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00:00कि अरे मैं डिप्रेस्ट हो गई, तुम्हारा जीवन इतना फिजूल है, एक फिजूल आदमी तुम्हारी जिन्दगी में आता है, तुम्हारे साथ कुछ फिजूल की हर्गतें करता है, और तुम आसूं में डूबी हुई हो, मैं तो खुशखबरी सुनानी चाहिए, कि एक व
00:30जिन्दगी का मकसद समझो, जिन्दगी इन सब चीजों के लिए नहीं होती भाई, जो लोग देह भाव में जीते हैं, उनका वही अंजाम होता है, जो तुम्हारा हो रहा है, वो दूसरों की देह को देख करके फंस जाते हैं, और फिर अपनी ही देह को कष्ट देते हैं, य
01:00हम इसलिए नहीं पैदा हुए हैं, कि अपना शरीर चमकाएंगे, दूसरे का शरीर भोगेंगे, या दूसरे के भोग का कारण बनेंगे, हम इसलिए पैदा हुए हैं, ताकि चेतना के तल पर, समझदारी के तल पर, होश के तल पर, उचे से उचा उठ सकें

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