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दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक के संसदीय प्रणाली के जरिए कानून का रूप लेने पर बीजेपी के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सर्वप्रथम यह संसद में प्रस्तुत किया गया फिर संयुक्त संसदीय समिति को दिया गया संयुक्त संसदीय समिति यानी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी की संस्तुति के बाद यह सदन में आया दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा हुई। मध्य रात्रि नहीं तड़के सुबह तक चर्चा हुई, जो संपूर्ण देश ने देखा उसके बाद महामहिम राष्ट्रपति महोदया के हस्ताक्षर के उपरांत ये कानून का रूप ले चुका है। हमारे तमाम राजनीतिक विरोधी दल जो अनेक मौकों पर संवैधानिक व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं के बारे में अपनी अवमानना व्यक्त कर चुके हैं। परंतु यह उनका अधिकार है कि वह न्यायालय गए हैं, परंतु मैं यह कहना चाहता हूं ये आपने पहली बार सुना होगा कि किसी भी कानून के विरुद्ध न्यायालय जाने में पहले तो यह प्रक्रिया विचित्र थी कि बिल के समय ही कुछ लोग न्यायालय पहुंच गए और कोई संबंधित व्यक्ति या संबंधित संस्था जाती है परंतु यहां समाचार पत्रों में आ रहा है कि अमुक राजनीतिक दल के लोग जा रहे हैं। ये न्यायालय की गरिमा के अनुरूप नहीं है।

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00:00वक्योसंशोधन का कानून समस्त समवयधानिक अपरिहरताओं को क्रमशाह पूरा करते हुए बना है।
00:09सरपर्थम यहां संसद में प्रसुत किया गया, फिर साइउक्त संसदिय समिती को दिया गया,
00:17साइउक्त संसदिय समिती की संस्तुति के बाद यहां सदन में आया, दोनों सदनों में विष्ट्रत चर्चा हुई, मद्यरातरी नहीं, तड़के सुबह तक चर्चा हुई, जो संपूर्ण देश ने देखा, उसके बाद महामहिम राष्टपति महोदया के हस्ताक्षर के उप
00:47सम्वैधानिक विवस्ताओं और प्रक्रियाओं के बारे में अपनी अवमानना व्यक्त कर चुके हैं, परन्तु यह उनका अधिकार है कि वह न्यायले गए हैं, परन्तु मैं यह कहना चाहता हूँ, यह अपने पहली बार सुना होगा कि किसी भी कानून के विरुद्ध न्य
01:47प्रतिनिदि के रूप में न्यायले में जा रहे हैं, इससे यह भी साफ हो गया कि इनका एक दूसरे के उपर कोई विश्वास नहीं है या फिर यह एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा में लगें। इसलिए मैं उन सभी राजनेतिक दलों से कहना चाहूँगा, जब एक बार आ
02:17पर नाना प्रकार की राजनेतिक बयान बाजियां करना, ना सिर्फ गरीमा के प्रतिकूल है न्यायले की, परंटु इसके साथ साथ आपने अभी तक की जो समयधानिक प्रक्रिया है, उसकी गरीमा के भी प्रतिकूल है। और मुझे यह पून विश्वास है कि जिस प्रकार स
02:47प्रक्रिया का सम्मान करते हुए बयान देने से बचना चाहिए।
02:50एसा कि हम पहले कह चुके हैं कि अन्य राजनेतिक दल और विशेशकर जो राज्य, चाहें तमिलनाडु या जमु काश्मील, जो की इस बिल के विरोध विधान सभावों में कर रहे हैं, यह दर्शाता है कि वो सम्विधान की भावना को ध्वस्त कर रहे हैं।
03:07क्योंकि सम्विधान के अनुसार संसत के द्वारा पारित किसी भी कानून के बारे में किसी राज्य विधान सभाव को किसी भी प्रकार की विपरीत टिपनी करने का अधिकार नहीं है। इस से बहुत साफ हो जाता है कि देश की जंता के सामने कि सम्विधान किन के हांतों में
03:37इस्थापित व्यवस्थित प्रक्रिय के द्वारा संपूर्ण संवैधानिक आवश्यक्ताओं को पून करते हुए
03:47पारित कानून के विरोध में किसी राज्यविधान सभा के अंदर इस प्रकार का द्रिश्य बहुत साफ़ दिखाता है
03:54कि इन लोगों के हातों में कानून खत्रे में है कानून को जेम में ही रखना चाहते थि
04:11तलिए ऊठिन संविधान अपनी मरद ऎसाफ से चाहिए व्यवस्था और प्रक्रिय के अनुसार नहीं

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