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  • 2 days ago

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Transcript
00:00आप देखिएगा दसवी की परीक्षा जब तक रहती है उसमें लड़कियां आगे रहती हैं
00:04बारहवी के बोर्ड के परिणाम में लड़कियां थोड़ा पीछे होती है
00:06और फिर जब प्रवेश परीक्षां एंट्रेंस जितने होते हैं
00:09इंजिनरिंग हैं मेडिकल हैं और जितने भी होते हैं
00:11उनमें लड़कियां और पीशे हो जाती हैं
00:12ये क्यों होता है दिमाग की कमी है और दिमाग की कमी है तो क्या दसवी तक दिमाग ठीक था
00:16दसवी के बाद दिमाग खराब होगे हैं नहीं
00:17दसमी के बाद जिन्दगी में देह आ गई
00:19उसके बाद वह अपनी दिश्टी में भी देह बन जाती है
00:21और समाज तो उसे प्रतिपल यही एहसास कराता रहता है
00:28कि दुगध बने चलवे, संसार के लिए ट्री देह रही है
00:28दिक्कत यह है कि उसी संसार में इस्तरी भी शामिल है
00:31इस्तरी के लिए भी इस्तरी देह ही रही है
00:33बार बार बोलता हूँ अध्यात्म की जरूरत पुरुषों से दस गुना ज्यादा इस्तरीयों को है
00:38क्योंकि अध्यात्म का काम है आपको देह की अपेक्षा चेतना बनाना और चेतना बनने की ज़्यादा जरूरत उसी को है न जो देह बनी बैठी है चेतना बनने की सबसे ज़्यादा जरूरत अस्त्री को है वो खुद देह बनी बैठी है पूरी की पूरी उसको जरा ये नहीं

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