जोधपुर, 22 जून। 'मैं अभी दोपहर में मनरेगा कार्यस्थल से ही लौटूी हूं। हमारे गांव रामपुरा से थोड़ी ही दूर पर नाड़ी (जलाशय) का काम चल रहा है। वहां मैं रेता ढोने के लिए रोज सुबह साढ़े सात बजे जाती हूं। इन दिनों मनरेगा में साथी मजदूर बस एक ही सवाल बार-बार पूछते हैं कि बेटा कलेक्टर बन गया। इसलिए अब तगारी उठाना कब छोड़ रही हो?'
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