पूरा वीडियो: विदाई माने क्या? पिता का घर पराया कैसे? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2023)
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00:00मेरी मौसियों की विदाई हो रही थी, मैं छोटा था, मेरी कई मौसियों, एक के बाद उनकी शादियां हो, और विदाई के समय पर ये भयानक महाल, 20-40 और चाती पीट-पीट कर रो रही है, कोई 2-4 बिहोश हो गई है, ये हमेशा होता है, हो सकता है, बड़े शहरों में होना
00:30मैं चोटा, मैं का ये काम अगर इतने ही गंदा है, तो हो क्यो रहा है, मैं नहीं हो गया, जब ये इतनी गलत चीज जाए, दूसरी विदाई में मुझे दूसरे घर में बंद कर दिया गया, वो सुबह से ही टया कर लिया था, कि इसको बाहर मताने देना, देर राद तक शा�
01:00यह उल्टे-पिल्टे सवाल करता है, मैं का इतनी तैयारियां करते हो,
01:036-6 भही ने पहले से दहेज का वो बिस्तर लाके रख दिया,
01:06बड़े-बड़े बरतन आने लग जाते थे,
01:07मध्यमबर्गी ए घरों में यही होता है,
01:09एक साथ आप दहेज नहीं कठा कर पाते,
01:11तो आप जब देखते हो जवान हो रही है,
01:12तो धीरे-धीरे करके पहले से ही कठा करना शुरू कर देखते हो,