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00:00कि नमस्ते अचारी जी मेरा नाम यह मैं जाए हूं और मेरा सवाल यह है कि मैं मतलब हमेशा ही भाबनाओं में बह जाती हूं और उससे निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है तो मतलब यही है मेरा कुश्चन सर्थ
00:22और मतलब ऐसा भी होता है कि रात को नीन नहीं आती है मतलब कुछ बाते सोच कर
00:32कि रात को नीन ना ना तो
00:38सर वो भावनाएं इतनी है भी हो जाती है मेरे उपर सर
00:43आपकी क्या उम्र हो गई
00:48तो भी भावनाएं आ रही है पहली बार तो आनी रही होंगी ना ना
00:55भी भीतर कोई बैठा है उसे पहली बार कुछ अनुवा हो रहा है तो हम क्या सकते है कि नई बात है
01:03नई बात है तो प्रयोग कर लेना चाहिए उसका कोई उपाय या विकल्ब भी नहीं होता
01:10बैठी बैठी बैठी बैठी बैठी और वही वही भावनाएं घूम्पिर करके बार बार आएं और उन भावनाओं
01:20भावनाओं पर आपने चल कर भी देख रखा है, आसमा भी रखा है, और उसके बाद भी आप उनको महत्तो दें, तो फिर यहाँ समस्या स्मृतिक है एक तरह से, याद कर लिया करिये न, क्या बोलते हैं उपनिशद, याद करने के बारे में,
01:40कृतम समर, पतो समर, कुछ भी ऐसा नहीं है, जो शारिरिक है, सामाजिक है, या सांसारिक है, जो नया हो, एकदम भी नहीं है,
01:55आपने कभी सोचा आपको बचपन में इतिहास क्यों पढ़ाया गया, कम से कम आठवी तक तो इतिहास अभी पढ़ते हैं, जस्वी तक, और बहुत लोग हैं जो फिर आगे बढ़ करके, पोस्ट डॉक्टरेट भी करते हैं, इतिहास इतना महत्वपूर्ण विशय क्यों है,
02:25जो भावना आपको आ रही है न, उनको भी आई थी, दो भावना से क्या होता है, यह जानने के लिए इतिहास पढ़ा जाता है, नहीं तो हमें बस किसी की महानता के नारे थोड़ी लगाने है, कि अशोक महान और अकबर महान तो हम इतिहास पढ़ रहे हैं, ताकि बोले हो मह
02:55लडाईयों को भी सही परिपेक्ष में देख पाओ, परस्पेक्टिव, आप जो भी आज लडाईय लड़ रहे हो, पहले बहुत लोग लड़ चुके, आप जो भी अनुभाव कर रहे हो, जो भी आपकी भावनाएं हैं, वो सब नजाने कितनों को हो चुकी, और आपके पास
03:25दूसरों के अनुभाव दूसरों के नहीं होते हैं, वो समूची मानवता के होते हैं, क्योंकि आपके भीतर भी बिलकुल वही वृत्तियां हैं, जो इतिहास में आज तक किसी के भीतर थी, उस दिन हम क्या रहे थे, वर्ट्सवर्थ की उखते है, चाइल्ड इस दा फादर �
03:55बच्चे को देखो तो पता चल जाता है कि ये बड़े लोग जो उधम करते हैं, उसका स्रोत क्या है, सारा स्रोत बच्चे में पहले ही मौजूद होता है बीज रूप में, और बच्चा जो कुछ कर रहा है, उसको अगर समझना है तो पशुओं को देख लो, अर्थिये हु
04:25तो इतिहास को देख लो, चाहे बच्चों को देख लो, चाहे पशुओं को देख लो, मात्र एक दोहराव दिखाई पड़ता है, क्या दिखाई पड़ता है, दोहराव, वही वही तो है जो हो रहा है लगाता है, आप कि बड़ी भारी हिमारत खड़ी हो रही है ना जाने कि
04:55निर्मान का कुछ सामान रखा हुआ है, खीक है ना, बड़ियां पत्थर मंगवाए हैं आपने, कि घर में लगवाऊँगा, और आप कहा रहो कि ये चीज खराब हो गई, वो चीज खराब हो गई है, वहाँ पे कुछ सरिया रखा होता है, यही सब तो रखा होता है, रेध प�
05:25बोलता है, सोता रहता है, कुट्ता मूध गया, वो कुट्ता बिल्कुल वही कर रहा है, जो आप कर रहे हो, वो भी घर बना रहा है, कुट्ता किसी भी जगह जा करके पेशाब क्यों करता है, वो उसका territory marker है, ताकि दूसरे कुट्तों को, उसकी गंधे से पता चल जा है, भ�
05:55तो एक तरह से अपना नक्षा बना रहे होते हैं, आई ये मेरा देश है, कोई और भीतर आएगा तो मैं भौकूँ आगो, तुम भी तो यही कर रहे हो, तुम अपना इलाका बना रहे हो, कुत्ते ने भी इलाका बना दिया, तुम कहरो कुत्ता कहीं का, पत्थर मारो, कुत्ते
06:25का है उसकी माफी है, चब्वीस साल वाला
06:28मजबूरी नहीं है
06:35मौज है
06:37मौज को मजबूरी बता रही है
06:44आँके बंद कर रही है
06:46क्या कर रही भावना
06:50महसूस कर रही हूं महसूस
06:55अब देखो मुझसे पूछा है तो मैं उल्टा पुल्टा तो बोलूँगा
06:58मेरा काम हा
07:01इसी नहते मुझे आचारे हो गया रहा बोल करके तुम जलील करते हो
07:07और मुझसे कोई सवाल पूछने क्यों आता है
07:12जिसका भेजा आउट होता है
07:16जैसे पीट में खुजली हो रही होती है कि कोई दो-चार लगा दे
07:19मैं उनकी सेवा है तो उपलब्ध रहता हूं
07:22कोई भी
07:27सुल्जे हुए मन का आदमी तो आएगा नहीं मुझसे सवाल पूछने
07:30आज तक हुआ है
07:31एडे
07:33खिसके
07:35उल्टे ऐसे ही आते हैं
07:38या आपकी तारीफ खरिये मैं या आप हसके रहे हो दुना
07:42हमझ में हा रही है बात
07:49तो हरे बाहरे में जब कुछ मॉलिक है ही नहीं
07:55नया
07:56यूनीक ओरिजिनल
07:58नूतन है ही नहीं
07:59तो तो मुल्जे के सीज में हुए हो
08:02इसमें कर्रेंट आ रहा है
08:05बताया था उसने इधा चूमत देना
08:07अरे सही बता रहा हूँ
08:09और ये उसको ग्यान दिया और खुच जा करके धीरे से
08:13वो भी उतार के
08:17पूरा आनन्द नहीं आएगा ना
08:21बीच में इंसुलेटर आ गया तो
08:22तो उतार के ऐसे
08:23और गास्मिक प्लेजर
08:26एक बार कर लिया
08:33उसके बाद जब हिल हुला आ गए पूरा
08:36तो कहरे आरारारारा
08:38अचारजी
08:40उसके बाद फिर धीरे से वापस जा करके
08:53जूता भी उतार दिया
08:56कपड़े भी उतार दिये
08:58और फिर
09:00अब इसमें मैं क्या कर सकता हूं
09:04यह मजबूरी है कि मौज है
09:07कि मौज है
09:10यह मौज है
09:12तुम किसी अनुभव को दोहराना चाह रहे हो
09:15इसी को प्लेजर बोलते हैं
09:18जॉए में और प्लेजर में यही मुल्बूत अंतर होता है
09:21भाई
09:22आनन्द सरवथा नया होता और किसी अनुभव का नाम नहीं होता
09:27और जिसको आप pleasure बोलते हो, वो सदा पुराना होता है,
09:33वरना आप उसी कल्पने ही नहीं कर पाते हैं, जब आप भावना में बहते हो, तो कोई कल्पना रहती है ना दिमाग में,
09:37क्या कल्पना इस सुम्रित के बिना हो भी सकती है, सोच के बताओ,
09:42हम कई बार कहते हैं, मैं नई चीसी कल्पना कर रहा हूу,
09:44नहीं हो सकता, आप जिसको नई चीसी कल्पना कहते हो,
09:48वो भी कही न कही पुरानी सुम्रितियों या अनुभवों पर आशरित होती है,
09:54और वो जो अनुभवों आ भूट बार ले चुके हो ही हूला ला,
09:57बार-बार क्यों लेना है?
09:59क्यों इसलिए लेना है?
10:00क्योंकि जटके के साथ स्ञाहते हूआ है हूँ
10:03ओज भी तो कोो आती है
10:05आके मुझे जटका बता देते
10:12मैं कहता हूँ मुझे बिल hovering बना रखा है
10:14सारह अपना महला आकर मुझेमे उडेल देते हो
10:17और जब मौज कर रहे होते हो,
10:19तो अब कहीं अचारी जी नहीं होते है,
10:21और वही मौज आपको बार बार दोहरानी है,
10:25बार बार दोहरानी है,
10:27अपनिशत बार बार बार बोल रहे हैं,
10:29कृता मुस्मयर अपने करे को याद कर यार,
10:31इसलिए नहीं बोल रहे हैं,
10:33पाप उठे, इसलिए बोल रहे हैं, ताकि दोहराओ नहीं, जो बात अपनिशद बोल रहे हैं, उसी उद्देश से, शिक्षड व्यवस्था में, मैंने कहा, को इतिहास भी पढ़ाया जाता है, ताकि दोहराओ नहीं,
10:45अन्यता प्रक्रति मात्र क्या है ये? दोहराओ, हम बोल देते हैं, नदी है, वो भी पूरी बात नहीं होती, वो नदी नहीं है, वो जो पूरा वाटर साइकल है, वो है, जिसमें नदी भी बस एक हिस्सा है छोटा, अगर आपको प्रक्रति को नदी भी बोलना है न, तो ऐसे �
11:15प्रक्रति मात्र एक दोहराओ है, कुछ नया तो करी नहीं रहे न, एक बार उस साइकल से आप गुजर लिए, अब दुबारा क्यों गुजर रहे हो, क्यों गुजर रहे हो, क्योंकि अब बात मूले की आ जाती है, यह यहां पर आकर के जो प्लेजर मिलता है, हम उसको इतना
11:45कापेगा।टि उसको रहे हो रहर benef स्यूल शक्राब की उसको यह जैसे पानी पूरी जब खाते हो, भया थोड़ा सा और वर सोच वाला देना, भया।
11:55वर सोच वाली भया थोड़ा सा मिर्च आञ दाना, भया। उसके बाद जाके रॉकट बन गई, हाइ है हौग है।
12:08समस्या ये नहीं है
12:10कि भाया ने
12:12सोट्स जादा डाल दी
12:14समस्या ये भी नहीं है कि एक बार रॉकेट बने
12:17समस्या ये है कि अगले दिन जाके
12:18फिर वही करना अब इसका कोई इलाज नहीं होता
12:21इसका कोई इलाज नहीं होता
12:24प्लेजर के नाम पे अनुभवों को दोहराने के लावा हम और क्या करते हैं
12:30कभी कोई अनुभव हुआ था, वही हमारे लिए आगत सुख की कलपना बन जाता है
12:36या कभी कुछ देख लिया, सुन लिया, वही हमारे लिए भविश्य का सपना बन जाता है
12:42आप भावनाओं में नहीं बह रहे हो, आप कामनाओं में बह रहे हो
12:49भावना नहीं बहा सकती, भावना को तो ऐसे मानों जैसे डकार, शारीरिक प्रक्रिया भर है
12:56भावना कहां से आती है, डकार की तरह शरीर से आती है
13:02हमने तो नहीं सुना
13:04कोई सवाल पूछे अगला साल यही होगा शायद
13:05अचार जी मैं टकार में बह जाती हूं
13:09हमने तो किसी को डकार में
13:12या सांस मारने में
13:14या पाद मारने में बहते नहीं सुना
13:16यहां होता है
13:18कोई बहता है कभी
13:20या यह भी हो कि
13:23तुम्हें दस्त लगे हुए तुम्हें बह गई, वो भी नहीं होता।
13:28ये भी बिलकुल वैसे ही है, जैसे हम बाकी द्रव्यों की बात कर रहे हैं ना,
13:33फ्लूइड्स की, तो वैसे ही ये भी हॉर्मोन से, ये भी फ्लूइड्स ही होते हैं भी तर्ग,
13:38और वही भावना बनते हैं, वो आपको कैसे भा सकते हैं, भाती आपको कामना है,
13:44और कामना के पीछे क्या होता है, ग्यान का अभाव या जूठा ग्यान, जूठा ग्यान अपने पैरों पर नहीं खड़ा रहता,
13:52जूटा ग्यान खड़ा रहता है, कामना के भरोसे पर.
13:59मुझे कुछ मिलेगा, मुझे कुछ मिलेगा, मुझे कुछ मिलेगा.
14:04त्वर तितना भारी हो जाता है कि वह आपको सच्चाई देखने नहीं देता.
14:07आप अपने में रहते हो, नि मैं जानता हूँ, मेरा ऐसा है, मेरा ऐसा है, I know, I know.
14:13पत्थे आपके सामने खड़े होते हैं, मुझ फाड़ करके, देखो हमें, देखने से इंकार कर देते हूँ.
14:18आप समझ रहे हो, कोई ना कहे कि मैं एमोशनल जादा हूँ, मेरा तो नेचर है नेचर है, नेचर माने प्रक्रति नहीं होता, नेचर माने क्या होता है?
14:31तुवभव और स्वभव आत्मा है, नहीं मैं नेचर से थोड़ी सेंटी हूँ, क्या…? मैं वो है न, वो नुनु के पापा, वो नेचर से थोड़े कमीने है
14:47नेचर नहीं होता किसी का कमीना, या तु प्रक्रती होगी या संस्कार होंगी
14:56स्वभाव नहीं, अंतर करना, सीखना पड़ेगा,
14:59स्वभाव में और प्रक्रते में अंतर,
15:00प्रक्रते से कोई क्रोधी हो सकता है,
15:03स्वभाव से कोई क्रोधी नहीं हो सकता,
15:07संस्कार से
15:08कोई
15:10अमीर हो सकता है,
15:14हिंदू हो सकता है,
15:15मुसल्मान हो सकता है,
15:16अंधविश्वासी हो सकता है, स्वभाव से कोई अंधविश्वासी नहीं होता, उनका नेचेर ही थोड़ा सुप्रस्कीशियस है, वो पांच लाग का वो टैरो करा के लाए थे,
15:33कुछ समझ में हा रही है बात ही है, ये कहना भी एक तरह कि सफाई बन जाती है, डिफेंस बन जाता है, कि मैं क्या करूँ मेरा तो, नेचर ही ऐसा है, मैं क्या करूँ, being a woman, you know I am emotional,
15:53और इसी बात को फिर महिलाओं के खिलाफ देखो, कितना इस्तिमाल किया जाता है, ये बड़े काम नहीं कर सकती है, तो emotional जादा होती है न, और बड़े कामों में निर्मम्ता चाहिए होती है, और आउरत कैसे करेगी,
16:05प्रक्रति हो सकती है, स्वभाव नहीं, प्रक्रति नहीं चड़ सकती आपके उपर बिना आपकी आज्या के, आज्या भी नहीं, स्वारत के, जब आपका स्वारत होता है न, तो आप प्रक्रति के बहावों के साथ जुड़ जाते हो, भावना में आप नहीं बह रहे हो, भा
16:35आधे रिक्ष्यमाले को मार दिया गाड़ी से?
16:38हम?
16:39या आपकी गाड़ी खड़ी थे पीछे सा कि रिक्ष्यवाला
16:42उसने जरा बंपर च्वा दिया
16:43अपने टायर से
16:49मार दूए, कतल कर दूए, गरक कर दूए
16:51करते हो न?
16:52करते हो ना, बई क्रोधी हो, कोई पुछे क्यों किया, you know वो तो नेचर से ही एंग्री है, अच्छा, बैठे हुए थे, खड़ी गाड़ी में, पीछे से भड़ा उन से पड़ा, हाय हाय, पूरा उचल गए, उतरे तो देखे, पीछे नेता जी की गाड़ी है, और पांच एसक
17:22और रिक्ष्या आले ने तो बस बंपर छू दिया था तुमारा, नेता जी ने बंपर उड़ाई दिया है, दिखाओ गुस्ता, तुमारा तो नेचर ही है ना, एंग्री नेचर के हो ना तुम, तुमारी फीलिंग्स बहुत जल्दी एकसाइट हो जाती है ना, अब फीलिंग
17:52कुछ नहीं होता, जहां स्वार्थ होता है, वहां सारी फीलिंग्स आ जाती है, फीलिंग्स का बहाना मतलो, स्वार्थ है, नेता जी पर किसी हो गुस्ता नहीं आता, मैं क्या रहा हूँ, थपल मार दूआ तो यह, यह तब ही कहते हो ना, जब रिष्टा थोड़ा जम जाता
18:22तुझे थपड़ मारता हूं तुझे? बोला है? आप लोग तो टिंडर बंबल वाले लोगों, बताओ नुग कौन एपनी प्रोफाइल में लिखता हूं, मैं पहली डेट में थपड़ मारता हूं, किसने लिखा है? लेकिन यही जब रिष्टा है दो महीने, आठ महीने या पा
18:52कोई नहीं emotional है, कोई feelings की बात नहीं है, कोई भावनाओं में नहीं बह रहा हूं, जितनी बार यह हो ना कि भावनाओं बह रहा हूं, अपने अफिर भई, मेरा सणा हुआ चुटकुला याद रखिएगा है, जब मैं पाद में नहीं बहती तो भावनाओं में क्यों बह रही ह
19:22जाएगा, नहीं चीज सीखेंगे, कि कैसे भावनाओं या कोई भी और चीज खुद बहा सकती है, कुछ आपको बहा नहीं सकता, आपकी अनुमती रहती है, आपका पूरा सहयोग रहता है, बल्कि आपका आग्रह रहता है, आप चाहते हो इसलिए होता है, आप चाहते हो इस
19:52आपने चड़ा के दिखाओ, दिखाओ, कोई boss हो आपकी, वो भी तेज तर्रार, और वो आपकी खबर ले रही है, वो कुर्सी में बैठी हुई है, सामने चौड़ी authority वाली मेज है, उसके सामने खड़े हो काम नहीं किया है, और वो आपकी इज़त उतार रही है, दिखाओ काम
20:22या nature तो बोली मत देना, विदान्त किसी भी तरह है कि मजबूरी में बिलकुल नहीं मानेगा, आप काओगे भावनात्म का मजबूरी है, माना यह नहीं जाएगा, कोई भावनात्म मजबूरी नहीं है, मैं क्या करूँ, मेरे आशू निकल जाते हैं, तो मैं बोलता हूँ, �
20:52तो ऐसा थोड़ी है कि रो रहा हूँ तो काम नहीं करूँगा, काम कर रहा हूँ, बात इसमें नहीं है कि भावना उठी, बात इसमें है कि आपने भावना को समर्थन दे दिया, क्या, समर्थन नहीं देना है, याद रखना है, कृतम समर, याद रखना है कि ये मेरे साथ नह
21:22मेरे माबाब को तो हुआ ही था।
21:24इनको नहीं हुआ होता तो मैं कहां से आती।
21:26तो फिर मैं पहला नशा पहला खुमार कैसे बोल सकती हूं।
21:29मेरी हस्ती ही प्रमान इस बात का कि मामला पहला नहीं है।
21:33पर सबको यही लगता है कि हमारा तो पहला है।
21:37और जैसा हमारा है वैसा किसी और का नहीं है
21:39जैसा हमारा है बिलकुल वो नहीं है
21:44हर मा को अपना लल्ला ऐसे ही लगता है बस हो गया
21:50प्रिज का दोला रहा है, उन्होंने कृष्ण को भी पीसे छोड़ दिया, यह मम्मीयों के काम है,
22:20पता नहीं कैसे वो साप के दर जुँँँँँद वह दे कर रही है, अरे मैं गाहिका को पहले ही माफी माँग रहा हूँ, बहुत संदर गाना है, मेरे गर में भी खूब चला करता था, मैंने भी खूब उसका रस लिया है, पर अभी कुछ समझाने के लिए बोल रहा हूँ, ब
22:50से कृष्ण के साथ जो मिलेगा हुआ आप देख नहीं पा रहे हो
22:55तो अपने लाल पर लगे हुए मेरा लाल मेरा लाल की पहारा क्या लाल सिबका लाल होता है
23:00फिर लाल पीले हो जयते हो
23:07अप बसाहत देखिए न शुदना ऑगर्ण लाला
23:13लाल से तो, तुम्हारा तो लोकलाइज्ड है मामला, ब्रिज
23:16मेरा इंटरनाशनल है, ग्लोबल है
23:19ग्रीन कार्ड वाला है
23:22तुम्हारे नंदलाले नहीं यशोदा, कोई भी लीला अमेरिका में करी थी
23:28मेरा वाला सिलिकोन वैली जाएगा, अभी तुम्हारे उसे प्रोग्रामिंग की क्लास कराएगी
23:34यह भावना नहीं है, क्या है, स्वार्थ है
23:40कोई न कहेगी भावनाओं में बह जाती हूँ
23:42स्वार्थ में बह जाते हूँ
23:44और स्वार्थ से बचना है, तो यह देख लो कि ऐसी स्वार्थ पूर्तिकायत्न
23:48आपने पिछले एक लाख साल में दस लाख बार करा है
23:52और हर बार मूँ की खाई है
23:54अपनी भावनाओं को समझना है तो किसी पशु को देख लो
23:58अपनी भावना को समझना है तो पड़ोसी को देख लो
24:00वो भी वही कर रहा है
24:02जो तुमने किया तुमसे दस साल आगे है
24:04उसका हुआ है
24:06उसको देख के अपनी जिंदिगनी से वोच में आती
24:09तुम उसी राह पर चल रहा है हो जिस पर नजाने
24:12कितने मुसाफिर जा चुके हैं तो देखो वो कहां पोचे
24:14तुम भी वहीं पोचोगे तुम उनके रहा पर चलना चाहते हो
24:17पर तुम्हारी आशा ही है कि तुम्हारी मंजिल दूसरी हो जाए
24:19कभी होगा ऐसा
24:20कभी होगा
24:22देखो उन सब को
24:24जिन्होंने शरीर के रास्ते स्विकार करें और उनका हश्र देखो
24:28वही हश्र तुम्हारा होगा
24:30पर तुम चाह रहे हो कि नहीं
24:32शरीर के रास्तों के जो मजे मिलते हैं ये वाला उलला ये भी ले लू
24:37और फिर जो जीवन की उच्चितम प्राप्तियां हो सकती हैं वो भी हो जाएं
24:42होगा कभी ऐसा
24:43आज तक किसी के साथ हुआ
24:45तुम अपवाद हो तुम कौन हो
24:47जो भी अपने साथ हो रहा हो देखो कि सब के साथ हुआ
24:54और सब ने मूँ की खाई
24:55बड़ी दीदी की हो चुकी है और रोज पिठती है
25:01और पापा शादी के पात साल बाद भी अभी तहेश दिये ही जा रहे है
25:08पर छुटिया मचली जा रही है
25:11ने मेला वाला ऐसा बनेंगा
25:15मेला तो उस पर आएगा सफेद गोड़े पर सवार हो करके
25:20गोड़े को तो छोड़ो सपने पहले
25:26मामला अनिमल राइट्स का है
25:27और तेरा वाला सड़े रिक्षे पर भी नहीं आएगा
25:31और चाहे पर आएगा वो वाइट मर्सेडीज में भी आजाएगा
25:34तो भी पिटे की तू भी वैसे जैसे दीदी पिट रही है
25:36क्योंकि तू उसी रहा पे चल रही है जिस पे वो चली
25:38खुश्यार होने का मतलब ही होता है
25:44कि क्यों अपनी जिंदगी तबहा करनी है
25:46दूसरों के अरुबहों से सीख लो ना
25:47और अगर दूसरों के अरुबहों नहीं दिख रहे
25:51तो पूरा इतिहास और समश्टी उपलब्ध है उससे सीख लो ना
25:56टिंकु भाईया हमारे आदर्श है
26:02उमर में से साथ साल जो बड़ा होता न अच्सरम उसके फैन हो जाते है
26:07बच्पन में ऐसा होता है भॉल
26:08मुझे मेरी पहली पॉर्ण टिंकु भाईया ने दिखाई थी
26:13तो टिंकु भाई के लिए मेरे मन में बेंता है इज़त है
26:16इन्होंने मेरे को बच्चे से जवान किया
26:19कई तरीकों से
26:22तो
26:24ताइद्य की बात पर ध्यान रखा ज़रों
26:29यह परिक्षा लेता हूं कि कौन-कौन भैक जाएगा
26:34टिंकु भाईया तुम्हारे रोल मॉडल
26:39और दिखनी रा टिंकु भाईया की जिन्दगी बरबाद है
26:42तो अब तुम उन्हीं पधचिन्हों पर क्यों चलना चाहते हो
26:47कम से कम अप तो रास्ता बदल दो अपना
26:50आप सबकी जिन्दगी में कोई नगोई टिंकु भाईया होगा जरूर
26:57जो ऐसा लगता भाई भाई भाई
26:59गौर से उसकी जिन्दगी को देखो ना
27:01तुम्हें वही जिन्दगी चाहिए क्या? सच मुच?
27:03नहीं चाहिए तो उसे रोल मॉडल वालना बंद करो
27:05और यकीन मानो जो उनका हुआ है वही तुम्हारा होके रहेगा अगर उसी रास्ते पर चलोगे
27:13आप पहली महिला हैं जो भावना के आवेग में बह रही हैं
27:20इतनी बही हैं क्या हुआ उनका?
27:23मेटरनिटी से मौर्शुवरी तक यही यात्रा होती है बस
27:31और सारी भावनाएं होती किसलिए हैं?
27:39प्रक्रतियाप में भावनाएं इसलिए प्रदीप्त करती हैं
27:42ताकि आप निर्वान को प्राप्त हो जाएं
27:44आपके लोक धर्म में तो बहुत बड़ी तादाद है ऐसों की
27:52जो मानते हैं कि महिलाओं को स्वर्ग उपलब दी नहीं हो सकता
27:55जब तक उनका पुनरजन मना हो और वो पुरुष ना बने जानती है अब
27:58बहुत बड़ा वर्ग है जो यह मानता है
28:04कि स्वर्ग महिलाओं के लिए नहीं है स्वर्ग में सिर्फ एक प्रकार के महिलाओं होती है अगर स्वर्ग महिलाओं के लिए होता तो उर्वशे और रंभे भी तो होते वहाँ
28:16अब सराएं तो सुनिये जिगोलो सुनिये कभी
28:20महिलाओं के लिए भी अगर स्वर्ग होता तो उनके मनरंजन के लिए भी वहाँ कुछ खासता है कि पुरुष रखे गए होते
28:28नहीं रखे गए
28:32तो सब पुरुष वहाँ जाते हैं
28:35और ये सब
28:36भावना उनका मतलब नहीं समझते हो क्या
28:40समाज, संसकार, लोकधर्म और देह
28:46ये सब मिलकर चाते हैं कि आप अपना पूरा जीवन सिर्फ देह के कामों में निकाल दो
28:52कोई भी उच्छा काम न करो
28:55ये हैं भावनाएं जो आपसे करवाना चाती है
28:59और महिलाओं के लिए तो इतना बड़ा ये बंधन साबित होती हैं न
29:05पुर्षों में महत्वा कांख्षा और महिलाओं में भावना
29:08कहीं का नहीं छोड़ते
29:24बंधन है भाई
29:25गहना मत माना करो उसको
29:29संघर्ष करना सीखो
29:31ये नहीं कि और अपनी ये तुम्हारे आशु नहीं है
29:35ये मोती है
29:38ये दीप है
29:41है
29:43ये भी जैसे शरीर बाकी चीजे उत्सरजित करता है न
29:48एक्सक्रीशा ये भी एक्सक्रीटा ही है ये ही मानो
29:51और जो इस्थान टटी पेशाप को देते हो, वही अपने इन सब भावनात्मक उत्रजनों को दिया करो.
30:01ये भी बहरा है, वो भी बहता है. क्या अंतर है?
30:11अंजाम याद कर लिया करो, इन सब हरकतों का एक ही अंजाम होना है. फिर बोल रहा हूं.
30:21शॉर्ट टर्म में मेटर्निटी, लॉंग टर्म में मौर्चुवरी, और कुछ नहीं.
30:30कोई जवान लड़की बोले कि मैं बहुत एमोशनल हो रही हूं, उसका एक ही मतलब होता है. क्या?
30:34मेटर्निटी. प्रक्रति आप में जितनी भी भावनाएं उठा रही होगी, आपकी उम्र में, वो ले दे के कहीं न कहीं सेक्स सेही संबंदित होंगी.
30:43और भारत में तो और ज्यादा होता है हमारे समाजी संसकारों की वजए से. कोई लड़की रो रही हो, 80% संभावनाएं उसको सेक्स मिल जाए, उसका रोना बंद हो जाएगा.
30:53कोई लड़का बहुत क्रोधित हो, जिन्दगी से बिलकुल बेजार, आत्मत्या करने जा रहा हो, 80% संभावनाएं उसको सेक्स दे दो, वो कहेंगा, लाइफ इसकूल.
31:10सारी भावनाएं बस उस एक उदेश्य के लिए उठती हैं, क्या?
31:14प्रोक्रियेशन, वो भावनाएं कुछ भी हो सकती, वो भावनाएं भी हो सकती, मैं बहुत अकेली हूँ, मैं बहुत अकेली हूँ, सबको तो अकेलेपन की बड़ी प्रॉबलम है, यह रहता है कि नहीं?
31:25Oh I'm feeling so lonely, यह lonely feeling मतलब बस यह होता है, क्या? ठरक.
31:31मेरा, मेरा हक्या मैं करूँगा अशलील वाटे, आप आयो खुद, इसलिए हमारे युग का पता चलता है, कि सच अशलील हो गया है, और सच तो मैं इस समाज के बारे में ही बोल रहा हूँ न, हमारे बारे में ही बोल रहा हूँ न,
32:00अगर हमारा सच अशलील है तो हम अशलील है, मूट स्विंग्स यह वो, उसका थोड़ा सा उपचार करना होता है तो कुछ खा लो, उसका ज्यादा बड़ा उपचार करना है तो सेक्स कर लो,
32:22खाने वाला उपचार तीन-चार घंटे चलता है, सेक्स वाला एक दो दिन चल जाएगा, दो दिन बाद फिर उसी स्थान पर वापस आ जाओगे, कितनी बार दोराना है,
32:32कितनी बार दोराना है, और साइन्स से आगे पूछ लो, मूड लिफ्टिंग, हॉर्मोन्स जबरदस तरीके से सीक्रीट होते हैं सेक्स में, कोई आपनी बिलकुल जिंदगी से बदहाल हो, उसको सेक्स भी मत दो, वो हॉर्मोन्स दे दो, जो सेक्शुल एक्टिविटी में स
33:02जोग करा गया था, पताया नहीं प्रयोग? चूहों को सेक्स हार्मोन लगाया गया, और उसी समय पर वहाँ सामने कुछ घंटी वह रहा थी, कुछ साथ में बजाई गई, चूहों ने कोरिलेशन बना लिया, यह घंटी बजती है, और यह हार्मोन मिलता है, बने प्लेजर मि
33:32इंजेक्शन लगे, यह गोली दी जाए, जो भी था, तो घंटी बजे, तो चूहों ने कहा मतलब घंटी बजाएंगे, तो प्लेजर पाएंगे, चूहों ने तब तक घंटी बजाना चालू रखा जब तक वह मर नहीं गए, उन्होंने इतना एक्सेसिफ प्लेजर ले लिय
34:02जंदूरूनी हालत खराब होती जा रही है, लेकिन प्लेजर ऐसी चीज है कि चूहे और ज्यादा और ज्यादा सेक्स डिमांड करते जा रहे हैं, चूहे मर गए, मर गए लेकिन रुके नहीं, चूहों से ही सीख लो,
34:14हारी बात सुमझ मैं, यह यह इल्दाम है कि यह तो हर चीज को ले आगे सेक्स पर डाल देते हैं, तो और किस चीज पर डाल हूँ, समाधी पे, आप मेंसे कौन-कौन समाधी के लिए उतावला हो रहा है, जो हकीकत है वो बोल रहा हूँ,
34:38पूरी प्रक्रति क्या कर रही है हर समय, मेटिंग के लावा क्या कर रही है, फूल एक बार अपने पराग बिखेर देता है, फिर वो जढ़ जाता है, मुर्जा जाता है, यह करती है प्रक्रति, फूल की हस्ती तभी तक है, जब तक रिप्रोडक्शन हो सकता है,
34:57जैसे ही आप
35:03सेक्स के लिए काबिल नहीं बचते
35:05देखा है प्रक्रति क्या करती है
35:07प्रक्रति कहती है
35:13तू जी के कह रहे हैं बुढ़े
35:14इस बुढ़ी को मरना चाहिए
35:18इसका मीनो पॉज हो गया इसको मार दो
35:21ये तो दवाईयों के दम पर
35:25हमने जो एवरेज लाइफ एक्स्पेक्टेंसी है
35:28इतनी बढ़ा दी है
35:29नहीं तो प्रक्रति तो ये चाहती है
35:31कि जिस दिन आप बच्चा पैदा करने
35:33लायक न रहें आप मरी जाएं
35:34आपने को भी सोचा जवानी का मतलब ही ये होता है
35:38कि अब वो जल्दी से रिप्रोडियूस कर दे
35:39टेक्निकली आप सो नहीं 120 साल तक जी सकते हो
35:44लेकिन रिप्रोड़क्शन का फेस 15 साल से शुरू हो जाता है
35:47ये क्यों करा है प्रक्रति ने इसलिए उसको माया बोलते है
35:51जल्दी से जल्दी इससे बच्चे पैदा करा दो
35:55जल्दी से जल्दी इसे होश ना आए
35:57इसे कोई समझा ना हो जल्दी से जल्दी इससे बच्चे पैदा करा दो
36:01और जैसे ही आपकी sexual activity रुकती है
36:07वैसे ही शरीर कमजोर पढ़ने पढ़ता है, आप देखते हैं नहीं उस बात को
36:09सेक्शूल अक्टिविटी रुकी नहीं कि आप कमजोर पढ़ने लग जाते हो
36:14प्रक्रती ने यहां तक की घातक वेवस्था करी है
36:18कि अगर आप रिप्रोड्यूस नहीं कर रहे तो आपको कुछ बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है
36:23तो यह भावनाई भी तो प्रक्रती ही दे रही है ना
36:30तो इन भावनाओं के पीछे भी और क्या होगा
36:33जब प्रक्रती सब कुछ सिर्फ इसलिए कर रही है
36:36कि आपका शरीर चलता रहा है और आपके बाद
36:41तो प्रक्रती अगर भावनाई भी दे रही है तो भावनाई भी
36:46centrally sexual ही होती है
36:48कोई बुराई नहीं है उस central sexuality में
36:51लेकिन उसको अपना जीवन अर्पित कर देना जीवन की बरबादी है
36:55मैं यहाँ पर खड़ा हो करके आपको लोकधर्म वाले ब्रहमचर का उपदेश नहीं दे रहा हूँ
37:01मैं बस आपको बता रहा हूँ
37:04कि आप जिन चीजों को एसेक्शूल भी समझते हो वो भी सेक्शूल ही है
37:09और उनको बहुत वरियता देना बहुत महत्तो देना
37:14माने अपनी जवानी की अपनी उर्जा की अपने समय की बरबादी
37:18ज्यादा एरेटेड हो गया
37:26चलो कोई बाद