश्की बात नहीं, माना जाता है कि जो भी सची श्रद्धा से इस मंदिर में मत्था टिकता है, उसकी मनोकामना जरू
01:00खाड़ा कांसी से आये थे, और इसी स्थान में आकर के अपना योग तपश्या किये, और अपने हाथों से गोबर शेहनवान जी बनाएं, गोबर मतला मंगल की प्रतीक, सुधता की प्रतीक, खरद्रिष्टी से पावन और अपने हिंदू संस्कृती में सर्व प्रतम पु�
01:30आज भी यहां आने वाले लोगों को चकित करती हैं। बाबा रुखर नाजी को राज परिवार के लोगों भी पूछते थे, इसलिए वो अक्सर धाम में आते थे। एक बार राजा अपने दलबल के साथ धाम पहुंचे, उस समय अतितिका स्वागत बाबा जी ने ऐसा किया
02:00रहे हैं। कहें कि राजन हमें तीजर नामक ज्वार थे और तुम से चर्चा करनी हैं। इसलिए कुछ शमय के लिए हम उसको उतार करके रखे हैं। फिर ले लेंगे। राजन कहें एक कर्म की दंड है। निकतात पर यही है कि हमारे जीवन में जो भी शमश्या उत्पन होत
02:30बड़े मालपू अच्छने जा रहे थे तो घीव का कमी हुआ तो चेले लोग जाकर के स्वामी जी से कहें कि गुरुदेव आप आदेश कर दिये हो। कडाह में घीव नहीं है। फिर ठीक है रे चलो देखें। गये वहाँ पर अपना डंड कमंडल ले करके देखें तो कड
03:00साल दिया जाता है तुरंद घेम परवर्तित हो जाते हैं। वहाँ स्प्रसादी छन्ना शुरू हो गये। राजा ने देखा यह चमतकार पान प्रशादी चले गए धिरे धिरे लोगों का आवा गमन बढ़ते गए। इसी तरह से संतान हीनों को भी बाबाजी के आश्रवा
03:30बैठे हैं तो उनके पास जाने से सब कार यश्कफल हो जाते हैं, तो हम लुक्षंतों के पास जाते हैं, तो कुछ न कुछ
03:38भेंट करते हैं। वैसे ही वह महराजी जो है स्रीफल से भेंट कीए तो उस ठीफल को ठाक फेक दिए बाबाजी भग nights
03:46. . . .
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04:44After this, Baba has taken a Samadhi.
04:46Today, on the Samadhi's Samadhi's side,
04:48a temple of Shib Parivar.
04:49But Baba, Samadhi's Samadhi's side,
04:521500 km far away from the Kheragad.
04:55We have a house from a govar Shehan Manji.
04:58We have to take a look at it.
05:00Samadhi's first.
05:02We have to say that,
05:02Hanumanth Ji, this land of the land,
05:05we have to build a good work.
05:06We have to build a good work.
05:08We have to go to Samadhi's side,
05:09and we have to go to Samadhi's side.
05:11We have to go to Samadhi's side.
05:13werk
05:17of
05:22.
05:25.
05:33.
05:41.
05:42.
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05:43.
05:43,
05:43.
05:43He said to me,
05:44he said,
05:45he said,
05:48and he said to him,
05:50he said,
05:54he said,
05:56he said,
05:59he said,
06:01he said,
06:05Raja के पास गये हैं गावाले
06:06और बोले कि महराजी कोई तपस्वी आये हैं
06:09आपको बुला रहे हैं
06:10Raja समझ नहीं पाए बोले आरे
06:12ऐसा ही होंगे ओड़ा जोगड़ा संद कितनों आते जाते रहते हैं
06:15कुछ तंत्र मंत्र दिखाएगा
06:17कुछ जाद उटोना और कुछ धंद अलवात लूट पाट करके
06:19यहां से चले जाएंगे
06:20वो साधारन महात्मा है
06:22यहां से उसको भगा दो
06:23और एक सब्बल पकड़ लो
06:24और उसके धुना के सामने गड़ा देना
06:27महात्मा को जाने के लिए कह देना
06:29यह लोग आये हैं
06:30चरणों में गिर गए
06:31गुरुदेव हम लोगों को चमा करना
06:33राजा साब आपको यहां से जाने के लिए कहा है
06:36बोले ठीक है बेटा चले जाते है
06:37राजा साब को क्यों तकलीव हो
06:40आ गये थे घुमते घामते
06:42रमता जोगी बहता पानी
06:43जिदर हमारी धारी मुड़ जाए
06:45चले जाएंगे साबु क्या ठीका आना
06:46आज यहां बैठे हैं कल और कहीं बैठ लेंगे
06:49कहे गुरुदेव कहे
06:50सब्बल गढ़ने के लिए ठीक है बेटा गढ़ा
06:53यह जैसे ही सब्बल गढ़ना सुरू हुए
06:54राजा के सरीर में पीडा आना सुरू हो गए
06:56कमपन सुरू हो गए पशीना पशीना
06:59कहाए नि भैबी न होई न प्रेत
07:01दर आते हैं जही इश्वर याद आते हैं
07:03वो ले कि अरे कहे रोको महराज जी को
07:06यह तो हमें स्रापित कर रहे हैं
07:08हम आ रहे हैं मिलने के लिए
07:09राजा पूरे परिवार को ले करके आए हैं
07:12तो देखते कि आ हैं कि रुखड स्वामी
07:13जिसके दर्सन के लिए वो नारधा आते थे
07:16वही अखड जमाय खैरागड में बैठे हैं
07:18राजा को पश्याता आप हुआ
07:20नेत्रों से सिरु गिरने लगे
07:22जाकर के दंडवच्ण में गिर गया है
07:24कहें कि धन्या है परभू आपकी लीलानात
07:27आपके दर्सन खातिर हम नारधा जाया करते थे
07:30और आप स्वयम चल करके हमारी स्थान को पावन कर दिया परभू
07:34हम आपको नहीं पहचान पाए
07:50लेकिन नारधागाओं का बावरुखर धाम लोगों की कल्पना से कहीं ज़्यादा परे है
07:55जिसे समझपाना हर किसी के वश्की बात नहीं
07:58आज भी यहां मौझूद भट्टी, बावली कुए और समाधी इस बात का प्रतीख है
08:04कि शर्धा और तब का फल क्या होता है
08:06दुर्ख से ETV भारत के लिए अतुल कुमार के रिपोर्ट