दंगल: BJP सांसद के बयान के बाद संविधान के दायरे पर छिड़ी बहस, कौन लांघ रहा लक्ष्मण रेखा?
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00:00नमस्कार मैं हूँ साहिल जोशी दंगल में आपका स्वागत है आज का दंगल समिधान के दाइरे को लेकर हम कर रहे हैं तेश में बहस चिड़ी है कि हमारा लोकतंत्र जिस समिधान के दाइरे के अंदर चलता है उसमें संसद अदालत और कारिय पालिका के अपने अपने दाइ
00:30से पारिक कानूनों पर अपनी ताकत देखा रही है अदालतों के फैसले आदेशों के समर्थकों का कहना है कि समिधान की व्याख्या और कानून की समिक्षा का अधिकार सुप्रीम कोट को है लिहाजा कोट तो दाइरे में ही है सरकार वक्त कानून बना कर समिधान के मौलिक �
01:00जवाब देहन नहीं है तो राश्ट्रपती और राज्यपाल के फैसले को सुप्रिम कोट की ओर से क्यों समय सीमा का दिर्देश दिया जा रहा है।
01:07तमिलाडू गवर्नर केस से लेकर वक्त कानून तक छिड़ी इस बहस में अब बीजेपी नेता निशिकान दूबे के बयान के बाद कोट की अवमाना की तयारी भी की जा रही है।
01:37और क्या इस पूरी बहस के पीछे केंडर के सक्त कानून है। ऐसे सवालों पर हमें चर्चा करना ज़रूरी है। और ये चर्चा हम करेंगे लेकिन पहले ये रिपोर्ट देख लेते हैं।
02:07को लेका, सीमाओं के अतिक्रमण को लेका, शक्तियों के असंतुलन को लेका, कारक्षेत्र के डायरे को लेका।
02:13सरसल बहस की शुरुबात दो वज़े होते हुई। एक तो दक्षिर भारती राज्चों के राज्यपालों का मामला था, जहां अदालत ने विधेक मन्जूर करने के लिए चार महीने की सीमा पे कर दी। दूसरा वक्त आनून जिस पर अदालत ने सरकार से तीखे सवाल पू
02:43राष्ट्रपती को कोई चुनोती नहीं दे सकता।
03:13अदालतें भी दिन में दो-दो बार व्यंग कस रही है।
03:17बंगाल में राष्ट्रपती शासन लगाने की मांगवाली अरजी पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यूही टिपड़ी की।
03:23अदालतों पर ही समसद और विधाईका के काम में दखल के आरोप लगते हैं।
03:27फिर OTT पर अश्लील सामगरी से जुले केस में अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोट पर तो विधाईका और कारपाली का क्या काम में दखल करने का आरोप लगाया जा रहा है।
03:35मतलब समसद बनाम अदालत के आधिकारों पर शिड़ी चर्चा के मूल सवाल अब सियासत के रंग में रंग से जा रहे हैं।
04:05अदालत को उसमें दखल नहीं देना चाहिए।
04:35अधिकारों के आधार पर भेद्भाव नहीं होबा।
04:37स्वतंत्रता का अधिकार है जिसमें भाशन, अभिव्यक्ति, सभास, संगठन, आवागमन, निवास और कोई भी पेशा या व्यवसाय हो करने की स्वतंत्रता का अधिकार है।
04:45शोशल के विरुध अधिकार, बेगार, बालश्रम और मानो व्यापार का निशेद है।
04:51धार्मिक स्वतंत्रता के आधार में किसी भी धर्म का पालन करने, उस पर विश्वास करने और धर्म का परचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार है।
05:11इसमें मौलीक अधिकारों के उलंगधन के खिलाफ अधालत में जाने का अधिकार है।
05:29संसत्थ बनाम अधालत की टाकत में सम्विधार ने शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का साफ साब बटवारा किया है।
05:33संसत्थ में सरवोच शक्ति मौजूद है लेकिन संसत्थ बने कानूट की समीशक अधिकार अधालतों को भी है।
05:39जिसमें अनुचे 133 के तहट मौलिक अधिकारों के उलंगधन पर कानूनों को असमवैधानिक धोशित करने का अधिकार हाई कोट और सुप्रीम कोट को है।
05:47इसके अलावा नुचे 131 में केंद्र और राज्यों के बीच कानून को लेकर पैदा हुए विवास सुनने की शक्ति अधालत के पास है।
06:17तो इस पूरे मामले पर राजणितिक चर्चा तो छिड़ चुकी है लेकिन उसके साथ-साथ एक मुलभूत चर्चा भी चुड़ चुकी है कि क्या कोट पार्लमेंट के अधिकार छेत्र में कही ना कहीं घुसने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं।
06:44सुप्रिम कोट में बार-बार क्यों जाये जा रहा है। ये भी सवाल बार-बार उठाये जा रहा है।
06:51सुप्रिम कोट का हस्तक शेप ये कहीं ना कहीं पिक और चूज पॉलिसी तो नहीं है।
06:55कई तमाम मुद्दे इस पर उठ रहे हैं राश्टरपती के अधिकार को लेकर और राश्टरपती को क्या सुप्रिम कोट कोई इस तरीके से आदेश दे सकता है।
07:02ये भी मामला बार बार उठ रहा है लेकिन क्या सच मुच में जो कॉंस्टिट्यूशन में कहा गया है उसके आधार पर ही चीज़े चल रही है या कोई ना कोई एक दूसरे के काम में दखल अंदाजी कर रहा है।
07:32उनके मुद्दे क्या है वो आम तोर पर हमें पता है जस्टिस एन मित्तल ये पूरवा जजज है अलाबाद हाई कोट के जस्टिस सुनिल गौर पूरवा जजज है डली हाई कोट के और थोड़ी दर में हमारे साथ केके मनन सीनियर एडवोकेट वो भी इस चर्चा में शामि
08:02में जिस तरीके से सुप्रिम कोट का फैसला आया या अलग-अलग कानून पर बिल्स पर सुप्रिम कोट जिस तरीके से रायए र eens रखती है वक्त कानून जैसा कानून पारित किया गया लोग सभा विदान सभा में चर्चा हुई उसके पहले जेपी सी का गटन हुआ था उस
08:32के तरफ से ये मुद्धा बार बार उठाने की कोशिश की जा रही है
08:36अगर मैं कोट करूँ आचारीस जी की कानून अदालत कानून बनाना संसद का
08:43काम है अगर अगर अदालत ये कानून बनाए तो संसद बंद कर देना चाहिए
08:47इस तरिके के statement भी दिए जा रहे है सांसदों के तरफ से
08:50तो आचारे जी आपको क्या लगता है कि क्या सत्पुच में सुप्रिम कोड अपने डायरे का उलंगन कर रही है इस पूरे मामले में
08:57इल्कुल नहीं
09:00कि मेरे विचार से सुप्रिंग ओट कानून का कोई उलंखन या समिधान का कोई उलंखन नहीं कर रहा है यह हमें मालू हना चाहिए कि
09:12सुप्रिंग ओट नहीं है तो grandma कोई भी कानून पार्लिमन्ट पास करते हैं उसके बाद अगर वो कम समिधान के आनरूप नहीं है
09:37तो नाचुरली सुप्रिंग कोट इसकी उसको देखेगा तो जुडिशल रिव्यू ये अदालत की सुप्रिंग कोट की हाई कोट के पावर में है और इसलिए ये कहना ठीक नहीं है कि पार्लिमन्ट कानून बनाता है ये सुप्रिंग कोट का कोई पावर नहीं है कानून बनान
10:07इधान गे अनरूप है या नहीं यह काम तो सुप्रिम कोट का है और विसी का नहीं है हमारे कॉंटिटूशन के अंदर यह बात बिलकुल साफ होनी चाहिए
10:16लेकि दूसरा मुद्ध यह भी यहाँ पर उठता है कि जैसे मैंने वक्त कानून का अभी जिक्र किया अचारी जी जिसमें ये कहा गया बार बार ये कहा गया कि देखिए दो बार चर्चा हुई
10:33लोकसभा में चर्चा हुई आठ घंटे राज्यसभा में आठ घंटे चर्चा हुई और सुप्रिम कोट ने तुरंत उसको उठा लिया
10:38कई सारे सांसद सुप्रिम कोट का दरवाजा खट-कटा कर गए थे और कानून पास नहीं हुआ
10:44और एक हफ़ते के भीतर दो ऐसे प्रावधान थे जिस पर स्टे भी लग गया
10:49कुल मिलाकर कानून पर ही एक तरीके से रोक लगी ऐसा हम कह सकते हैं
10:52और साथ अभी साथ दिन के बाद उस पर दोबारा सुप्रिम कोट के सामने बहस होने वाली है
10:57तो इसके वज़े से इंटर्वीन करने की कोशिश की जा रही है सुप्रिम कोट के तरफ से
11:02ये भी बार-बार कहा जा रहा है
11:03तो कई चीसें कही जाती है इसका ये मतलब नहीं कि सुप्रिम कोट गलत कर रहा है
11:10लोग तो कई बातें कहते हैं
11:13आप कानून पास वता है पार्लिमेंट में और प्रेसिडंट ने मंजूरी दे दी तो कानून बन गया नोटिफाई हो गया उसके बाद किसी भी वक्त ये लेकर सुप्रिंग ओट में जा सकते हैं कोई भी इसमें मेरे खास कोई दिकत नहीं है इसलिए वो जो पीरेड है आप ज
11:43प्रब्लम है दूसरा एक मुद्धा यहां पर उठ रहा है कि जिस तरीके से राष्ट्रपती पर एक समय सीमा लान दी है सुप्रिम कोट के एक फैसले के वज़े से जो तमिलनाडू में बिल रोक कर रखे गए थे राज्यपाल ने कुछ बिल्स राष्ट्रपती के पास भे�
12:13के तरफ से किया गया और राष्ट्रपती को वो कैसे कह सकते कि आप इतने महेने के भीतर इस पर फैसला ले इसको आप किस तरीके से देखते है कि क्या सच्पुछ में राज्यपाल या राष्ट्रपती चाहे तब तक पार्लमेंट ने पारित किया हुआ या विधान सभा ने
12:43देखे, इसमें दो थीन बाते हैं जो मैं कहना चाहिए स्ट्ष्ट करना चाहता हूँ, एक तो यह है, एक वन फॉर्टी टू आर्टिकल जिसका आपने जिक्र किया, तो सुप्रिंग गोड ने उसको इंवोक किया है, वो है, वो समय सीमा बांधने के लिए नहीं है, उसमें नह
13:13प्रेसिडंड के द्वारा, वो तो सुप्रिंग गोड का कैना था कि वो प्रेसिडंड के पास एजना ही अगेंस तो कॉंसिट्यूशन है, तो सुप्रिंग गोड ने वन फॉर्टी टू इन्वोक करके कहा कि इस बिल्स चाल भी टीम तो हैं इसेंड़ टू, यही है, उसी के
13:43विवस्था में, एक बेसिक प्रिंसिपल यह हैं कि जो भी एक सिगूर्टी पावर यूज करता है, इस्तेमाल करता है, वो रिसनबल तरीके से करें और रिसनबल टाइम के अंदर फैसला हो जाए, यह एक बेसिक प्रिंसिपल है सुप्रिंग गोड का, और इस मामले में, आ�
14:13उसके बाद इन्होंने प्रसिडन को भेजा है वो भी एगेंस आर्टिकल टुहांटरेड उसकी विवस्ता उसके प्रावधान उसके खिलाफ है वो तो इसकी प्रिश्टब इस प्रिश्टब भूमी में सुप्रिंग ओट ने वो समय सीमा बांधी है और समय सीमा बांधने से स�
14:43के अंदर नहीं था यह जो समय सीमा बांधने से सुप्रिंग ओट ने बस उसको एक मूर्थ रूप दे दिया है रीसनबल टाइम क्या है इस मामले में यह यह है सुप्रिंग ओट ने यही किया है अचारी जी ला
15:08अचारी जी आंतिक में मुझे एक आपसे जाना है आपने लंबे समय तक लोगसभा का काम देखा है कभी इससे पहले भी हमने अभी आजकल सोशल मीडिया पर काफी सारी चीज़े चल रही है इससे पहले कुछ दिन कुछ दिन से चल रहा है कि पूरो प्रधान मंतरी इंदिर
15:38के से बयान दिये हुआ है जो पार्लमेंटरियन हैं, MPs है क्या इससे पहले आपने इस तरीके की लड़ाई कभी देखी थी आदालत बनाम पार्लमेंट या पार्लमेंट जो कानून पास करती है उस पर अदालत ने कुछ रोक लगाई है उस पर कुछ सवाल उठाय हूए है औ
16:08ये काफी काफी शार्प तरीके से ये प्रॉब्लम आया था हमारे सामने और कई जो कानून पार्लेमेंट ने जो बनाया था या स्टेट एसंबली डेजिस्ट्रेचर ने जो बनाया था उन कानूनों को सुप्रिंग गोट ने रद्द किया था
16:27क्योंकि वो फंडमेंटल राइट्स के खिलाफ था उनलंगन किया था इस वज़े से तो ये जो चर्चा है सुप्रिंग गोट वर्स्यूस डेजिस्ट्रेचर ये समय समय पर हमारे सामने आये हैं वो तो आता रहेगा इसमें कोई ऐसी बात नहीं है लेकिन एक चीज़ हमें स्�
16:57करकें है यह सबसे सर वोच जो है हमारा constitution नहीं है ये बाकिये सारे जो ये जुग सब ये मेरे पर यह पूर्स डाइजिऴपशाचींजर हो वो दे सेर लिटीटिशरी हो एंद वह सब्सक्रीहे टो कोर्श को हैं लिजिसटैचर को नहीं लिजिजसरीचर कानूल बनाता
17:26है और यूडिशरी अदालत जो है वो देखते हैं वो constitution के
17:31मताब़ी है यह नहीं है यही है यह सबस्ट होना चाहिए यह सबको
17:36यह सबस्ट हो जाता है तो पर यह जो जो जो कॉंस्टिट्यूशन
17:40सर्वोपरी है और बाकी सारे जो विंग्स है वो कॉंस्टिट्यूशन
17:45ने बनाई हुई चीजे हैं फिर वो legislative wing हो, bureaucracy हो या
17:49अदालत भी हो लेकिन constitution सर वो चपरी है पीडिटी अचारी जी बहुत बहुत
17:53शुक्रिया आपने आज तक से बात की और एक एहम मुद्दे पर आपने
17:56अपनी भूमिका रखी और उसके साथ साथ कोई चीजे साफ करने की भी कोशिश की
18:00तो हमारे साथ तमाम महमान इसमक जुड़ चुके हैं अमिताप सिना जी आप से ही शुरुवात करेंगे
18:04आपने सुना कि PDT अचारी जी क्या कह रहे थे इसको लेकर उनका कहना है कि महज सुप्रिम कोट ने कोई समय सीवा नहीं बनाई है
18:11सिर्फ उन्होंने इतना कहा है इस पूरे मामले को लेकर कि देखें इंटरप्रिट किया है कि रीजनेबल टाइम क्या होना चाहिए
18:18उसको इंटरप्रिट करने की कोशिश की है उसको अलग तरीके से देखा जा रहा पिड़िटी अचारी कह रहे है जो सेक्रेटरी जनरल थे लोग सबागे अमिताप से लग दनेवाद साहिल
18:30सबसे पाली चीज कि आपने अंतने जो 15 मिनिट का उनका मोनोलोग था या आपका इंटरप्रिट था उन से उसके बारे मुझे जानकारी नहीं दीगी थी मैं उसी समय आता मुझे ये इंटरप्रिट देखने का कोई शौक नहीं था मैं चमा चाहता हूं लेकिन ये बात कहा �
19:00मैं आपने 15 मिनिट का बिनावजय का समय खराब किया मैं आपसे बात बताना चाहता हूं चाहता हूं पंद्रवी और पंद्रवी लोकसभाव में महासची उठे और उन्होंने उस दौरा हमेशा इसी बात पर हमारी लड़ाई हो जाती है यह तोड़ी आप तैय करेंगे कि हम
19:30आप अपने तरीके से जवाब दीजें आप उसको डिवेट में रखते हैं समय अव्यास मत करिए सब बाकी लोग भी यहां पर है ऐसा मत करिए सब्सक्राइब अब मुद्धे पर आते हैं चलिए मैं पूछ रहा हूं आप से चार से पांच साल तक बिल को रखा चार से चार स
20:00करेक्ट है वहां की मिस्टर रवी जो है पास साल से हैं नहीं वहां गवर्नर मैं उस केस को नहीं जाना चाहता हूं लेकिन फैक्ट्वली इंकरेक्ट बात यदि कोई कहेगा तो वह आपके जैसे प्रतिश्टित चनल में तो मुझे उस बात से आप पती है पहली बात दूसर
20:30बात कर रहा हूं बैलेंस ऑपावर इंडिन कर्टिशुशन भारती सम्विधान में जो सकती संतुलन है उसके साब से जो आर्टिकल 50 है आर्टिकल 121 122 है और 361 है ऐसे माम आर्टिकल से जो पढ़ले सम आपके भीवर उसमें बहुत सुन्दर सकती संतुलन है और यह मिस्टर
21:00कोट नहीं दे सकता है मैं बहुत जिम्मेदारी से सुप्रीम कोट के अधिवक्ता के नाते आपको जानकारी दे रहा हूं और 361 को मैंने पिछले बार भी आपके चैनल में कोट किया था इसमें पस्ट कहा गया है कि यह सुप्री राजपती और राजिपाल दोनों जो है उस स
21:30खतम कर दें और उसके बाद फिर आगे की कारवाई करें 371 के रहते ही यदि वह साथ साथ है दी उसके बाद 124 को लागू करेंगे 142 लागू करेंगे 142 करेंगे तो मुझे लगता है कि संभिधान का क्योंकि एक और तो पूरे तरीके से इम्मुनिटी है राश्टपती को औ
22:00जरजमेंट को रिजर्व कर देते थे दो दो साल तिन साल जरजमेंट रिजर्व रधाएस में बेंच बदल जाती है और फिर दुबारा से केस करना पड़ता है जो गरीब क्लाइंट है उसमें क्या समय सीमा है सुप्रीम कोट और हाई कोट की नहीं है तो यदि आप अपने �
22:30कि विदान सभावं में कोई ऐसी चीज न हो जाए रिजान के
22:35देना चाहता हूं कि कोई विधान सभा में कोई बात कहा दे कि हम तो केंदर-सरकार की
22:39बात को नहीं मानेंगे या या केंदर के कि UR question जो जो सब जो स्टेट
22:44सब्सक्राइब
23:14डिक्टेटर्शिप लागू करेगी तो यह प्रजात तंत्र के लिए गलत है और अंतिम में यही मैं कहना चाहता हूँ कि यह प्रजात तंत्र जो है यह फॉर्ड दिक्टेटर्शिप लागू की जारी है इस तरीके का अरोप यहां पर लग रहा है सुने राजपूर आपने स�
23:44लोग हैं बेशर्मी से इस तरीके की भाषा का उपयोग कर रहे हैं और वो लोग इस तरीके की भाषा का उपयोग कर रहे हैं जो लगातार कॉंग्रेस के सासन के शमय में इसी सुप्रीम कोट के पैरों में पढ़कर के यही नयाय की भीक मांगते थे जो आज की डेट में बा
24:14इसका मतलब संबिधान सरवोच्छे बाकी सारी चीजें उसकी अपनी वो रहती ही अब निशीकांत पर आजाईए हमें अमिताब जी पर कोई बात नहीं करनी अपने वकील है वकालत करें भारती जनता पार्टी का समर्थन करें भारती जनता पार्टी वाले कहें कि देश में ग
24:44निशीकांत दूबे के उपर है निशीकांत दूबे ने गद्दारी की है वो गद्दार है और वो हमारे देश के सम्मिधान का गद्दार है हमारे देश के कानून का गद्दार है हमारे देश के लोकतंत्र का गद्दार है और हमारे देश की संसद का गद्दार है सच्चाई
25:14और कहा देश में धार्मिक युद्ध है हाँ देश में ग्रह युद्ध एक जगा पर है मनईपुर में उसको यह लोग मानते नहीं आप इस चीज़ को देखे वहां पर भी हमारी सेना अच्छा काम करें यह सवाल तो हम तो निशिकान दूबेगी को पूछना चाहिए तीका ट
25:44और मैं तो चाहता हूं निशिकान दूबे के कान तक न पहुचे यह ऐसे लोगों के कान तक पूचे जो निशिकान दूबेगे खिलाफ कारवाई करें उसके राष्ट द्रोह के इस एक्ट के लिए उसको जेल के अंदर भेचे और उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कठोर से क�
26:14कि देश में कहीं ग्रहाई उद्ध नहीं देश में कहीं धार्मी की उद्ध नहीं तो आप इस चीज़ को निशिकान दूबे जिस तरी के इस तरी के बाद के बाद को लगते हैं कि कोई कंटेंट वगरा यहां पर हुआ है आउंगा आपके पास सुन राच्पूर जी वापस आ
26:44है ठीक है राजपूर जी मैं आपसे एक निविधन करता हूं जो शब्दों का जो चयन है उसमें बेशर्मी बगार शब्दों का प्रयोग थोड़ा सानुचित लगता है लेकिन यह आपका स्वतंतिता है आपकी कि आप जो भी शर्ट का प्रयोग करें मिजे किसी के बारे मे
27:14किसी भी स्थिती पे कोई भी चाहे मैंने जितना चुकि मैं विद्द्दियर्थी रहा हूं इतिहास का और राज्मितिक शास्वका और टानून का मैं इतना
27:22कि इतिहास में भारती स्वतंत भारत की इतिहास में दरजनों बार इतने ऐसी घटना हुई है जब चीर जस्टिस को सुपरसीड करके और दूसरे को चीर जस्टिस बनाया गया है यहां तक कि मैं इतना आपको 2018 में जो इंपीचमेंट सिटिंग सी चीर जस्टिस ऑफ इंडिया क
27:52एक मिनट आप आप साहिल जी मैं कह रहा हूँ कि मैं इतना जवाब तो दे दूँ कि जो इंपीचमेंट आप सिटिंग चीर जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ में मोशन मूव करते हैं कि यह वो भरस्ट है उसके पहले में उस महीं पर जो जो सुप्रीम कोट के जजजज है
28:22मैं वहीं आ रहा हूं तो वहां पर एदी कंटेम्ट उनके खिलाफ में होता है वो कहते हैं पचीस जजज बेइमान हैं उसमें कंटेम्ट नहीं होता है उसमें एक रुपया उनको फाइन होता है वो भी दूसरे उनके कलीग ने एक रुपया जमा करता है किया कंटेम्ट कोई
28:52ने कहा था कि पचीस के पचीस जज जो है सिटिंग जज अबरस्ट हैं तब उसके बाद भी कोई कारवाई नहीं हुई थी उस ब्यक्ति पे
28:59कानून बड़ा साफ है और अगर कोई अदालत पर ये आरोप लगाता है कि प्रेजुडाइस पॉइंट से ये बाते की जा रही है सेक्शन 3 कहता है कंटेम्ट अफ कोट के आएक्ट का तो उस पर कारवाई हो सकती है हलाकि अब आदालत का फैसला होगा अदालत तैय करेगा कि �
29:29सवाल पूछता है सर उस दिन भी कई सारे बुद्धे यहां पर उठे थे उसमें से एक बुद्धा उठा था एक सो चौबीस आर्टिकल एक सो चौबीस के तहट ये कहा गया कि जो अपॉइंट्मेंट्मेंट्स होती है सुप्रिम कोट जजजस की वह राष्ट्रपती के जर
29:59ज़ी तो चौबीस का जिक्र गया था मुझे यह जानना है कि क्या वो बात वो दो दो चीजे अलग है क्योंकि यह आड्मिनिस्ट्रेटिव बात हो गई एक सो चौबीस के तहट जो प्रेसिडंट अपॉइंट करते हैं सुप्रिम कोट के जजजस को हाई कोट के जजजस को �
30:29जा रहा है इसको किस तरीके से देखना चाहिए क्योंकि यह भी एक तर्क बार-बार दिया जा रहा है मितल जी देखे मेरी राय में यह पूरी तरीके से ब्रहमक है और
30:39चार सो पिक्चानवे पेज के जज्जमेंट में कहीं भी महामाहिम च्री राजपति को सर्वोच नहायले ने किसी प्रकार का कोई निर्देश नहीं दिया है मानी सर्वोच नहायले ने भारत सरकार के ऑफिस मेमुरेंडम 2292 और 4 फर्विलरी 2016 है उन दोनों का हवाला देते हु
31:09तो तो इसमें कहीं भी महामहिम राजपति को किसी प्रकार का कोई निर्देश नहीं दिया है
31:35पैरा 391 में मानी सर्वोच नहायले ने ये कहा है कि जो व्यवस्था भारत सरकार के ऑफिस मेमुरेंडम डेटेट 2292 और 4 फर्वरी 2016 में है
31:48तो ये प्रमिक किया जा रहा है कि राजपति को कोई निर्देश दिया गया है जहां तक महामहिम शरी राजपाल को निर्देश दिये जाने का प्रश्न है
31:58मैं ये बताना चाहूँगा मैं भी बहुत से कानून बना चुका हूं विधाय का मैं मैं रहा हूं हर बिंदू पर कानून बनाना संभब नहीं होता है
32:09और यही कारण है कि हमारी सिविल प्रिक्रिया संहिता में अधिनस्त नयायलियों को धरा 151 के अंतरकत इनहेंट पावर दी गई है
32:17उच्छ नयायलियों को दंड प्रिक्रिया संहिता की धरा 480 के अंतरकत अंतरनेहित पावर दी गई है
32:24और इसी प्रकार से सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छे 142 के अंतर कानून को लागू करने के लिए अंतर नहीं पावर दी गई है
32:33तो जो भी ग्रे एरिया होता है उसके बारे में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला लेता है
32:39और इसमें एक बिंदू ये आया अनुच्छे 361 का मैं विद्वान अधवता श्री जो भी है
32:52मैं नाम सौरी मैं जहमा चाहता हूँ उनको ये बताना चाहता हूँ
32:57अमिताब सेना जी जल्दी अनुच्छे 361 के प्रोविजर 2 मैं ये इस पस लूप से लिखा हुआ है
33:07आपकी आवाज ठीक से नहीं सुनाई दे रही है
33:21मेरे खिल से नेट्वर्क का कोई इशू है यहाँ पर
33:23आपकी आवाज ठीक से नहीं आ रही है
33:25आपके पास मैं दोबारा लोटूंगा लेकिन उससे पहले आपने आर्टिकल 142 का दिक्र किया हुआ है
33:30जिसमें सुप्रिम कोट को यह पावर्स दी गई है कि पूरन न्याई के लिए कदम उठा सकते हैं और वो एक तरीके से कानून होगा
33:37ज़रा देख लेते हैं कि इससे पहले यह 142 का इस्तमाल भारत में कप कप किया गया था
33:43तो ज़रा एक बार नज़र डाल देते हैं स्क्रीन पर
33:451950 से 2023 तक अगर हम देखे तो 1589 ऐसी केसेस है कि जिसमें आर्टिकल 142 के तहट सुप्रिम कोट का इंटर्वेंशन किया गया था
33:57और यह विशेश अधिकार का इस्तमाल किया गया था लेकिन ज़ादातर यह केसेस सिविल केसेस है
34:02यह कोई कानूनन का बारलमेट ने पास किया हुआ कोई बेल या वाकी सारी केसेस नहीं है
34:08जिसे आजकार दखल अंदाजिकी तरह देखा जा रहा है उस तरह की केसेस निए इस सिविल केसेस
34:11इस में इस 142 का इस्तवाल बार-बार किया गया था लेकिन 2024 के बाद अगर हम देखे तो देखे आठ अपरेल 2025 को तमिल नाडू गवर्नर के रिजर्वेशन को लेकर दस बिल जो उन्होंने अटका किया रखे थे उसको लेकर प्रेसिडेंट एसेंड जो है वो इलीगल करार दे
34:41हाला कि इसमें उन्होंने कहा था कि जो महिलाएं उनको स्टैम ड्यूटी नहीं भरनी पड़ेगी डिवोर्स सेटलमेंट की प्रॉपर्टी वाले मामले हैं उसको लेकर
34:4813 नमेंबर 2024 को सुप्रीम कोट ने आर्टिकल 142 को इन्वोक किया था एक बार फिर जिसमें बुल्डोजर नियाई को लेकर सुप्रीम कोट ने फैसला दिया था और कहा था कि इस तरीके से नहीं चलेगा
35:01और उससे पहले 30 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोट ने 142 का इस्तिमाल किया था आईटी में एक दलित युवा को एड्मिशन देने को लेकर और इससे पहले चंडिगड के मेयर के चुनाव आपने स्क्रीन पर तस्विरे उसकी देखी होगी 21 परवरी 2024 को सुप्रीम कोट ने 142 का �
35:31आप से ये पूछना है कि क्या इसका इस्तिमाल आज की तारीख में किया जा रहा है खास करके बुल्डोजर नियाय को लेकर जहां पर ये सवाल उटे कि सरकार के काम में दखल अंदाजी मेयर के चुनाव को रद कर देना या फिर हाली में हमने देखा जिसका आज कल इस्तिम
36:01सिर्फ सिविल केसस में स्तिमाल किया जाता है और यह अझी ऐसी डिरेक्शन को है उन्होंने को एडिक्शन नी है प्रेजिदेंट को
36:28कि ऐसे किया रहे हैं वैसे करें वो जो memorandum प्रोसीजर है उसको follow करके उन्हों ने कहा है जी आपके प्रोसीजर में है आप तीन मेहने में करिये अधसॉल और एकसो बैयालीस का इस्वाल जो कर रहे हैं ऐसा कुछ नहीं है कि भी civil cases में हो सकता है और बाकी cases में हो सकता एकसो बै
36:58रिवीव बांग लिजे आप जज्जमेंट में वो क्लियर कर देगी सुप्रीम कोड के जमने को ऐसी डारेक्शन नहीं दिये हमने तो आपको अपको लगता है कि इस पर रिव्यू बांग सकते हैं
37:16हाँ इस पर रिव्यू अगर वजब बनाया जा रहा है हमारे साथ हमारे साथ दोनों पूर्व जस्टिस हैं उनका यह कहना है कि बेवज़ा इशू बनाया जा रहा है इस पूरे मामले को लेकर
37:29सुप्रीम कोड को क्रिटिसाइज करने की पजाए आप रिव्यू डालें सुप्रीम कोड क्लैरिफाइए कर दें कि सुप्रीम कोड पड़ी अब्जेक्टिव है सुप्रीम कोड को किसी जब वो तो कहते हैं जो सच है वो सामने आना चाहिए और जो सही है उस पर वो अपना �
37:59किके मनन आपको मेरी आवाज आ रही है देखे आपके जो आज का आ रही है मुझे आपका जो टॉपिक है दो विशों पे है एक तो निशीकान दूबे जी पे आप पूछ रही है दूसरा ओनेबल सुप्रीम कोड ने जो जाजमेंट दी है जैसे जैसे गौड साब ने कहा है ए
38:29तो फिर इस बात का चिंतन किस बात के लिए कर रहे हैं जब कोई वहाँ पे ऐसा विशा है ही नहीं तो ये एक रियूमर भी होती है आपको भी मेरा ख्याल है कि जैजमेंट पढ़ लेनी चाहिए थी जब पढ़ चुके हैं अगर जैजमेंट मैंने तो पढ़ी नहीं है लेक
38:59सामल नाडू के गवर्नर के साफ के इस पर तो सुप्रीम कोट इवन अपने प्रेजिटन को डारेक्शन जा आप कह सकते हैं निवेदन करने की बजाए सुप्रीम कोट की अपनी जजमेंट फाइनल होती है वो एक ला होता है वो सब पर बाद्या होती है वो एक वाइंडिं�
39:29सुप्रीम कोट में भी वो जजमेंट हम फिर रेफर करते हैं तो इसलिए इस मुद्धे पे तो कोई खास मुझे कहना ही नहीं है रहगे निशीकान दूबे जी की बात का मेरा ख्याल उन पर कॉन्टेम्ट नहीं बनती है ये एक पॉलिटिकल एजंडा है पॉलिटिकल कुछ
39:59आर्म करते हैं डेली की निउस के बारे में जब्ते जज़्य ज्यादे ध्यान नहीं देते कि वहां निउस में क्या आ रहा क्या निया आ रहा मेरा मानना के कॉन्टेम्ट नहीं बनती है
40:09मेरा समय खतम हो रहा है आखिर में सुरिन राजपूत आपने सुना कि 122 का इस्तवाल कहा कहा किया गया है यह बुल्डोजर नहीं कि खिलाफ किया गया इस्तवाल या उससे पहले चंडिगर मेयर इलेक्शन यही वजह है कि यह सारे स्टेट्मेंट आ रहे है
40:32नहीं मसला यह है कि पूरा एकोसिस्टम ना साहिल भाई भारत के सम्मिधान को चेंज करने की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा है चाये वो संग हो चाये भारती जनता पार्टी हो
40:46संग शास्त्री और भारती जंता पार्टी के लोगों को ये देश में नल के लिए, नील के लिए, कोल के लिए, भील के लिए, पिछड़े के लिए, आदिवाशी के लिए
40:54ये जो संविधान हमारा है वो इनको रास नहीं आ रहा है
40:57ये देश के संसाधनों को कही ना कही चंद उद्योगपत्यों को देना चाहते हैं और देश के सारे बाकिलों को पांच किलो आनाज देना चाहते हैं
41:27रख रहा है उन्होंने कहा था कि यह डेमोक्रसी जो इस तॉप ड्रेसिंग है और यह चल सकती है उसके बिना नहीं चल सकती और इसी के वज़े से आज की तारिक में चर्चा हो रहे हैं कि क्या सविधान ने बनाए हुए अलग अंग अपने तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं क
41:57आप फिलाल इस डिबेट पर इता है