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  • 5 days ago
जब रास्ते थकाने लगें, जब शक़ दिल में घर करने लगे,
तो एक छोटी सी आवाज़ हमें याद दिलाती है —
क्यों चले थे, कहाँ से चले थे।

"ख़्वाबों की आवाज़ सुनो" एक नज़्म है,
उन सभी सपनों के लिए जो हमने कभी अपने हाथों में थामे थे।
जो हमने कभी दुनिया से छुपा लिए थे,
और फिर भी हर दिन हमें पुकारते रहे।

AsiaNet News Hindi और Vineet KKN 'Panchhi' के साथ
News Se Break में आज —
सपनों की उसी आवाज़ को फिर से सुनने का वक़्त।
अगर कभी थक जाएं, डर जाएं,
तो बस याद रखना —
ख़्वाब कहते हैं... चलते रहना।

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Transcript
00:00दोस्तों क्या हाल हैं आपके?
00:02मैं कोई 14 साल पहले नौकरी छोड़कर अपना काम करने आया था
00:07कुछ अजीब से ख्याल थे, दिमाग में कुछ आइडिया थे, जजबा था
00:10पर बहुत सारा डर भी था
00:13लिमिटेड डिसोर्सिस थी और जैसे होता है
00:15ये कोई बताने वाला तो था नहीं के रोज क्या किया जाए
00:17कैसे सोचा जाए, किस को साथ लिया जाए, कहा होता है
00:21ये छोटी सी नजब मैंने कुछ साल पहले लिखी थी
00:24जब हमारी कंपनी के 10 साल पूरे हुए थे, बड़ा सा जटका लगा था मुझे
00:27अकेले लिखी थी, बड़े भारी मन से लिखी थी
00:31और खुद को कुछ याद दिलाने के लिखी थी
00:32आज आप सबसे इसलिए शेयर कर रहा हूं कि ये हो सकता है कि आपके भी काम आए
00:37कहते हैं कि वो जो सिर्फ तुम को सुनाई देता है
00:44वो जो सिर्फ तुम को सुनाई देता है, आँखें खुली हूं यां बंध हों साफ साफ दिखाई देता है
00:51वो जो हर रोज तुमारे कानों से टकराता है, उचलता है, जख़टाता है, बार बार एकी राग दोराता है
01:01वो जिसको तुमने पैदा किया
01:03वो जिसको तुमने पैदा किया
01:05शकल दी आखें दी नाम दिया
01:07वो जिसको तुमने कभी दुनिया से छुपाया
01:09कभी नजर अंदास किया
01:10कभी बुलाया
01:11जगाया सुलाया
01:12दिल के कोने कोने में बसाया
01:14सब की नजरों से बचकर सहलाया
01:16खत्म होने से बचाया
01:17वो वो खाब है तुम्हारा
01:20वो खाब है तुम्हारा
01:21इस खाब को कहां तक लेके जाओगे
01:24इस खाब को कहां तक लेके जाओगे
01:26कैसे पालोगे
01:28क्या दिखाओगे
01:28किसको साथ लोगे
01:30किसको साथ रखोगे, किसको छोड़ जाओगे
01:32इस खाब के लिए क्या क्या करोगे, कहां तक जाओगे
01:36इस खाब की सांसें, इस खाब की जान तुम्हारी हतेली पे पड़ी है
01:46ये बड़ा हो गया ना, तो अपनी हतेली पे तुम्हें उठाएगा
01:50ये खाब है ये बड़े कमाल की चीज है जितना तुम निभाओगे
01:55ये खाब उससे कहीं ज्यादा निभाएगा
01:58तो खाबों की आवास सुनो
02:00खाबों की आवास सुनो ये कहते हैं चलते रहना
02:04चाहे जितनी भी आग मिले अब जो भी हो जलते रहना
02:08तेड़ी मेड़ी इन राहों पर चाहे कुछ हो ढलते रहना
02:12इन हाथों की लकीरों को सच होने तक मलते रहना
02:16खाबों की आवास सुनो
02:18ये कहते हैं चलते रहना
02:22तो हमारे खाब दोस्तों हैं तो कमाल के
02:28ये हमसे बात करते हैं कभी फुस फुसा के कभी चिला के
02:33और जैसे ही इनकी तरफ आप बढ़ना शुरू करें
02:36ये कमबक्त हमें टेस्ट भी करते हैं
02:38खुद पर शक होता है कि यारी क्या पंगा ले लिया
02:40अजीब अजीब से मोड आते हैं
02:42पर जिसने भी अपने सफर में
02:44अपने खाबों के आवाजें सुनकर कदम बढ़ाएं है
02:47यही कहता है कि हमारे खाब हमें जानते हैं
02:50हमारे खाब हमें चुनते हैं
02:52हमारे खाबों को हम पर यकीन है
02:54बस इनके साथ हमें
02:56अपने खाबों के साथ हमें भी वफादार रहना है
02:59क्योंकि इन खाबों की सांसे, इन खाबों की जान हमारी हतेली पे पड़ी है, ये बड़े हो गए ना, तो अपनी हतेली पे हमें उठाएंगे, ये खाब हैं, ये बड़े कमाल की चीज हैं जितना हम निभाएंगे, ये खाब कहीं ज्यादा निभाएंगे, तो to everyone listening to these voices, दोस्त
03:29कर दोस्त।
03:44कर्द़ू

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