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00:00दुच रचार जी तो एक चीज यह थी कि मेरे फैंबली मी है दुरसल क्या मेरी फैंबली मलब पापा मम्मी पीछे गाहु से बाइंच एंसे रहते हैं हम यहीं पे डिली में काफी टाइम से बट अब जो उनके रिष्टारी हो गया रहा हुआ सब गाह� से जादवतर है तो उन
00:30तो पापा ने सिधा के बोला कि भुग आए वो क्यों नहीं हा रिये हैं उसी तब धराब आज एक दू दिन में तो पिर उसका फायदा क्या है शादी करने का तुमारा तो मैंने कि तो खाना वाना पनाने के लिए कि अप फायदा पूछ रहो मैंने कि अगर ऐसे आप उसका फा
01:00यह गयरी है इस बहुत जाहिर बाते हुआ नो ऑफ तब भी हमें दिखाई नहीं देती हुष
01:12हम न जाने किस धकोसले में बैठे रहते हैं कि निस्वार्थ रिष्टे हैं, प्रेम के रिष्टे हैं, दैवी ये रिष्टे हैं, पवित्र रिष्टे हैं, क्या पवित्रता है रिष्टों में?
01:24पत्नी, बहु, घर आईये तो खाना बनाएगी, बरतंद होएगी, कपड़े साफ करेगी, बच्चे पैदा करेगी, इसमें पवित्रता क्या है?
01:41तो क्या बताते हो कि शादी का पवित्र बंधन, अगर यही सब है है, तो पवित्र क्या है इसमें फिर?
01:47पवित्रता चीज क्या होती है? यह जानना है, तो रिशियों के पास जाओ, उपनिशदों के पास जाओ, वो बताएंगी, कि पवित्र माने क्या?
02:10अभी हमने क्या बोला था? पवित्रमी है विद्धि
02:12ज्यान ही है जो पवित्र करता है, ज्यान जैसा, नहीं ज्यानेन सद्रिशम, पवित्र में है विद्यते, यह जाकर के पूछो रहा है, ज्यान है पवित्र, यह थोड़ी है कि बरतान माजना पवित्र हो गया?
02:29मेरे खिलाफ आते हैं तुम तन के
02:42ये शादी के पवित्र रिष्टे के खिलाफ बोलता है
02:47नहीं
02:51मैं पवित्रता से प्रेम करता हूँ
02:56इसलिए अब पवित्रता के खिलाफ बोलता हूँ
02:58तुम संबंध सचमुष पवित्र बना लो
03:02मुझसे बड़ा समर्थक नहीं मिलेगा दूसरा
03:06तुम संबंध सचमुष पवित्र बनाओ तो सही
03:09पर मैं एक साथ पवित्रता और अपवित्रता दोनों को सम्मान कैसे दे दूँ
03:17जब मैं देख पा रहा हूँ कि तुम्हारे रिष्टे में पवित्रता है ही नहीं
03:21तो कैसे सम्मान दे दूँ
03:25गीता और पपीता को एक बराबर मना लू
03:47मैं कॉलेजों में पहले दस साल
03:54वहीं ज़्यादा जाकर बोला करता था
03:58पहला हमारा शिविर आपचारिक रूप से दोहजार ग्यारा में हुआ था
04:09तो उससे पहले और उसके बाद भी कुछ साल तक कॉलेजों में खूब जाता था
04:14और उन में से बहुत सारे कॉलेज उत्तर प्रदेश के होते थे
04:18और जगों के भी MP के भी होते थे
04:23उन में भी जो एकदम बड़े शहर हैं इनकी बात अलग है
04:29मालीजे यूपी तो लखनव कानपुर की बात अलग है पर और अगर अंदर के शहरों में चले जाओ
04:35गमेठी जासी बांदा
04:43लड़कियां बैठी होती थी
04:50अब ये कॉलेज की लड़कियां है
04:53मैं बोल रहा हूँ आब बैठी हुए ये लड़कियां सुनने के लिए
04:58कॉलेज की लड़कियां है
04:59और मैं कहूँ ये पाँची में पढ़ती है क्या वो इतनी छोटी सी
05:04उसको खाने को नहीं दिया है ठीक से
05:10उसका कद नहीं बढ़ा है
05:13उसके कंधे कुल इतने है
05:16यहां बीच में खोपड़ी है और कुल इतने कंधे है
05:19और फिर तुम बोल रहे होगे पवित्र परिवार
05:24यह पवित्र ता है तुमारी और ऐसा नहीं कि घर में खाने की इतनी किल्लत है
05:34भाईयों को मिलता है खाने को
05:41भारत में कितनी महिलाएं अनीमिया से ग्रस्त हैं
05:45खोजिएगा एक बार क्योंकि खाने को यह नहीं मिलता
05:48और यह नहीं कि बाहर वाला आके खाना चुरा ले आता है
05:51घर वाले खाने को नहीं देते
05:52और तुम पवित्र पवित्र का राग अलाप रहे हो
06:00एक दफ़े तो था वहाँ पर ब्रेक होता था
06:12लंच का
06:13तो वो होता था उनका बारा बज़े से ले करके
06:16दो बज़े तक होता था जब उनकी वो मैस खुली होती थी
06:19या कैंटीन जो भी तक खाने को बारा से दो का था
06:22उनके साथ मेरी बात थी हो ग्यारा से एक तक थी
06:26यह था कि एक बज़े भी यह लोग शूटेंगे
06:29तो एक से दो इनको मिलेगा जाके खा लेंगे
06:31अब मैं उनको देख रहा हूँ
06:33मैंने उनको बारा बज़े ही छोड़ दिया
06:34मैंने का तुम पहले खा लो कुछ
06:35ऐसे
06:39पिछके हुए मुँ
06:41मैं का इस पूरे हॉल
06:45का जो वजन है
06:46उससे ज़्यादा तो मेरे ही होगा
06:51कोई धाई किलो की कोई
06:57और पंक्रा ज़्यादा तेज कर दो तो दो चार उड़ जाए
07:00ग्यारा बज़े बोलना शुरू किया
07:06बारा बज़े मैंने बोलना जाओ तुम कुछ पहले खाओ
07:08मैं तुम्हें क्यान दे के क्या करूँगा
07:12मारा पेट खा लिए
07:14नहा न न पिलकुल ऐसे
07:22मूर्ती की तरह है मृत
07:26या फिर
07:27मन इतना संकुचित इतना छोटा
07:32कि दो अगल बल बैठ गई है
07:35और उखी की की की करे जा रही है
07:37कई तो उन कॉलेजों में लड़कियां होती थी
07:43वो शादी शुदा होती थी
07:44कईयों के बच्चे होते थे
07:46यह मौत उत्तर प्रदेश है
07:48वो 18-19 साल या 20 साल के कॉलेज की लड़की है
07:53और उसके बच्चा है
07:54और कोई भरोसा नहीं है
07:58और डिगरी पूरी करेगी कि नहीं
07:59छोड़ी देगी
08:00शादी शुदा तो बहुत सारी होती थी
08:05अब वो दो अगल बगल बैठी है
08:07एक की शादी हो गई है
08:08वो बगल वाली को अपनी शादी के किस्थे सुना रही है
08:10और दोनों की की की की की की की की की कर रही है
08:12क्योंकि तन ही नहीं
08:14उनका मन भी छोटा कर दिया गया है
08:16उनका संसार भी छोटा कर दिया गया है
08:18उनके लिए बस यही बहुत बड़ी बात है
08:20कि बेलन
08:22चिम्टा हींग लहसुन
08:25पती ने ऐसा करा
08:26उनसे क्या बात करें
08:31उसकी दुनिया इतनी सी होके रह गई है
08:33मैं उससे कौन सी गीता की बात करूं
08:36उसकी कुल दुनिया आप बेलन में समा जाती है
08:38अब मालो में क्या करती दी
08:44जैसे एक बड़ी लंबी सी बेंच है
08:47पूरा हॉल खाली है और बेंच इतनी है मान लीजिए यहां से हाँ
08:53पूरा हॉल खाली है उस बेंच में वो दस लोगों की बेंच है उसमें दस बैठ सकते हैं उसमें चार बैठती थी और चिपक के बैठ जाती थी
09:01loneliness
09:04होना तो यह चाहिए स्वास्थिकी तो यह निशानी है कि अगर जगह है तो अपना दूर दूर होकर बैठेंगे वो चार आएंगी और एकदम चार इकठे चिपक कर बैठ जाएंगी जबकि बहुत जगह उपलब्द है वो चार चिपक के बैठ जा रही हैं डरी हुई है
09:21और उन्हें space मिला ही बहुत कम है आउटर space inner space बहुत कम मिला है तो उनकी आदत ही हो गई है अपने आपको ऐसे सिम्टा लेने की
09:34shrinking हो गई है सिकुड गई है तो चार हो आँ चिपक के क्यों बैठी हो दूर हो और डर लग जाता था कि दूर होते ही असुरक्षित हो जाएंगे
09:44दूर होने का मतलब होता अब individual हो गए न इंडिविजुएलिटी तो सिखाई नहीं जाती
10:04झाल