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हमारे देश में लोगों को धर्म के नाम पर लड़वाना सबसे आसान है, इसलिए लोगों का पढ़ा लिखा होना बहुत जरूरी है. इसी topic पर release हुई एक जबरदस्त film 'Phule'. Film आज ही theatres में release हुई है और यह film सच्ची घटना पर आधारित है. यह कहानी सवा सौ साल पहले की है जब ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले society से equality के लिए लड़े थे. Film में आपको Pratik Gandhi और Patralekha lead role में नजर आएंगे. Film को direct Ananth Mahadevan ने किया है और इस film को produce काफी लोगों ने मिलकर किया है जैसे की Anuya Chauhan Kudecha, Ritesh Kudecha, Pranay Chokshi, Sunil Jain, Raj Kishore Khaware, Saurabh Varma, Utpal Acharya, और Jagdish Patel. Film पहले 11 अप्रैल को release होने वाली थी, पर controveries के चलते अब 25 अप्रैल को release हुई है. CBFC ने film को ‘U' certificat तो दे दिया, लेकिन कई sensitive words और dialogues change कर दिए हैं.

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Transcript
00:00आपको पता है आपकी बेटी अगर पढ़ पाती है उसके पीछे कौन जिम्मेदार है?
00:05आपकी मम्मी, आपकी भाबी, आपके घर की जितनी भी लेडीज हैं, लड़कियां हैं, अगर वो आज पढ़ रही हैं, उसके पीछे कौन जिम्मेदार है?
00:12जो लोग इसके पीषे जिम्मेदार हैं, उनपर एक फिल्म बनी है, फूले
00:17उत पर एक अहसान कीजिए, इस फिल्म को देख दाए
00:19हमारे देश के हीरो, महात्मा जोतिबा फूले और उनकी पतनी सावित्री बाई फूले की कहानी
00:25जोतिबा फूले ने पहले अपनी पत्नी सावित्री बाई को घर पर ही पढ़ाया उस दौर में जब लड़कियों को पढ़ाना पाप माना जाता था
00:34फिर उन्होंने अपनी पत्नी को टीचर बनने की ट्रेनिंग दिलवाई और फिर स्कूल खुलवाई लड़कियों को पढ़ाया लोग उनका विरोध करते थे उची जाती के लोग विरोध किया करते थे
00:45उस वक्त समाज में और भी बिमारियां थी चुआचूत की बिमारी थी विद्वाओं का मुंडन करवा दिया जाता था जोतिवा फूले ने इन सब के खिलाफ आवाज उठाई और उनकी आवाज दूर तक माचे ऐसे हीरोज की कहानिया जब बनती है ना तो देख के भी गर्
01:15अच्छा सिनिमा बनता है बनाने वाला चाहिए इस कहानी को देखिएगा कि कितनी दिक्कते उनके सामने आई एक सीन आता है जब जोतिवा फूले खड़े होते हैं और कुछ उंची जाती के लोग उनकी परचाई से भी दूर खड़े होते हैं क्योंकि उस वक्त कहा जाता थ
01:45करूं तो दोनों एक्टर्स प्रतीक गांधी और पत्र लेखा नेशनल अवार्ड के हगदार हैं क्या कबाल का काम कि प्रतीक गांधी हर एक फ्रेम में लाजवाब है चाहे जोतिवा फूले का बच्पन हो जवानी हो या फिर बुढ़ापा हो बच्पन तो हलाकि एक और एक
02:15होएगा दोनों सेम दूसे हैं जिया है प्रतीक ने इस किरदार को प्रतीक वसेटाइल एक्टर हैं ये बात वो बार-बार साबित करते हैं पत्र लेखा ने मुझे सबसे ज़्यादा चौंकाया मेरा मानना है कि पत्र लेखा में बहुत टैलेंट है और बॉलिवुड उसे य
02:45के मैनरिज्म हर चीज में पत्र लेखा शांदार है कि किरदार जिसने सोचा था कि पत्र लेखा निभा सकती है वाकई वा आदमी जोहरी है क्योंकि ये सोचना कि पत्र लेखा इस तरह का किरदार निभा सकती है इसके लिए भी एक विजन चाहिए और पत्र लेखा ने उस व
03:15बेकार के मसाले नहीं डाले
03:16बेकार का वाइलेंज, बेकार की जो VFX होते हैं
03:21वो सब नहीं डाला गया है
03:22ये फिल्म आपको भले ही एक मसाला इंटर्टेनर ना लगे
03:26लेकिन ये एक जरूरी फिल्म है
03:27इसे देखना जरूरी है
03:28देखिएगा मेरी तरफ से 5 में से 4 स्टार्स
03:31बताइएगा कैसी लगी क्युकि यह फिल्म पराबरी की बात करते है
03:35और ये बात होना जरूरी है और ये बात हो इसके लिए इस तरहे की फिल्म में चलना जरूरी है

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