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"शिव भक्त से बना यीशु सेवक!" | Story of religious conversion | True conversion story | Conversion {ai generated}
Transcript
00:00भाग एक, शिव भक्त से बना यीशु सेवक, आरंभ का रहस्या।
00:05क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसा व्यक्ति जो हर सोंबार को भूले नात के मंदिर में बेल पत्र चड़ाता था,
00:12जो शिव तांडव स्तोत्र को आँख मूंद कर घंटो जपता था,
00:16वह अचानक अपने जीवन की दिशा क्यों बदल लेता है?
00:19क्यों एक रात उसने मंदिर की घंटियां छोड़ कर एक क्रूस को गले लगा लिया?
00:24ये कोई साधारन कहानी नहीं है, ये उस आत्मा की यात्रा है जो अंधकार से रोश्नी की ओर गई,
00:29एक ऐसे मोड से गुजरी, जहां जीवन और मृत्यू का फैसला सिर्फ एक आवाज पर टिका था,
00:35ये कहानी है, शिव भक्त से बना यिशू सेवक, वहरात बेहद रहस सिमई थी,
00:41अमवस्या का अंधेरा जैसे पूरी प्रिथ्वी को निगलने आया हो,
00:44चारों और सन्नाटा, केवल पास के मंदिर की घंटियों की गूंज,
00:49रह रह कर वातावरण को तोड़ती थी,
00:51गाम का नाम था करोनापूर,
00:53एक ऐसा गाम जो सदियों से अपनी शिव भक्ती के लिए प्रसिद्ध था,
00:57यहां के लोग जन्म से लेकर मृत्यू तक शिव की पूजा में लीन रहते थे,
01:01और उन्ही में से एक था अर्जुन त्रिपाठी,
01:04अर्जुन ना सिर्फ शिव भक्त था, बल्कि शिव के नाम पर उसका जीवन समर्पित था,
01:09बच्पन से ही उसके पिता, जो स्वयम एक पुरोहित थे,
01:13ने अर्जुन को शिव लिंग के अभिशेक से लेकर रुद्रा विशेक तक हर क्रिया सिखाई थी,
01:18वह युबावस्था तक आते आते पूरे गाव में प्रसिद्ध हो चुका था,
01:22लोग उसे शिव पुत्र कहकर बुलाते थे,
01:25हर सोमवार को जब वह नंगे पैर मंदिर तक ग्यारा किलोमीटर पैदल जाता था,
01:30तो लोग उसके दर्शन को सौभाग्य मानते थे,
01:32लेकिन यही अरजुन,
01:35कुछ वर्षों बाद मसीही सभाओं में येशु का प्रचार करते पाया गया,
01:39लोगों की आँखों पर विश्वास नहीं हुआ,
01:42उसके माता पिता तक ने उसे रिश्टा तोड़ लिया,
01:44गाम के मंदिरों ने उसे निश्कासित कर दिया,
01:46पर एक सवाल सब के मन में आज भी जलता रहा,
01:49आखिर ऐसा क्या हुआ उस शिव भक्त अरजुन के साथ,
01:53जो उसे येशु की और खींच ले गया,
01:55बाल्यकाल और आस्था का बीज,
01:57अरजुन बच्पन से ही गूढ़ और शांत प्रवृत्ति का था,
02:00जब अन्य बच्चे खेलों में व्यस्त रहते,
02:03वह मंदिर के गर्भ ग्रिह में बैठा,
02:05शिव पुराण पढ़ता रहता,
02:07उसे आध्यात्म से एक विचित्र आकर्शन था,
02:09वह कहता,
02:10शिव ही मेरे पिता हैं,
02:12वही मेरा आंत और आरंभ हैं,
02:13उसकी मा गैत्री देवी एक बहुत भावुक महिला थी,
02:18उन्होंने अर्जुन को बड़े प्रेम से पाला,
02:20लेकिन एक बात हमेशा उन्हें विचलित करती थी,
02:23अर्जुन का बार-बार मृत्यू,
02:25आत्मा और पुनर जन्म की बातों में उलज जाना,
02:28वह कभी-कभी पूछता,
02:30मा, जब हम मरते हैं, तब आत्मा कहा जाती है?
02:33क्या शिव जी हमें देखने आते हैं?
02:35मा कोई उत्तर नहीं दे पाती थी,
02:37वे बस इतना कहती,
02:39शिव सब संभाल लेंगे बेटा,
02:41पहला संकेत, स्वपन या चेतावनी,
02:43एक रात, जब अर्जुन अठारह वर्ष का हुआ,
02:47उसने एक स्वपन देखा,
02:48वहें गुफा में था,
02:50बिलकुल अंधेरी, सीली और भयानक,
02:52वहां उसे एक काली प्रचाई ने पुकारा,
02:55अर्जुन, तु जिस सत्य को देख रहा है,
02:57वह अधूरा है, वह डर गया,
03:00लेकिन अचानक एक प्रकाश उस अंधेरे को चीरता हुआ,
03:03उसके सामने आया,
03:04उस रोश्नी में एक आकरती खड़ी थी,
03:07सफेद वस्त्रों में कांटों का ताज पहने,
03:10आवाज आई, मैं मार्ग हूँ,
03:11अर्जुन चीक कर उठ बैठा,
03:16पसीने से भीगा हुआ,
03:17उसका हृदय तेजी से धड़क रहा था,
03:20वह समझ नहीं पाया कि यह क्या था,
03:22कोई सपना या दैवी संकेत,
03:25गहरा होता रहस्य,
03:26इसके बाद अर्जुन के जीवन में अजीब घटनाए घटने लगी,
03:30मंदिर में जलता दीपक अपने आप बुझने लगता,
03:33उसके रुद्राक्ष की माला तूट गई,
03:35अभिशेक के समय पानी दूद जैसा सफेद हो जाता,
03:38और सबसे चौकाने वाली बात,
03:40मंदिर में घंटों बैठने के बावजूद उसका मन शान्थ नहीं होता था,
03:45एक दिन वह अकेले जंगल में ध्यान करने गया,
03:47वहाँ एक बूढ़ा साधू मिला,
03:48जिसने कहा,
03:50तू जिसे ढूंड रहा है, वह यहां नहीं है,
03:52तुझे पर्वत के उस पार जाना होगा,
03:55जहां क्रूस खड़ा है,
03:56अर्जुन हत्प्रभ रह गया,
03:58क्या आप मसीही हैं?
03:59वह साधू मुस्कराया,
04:01मैं किसी धर्म का नहीं,
04:03केबल सत्य का सेवक हूँ,
04:04गाम की हिलती नीम,
04:05अर्जुन के भीतर मंधन शुरू हो गया,
04:08वह अब शिवलिंग के सामने बैठकर भी,
04:10प्रभु यीशु के उस वाक्य को याद करता,
04:13मैं मार्ग हूँ, सत्य हूँ और जीवन हूँ,
04:16यह सब देखकर गाम के लोग परिशान हो गये,
04:18पंडितों ने अर्जुन के पिता से कहा,
04:21आपका पुत्र भटक रहा है,
04:23इसे रोको, वरना यह गाम के धर्म को कलंकित करेगा,
04:26पिता ने अर्जुन को बुला कर पूछा,
04:28बेटा, क्या हो गया है तुझे,
04:31अर्जुन ने सिर जोका कर कहा,
04:32पिता जी, मैं जो देख रहा हूँ,
04:36जो अनुभव कर रहा हूँ,
04:37वह आपके बताए धर्म से कहीं अलग है,
04:40यह कोई सामान्य परिवर्तन नहीं,
04:42मेरे अंदर कुछ बोल रहा है,
04:44कोई मुझे खीच रहा है,
04:45आखिरी प्रयोग, चमतकार या धोखा,
04:48एक दिन गाव में एक बच्चा बीमार हो गया,
04:51डॉक्टरों ने जवाब दे दिया,
04:52अर्जुन ने उस बच्चे के लिए शिव के आगे रुद्रा विशेक किया,
04:56लेकिन कोई असर नहीं हुआ,
04:57फिर अर्जुन ने नजाने क्यों,
04:59उस बच्चे के सिर पर हाथ रख कर प्रार्थना की,
05:02प्रभु येशु, यदि तू ही सत्य है,
05:05तो इस बालक को जीवन दे,
05:07और चमतकार हुआ, बच्चा उट बैठा,
05:10आँखें खोल दी, उसकी मा रो पड़ी,
05:12गाव में खलबली मच गई,
05:14किसी को विश्वास नहीं हुआ कि
05:16अर्जुन के स्पर्ष से वह बालक ठीक हो गया,
05:19अर्जुन की पहली स्विकारोक दी,
05:21उस रात अर्जुन ने पहली बार खुले आम कहा,
05:24शायद मैंने जो सत्य ढूंड़ा,
05:26वह शिवलिंग में नहीं,
05:27उस क्रूस में है जिसे मैंने आज तक कभी समझा ही नहीं था,
05:31गाव में आंधी आ गई,
05:32लोग उसे पागल कहने लगे,
05:34लेकिन अर्जुन शान था,
05:35उसकी आँखों में डर नहीं,
05:37बलकि एक नई चमक थी,
05:39वह जान चुका था,
05:40अभी ये शुरुआत है,
05:42सफर लंबा है,
05:43और अंत बहुत बड़ा होगा,
05:45अगला भाग,
05:46जब अर्जुन ने पहली बार बाइबल को छुआ,
05:48और उसके जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा शुरू हुई,
05:51गाव की धंकियाव,
05:53परिवार का त्याग,
05:54और एक रहस्य मई आग का संकेत,
05:56जिसने उसकी राह बदल दी,
05:58भाग दो,
05:59अगनी की परीक्षा,
06:00बाइबल बहिशकार और बंधन,
06:03क्या आपने कभी वो क्षण महसूस किया है,
06:05जब पूरा संसार आपके विरुद्ध खड़ा हो,
06:07और फिर भी आप उस अद्रिश्य आवाज के लिए,
06:10सब को छोड़ने को तयार हो,
06:12जब अपने ही माता पिता आँख फेर लें,
06:15और वो गाव जो कभी चरण छूता था,
06:17अब पत्थर उठाए खड़ा हो,
06:19तब भी यदि आप पीछे ना हटें,
06:21तो जान लीजिए,
06:22आप किसी असाधारन सत्य की और बढ़ रहे हैं,
06:40अपने आंगन में तुलसी के पास बैठा ध्यान कर रहा था,
06:43लेकिन उसका मन बार बार उस सफेद वस्त्रधारी के शब्दों में उलज रहा था,
06:48मैं मार्ग हूँ, सत्य हूँ और जीवन हूँ,
06:51अचानक एक युवक गाम के बाहर से आता दिखाई दिया,
06:53उसका नाम था जोईल, एक युवा प्रचारक जो आसपास के क्षेत्रों में मसीही संदेश फैलाने आया था,
07:00वह गाम के कुएं पर पानी भरने के बहाने रुका और अरजुन के पास बैठ गया,
07:04दोनों की पहली बात चीत साधारण थी,
07:07लेकिन जोईल ने धीरे धीरे अरजुन से एक सवाल पूछा,
07:10क्या आपने कभी बाइबल पढ़ी है?
07:12अरजुन ने सिर हिलाया,
07:14नहीं, लेकिन मैं उसे समझना चाहता हूँ,
07:16जोईल ने मुस्करा कर एक छोटी सी जेब बाइबल दी,
07:20अरजुन ने कांपले हाथों से उसे चुआ,
07:22जैसे ही उसने पहला पन्ना पल्टा,
07:24उसकी द्रिष्टी गई,
07:26प्रारंभ में वचन था,
07:27वचन परमेश्वर के साथ था,
07:29और वचन ही परमेश्वर था,
07:46शिव तुम्हे क्षमा नहीं करेंगे,
07:48पिता ने गुस्से में बाइबल को छीन कर जमीन पर फेंक दिया,
07:52जिस घर में तुझे शिव का रूद्र पढ़ना सिखाया,
07:55वहीं तू अब येशु का नाम ले रहा है,
07:57अरजुन शांत रहा,
07:58पिता जी, मैंने आज तक किसी धर्म का अनादर नहीं किया,
08:02लेकिन जो शब्द मैंने पढ़े,
08:03उन्होंने मेरी आत्मा को स्पर्श किया है,
08:06यह कोई धर्म परिवर्तन नहीं,
08:07यह आत्मा का उत्तर है,
08:09पिता ने निर्णय सुना दिया,
08:10जब तक तु इस राह पर है,
08:13इस घर में तेरी कोई जगह नहीं,
08:15गाम की धमकियां और बहिशकार,
08:17अरजुन अब खुलेयां बाइबल पढ़ता,
08:19और अपने अनुभवों को गाम के कुछ जिग्यासु युवकों से साज़ा करता,
08:24लेकिन यह बात गाम के प्रमुखों तक पहुँची,
08:26एक विशेश पंचायत बुलाई गई,
08:28मुखिया ने कहा,
08:30अरजुन त्रिपाठी को इस गाम से निशकासित किया जाता है,
08:33जब तक वह शिव के चरणों में लोट नहीं आता,
08:36अरजुन ने कहा,
08:37मैं कहीं नहीं जाऊंगा,
08:39ये मेरी जन्म भूमी है,
08:40और सत्य की खोज मेरा जन्म सिद्ध धिकार,
08:43लोगों ने उसका बहिशकार कर दिया,
08:45उसे दुकानों से सामान मिलना बंध हो गया,
08:48मंदिर के बाहर उसकी तस्वीर लगा कर लिखा गया,
08:51धर्म भरष्ट,
08:52रात का रहस्य, आग का संकेत,
08:55एक रात अर्जुन ध्यान में बैठा था,
08:57तभी उसके घर के पीछे अचानक आग लग गई,
08:59भधोड़ा लेकिन देखा,
09:01आग खुद खुद बुझ गई,
09:03उस राक के बीच एक लकड़ी का छोटा सा क्रूस पड़ा था,
09:06जिस पर एक शब्द खुदा था,
09:08मत डर, मैं तेरे साथ हूँ,
09:10अर्जुन स्थब्ध रह गया,
09:11ये कोई सामाने घटना नहीं थी,
09:13अगले ही दिन जोईल फिर आया,
09:15और उसने कहा,
09:16अब तुझे निर्णय लेना होगा अर्जुन,
09:18या तो तु इस सत्य के पीछे पूरी तरह आए,
09:21या फिर जीवन भर भ्रम में रहेगा,
09:23अर्जुन ने आखें बंद की और कहा,
09:25मैं तयार हूँ, मुझे शिश्य बना लो,
09:28बब्तिस्मा, पुनर जन्म की शुरुवात,
09:30जोएल उसे एक गुप्त स्थान पर ले गया,
09:33जहां कुछ और विश्वासियों ने मिलकर,
09:35एक छोटी सी सभा की,
09:37वहां अर्जुन ने बाइबल से प्रेरित होकर,
09:39बब्तिस्मा लेने का निर्णय लिया,
09:41पानी में उतरते समय,
09:43उसके मन में शिव का मंदिर,
09:44उसका बच्पन, मा की आँखें सब तैर रहे थे,
09:48लेकिन जैसे ही वह जल से बाहर आया,
09:51उसका चेहरा चमक उठा,
09:52उसके होंटों पर एक ही शब्द था,
09:55येशु, शुरू हुआ असली संधर्ष,
09:58अब गाव में आग की लपटें फैलने लगी,
10:00लोगों ने उसके घर पर पत्थर फेंके,
10:02एक रात उसके उपर हमला भी हुआ,
10:05परवह बच गया,
10:06उसने पुलिस में रिपोर्ट नहीं की,
10:08बल्गी कहा,
10:09मेरे मसीह ने भीक शमा की थी,
10:11मैं भीक शमा करता हूँ,
10:13जो लोग उसका तिरसकार कर रहे थे,
10:15उनमें से कुछ के जीवन में समस्याएं आने लगी,
10:18एक महिला जिसका पुत्र वर्षों से बोल नहीं पाता था,
10:21अर्जुन से मिलने आई,
10:23अर्जुन ने येशु के नाम से प्रार्थना की,
10:25और बच्चा बोल उठा,
10:26ये चमतकार गाउं में आग की तरह फैल गया,
10:30नया उद्देश्य सेवक बनना,
10:32अब अर्जुन सिर्फ विश्वास में नहीं,
10:34सेवा में भी आगे बढ़ने लगा,
10:36उसने गाउं के गरीब बच्चों के लिए पढ़ाई की विवस्था की,
10:39बाइबल और नैतिक शिक्षाएं देना शुरू किया,
10:42धीरे धीरे कुछ लोग उसकी बातों में रुची लेने लगे,
10:45लेकिन अभी भी अधिकांश विरोध में थे,
10:48अर्जुन जानता था, ये सिर्फ शुरुवात है,
10:50उसके लिए अब सबसे बड़ा संगर्श आने वाला था,
10:53भाग तीन में आगे,
10:55जब अर्जुन को एक विदेशी मिशनरी संगठन ने आमंतरित किया,
10:59लेकिन वहां उसके साथ एक शडियंत्र हुआ,
11:01जिसने उसकी आस्था को तोड़ने की कोशिश की,
11:03अर्जुन को जेल, जूटे आरोप और विश्वास की परिक्षा से गुजरना पड़ा,
11:08क्या वहां अपने मार्ग पर अडिग रहा,
11:10जानिये भाग तीन में,
11:11भाग तीन, साजिश, जेल और विश्वास की विजए,
11:15कभी कभी सत्य की राह पर चलना ऐसा होता है,
11:18जैसे अंगारों पर नंगे पाम चलना,
11:21हर कदम दर्द देता है,
11:23लेकिन मन्जिल उतनी ही दिव्य होती है,
11:26अर्जुन की कहानी अब सिर्फ गाम तक सीमित नहीं रही,
11:29बल्कि अब उसके विश्वास की परिक्षा,
11:31एक अंतर राष्ट्रिय शडियंत्र में होने वाली थी,
11:34जहां उसे जेल, उत्पीडन और आत्मा तोड़ने वाली चालों से गुजरना था,
11:39लेकिन क्या भर तूटा,
11:41या उसने उस एक नाम के लिए सब कुछ सहकर भी मुस्कराना सीखा,
11:44यीशू, मिशनरी संगठन से आमंतरन,
11:48गाम में हुए चमतकारों की खबर धीरे धीरे राज्य के अन्य हिस्सों तक पहुँचने लगी,
11:53और फिर एक दिन अर्जुन को एक कॉल आया,
11:56एक प्रसिध अंतर राष्ट्रिय मसीही मिशनरी संगठन से,
11:59वे उसकी कहानी से प्रेरित थे और चाहते थे कि अर्जुन उनके द्वारा आयोजित होने वाले एशिया विश्वास सम्मिलन में हिस्सा ले,
12:07अर्जुन चौंका लेकिन खुशी भी हुई, गाम से बाहर निकल कर दुनिया को यीशू की गवाही देना उसका सपना था,
12:15जोयल ने उसे सलाह दी, ध्यान रखना जहां आशिरवाद बढ़ते हैं, वहाँ विरोध भी प्रबल होता है,
12:21सफर की शुरुवात और नए अनुभव, अर्जुन पहली बार विमान में बैठा,
12:26बड़े शहर की रोशनी, होटल और मिशनरी साथियों की गर्म जोशी ने उसके मन में एक नई उर्जा भर दी,
12:33सम्मिलन में उसका भाशन तय था, एक शिव भक्त की यीशु तक की यात्रा,
12:38जब मंच पर पहुँचा, तो वहाँ सैकडों लोग खड़े होकर उसका स्वागत कर रहे थे,
12:43उसने जब अपनी यात्रा और विश्वास की कहानी साज़ा की, तो कई की आँखों में आशू थे,
12:49अर्जुन ने कहा, मेरे जीवन में दो तीर्थ हैं, एक शिव का मंदिर जहां मैंने भक्ती सीखी, और दूसरा क्रूस जहां मैंने प्रेम सीखा,
12:58भीड खड़ी हो गई, तालियों की गूंज उसके जीवन का सबसे भावुक पल थी, लेकिन उसके ठीक बाद एक साया उसकी तरफ बढ़ रहा था, एक साज़िश का, शडियंत्र की शुरुआत, सम्मेलन में ही एक विदेशी मिशनरी, इलेक्स अर्जुन से अत्यधिक मित्
13:28नहीं, कुछ ही दिनों में एलेक्स ने अर्जुन के नाम पर कुछ दस्तावेजों पर साइन करवाए, यह कहते हुए कि यह सिर्फ मीडिया अनुबंध है, लेकिन तीन दिन बाद पुलिस होटल पर पहुँची और अर्जुन को गिरफतार कर लिया गया, आरोप, धर्मांत
13:58जेल की अंधेरी रातें, जेल में पहली रात अर्जुन में खुद से सवाल किया, क्या मैंने गलती की, क्या ये सब एक चलावा था, लेकिन तभी उसे याद आया, क्रूस पर लटकता येशु, अकेला, अपमानित और फिर भी मौन, उसने आखे बंद कर प्रार्थना की, प
14:28अर्जुन तो जेल चला गया, विदेशियों का एजेंट निकला, पर वहीं जेल के भीतर कुछ अद्भुत हुआ, एक कैदी, जिसका नाम सत्तार था, अर्जुन के पास आया और बोला, मैंने तुझे टीवी पर देखा था, क्या तु वहीं अर्जुन है, जो कभी शिव का
14:58अगली सुबह सत्तार की बीमारियां जो वर्षों से थी, गायब हो चुकी थी, जेल के अन्य कैदियों में खलबली मच गई, उद्धार का चमतकार और केस की मोड, जेल के अंदर ही अर्जुन ने बाइबल कक्षाएं शुरू कर दी, कुछ पुलिस कर्मियों ने भी चुप
15:28कि एलेक्स असल में एक जूटा प्रचारक था, जिसने पहले भी कई देशों में यही किया था, भोले विश्वासियों को फंसा कर खुद फायदे उठाना, रिवन ने कोर्ट में सारे दस्तावेज पेश किये, 45 दिन के बाद अदालत ने अर्जुन को निर्दोश घोशित क
15:58कहा, प्रभू ने तुझे अगनी में से निकाल कर शुद्ध सोना बना दिया, मन की गहराई में उठे सवाल, उस रात अर्जुन अपने पुराने घर के बाहर बैठा था, मा ने धीरे से दर्वाजा खोला और रोती हुई बोली, बेटा, हमने तुझे नहीं समझा, क्या अ�
16:28करीबी मित्र उससे इरश्या करने लगा, और उसके खिलाफ गाउं में एक नया विद्रोह खड़ा किया गया, अब संघर्ष बाहरी नहीं, बलकि अपनों के बीच से आने वाला है, क्या अर्जुन इस विश्वास घात से बच पाएगा, जानिये भाग चार में, भाग चार
16:58और दिल में इरश्या होती है, तो आत्मा कांप उठती है, अर्जुन की अगली लड़ाई अब गाम के बाहर से नहीं, बलकि अपने ही भाईयों के बीच से उठने वाली थी, एक विद्रोह, एक विश्वास घात, और एक ऐसी अगनी परीक्षा, जिससे होकर ही उसका भवि
17:28और लोटते ही माने सबसे पहले उसके चरण धोये, और कहा, तू अब मेरा बेटा नहीं, मेरे लिए प्रभू का सेवक हैं, गाम के युवाओं ने मिलकर चर्च की नीम रखी, पहली बार गाम में क्रूस स्थापित किया गया, जोयल के सहयोग से हर रविवार को आराधना स�
17:58योगी था, लेकिन अब अंदर ही अंदर जल रहा था, हरिश का बदलता मन, हरिश और अर्जुन की दोस्ती पंद्रह वर्षों पुरानी थी, साथ में स्कूल, मंदिर की सेवा और यहां तक की गाम की पंचायत में भी एक साथ खड़े होते थे, लेकिन जब अर्जुन ने �
18:28उसने महसूस किया कि अर्जुन गाम में केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक नेत्रत्र भी कर रहा है, और यही बात उसकी इरश्या का बीच बन गई, इरश्या से शड्यंत्र तक, हरिश ने धीरे धीरे गाम के कुछ पुराने मंदिर समर्थकों को एकत्र किया, उसने कहा, अर
18:58एक नया प्रचार शुरू किया, इसाई बनो, तो विदेशी पैसा मिलेगा, यही है अर्जुन का असली एजेंडा, लोगों में फिर से भ्रम पैदा होने लगा, कुछ ने चर्चाना छोड़ दिया, और कुछ ने अर्जुन से दूरी बना ली, विश्वास घात का पहला ब
19:28जो मेरे लिए अपशब्द बोलते हैं, मैं उनके लिए प्रार्फना करूँगा, क्योंकि मैंने प्रभू से यही सीखा है, क्षमा, लेकिन यह सिर्फ शुरुवात थी, अगले ही सपताह पंचायत ने अर्जुन को गाम के सारवजनिक मंचों से निश्कासित कर दिया, चर्
19:58उसने कहा, मैं नहीं चाहता कि यह गाम मंदिर और चर्च में बढ़ जाए, मैं चाहता हूँ कि यह गाम प्रेम में एक हो, मैंने अगर किसी को ठेस पहुँचाई हो, तो मैं क्षमा मांगता हूँ, लेकिन यदि मेरा अपराद सिर्फ येशु पर विश्वास करना है, तो मै
20:28ललन को पैसे दे कर जूठी गवाही देने के लिए तयार किया, योजना यह थी कि ललन मंच पर चड़ेगा, गिर पड़ेगा और फिर कहेगा कि वह अर्जुन की प्रार्थना से ठीक हुआ है, ताकि अगले दिन वीडियो वाइरल हो और फिर उसी पर खबरें बने कि अर्�
20:58मैं जानता हूँ तू जूट बोल रहा है, पूरी सभासन्द, अर्जुन ने कहा, तू मुझसे क्यों डरा, मैं तुझे एक शमा करता हूँ, पर यह मत भूल की परमेश्वर सब देख रहा है, ललन रो पड़ा, उसने सब बता दिया, हरिश ने मुझे पैसे दिये, मुझे म
21:28कर रहा था, बच्पन में अर्जुन ने ही उसे पहला स्कूल बैक दिया था, उसी अर्जुन को उसने कलंकित करने की कोशिश की, वह आधी रात को चर्च पहुँचा और अर्जुन के पैरों में गिर गया, मैंने पाप किया, मुझे ख्शमा कर दो, अर्जुन ने उसे उठ
21:58कोई प्रवचन नहीं, कोई प्रचार नहीं, सिर्फ प्रेम और शमा की बातें हुई, भाग पांच में आगे, अब जब अर्जुन का गाव एकता की मिसाल बना है, एक विदेशी डॉक्युमेंटरी टीम उसकी जीवन कथा को विश्व मंच पर ले जाना चाहती है, लेकिन क
22:28पत्थर उठाए थे, आज वही गाव पूरी दुनिया के लिए आस्था, क्षमा और प्रेम का उदाहरन बन चुका है, पर जब एक जीवन यात्रा मुकाम तक पहुंचती है, तब अकसर उससे भी बड़ी परिक्षा इंतजार कर रही होती है, अर्जुन के जीवन की सबसे �
22:58करतन की कहानी जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, कई ईसाई संस्थाओं, समाज सेवियों और यहां तक की विदेशी डॉक्यूमेंटरी प्रोडूसर्स की निगाह इस छोटे से गाम पर टिक गई, एक जर्मन डॉक्यूमेंटरी निर्माता, कार्ल वान हफनर, भार
23:28अरजुन ने मुस्कुरा कर कहा, अगर मेरे जीवन से किसी एक का भी जीवन बदलता है, तो मेरा हर दर्द सफल हुआ, कार्ल की टीम ने गाम में कई हफतों तक शूटिंग की, उन्होंने अरजुन की पुरानी तस्वीरें, मंदिर की सीडियों पर बैठा हुआ उसका ध्या
23:58सभी धर्मों के प्रतीग एक छोटे व्रिक्ष के चारों और लगाए गए, उस व्रिक्ष का नाम था संघर्ष से समर्पन तक, अरजुन की बढ़ती लोक प्रियता और एक नई इरश्या, डॉक्यूमेंटरी का नाम रखा गया, The Cross in the Village, A True Indian Story, जब यह फिल्म नेट्फिक्स
24:28भी लोट आया, इस बार कोई गाम का नहीं, बलकि एक राश्ट्र व्यापी संगठन था, धार्मिक एकता मंच, जो इसे धर्म परिवर्तन की साजिश बताने लगा, उनके नेता राघव सैनी ने कहा, ये सब विदेशी पैसों से धर्म का अपमान है, इसे बंद करो या इसक
24:58तभी कुछ नकाब पोश लोगों ने उस पर हमला किया, उसे गंभीर चोटें आई, रीड की हड़ी में फ्रैक्चर, जबड़ा तूटा और दाहिनी आँख पर गहरी चोड़, पूरा गाम स्तब्ध रह गया, लोग रात भर चर्च के बाहर मुमबतियां लेकर प्रार्थन
25:28जब वह जागा, तो सबसे पहले उसने कहा, मुझे फिर से मंच पर खड़ा होना है, मेरे जीवन का अंतिम संदेश बाकी है, डॉक्टरों ने कहा, आप कभी चल नहीं पाएंगे, लेकिन अर्जुन ने उत्तर दिया, मैंने चलने की शक्ती प्रभू से पाई थी, अब उड
25:58जारों लोगों ने खड़े होकर उसका स्वागत किया, उसने कहा, मैंने अपने जीवन में दो चीजें देखी, विश्वास की शक्ती और घ्रणा की आग, लेकिन घ्रणा कितनी भी तेज क्यों नहो, जब प्रेम की बूंद गिरती है, तो सबसे कठोर पत्थर भी पिगल ज
26:28अरजुन ने अचानक सारी यात्राएं बंद कर दी, उसने सोशल मीडिया, इमेल, सब कुछ हटाया, और गाम के बाहर एक छोटे आश्रम जैसे स्थान पर रहने लगा, वहां केवल एक छोटी सी लकडी की मेज, एक बाइबल और दीवार पर लिखा वाक्य, यह मैं नहीं, �
26:58जाता हूं, उस प्रभु को जो हर आंसू को मोती में बदल देता है, कई साल बाद अरजुन की विरासत, दस वर्षों के अंदर अरजुन का गाम, देश का पहला, धार्मिक समरस्ता, मॉडल गाम घोशित हुआ, स्कूल, हॉस्पिटल और एक इंटरफेज सेंटर उसकी प्र
27:28जीजस वस बॉर्ण इन इसरेल, बट वेर ड़स ही लिव नाओ, पादरी ने मुस्कुरा कर उत्तर दिया, वो एक छोटे से गाउं में भारत में रहता है, जहां एक आदमी क्रॉस ले जाता था, ना कि उसकी कंधों पर, बलकि उसके दिल में

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