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मन ! एक दिन ऐसा आयेगा।
जो मुठी बांधे आया सो, हाथ पसारे जायेगा।
जोरी जोरी भल धरहु करोरन, अंत कफन सँग पायेगा।
जिनको कहत सपूत तिनहिं सो, अंत बांस सिर खायेगा।
जब यम कालदंड ले अइहै, मन ही मन डरपायेगा।
तब *'कृपालु'* धरी हाथ माथ पर, मन ही मन पछतायेगा।।

*भावार्थ:* अरे मन! एक दिन ऐसा आयेगा जिस दिन,जन्म के समय में जो मुठ्ठी बांधकर आया है वह हाथ पसार कर जाएगा । कोई भले ही जोड़ जोड़कर करोड़ों का धन इकठ्ठा कर ले,किन्तु अंत समय में चार कफन गज ही पायेगा। जिनको तू सपूत कहता है अंत में उन्ही के हाथ से सिर पर बांस की मार खाएगा। ( *कपालक्रिया* -मृत्यू के पश्चात पुत्र द्वारा सिर पर हल्के से बांस की लकड़ी से मारा जाना जो कि कर्मकांड का एक हिस्सा है)।
जब यमराज काल दंड लेकर आएगा तब हे मन! तू देख देख कर डरेगा।
*श्री कृपालु जी* कहते है कि उस समय सिर पर हाथ रखकर तू मन ही मन पछताएगा। किन्तु तब कुछ भी काम न बनेगा। अतएव तू श्याम सुंदर का भजन कर।

🌹प्रेम रस मदिरा-सिद्धांत माधुरी🌹

जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज
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