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00:00मैंने आज तक दुनिया के कई नायकों के जिवन चरित्र पड़े हैं, मगर ऐसी द्रड इच्छा सकती, अदम्य सहास, अकल्पनिय रन्निती और रन्निती को पूरी करने के लिए समाज के हर वर्ग को साथ में जोड़कर एक अपराजे,
00:23मतलब अपराजीत सैना का निर्मान करना सिव छत्रपती के सिवा किसी ने नहीं किया है, ना भाग्य उसके साथ था, ना भुतकाल उसके साथ था, ना धन था, ना सैना थी, एक बच्चा अपने अदम्य सहास और संकल्प के साथ पूरे देश को स्वराज का मंत्र दे कर गया, �
00:53चूर करकर देश को स्वतंत्र कराने का काम किया, और मित्रों, जब अटक तक सिवा जी महराज की मावलो की सैना पहुची, बंगाल तक पहुची, कटक तक पहुची, दक्सिन में तमिलनाड तक पहुचे, तब सब को भरोसा हुआ कि ये देश अब बच गया, स्वधर्म ब�
01:23हम देश की आजादी के 75 साल के बाद, दुनिया के सामने सर उठाकर खड़े हैं, और हम संकल्प करते हैं, कि 100 साल जब होगे आजादी को, दुनिया में एक नंबर पर हमारा भारत होगा, उसकी मूल कल्पना ये सीवराय ने रखी,
01:42जिजाओ ने बाल सिवा में संसकार करें, भरें, और सिवा जी ने वो संसकार को एक वटव रुक्स बनाया, और उसके बाद, धर्मवीर संभाजी महराज, महरानी ताराबाई, धनो जी, संतो जी,
02:04सिवा जी के बाद औरंग जिब जब तक जिन्दा रहा, उसके सामने लड़ते रहे, जूचते रहे, यहां तक कि, अपने आपको आलमगीर कहने वाला व्यक्ति, महराश्ट में पराजीत होकर, यहीं उसकी समाधी बनाया,
02:22यह सिव चरीत्र को, हम सब का दाईत्व है, कि इसको भारत के बच्चे, बच्चे को सिखाया जाए, भारत के बच्चे, बच्चे को पढ़ाया जाए,
02:39और मैं तो आज महराश्ट में आया हूँ, महराश्ट के लोगों को दो हाथ जोड़कर विनन्दी करने आया हूँ,
02:48सिव राय को महराश्ट तक सिमीत मत रखिये, देश और दुनिया सिव राय से प्रहना ले सकते,
02:55स्वधर्म पर अभिवान करना, स्वराज की याकांगसा रखना, और स्वभासा को अमर बनाना अचार देश की सिमाओं के साथ जुड़े नहीं है,
03:13मानव जीवन के स्वभिमान के साथ जुड़े हुए, और मानव जीवन के स्वभिमान के ये तीन मुल चरित्र को सिवाजी महराज ने दुनिया और देश के सामने रखा,
03:26और एसे काल खंड में रखा जब आकरांताओं ने हमें रौंद दिया था तोर दिया था परास्त कर दिया था पराजीत कर दिया था गुलामी की मानसिक्ता का सुर्जन हो चुका था