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✨जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय!✨
*जगद्गुरु आदेश:*
संसार में दो चीज़ें बहुत दुर्लभ हैं: 1. मानव देह। स्वर्ग के देवता भी मनुष्य शरीर पाने के लिए तरसते हैं। इसी में कर्म करने का अधिकार है। इसी शरीर में भगवत्प्राप्ति हो सकती है। करोड़ों कल्प और योनियों में भटकने के बाद कभी भगवान मानव देह देते हैं । 2. वास्तविक गुरु जो शास्त्रों वेदों का सार समझा दें।

फिर भी अगर बिना भगवत्प्राप्ति किये मर गये, तो इसके दो कारण हैं:
1. हम लोग अपने अंदर और सब में भगवान को नहीं मानते। वे सबके अंदर बैठे हैं और हमारे विचार नोट करते हैं।
2. भगवान की (तन, मन, धन से) भक्ति करने में उधार कर देते हैं। रावण ने लक्ष्मण से कहा - अच्छा काम तुरंत करना, और गलत काम को उधार कर देना। इससे ये होगा कि मनुष्य की प्रवृत्ति बदलती रहती है - तो क्या पता कल वो खराब वाला विचार न आये और हम पाप करने से बच जायें। भगवान् की भक्ति में उधार मत करो। जब पेट के लिए 6-8 घंटे लगाते हो, तो आत्मा के लिये कम से कम 2-4 घंटे तो दो! कुछ काम नहीं है तो अंड बंड सोचते रहते हैं - अरे भगवान् को ही सोच लो जिससे मन शुद्ध हो जायेगा। लापरवाही मत करो।

मानव देह क्षणभंगुर है। अगला क्षण मिले न मिले। अगर पाप करते करते ये देह छूट गया तो चौरासी लाख के योनियों में भटकना होगा - कोई नहीं रोक सकता। इसलिए भगवान् की कृपा को रियलाइज़ करके, सब में भगवान् को मानो और भक्ति में उधार नहीं करो।
*कीर्तन:*
- राधा नाम संकीर्तन
- हमारी सुधि लीजो भानु दुलार (प्रेम रस मदिरा, दैन्य माधुरी, पद सं. 96)
- राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे (ब्रज रस माधुरी, भाग 3, पृष्ठ सं. 116. संकीर्तन सं. 60)

July 25, 2023: Highlights of soulful morning sadhana
✨Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj ki Jai!✨
*Jagadguru Aadesh:*
Two things are extremely rare in this world: 1. Human body. Even celestial devatas yearn for a human body, because only in this body do we have the right to perform fruit-bearing actions. Only in this body, we can attain God-realization. After wandering in other life forms for billions of years, God rarely gives us the human body. 2. Meeting a genuine saint who explains the essence of Vedas and scriptures.

Even after this, if one dies without attaining God-realization, there are two reasons for this:
1. We don't accept that God resides in everyone and in our own hearts as well. He sits inside and notes down our ideas.
2. We procrastinate in doing devotion to God, using our body, mind, and wealth). Ravan had advised Lakshman - Do what is good immediately and postpone what is wrong for later. Never delay practicing devotion, do it immediately. If you plan to do something wrong, think about doing it later. This will save you from performing the wrong action as our tendencies keep changing. When you are able to take out 6-8 hours to fill your stomach, take out at least 2-4 hours for your soul! When you are idle, you start thinking about useless worldly affairs - why don't you think of God instead, by which your mind will get purified? Don't be careless. Who knows whether we will live to see tomorrow?

The human body is transient. If we lose this bo

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