सवाईमाधोपुर. जिले के सरकारी स्कूलों में नामांकन का हाल बुरा है। आंकड़े खुद अधिकारियों के लिए शर्मनाक हैं। कहीं दो शिक्षकों पर चार बालक हैं तो कही शिक्षक व बालक दोनों दो-दो हैं। कहीं शिक्षक एक है तो पढऩे वाले दो हैं। जिम्मेदार अधिकारी भी नियमित निरीक्षण नहीं कर रहे और ना ही नामांकन बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहे हैं।
जिले में कुल 34 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां दस से भी कम नामांकन हैं। इतना होने के बावजूद शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सरकारी स्कूलों में उच्च शिक्षित शिक्षक है। बेहतर कक्षा-कक्ष है। कम्प्यूटर के साथ अन्य सुविधाएं भी है। पोषाहार खिलाया जाता है। हर सत्र से पहले प्रवेशोत्सव के ढोल बजाकर अभिभावकों को आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। इसके बावजूद भी नामांकन नहीं बढ़ रहा है।
जिले के दो स्कूलों में तो नामांकन शून्य
जिले में सरकारी स्कूलों में नामांकन कम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां 34 स्कूलों में नामांकन का आंकड़ा दहाई की संख्या को भी नहीं छू पा रहा है जबकि दो ऐसे स्कूल है, जिनमें वर्तमान में नामांकन शून्य है। बामनवास ब्लॉक में राजकीय प्राथमिक विद्यालय रोज की ढाणी एवं गंगापुर सिटी ब्लॉक में राप्रावि जाटव बस्ती पीलाहार में नामांकन शून्य है।
34 स्कूलों में 50 से अधिक शिक्षक कार्यरत
जानकारी के अनुसार जिले के 34 सरकारी स्कूलों में नामांकन दहाई के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाए है, जबकि इन स्कूलों में वर्तमान में करीब 50 से अधिक शिक्षक कार्यरत है। हालात यह है कि कई स्कूलों में दो तो कई में एक-एक शिक्षक है। ऐसे में इनकी संख्या 50 से अधिक है।
इसलिए पिछड़ रहे सरकारी स्कूल
जिले की सरकारी स्कूलों में वर्ततान में शौचालय की समस्या, पेयजल की समस्या, मैदान की कमी, शिक्षकों की कमी, विषयवार शिक्षण से असंबंधित शिक्षकों की नियुक्ति, अतिथि शिक्षकों की समय पर नियुक्ति न होना सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट के प्रमुख कारण हैं। वहीं शिक्षकों का समय से विद्यालय में नहीं पहुंचना, विद्यार्थी स्कूल के बाहर खड़े रहते हैं। स्कूल में पहुंचकर उपस्थिति दर्ज कर शिक्षक फिर गायब हो जाते है। अव्यवस्थाओं के चलते कई बार बच्चे व अभिभावक गेट कर विरोध प्रदर्शन भी कर चुके है।
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इनका कहना है...
जिन स्कूलों में नामांकन कम है या शून्य है, उन स्कूल संस्था प्रधानों को नामांकन बढ़ाने के निर्देश दिए जा रहे है। स्कूलों में नामांकन नहीं बढ़ाने पर संबंधित संस्था प्रधानों व शिक्षकों को नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।
कृष्णा शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, सवाईमाधोपुर
जिले में कुल 34 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां दस से भी कम नामांकन हैं। इतना होने के बावजूद शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सरकारी स्कूलों में उच्च शिक्षित शिक्षक है। बेहतर कक्षा-कक्ष है। कम्प्यूटर के साथ अन्य सुविधाएं भी है। पोषाहार खिलाया जाता है। हर सत्र से पहले प्रवेशोत्सव के ढोल बजाकर अभिभावकों को आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। इसके बावजूद भी नामांकन नहीं बढ़ रहा है।
जिले के दो स्कूलों में तो नामांकन शून्य
जिले में सरकारी स्कूलों में नामांकन कम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां 34 स्कूलों में नामांकन का आंकड़ा दहाई की संख्या को भी नहीं छू पा रहा है जबकि दो ऐसे स्कूल है, जिनमें वर्तमान में नामांकन शून्य है। बामनवास ब्लॉक में राजकीय प्राथमिक विद्यालय रोज की ढाणी एवं गंगापुर सिटी ब्लॉक में राप्रावि जाटव बस्ती पीलाहार में नामांकन शून्य है।
34 स्कूलों में 50 से अधिक शिक्षक कार्यरत
जानकारी के अनुसार जिले के 34 सरकारी स्कूलों में नामांकन दहाई के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाए है, जबकि इन स्कूलों में वर्तमान में करीब 50 से अधिक शिक्षक कार्यरत है। हालात यह है कि कई स्कूलों में दो तो कई में एक-एक शिक्षक है। ऐसे में इनकी संख्या 50 से अधिक है।
इसलिए पिछड़ रहे सरकारी स्कूल
जिले की सरकारी स्कूलों में वर्ततान में शौचालय की समस्या, पेयजल की समस्या, मैदान की कमी, शिक्षकों की कमी, विषयवार शिक्षण से असंबंधित शिक्षकों की नियुक्ति, अतिथि शिक्षकों की समय पर नियुक्ति न होना सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट के प्रमुख कारण हैं। वहीं शिक्षकों का समय से विद्यालय में नहीं पहुंचना, विद्यार्थी स्कूल के बाहर खड़े रहते हैं। स्कूल में पहुंचकर उपस्थिति दर्ज कर शिक्षक फिर गायब हो जाते है। अव्यवस्थाओं के चलते कई बार बच्चे व अभिभावक गेट कर विरोध प्रदर्शन भी कर चुके है।
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इनका कहना है...
जिन स्कूलों में नामांकन कम है या शून्य है, उन स्कूल संस्था प्रधानों को नामांकन बढ़ाने के निर्देश दिए जा रहे है। स्कूलों में नामांकन नहीं बढ़ाने पर संबंधित संस्था प्रधानों व शिक्षकों को नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।
कृष्णा शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, सवाईमाधोपुर
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