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  • 4/22/2025
भीष्म का आगमन! महाभारत भाग २!

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00:00इन्हें प्रणाम करो पुत्र ये हमारे सार्थी नहीं मित्र भी है सार्थी का मित्र होना आवश्यक है राजकुमार की जय हो जय बोलनी है तो अस्तिनपुर राज्य की जय बोलो
00:25क्योंके राज राजा राजकुमार दोनों से बड़ा होता है जय हस्तिनापुर
00:31कि जरू है
00:43जरू हमारे समयाइज करो कि अचले ड्रूल इथirez
00:50प्रणाँ पारिए जरू कर दो राज्यक पारणाए डंबर एंधे वेए algunos प्तिनेख
00:58कर दो जो आपकर चुछ चुछ कर कर कर
01:02कर दो आपकर कर
01:28आोष मैं नीजृें!
01:58परंत वत्स तुम्हें तो तुम्हारी माता ने विद्याधनी बना कर हमारे पास भेजा है विद्यार्थी तो सदा विद्यार्थी ही रहता है पिताश्री विद्याधनी तो केवल भगवान है विद्यार्थी तो केवल विद्या का प्रसाध ही पाता है तो फिर यह प्रसाध ह
02:28पात्रत्वात धनम्मापनोती धनात धरम्तत सुकम।
02:32अत्यंत सुन्दर।
02:35अत्यंत सुन्दर पुत्र।
02:39विद्या का प्रसाध है विनय।
02:42विनय से पात्रता अर्थात योग्यता मिलती है।
02:47पात्रता से धन मिलता है।
02:49धन से धर्म के कारिय होते हैं।
02:52और धर्मकारी से सुख की प्राप्ति होती है, अत्यंत सुन्दर, इस प्रसाद के उपरांद किसी और प्रसाद के आवशक्ता नहीं रह जाती पुत्र, सुखी रहो, पिता शरी की छत्रचाया में, सुखी सुख है,
03:11ब्रहमर्षिय वसिष्ट का शिष्ष ही ये बात कह सकता है, और क्या सीखा उन से?
03:20उनसे ये मंत्र मिला है, कि हंस दो पंखों के सहारे ही उड़ सकता है, एक पंख है कर्म और दूसरा पंख है ज्यान, यदि उसके पास एक ही पंख हो, तो वो अकेला पंख व्यर्थ है, हंस उसके सहारे उड़ा नहीं भड़ सकता
03:38अत्यंत सुंदर विचार है
03:40ब्रियस्पति महराज ने क्या देश दिया तुम्हें कार्य का आरंब करो तो उसका अंद करने पर ही विश्राम लो अन्यथा कार्य ही तुम्हारा अंद कर देगा
03:54और इस विशे में शुक्रनीत क्या कहती है शुक्रनीती ये कहती है कि ये तो कारे का परिनाम ही बता सकता है कि कारे का आरंव शुब्धा या अशुब्ध
04:12श्रेष्ट शस्त्रधारी श्री परश्राम जी ने तुम्हें क्या सिखाया उन्होंने बताया कि पिता की आज्या का पालन ही सर्वुपरी है और वही आनन की सीड़ी है क्या माता के संबंद में उन्होंने कुछ नहीं कहा अवश्य कहा पिता श्री कहा कि शिक्षक से आचारे क
04:42और पृत्र को पृत्र भले ही होते हो परंतु माता को माता कभी नहीं होती
05:00यही सत्य है
05:01और पृत्वी अपने अंकूर के साथ कभी अन्याय नहीं करती
05:11ये दिमान न होती
05:15तो ईश्वर के सिवाए कुछ न हो

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