Odke Chunariya laal Padharo Mere Ghar Mai Maa
Singer: Anjali Jain
Label: Bhakti Classic
Channel Managed & Marketed By : Ziiki Media
नवरात्रि में इस दिन करें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना-
29 सितंबर, प्रतिपदा - नवरात्रि के पहले दिन घट या कलश स्थापना की जाती है। इस दिन मां के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा की जाती है।
30 सितंबर, द्वितीया - नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है।
1 अक्टूबर, तृतीया - नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
2 अक्टूबर, चतुर्थी - नवरात्रि के चौथे दिन मां के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है।
3 अक्टूबर, पंचमी - नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है।
4 अक्टूबर, षष्ठी - नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है।
5 अक्टूबर, सप्तमी - नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है।
6 अक्टूबर, अष्टमी - नवरात्रि के आठवें दिन माता के भक्त महागौरी की अराधना करते हैं।
7 अक्टूबर, नवमी - नवरात्रि का नौवें दिन नवमी हवन करके नवरात्रि पारण किया जाता है।
8 अक्टूबर, दशमी - दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
नवरात्रि पर्व मनाने के पीछे बहुत-सी रोचक कथाएं प्रचलित हैं। आपके लिए प्रस्तुत हैं असुरों के नाश की एक रोचक कथा।
कहा जाता है कि दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कहने पर दैत्यों ने घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न किया और वर मांगा कि उन्हें कोई पुरुष, जानवर और उनके शस्त्र न मार सकें।
वरदान मिलते ही असुर अत्याचार करने लगे, तब देवताओं की रक्षा के लिए ब्रह्माजी ने वरदान का भेद बताते हुए बताया कि असुरों का नाश अब स्त्री शक्ति ही कर सकती है।
ब्रह्माजी के निर्देश पर देवों ने 9 दिनों तक मां पार्वती को प्रसन्न किया और उनसे असुरों के संहार का वचन लिया। असुरों के नाश का पर्व है नवरात्रि। असुरों के संहार के लिए देवी ने रौद्र रूप धारण किया था इसीलिए शारदीय नवरात्रि शक्ति-पर्व के रूप में मनाया जाता है।
लगभग इसी तरह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक देवी के आह्वान पर असुरों के संहार के लिए माता पार्वती ने अपने अंश से 9 रूप उत्पन्न किए। सभी देवताओं ने उन्हें अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया। इसके बाद देवी ने असुरों का अंत किया।
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#भक्ति #नवरात्रिस्पेशल
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नवरात्रि में इस दिन करें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना-
29 सितंबर, प्रतिपदा - नवरात्रि के पहले दिन घट या कलश स्थापना की जाती है। इस दिन मां के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा की जाती है।
30 सितंबर, द्वितीया - नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है।
1 अक्टूबर, तृतीया - नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
2 अक्टूबर, चतुर्थी - नवरात्रि के चौथे दिन मां के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है।
3 अक्टूबर, पंचमी - नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है।
4 अक्टूबर, षष्ठी - नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है।
5 अक्टूबर, सप्तमी - नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है।
6 अक्टूबर, अष्टमी - नवरात्रि के आठवें दिन माता के भक्त महागौरी की अराधना करते हैं।
7 अक्टूबर, नवमी - नवरात्रि का नौवें दिन नवमी हवन करके नवरात्रि पारण किया जाता है।
8 अक्टूबर, दशमी - दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
नवरात्रि पर्व मनाने के पीछे बहुत-सी रोचक कथाएं प्रचलित हैं। आपके लिए प्रस्तुत हैं असुरों के नाश की एक रोचक कथा।
कहा जाता है कि दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कहने पर दैत्यों ने घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न किया और वर मांगा कि उन्हें कोई पुरुष, जानवर और उनके शस्त्र न मार सकें।
वरदान मिलते ही असुर अत्याचार करने लगे, तब देवताओं की रक्षा के लिए ब्रह्माजी ने वरदान का भेद बताते हुए बताया कि असुरों का नाश अब स्त्री शक्ति ही कर सकती है।
ब्रह्माजी के निर्देश पर देवों ने 9 दिनों तक मां पार्वती को प्रसन्न किया और उनसे असुरों के संहार का वचन लिया। असुरों के नाश का पर्व है नवरात्रि। असुरों के संहार के लिए देवी ने रौद्र रूप धारण किया था इसीलिए शारदीय नवरात्रि शक्ति-पर्व के रूप में मनाया जाता है।
लगभग इसी तरह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक देवी के आह्वान पर असुरों के संहार के लिए माता पार्वती ने अपने अंश से 9 रूप उत्पन्न किए। सभी देवताओं ने उन्हें अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया। इसके बाद देवी ने असुरों का अंत किया।
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