यह मुद्रा करने से शरीर में वायु की मात्रा बढ़ती है।
विधि : अंगुठे के अग्रभाग को तर्जनी एवं मध्यमा के अग्रभाग से मिलाये शेष अनमिका एवं कनिष्ठिका अंगुली को सीधी रखे।
लाभ: हमारे शरीर की जो नस नाड़ियो
बाहरी और भातरी हलन चलन का संचालन करती है। यह मुद्रा करने से शरीर में वायु का प्रमाण बढ़ता है। जिसके द्वारा हमारी नसो को बल (ताकत) मिलता है जिन लोगो मे वायु तत्व की कमी हो ऐसे लोगो के लिए वायुमुद्रा अत्यन्त उपयोगी है। ऐसे लोग आने वाली बीमारियों को रोकने के लिए इस मुद्रा का अभ्यास कर सकते है। आइये जानते है इस मुद्रा के नियमित प्रयोग करने से क्या क्या लाभ होते है
(१) उदासीनता को दूर करने के लिए, थकान मिटाने के लिए नसों की दुर्बलता दूर करने के लिए यह मुद्रा अच्छी है।
(२) यह मुद्रा करने से विचारो की धीमी गति में तीव्रता आती है। उत्साह में वृध्दि होती है।
(३) जड़त्व की बीमारी मिटती हे सुस्ती दुर होती है। (४) अति निद्रा पर कट्रोल होता है।
(५) धुप सहन कर सकते है।
(६) अत्यधिक पसीना, अत्यधिक प्यास लगना, बार बार मूत्र आना, समय पर भूख न लगना, मोटापा, स्थूल शरीर, बार बार टॉयलेट जाना, अत्याधिक मासिक स्त्राव, तेलीय त्वचा और बाल आदि वायु की कमी से होने वाली बीमारियों में यह मुद्रा लाभकारी है।
#trending #yogapractice #health
विधि : अंगुठे के अग्रभाग को तर्जनी एवं मध्यमा के अग्रभाग से मिलाये शेष अनमिका एवं कनिष्ठिका अंगुली को सीधी रखे।
लाभ: हमारे शरीर की जो नस नाड़ियो
बाहरी और भातरी हलन चलन का संचालन करती है। यह मुद्रा करने से शरीर में वायु का प्रमाण बढ़ता है। जिसके द्वारा हमारी नसो को बल (ताकत) मिलता है जिन लोगो मे वायु तत्व की कमी हो ऐसे लोगो के लिए वायुमुद्रा अत्यन्त उपयोगी है। ऐसे लोग आने वाली बीमारियों को रोकने के लिए इस मुद्रा का अभ्यास कर सकते है। आइये जानते है इस मुद्रा के नियमित प्रयोग करने से क्या क्या लाभ होते है
(१) उदासीनता को दूर करने के लिए, थकान मिटाने के लिए नसों की दुर्बलता दूर करने के लिए यह मुद्रा अच्छी है।
(२) यह मुद्रा करने से विचारो की धीमी गति में तीव्रता आती है। उत्साह में वृध्दि होती है।
(३) जड़त्व की बीमारी मिटती हे सुस्ती दुर होती है। (४) अति निद्रा पर कट्रोल होता है।
(५) धुप सहन कर सकते है।
(६) अत्यधिक पसीना, अत्यधिक प्यास लगना, बार बार मूत्र आना, समय पर भूख न लगना, मोटापा, स्थूल शरीर, बार बार टॉयलेट जाना, अत्याधिक मासिक स्त्राव, तेलीय त्वचा और बाल आदि वायु की कमी से होने वाली बीमारियों में यह मुद्रा लाभकारी है।
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LifestyleTranscript
00:00आज हम इस्पेशल मुद्रा कर रहे हैं वात कारत मुद्रा वायू बढ़ाने वाई मुद्रा
00:07अत्यदिक पसिना अत्यदिक प्यास लगना बार बार मुद्रा आना समय पर भूख ना लगना
00:16मोटापा, स्थुल शरीर, बार बार टोईलेट जाना, अत्यादिक मासिख्राव, तेले तवच्छा और बाल आदी वायू की कमिसे होने वाले बिमारियों में बेहत लाब कारी मुद्रा है
00:31यह मुद्रा करने से शरीर में वायू की मात्रा बढ़ती है, इसकी विदी, अंगुठे के अगरभाग को करदने मुद्यमा
00:43इंडेक्स फिंगर, एम मिडल फिंगर के अगरभाग से मिलाएं, सेंस, रिंग फिंगर और स्मॉल फिंगर, अनामिका, एम कनिष्टर का अंगुली सिद्धी रखें
00:55हमाई सरीर की जो नसनाडियां, बहरी और भीत्री हलन चलन का संचालन करती है, ये मुद्रा करने से सरीर में वायू का प्रमान बढ़ता है, जिसके द्वारा हमारी नसों को बल ताकत मिलता है, जिन लोगों में वायू तत्व की कमी हो, ऐसे लोगों के लिए वायू मुद्र
01:25जानते हैं इस मुद्रा से और भी अनेक लाब है।
01:55अधिक लाब उठाना हो तो इसके साथ कपना सगमुद्रा का उप्यो करना चाहिए।
02:25अच्छा बढ़ जाता है इस मुद्रा का समय 15 से 45 मिनिट तक है यह मुद्रा आप किसी भी समय कर सकते हैं फिर भी अधिक लाब और प्रेणाम के लिए दोपर के बाद दो बज़े से लेकर छे बज़े का समय अत्यंत अनुकूल रहता है