अक्षय तृतीया का सनातन धर्म में खास महत्व है. इस पर्व का धर्म के साथ ही परंपरा और विज्ञान से भी कनेक्शन है. जानिए कैसे?
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00:00अक्षे तर्टिया पर साथ मक्टी रखे जाते हैं उसमें भटा, कच्ची, डाल और तमाम तरह की चीजों का इस्तमाल पूजन सामगरी में की जाता है इनका क्या महत्व है?
00:08अक्षे तर्टिया तर्टिया कहते हैं इसके दिन जो किया जाता है वो अक्षे पनप्रदान करता है और विशेश कर भगवान परसराम का प्रगट उत्साओ है जन्मुत्साओ है दूसरी बात है हमारे हमारे नादिकाल से परेंपरा रही है गाउं की छोटी-छोटी बिटिया
00:38पराप्ति होती है अगवान विश्णू का ये पूजन कहराता है और इसमें साथ मठके भरे जाते हैं उसमें स्वाक्ते कुनाया जाता है जिसमें हमारे हां सीचलता रहे हमारे हां ठिंडक रहे हमारे जीवन में सब को शरा बरा रहे उसमें आलू भटे और आम का फल बिसे �
01:08अक्षय तर्पिया का एक ऐसा पड़ आज अक्षय तर्पिया की दिन किया गया पूजन पाठ दान धर्म इतना अक्षय होता है कि कभी जीवने ही नहीं होता उसका पुने और यह हमारे हां अधिकाल से परंपरा है कि कोई भी सुपकाम करो तो कलस भरके रखना मठके भरके �
01:38यह फल जो आते हिनको भगवान को पहले समर्पित किया भोग लगाया भोग से प्रशादी बिंगे प्रशादी से हमारी पुती सुद्ध हो जाती है