जादुई समुंद्र _ JADUI SAMUNDR _ HINDI KAHANIYA _ HINDI STORIES
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00:00नदियापुर गाउ में बसंत नाम का एक नव जवान नाविक रहता था
00:12नदियापुर गाउ की सीमा में आने जाने के लिए लोगों को नाव का ही सहारा लेना पढ़ता था
00:19बसंत एक स्तीधा साधा नाविक था, उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक बूढ़ी मा थी
00:30की लगभख सभी लोगों का करदा चड़ा हुआ था आज बसंत अपनी नाओं के पास पहुंचाई था कि तभी गाओं का सेड़ धनी राम कुछ लोगों के साथ उसके पास आधम का
00:42बस बहुत हो गया अब मामला परदाश्ट से बाहर उता जा रहा है समझ गया पूरे छे महीने हो गए मुझे बेवकूफ बनाते हुए तुझे आज मैं अपने पैसे ले जा करी रहूंगा समझा
00:55मुझे कुछ दिनों की महुलत और दे दो सेड़ जी आप तो जानते ही हो कि इस वक्त धन्दा कितना मंदा चल रहा है
01:01अबे तेरा धन्दा कोई मंदा नहीं चल रहा सच तो यह है कि तु मेरे पैसे देना ही नहीं चाता
01:07नदियापुर गाउं में आने के लिए और जाने के लिए नाओ का ही सारा लेना पड़ता है
01:13उपर से ये लाका टोरिस्ट लाके में भी आता है
01:17सेलानियों की कोई कमी नहीं है यहाँ पर
01:19तेरा धन्दा मंदा कैसे बढ़ सकता बै
01:22सेड़ जी सारे गाउवाले जानते हैं कि मेरी किसमत कितनी फूटी हुई है
01:27मैं बड़ी महनत से पाई पाई खटा करता हूँ लेकिन
01:30वो पैसे किसी ना किसी वजह से मुझसे खर्च हो जाते है
01:33बसंत पर सेड़ धनी राम बसंत का मजाग उड़ाते हुए
01:36अपने लोगों को देख कर बोला
01:39रह सुना तुम लोगों ने
01:41ये बड़ी महनत से पाई पाई जोड़ का रकम इखटा करता है
01:45और इसे खुद नहीं पता कि इसके पैसे कहां खर्च हो जाते है
01:50इतना कहकर धनी राम गुसे से बसंत की और देख कर बोला
01:54ये क्यों नहीं कहता कि तु एक नंबर का आयाश है
01:57सारे पैसे आयाशी में खर्च कर देता है
02:00बेवकूफ आदमी तुझे कोई और नहीं मिला बेवकूफ बनाने के ले
02:05है बे
02:05नई नई ऐसा मत कही है सेड़ जी
02:07नदियापुर के सारे लोग जानते हैं कि मैं कितना शरीफ हूँ
02:11मेरे घर में मेरी पत्नी और मेरी बूड़ी मा रहती है
02:14मैंने तुझ से ये नहीं पूछा कि तेरे घर में कौन-कौन रहता है
02:18समझ गया
02:18अरे तेरे घर में तेरी बूड़ी मा रहे या तेरी पत्नी
02:37मैं वादा करता हूँ कि मैं आपकी एक-एक पाई चुका दूंगा
02:40ठीक है ठीक है लेकिन इस बार मैं तुझे दस दिन से ज़्यादा की मौलत नी दे सकता
02:45दस दिन के अंदर अंदर अगर मुझे मेरे पैसे नहीं मिले न तो मैं
02:50मैं तेरा मकान तुझसे छीन कर तुझे धक्के दे कर तेरे मकान से बहार निकाल दूँगा, समझ में आ गई?
02:56इतना कहे कर धनी राम वहाँ से चला गया और बसंत अपना मुझे अटकाते हुए अपनी काम पर लग गया
03:03शाम को ठाका हारा बसंत जैसे ही अपने घर पर पहुँचा, उसकी बतनी वोली
03:07आ गए सेफची घर पर, आपके पीछे बहुत सारे महमान आपको पूछते हुए आए थे
03:13उन्होंने आपका काफी देर थक इंतिजार किया और विचारे इंतिजार करके बहुत थक गए, अभी कुछ देर पहले ही गए है
03:21जुमकी मैं जानता हूँ कि तुम किनकी बात कर रही हो
03:24जब तुम सारी बाते जानती हो तो फिर उन सब के घर से क्यों नहीं चुका देते
03:29तुम अच्छी तरह से जानती हो जुमकी, पिछले कुछ सालों से मेरे साथ क्या हो रहा है
03:34मैं जब भी कुछ पैसे जमा करता हूँ वो किसी ना किसी तरह से खर्च हो जाते
03:38पिछली बार मा का पैर तूट गया था, उसके इलाज में कितने पैसे खर्च हो गए
03:43उसके बाद चोट लगने से तुमारी पसली फ्रेक्चर हो गई थी
03:46उसके इलाज पर कितने पैसे खर्च हो गए
03:49मैं तुम्हारी बातों को समझती हूँ
03:51लेकिन गाउवाले इस बात को नहीं समझते
03:53उन्हें तो बस अपने पैसों से मतलब है
03:55और आखिरकार वो तुमसे कब तक पैसे नहीं मांगेंगे
03:58गाउव का मुखिया धमकी दे कर गया है
04:01अगर तुमने गाउवालों के पैसे नहीं दिये
04:03तो वो तुम्हारी नाव चीन लेगा
04:05और सेट धनी राम मुझे धमकी दे कर गया है
04:08कि अगर दस दिन के अंदर मैंने उसके पैसे नहीं दिये
04:10तो वो मुझसे मेरा मकान चीन लेगा
04:13मेरी समझ में नहीं आता कि अब मैं क्या करूँ
04:15मेरी समझ में नहीं आता गाउ में जितने भी नाविक हैं
04:19उन सब के एश की चांदी कर रही है
04:21उन सब के मकान देखे हैं तुमने
04:23ऐसा लग रहा है जैसे कि वो कोई नाव नहीं
04:26बलकि कोई कमपनी चलाते हो
04:27तुम सारा दिन नदी के किनारे क्या करते रहते हो
04:30कितनी बार कह चुका हो जुमकी
04:32टूरिस्ट मेरी नाओ में नहीं आते
04:34ये क्यों नहीं कहते कि तुम्हारी नाओ में
04:36गाओं के भूख है नंगे लोग ही आकर बैठते हैं
04:39उनसे तुम्हें कितनी आमदनी होती होगी?
04:41तुम अपनी नाव में नदियापुर घुमने आये सेलानियों को क्यों नहीं बिठाते?
04:45जितने भी नाविक हैं, वो जूट बोलकर टूरिस्ट को अपनी नाव में बैठा कर,
04:49सिर्फ उन्हें चूना लगाते हैं, और मुझे जूट बोलना नहीं आता, नहीं चाहिए मुझे हराम की कमाई
04:55अरे सच्चाई के देवता, ये धंदा है, ये क्यों नहीं कहते कि तुम्हें धंदा करना ही नहीं आता?
05:00जिससे तुम धंदा कह रही हो, मैं उसे अच्छा नहीं समझता, मेरी तो किसमत ही भूटी हुई है, कि मुझे तुम्हारे जैसा पती बेवकूफ पती मिला, अगर ऐसे ही हाल रहाना, तो वो दिन दूर नहीं कि जिस दन तुम्हारी नाव भी तुमसे चीन ली जाएगी, उ
05:30जिसे दिन बसंद नदी के किनारे, उदास बैठा हुआ गहरी सोच में दूबा हुआ था, कि तभी वहाँ पर धनी राम फिर से आप पहुचा, या देना बसंद, आज तेरा आखरी दिन है, अब इससे जादा मैं तुझे और महलत नहीं दे सकता भई, शाम को मैं तेरे घर �
06:00उरे दस दिन से मेरी नाव में मुस्किल से बीस मुसाफिर भी नहीं बैठे होंगे, मैं धनी राम के पैसे कहां से दूँगा, अगर मैंने उसे पैसे नहीं दिये, तो वो मेरे परिवार को बेजज़त करके घर से निकाल देगा, मैं कहां जाओ, क्या करूँ?
06:14बसंत हासरत भरी निगाहों से और नाविकों को देखने लगा, जिनकी नाव पर तूरिस्ट सवार थे, तभी बसंत की कानों में एक बूढ़े व्यक्ति का स्वर टकराया
06:25क्या तुम मुझे दूसरी दुनिया के छोड़ तक छोड़ सकते हो?
06:30बसंत उस बूढ़े की बात सुनकर हैरत में पड़ गया
06:33लगता है आपका दिमाग खिसका हुआ है बाबा, ये कैसी बात है कर रहे हैं आप?
06:38मेरा कहने का मतलब ये है बेटा, तुम मुझे इस नदी के दूसरे किनारे पर छोड़ देना
06:44तो सिधे सिधे ये कहिए न बाबा की आपको दूसरी सीमा पर उतरना है
06:48ठीक है बाबा, दो सौ लगेंगे
06:50मैंने सुना है कि तुम बूढ़े और गरीब यात्रियों से पैसे नहीं लेते
06:56सही सुना है बाबा, लेकिन क्या करूँ, लगता है मुझे अपने नियम और काइदे अब बदलने पड़ेंगे
07:02चाहे कितनी भी मुसीबत क्यों न आ जाए, अपने उसूल इंसान को कभी नहीं बदलने चाहिए
07:08वक्त बदलते हुए, देर नहीं लगती
07:11मैं इस वक्त बहुत परिसान हूँ बाबा, जाओ जाकर कोई दूसरी नाओ पर बैठ जाओ
07:16लेकिन मुझे तो सिर्फ तुमारी ही नाओ पर बैठना है
07:20पर मेरे पास पैसे नहीं है तुम्हें देने के लिए
07:24अगर तुम मुझे वहां तक छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हारा अहसान मंद रहूँगा
07:29मेरी पतनी वहां पर इंतजार कर रही है
07:32बुढ़े की बात सुनकर, बसंत को बुढ़े के उपर परस आ गया था
07:36ठीक है बाबा, मैं तुम्हारा दिल नहीं तोड़ूँगा, आईए बैठिए
07:40जहां आपको जाना है, मैं आपको वहां छोड़ दूँगा, ठीक है
07:42बसंत की बात सुनकर, वह बुढ़ा रहा सिमाई अंदास में मुस्कुराते हुए
07:48बसंत की नाव में बैड़ गया
07:49बसंत की नाव नदी के बीच में पहुची ही थी, कि तभी वो बुढ़ा बसंत से बोला
07:54बस मुझे यहीं तक छोड़ दो
07:57बाबा पागल हो गया, यहां पर तो सिवाए पानी के अलावा कुछ भी नहीं है
08:01जो मुझे नजर आ रहा है, वो तुम्हें नजर नहीं आएगा बेटा
08:06तुम नाव यहीं रोक दो, मैं यहीं उतर जाओंगा
08:10बाबा, तुम डूब जाओगे, पानी बहुत गहरा है
08:13मगर बुढ़े ने बसंत की बात नहीं सुली, और नदी में कूद गया
08:17यह देखकर बसंत बुरी तरीके से घबरा गया, और बड़बडाता हुआ बोला
08:22अरे, कहां फस गया में, अगर यह बुढ़ा मर गया तो इसकी मौत का इलजाम भी मेरे उपर लगेगा
08:29सभी लोगों ने इस बुढ़े को मेरी नाव में सवार होते हुए देखा है
08:32अब क्या करूँ, लगता है मुझे भी नदी में कूदरा है पड़ेगा
08:36इतना कहकर बसंत ने नदी में छलांग लगा दे
08:39बगर उसने जैसे ही नदी में छलांग लगाई
08:42उसने अपने आपको एक बेहच सुन्दर जंगल के बीच बहुत छोटी से तालाब में खड़ा हुआ पाया
08:49बसंत तुरंट उस तालाब से निकल कर उस जंगल की ओर देखने लगा
08:54तभी उसके कानों में एक भारी आवास टकराई
08:57बेटा मेरी शाख थोड़ी सी जुक रही है इसे थोड़ा सा सीधा कर दो मुझे दर्द हो रहा है
09:05बसंत ने देखा कि वो जिस पेड के नीचे खड़ा था बसंत से वही पेड बोला था बसंत डर गया
09:13डरो मत अगर तुम मेरा ये काम करोगे तो मैं तुम्हें आगे का रास्ता बता दूँगा
09:19बसंत ने डरते डरते उस पेड की शाह उची कर दी
09:24तभी अचानक बसंत के सामने एक बेहज सुन्दर सोनी की सड़क बन गई
09:30घबराओ मत तुमने मेरी मदद की है
09:33इस वजह से ही तुम्हारे लिए ये सोने की सड़क मैंने बना दी है
09:37तुम यहां से सीधे राज महल तक पहुँच जाओगे
09:40लेकिन ये कौन सी जगा भी
09:42कुछ तेर बाद तुम्हें पता लग जाएगा
09:45तुम जिस रास्ते से यहां पर आए हो
09:47वो रास्ता सिर्फ शाही लोगों के लिए खुलता है
09:50तुम जरूर कोई खास हो
09:52कुछ दूर चलकर बसंद की नजर एक पेड़ पर गई
10:00जहां पर लाल लाल सेब लटक रहे थे
10:03अचानक एक सेब बसंद की ओर देख कर बोला
10:06देख क्या रहे हो अगर तुम्हें भूक लगी है
10:09तो मुझे खा लो
10:11अरे वह यह मैं कहां आ गया
10:13वो बूरा जरूर कोई माया वी वेक्ती था
10:16नहीं नहीं मैं जहां पर रहता हूँ
10:18वहां पर बोलने वाले फल नहीं होते
10:19अगर वो बोलते तो हम बिलकुल नहीं खाते
10:22तुम वाकई बहुत दयालू लगते हो
10:24तुम्हारा इस जादूई नगरी में स्वागत है
10:26इस सोने की सड़क पर सीधे चले जाओ
10:29कुछी देर में तुम महल तक पहुँच जाओगे
10:31कुछी देर में बसंत एक आली शान महल के सामने पहुच गया
10:40तुभी उसके कंधे पर पीछे से किसी ने हाथ रखा
10:44बसंत ने देखा तु सामने वही बोड़ा खड़ा
10:47उसे देखकर मुस्कुरा रहा था
10:49कौन हो तुम और ये कौन सी जगह है
10:53अचानक वह बोड़ा एक बेहर संदर राजकुमार में तब्दील हो गया
10:58ये सारा का सारा राज्जिम मेरा है
11:00तुम पृथ्वी पर नहीं बलकि दूसरी एक जादूई दुनिया में हो
11:04दूसरी दुनिया में मैं कुछ समझा नहीं
11:07दरसल नदियापुर गाउं के नदी के बीच एक दूसरी जादूई दुनिया का दुआर खुलता है
11:12ये एक जादू की दुनिया है
11:14तुम्हारा महल तो बिलकुल सोने का मालूम होता है
11:17यहां के दरवाजे यहां तक की सैनिक भी सोने के ही मालूम होते हैं
11:22सोने के मालूम नहीं होते, यह सोने के ही है
11:24मैं तुम्हें बहुत दिनों से नाव में बैठा हुआ उदास देख रहा था
11:28मैं जानता हूँ कि तुम बहुत अच्छे स्वभाव के हो
11:32और तुम्हारी दुनिया में अच्छे वेक्तियों के साथ अच्छा बरताओ नहीं होता
11:36जबकि हमारी दुनिया में ऐसा बिलकुल नहीं होता
11:40इसलिए मुझे लगा तुम्हारी मदद करनी चाहिए
11:42इतना कहकर वो राजकुमार बसंत को महल के अंदर की ओर ले गया
11:48जहाँ पर सोने की सिक्कों की धेर लगी हुए थी
11:53ये सारे सोने की सिक्के तुम्हारे हैं
11:56तुम्हारी जितनी मरसी हो यहां से ले जा सकते हो
11:58और तुम जब चाहो यहां पर आ सकते हो
12:01मगर याद रखना तुम्हें इस बात को हमीशा रहसे ही रखना होगा
12:05यहां तक कि तुम्हें अपनी पत्नी और मा को भी इस बारे में कभी नहीं बताना
12:10जिस दिन तुम इस रास को छुपाने में नाकाम्याब हो जाओगे
12:14तुम्हारे लिए इस दुनिया के द्वार बंध हो जाएंगे
12:17क्यूंकि यह यहां का नियम है
12:19बसंत रही एक थैले में सैक्रों सिक्के भर लिये
12:24वो राज़कुमार उसे उसी जादोई पेड़ के पास मौजूद उस छोटी सी तालाब पर ले आया
12:30तुम इस तालाब में कूच जाओ, तुम अपनी नाव में दोबारा वापस पहुच जाओगी
12:35बसंत जैसे ही उस तालाब के अंदर कूदा, उसने दोबारा खुद को नदी के बीश में पाया
12:41बसंत उसे दिन वो सारा सोना शहर में बेच आया और उसने गाओं में सब की करजे चुका दिये
12:48देखती ही देखती बसंत नदियापुर का सबसे बड़ा सेट बन गया
12:53एक दिन बसंत की बड़नी ने बसंत से कहा
12:56तुमने आज तक नहीं बताया जी, क्या खिरकार तुम इतने धीर सारे पैसे लेकर कहा से आए
13:02और तुम कुछ दिनों के लिए अचानक कहा लापता हो जाते हो
13:05मैंने तुमसे कितनी बार कहा है जुमकी कि मैं इस बारे में नहीं बता सकता
13:10अगर तुम नहीं बताना चाहते तो शायद इसमें ही हम सब की भलाई होगी
13:20बसंत की अमीरी देखकर धनी राम अंदर ही अंदर जलने लगा
13:25एक दिन उसने अपने खास आद्मी भीमा से कहा
13:28मेरी समझ में नहीं आता भीमा कि ये बसंद रातो रात अमीर कैसे बन गया
13:32मैं सोच रहा था कि इसके मकान और उसके नाओ पर कमजा कर लूगा
13:36लेकिन इसने तो मेरे सारे पैसे लोटा दिये
13:39सिर्फ आपके ही नहीं सेट
13:41उसने सारे गाउवालों के पैसे लटा दिये
13:43आज गाउव में सबसे आलिशान हवेली उसकी बनी हुई है
13:46और तो और नदियापुर में सारी नाव का मालिक बसंत ही है
13:50हाँ मुझे पता है
13:51और वो टूरिस्ट से बहुत कम पैसे लेता है
13:53और गाउव के लोगों को तो
13:55वो मुफ्ट में ही नाव में बैठाने का काम करता है
13:57मेरा धंदा भी जापट हो गया
13:59दाल में जरूर कुछ नकुछ काला है
14:02जाओ जाकर पता करो कि आखिर माजरा क्या है
14:04मैंने पता कर लिया है
14:07क्या मतलब؟
14:08कुछ दिनों पहले मैं उसका चुपके से पीछा कर रहा था
14:10अचानक मैंने देखा कि वो बीच नदी में कूद गया
14:13और कुछी घंटों के बाद वो वापस आ गया
14:16उसके हाथ में एक थैला था जो सोने से चमक रहा था
14:19पेवकोफ आदमी ये बात तुने मुझे पहले क्यों नहीं बताई
14:22इसका मतलब कि नदी के बीच और बीच जरूर कोई सोने की सुरंग है
14:26जो उसके हाथ लग गई है
14:28मुझे अभी ले चलो वहाँ पर
14:30कुछे देर में सिर्फ धानी राम और भीमा नदी के बीच पहुँच गए
14:46क्या तुम्हें यकीन है भीमा की बसंत यहीं कुदा था
14:50जी मैंने उसे ठीक किसी जगा चलांग लगाते हुए देखा था
14:54तो फिर देर किस बात की है भीमा
14:55चलो अब हम दोनों साथ साथ कूद कर उस सोने की सुरंग में पहुच जाते हैं और सारा का सारा सोना आज ही निकाल लेते हैं
15:04आपने तो मेरे मुग की बात चीन ली इतना कहकर वह दोनों नदी में खूद गए अचानक बहुत तेज एक पानी की लहराई भीमा और धनी
15:14राम डूप कर मर गये बसंत ने आज तक उस रहस्य मई कहानी के बारे में किसी को नहीं बताया था
15:21हुआ है